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राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण

  • 17 Dec 2019
  • 14 min read

 Last Updated: July 2022 

इसका वास्तविक नाम राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण है, जिसे आमतौर पर राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency- NIA) के नाम से जाना जाता है। इसका गठन राष्ट्रीय जाँच एजेंसी अधिनियम, 2008 के तहत किया गया था।

  • यह निम्नलिखित मामलों में अपराधों की जाँच और अभियोग चलाने की केंद्रीय एजेंसी है:
    • भारत की संप्रभुता, सुरक्षा एवं अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध को प्रभावित करने वाले अपराध।
    • परमाणु और परमाणु प्रतिष्ठानों के विरुद्ध अपराध।
    • उच्च गुणवत्तायुक्त नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, अभिसमयों (Conventions) और संयुक्त राष्ट्र, इसकी एजेंसियों ​​तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रस्तावों का कार्यान्वयन करती है।
  • इसका उद्देश्य भारत में आतंकवाद का मुकाबला करना भी है।
  • यह केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में तथा शाखाएँ हैदराबाद, गुवाहाटी, कोच्चि, लखनऊ, मुंबई, कोलकाता, रायपुर और जम्मू में हैं।

NIA के लक्ष्य

  • जाँच के नवीनतम वैज्ञानिक साधनों का उपयोग करते हुए सूचीबद्ध अपराधों की गहन पेशेवर जाँच को अंजाम
  • भारत के संविधान और देश के कानूनों का प्रवर्तन।
  • मानवाधिकारों की रक्षा और व्यक्ति की गरिमा को प्राथमिकता के साथ महत्त्व देना।
  • नियमित प्रशिक्षण और सर्वोत्तम अभ्यासों एवं प्रक्रियाओं से अवगत कराने के माध्यम से पेशेवर कार्यबल का विकास।
  • प्रभावी और त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करना।
  • NIA अधिनियम के कानूनी प्रावधानों का अनुपालन करने के दौरान राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों तथा अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ पेशेवर और सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना।
    • आतंकवादी मामलों की जाँच में सभी राज्यों और अन्य जाँच एजेंसियों की सहायता करना।
    • आतंकवाद से संबंधित सभी सूचनाओं का डेटाबेस बनाना और उपलब्ध डेटाबेस को राज्यों तथा अन्य एजेंसियों के साथ साझा करना।
  • अन्य देशों में आतंकवाद से संबंधित कानूनों का अध्ययन और विश्लेषण करना तथा नियमित रूप से भारत में मौजूदा कानूनों की पर्याप्तता का मूल्यांकन करना एवं आवश्यकतानुसार परिवर्तनों के लिये प्रस्ताव पेश करना।

सूचीबद्ध अपराध (Scheduled Offences)

इस अधिनियम के अंतर्गत अपराधों की एक सूची बनाई गई है जिन पर NIA जाँच कर सकती है और मुकदमा चला सकती है। इस सूची में परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 (Atomic Energy Act, 1962) और गैर-कानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम, 1967 (Unlawful Activities Prevention Act, 1967) जैसे अधिनियमों के तहत सूचीबद्ध अपराध शामिल हैं।

क्यों हुआ NIA का गठन

  • प्रायः ऐसा देखा गया है कि आतंकवादी घटनाओं के तार जटिल अंतर-राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय संपर्कों से जुड़े होते हैं तथा उनका संगठित अपराधों, जैसे- हथियार एवं मादक पदार्थों की तस्करी, नकली नोटों का प्रसार आदि से भी संबंध हो सकता है।
    • वर्ष 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के बाद आतंकवाद एवं कुछ अन्य आपराधिक कृत्यों की जाँच के लिये एक केंद्रीय एजेंसी की आवश्यकता को महसूस करते हुए NIA का गठन किया गया।

