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रक्षा निर्यात को बढ़ावा

  • 01 Jan 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल (Akash Missile) के निर्यात को ‘मित्र देशों’ (Friendly Countries) के लिये मंज़ूरी प्रदान कर दी है तथा निर्यात में तीव्रता लाने हेतु रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है।

  • यह समिति बाद में विभिन्न देशों के लिये स्वदेशी प्लेटफाॅर्मों द्वारा निर्यात करने का अधिकार प्रदान करेगी।

प्रमुख बिंदु

  • आकाश मिसाइल का निर्यात संस्करण वर्तमान में भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल आकाश मिसाइल से अलग होगा।
  • विभिन्न देशों द्वारा जारी RFI/RFP में भाग लेने के लिये मंत्रिमंडल की मंज़ूरी भारतीय निर्माताओं को सुविधा प्रदान करेगी।
    • रिक्वेस्ट फॉर इन्फाॅर्मेशन (Request For Information- RFI) का उपयोग तब किया जाता है जब मालिक कई ठेकेदारों को संभावित समाधान प्रदान करना चाहता है, जबकि रिक्वेस्ट फॉर प्रपोज़ल (Request for Proposal-RFP) का उपयोग किसी परियोजना के लिये स्वीकृति देने हेतु बोली प्रक्रिया में किया जाता है।
  • अब तक भारतीय रक्षा वस्तुओं का कुछ ही अंश या भाग का निर्यात किया जाता था। बड़े स्तर पर इनका निर्यात काफी कम था।
    • मंत्रिमंडल की इस पहल से देश को अपने रक्षा उत्पादों को बेहतर बनाने और उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाने में मदद मिलेगी।
    • यह आत्मनिर्भर भारत (Atma Nirbhar Bharat) के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम होगा।
  • आकाश के अलावा सरकार की रुचि अन्य प्रमुख रक्षा सामग्रियों जैसे- तटीय निगरानी प्रणाली, रडार और वायु प्लेटफाॅर्मों के निर्यात में भी है।

आकाश मिसाइल

  • आकाश भारत की पहली स्वदेश निर्मित मध्यम श्रेणी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है जो कई दिशाओं, कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है।
    • सभी प्रकार के मौसम में प्रयुक्त होने वाली यह मिसाइल ध्वनि की गति से 2.5 गुना तीव्र गति से लक्ष्य को भेद सकती है तथा निम्न, मध्यम और उच्च ऊँचाई पर लक्ष्यों का पता लगाकर उन्हें नष्ट कर सकती है।
  • आकाश मिसाइल प्रणाली को भारत के 30 वर्षीय एकीकृत निर्देशित-मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided-Missile Development Programme - IGMDP) के हिस्से के रूप में डिज़ाइन और विकसित किया गया है, जिसमें नाग, अग्नि, त्रिशूल और पृथ्वी जैसी अन्य मिसाइलें भी शामिल हैं।

रेंज और क्षमता:

  • नाभिकीय क्षमता युक्त आकाश मिसाइल 18 किमी. की अधिकतम ऊँचाई पर 2.5 मैक (लगभग 860 मीटर प्रति सेकंड) की गति से उड़ने में सक्षम है।
  • यह दुश्मन के हवाई ठिकानों को लक्ष्य बना सकती है जैसे- लड़ाकू जेट, ड्रोन, क्रूज़, हवा से सतह में मार करने वाली मिसाइलों के साथ-साथ 30 किलोमीटर की दूरी से बैलिस्टिक मिसाइलों को भेदने में भी सक्षम है ।

आकाश मिसाइल की विशेषताएँ:

  • इस मिसाइल को मोबाइल प्लेटफाॅर्मों के माध्यम से युद्धक टैंकों या ट्रकों से लॉन्च किया जा सकता है। इसमें लगभग 90% तक लक्ष्य को भेदने की सटीकता की संभावना है।
  • इस मिसाइल का संचालन स्वदेशी रूप से विकसित रडार 'राजेंद्र' द्वारा किया जाता है यह रडार प्रणाली समूह या स्वायत्त मोड में कई दिशाओं से अत्यधिक लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।
  • यह मिसाइल ठोस ईंधन तकनीक और उच्च तकनीकी रडार प्रणाली के कारण अमेरिकी पैट्रियट मिसाइलों (US’ Patriot Missiles) की तुलना में सस्ती और अधिक सटीक है।

विनिर्माण :

भारतीय रक्षा निर्यात:

  • मार्च 2020 में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा प्रकाशित आंँकड़ों के अनुसार, हथियार निर्यातक देशों की सूची में भारत वर्ष 2015-2019 तक 19वें स्थान पर तथा वर्ष 2019 में 23वें स्थान पर रहा।
    • रक्षा मंत्रालय की 2018-19 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा निर्यात 10,745 करोड़ रुपए रहा जिसमें वर्ष 2017-18 (100682 करोड़ रुपए) की तुलना में अधिक (100%) की वृद्धि हुई और यह वर्ष 2016-17 (1,521 करोड़ रुपए) से 700% अधिक है।
    • वैश्विक हथियारों के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी मात्र 0.17% है।
  • वर्तमान सरकार भारत में रक्षा विनिर्माण पर ज़ोर दे रही है ताकि देश के विनिर्माण आधार का निर्माण किया जा सके तथा देश में ही युवाओं के लिये रोज़गार सुनिश्चित किया जा सके और भारत के हथियारों के आयात बिल को कम किया जा सके।
    • भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 5 बिलियन अमेरिकी डाॅलर मूल्य के सैन्य हार्डवेयर का निर्यात करना है। 

आगे की राह 

  • निजी उद्योग की अधिक-से-अधिक भागीदारी हेतु एक स्थिर मैक्रो-आर्थिक और राजनीतिक वातावरण निर्मित करने के साथ ही एक पारदर्शी कारोबारी माहौल निर्मित करने की आवश्यकता है जो निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करे।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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