मादक पदार्थों के दुरुपयोग से संबंधित संवैधानिक उपबंध/उपबंधों का उल्लेख करते हुए इस कथन पर चर्चा करें कि मादक पदार्थ का दुरुपयोग भारत के लिये गंभीर सामाजिक-आर्थिक चिंता बनकर उभरा है।
16 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा:
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मादक पदार्थ एक ऐसा रासायनिक पदार्थ है जो चिकित्सक के परामर्श के बिना अपनी शारीरिक और मानसिक कार्यप्रणाली को बदलने के लिये जाता है। यह पदार्थ व्यक्ति को अस्थायी रूप से तनावयुक्त, हल्का व आनंदित कर देता है।
भारत के संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों में गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाते हुए मादक द्रव्यों के निषेध की चर्चा की गई है। संविधान के अनुच्छेद 47 में "स्वास्थ्य के लिये नुकसानदायक नशीली दवाओं, मदिरा, ड्रग के औषधीय भिन्न उपयोग पर प्रतिबंध" का उल्लेख किया गया है।
इसके अतिरिक्त स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 की धारा 71 के अंतर्गत सरकार को नशीली दवा के आदी लोगों की पहचान, इलाज और पुनर्वास केंद्र की स्थापना करने का अधिकार प्राप्त है।
अतिव्यस्तता और आधुनिक जीवन के तनाव और समस्याओं ने व्यक्तियों को मादक द्रव्य से ग्रसित होने के प्रति बहुत अधिक असुरक्षित बना दिया है। आज की युवा पीढ़ी जो अपनी सृजनात्मकता व रचनात्मकता के बल पर राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते थे, गलत संगति या क्षणिक खुशी के कारण मादक पदार्थों के सेवन का शिकार हो रहे हैं।
अध्यनों से यह बात सामने आई है कि बदलते परिवेश में महिलाओं व बच्चों में मादक द्रव्यों के दुरुपयोग की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।
अतः यह कहा जा सकता है कि आधुनिकता की गलत व्याख्या, व्यवस्तता, अजनबीपन आदि ने हमारे समाज के बहुत बड़े वर्ग को मादक द्रव्यों के दुरुपयोग के प्रति असुरक्षित बना दिया है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है जो देश की भौतिक, सामाजिक-आर्थिक दशा को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।