NIA का कार्य-क्षेत्र

  • NIA को केंद्र सरकार द्वारा NIA अधिनियम, 2008 की धारा VI के अनुरूप मामले सौंपे जाते हैं।
    • एजेंसी इन मामलों की जाँच स्वतंत्र रूप से करती है।
    • जाँच के बाद मामलों को NIA के विशेष न्यायालय (NIA Special Court) के समक्ष रखा जाता है।
    • गैर कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) तथा कुछ सूचीबद्ध अपराधों के तहत अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने के लिये एजेंसी को केंद्र सरकार की मंज़ूरी लेनी होती है।
      • UAPA के अंतर्गत यह मंज़ूरी अधिनियम की धारा 45 (2) के तहत गठित 'प्राधिकरण' की रिपोर्ट के आधार पर दी जाती है।
  • इसे राज्यों से कोई विशेष अनुमति प्राप्त किये बिना राज्यों में आतंक-संबंधी घटनाओं की जाँच करने का अधिकार है।

नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी और आतंकी वित्तपोषण

  • NIA अधिनियम में संशोधन द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी से संबंधित अपराध भी आतंकवादी अधिनियम की परिभाषा के दायरे में लाए गए हैं।
  • आतंकी वित्तपोषण के विभिन्न पहलुओं पर अंकुश लगाने के लिये NIA के अंदर एक आतंकी वित्तपोषण तथा नकली भारतीय मुद्रा सेल (Terror Funding and Fake Currency Cell- TFFC) का गठन किया गया है।
    • यह विभाग आतंकी वित्तपोषण और नकली भारतीय मुद्रा (Fake Indian Currency Notes- FICN) के मामलों पर डेटाबेस का रखरखाव करता है।
    • NIA द्वारा जाँच किये जा रहे सामान्य मामलों के आतंकी वित्तपोषण के पहलुओं की जाँच का उत्तरदायित्व भी TFFC के पास है।
    • TFFC नक्सली समूहों से संबद्ध संदिग्ध व्यक्तियों के बैंक खातों का पता लगाता है।
  • नक्सली समूहों के आतंकी वित्तपोषण से जुड़े पहलुओं से संबंधित मामलों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये एक विशेष ‘लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज़्म’ (Left Wing Extremism- LWE) सेल भी गठित किया गया है।
  • गृह मंत्रालय (MHA) समय-समय पर NIA के कार्यबल, वित्तीय और अवसंरचनात्मक आवश्यकताओं की समीक्षा करता है।

हालिया संशोधन

  • हाल ही में वर्ष 2008 के मूल अधिनियम में संशोधन करते हुए संसद द्वारा राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया गया।
  • इस विधेयक में NIA को निम्नलिखित अतिरिक्त आपराधिक मामलों की भी जाँच करने की अनुमति देने का प्रावधान है:
    • जाली मुद्रा या बैंक नोटों से संबंधित अपराध
    • प्रतिबंधित हथियारों का निर्माण या बिक्री
    • साइबर आतंकवाद
    • विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, (Explosive Substances Act) 1908 के तहत अपराध।
  • NIA का क्षेत्राधिकार
    • NIA के अधिकारियों को पूरे देश में ऐसे अपराधों की जाँच करने के संबंध में अन्य पुलिस अधिकारियों के समान ही शक्तियाँ प्राप्त हैं।
    • NIA को भारत के बाहर घटित ऐसे सूचीबद्ध अपराधों की जाँच करने का अधिकार होगा, जो अंतर्राष्ट्रीय संधियों और अन्य देशों के घरेलू कानूनों के अधीन हैं।
    • केंद्र सरकार NIA को ऐसे मामलों की जाँच के निर्देश दे सकती है जो भारत में ही अंजाम दिये गए हों।
    • ऐसे मामलों पर नई दिल्ली स्थित विशेष न्यायालय का न्यायाधिकार होगा।

विशेष न्यायालय (Special Courts)

  • सूचीबद्ध अपराधों की सुनवाई के लिये केंद्र सरकार NIA अधिनियम 2008 की धारा 11 और 22 के तहत एक या एक से अधिक विशेष न्यायालयों का गठन कर सकती है।
  • विशेष न्यायालय की अध्यक्षता एक न्यायाधीश द्वारा की जाती है जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर की जाती है।
    • यदि आवश्यक हो तो केंद्र सरकार विशेष न्यायालय में एक या एक से अधिक अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति भी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर कर सकती है।
  • विशेष न्यायालयों का क्षेत्राधिकार (Jurisdiction of Special Courts)
    • आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत सत्र न्यायालयों को प्राप्त सभी अधिकार विशेष न्यायालयों को भी प्राप्त हैं।
    • किसी विशेष न्यायालय के अधिकार क्षेत्र पर किसी भी प्रश्न की स्थिति में इसे केंद्र सरकार को संदर्भित किया जाएगा जिसका निर्णय अंतिम होगा।
    • सर्वोच्च न्यायालय किसी विशेष न्यायालय के समक्ष लंबित किसी मामले को उस राज्य के किसी अन्य विशेष न्यायालय को अथवा किसी असाधारण मामले में जहाँ शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण, निष्पक्ष और त्वरित सुनवाई संभव नहीं हो, किसी अन्य राज्य के विशेष न्यायालय को हस्तांतरित कर सकता है।
      • इसी प्रकार उच्च न्यायालय के पास यह शक्ति है कि किसी विशेष न्यायालय के समक्ष लंबित किसी मामले को उस राज्य के किसी अन्य विशेष न्यायालय को हस्तांतरित कर सकता है।

हाल के संशोधनों से जुड़े मुद्दे

  • संविधान की अनुसूची VII के तहत सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस बल का रखरखाव राज्य सूची का विषय है।
    • यद्यपि आपराधिक कानून समवर्ती सूची और राष्ट्रीय सुरक्षा संघ सूची में शामिल विषय हैं।
  • केंद्र सरकार के पास यह अधिकार है कि वह मानव तस्करी, विस्फोटक अधिनियम के अंतर्गत शामिल अपराध और शस्त्र अधिनियम के दायरे में किये गए कुछ अपराधों की जाँच का उत्तरदायित्व NIA को सौंप सकती है।
    • यद्यपि उपरोक्त अधिनियम के दायरे में आने वाले प्रत्येक अपराध राष्ट्रीय सुरक्षा व संप्रभुता के लिये खतरा नहीं होते और राज्यों के पास इनसे निपटने की क्षमता मौजूद है।
  • संशोधन विधेयक सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) की धारा 66F को अपराधों का सूचीकरण करते हुए अनुसूची में शामिल करता है।
    • धारा 66F साइबर आतंकवाद से संबंधित है।
    • लेकिन भारत में कोई डेटा सुरक्षा अधिनियम प्रवर्तित नहीं है और साइबर आतंकवाद की कोई परिभाषा तय नहीं की गई है।
  • NIA अधिनियम में लाया गया संशोधन एजेंसी को व्यक्तियों द्वारा किये गए उन अपराधों की जाँच का भी अधिकार देता है जो भारतीय नागरिकों के विरुद्ध हैं या ‘भारत के हित को प्रभावित करने’ वाले हैं।
    • हालाँकि ‘भारत के हित को प्रभावित करने’ वाक्यांश को परिभाषित नहीं किया गया है और सरकारों द्वारा भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिये इसका दुरुपयोग किया जा सकता है।
      • इसके अतिरिक्त जिस विधान के तहत NIA को जाँच करने का अधिकार प्राप्त है, स्वयं वहाँ "भारत के हित को प्रभावित करने" का अपराध के रूप में उल्लेख नहीं है।

NIA के संस्थापक महानिदेशक राधा विनोद राजू थे और वर्तमान में वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई. सी. मोदी इसके महानिदेशक हैं, जिनका कार्यकाल 1 मई, 2021 तक है।

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