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सतत् विकास लक्ष्य भारत सूचकांक -2019

  • 31 Dec 2019
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सतत् विकास लक्ष्य भारत सूचकांक

मेन्स के लिये:

सतत् विकास लक्ष्य भारत सूचकांक, नीति आयोग

चर्चा में क्यों?

नीति आयोग ने 30 दिसंबर, 2019 को सतत् विकास लक्ष्य भारत सूचकांक (Sustainable Development Goal India Index) के दूसरे संस्करण में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन पर एक रिपोर्ट जारी की, पिछले वर्ष की ही तरह इस बार भी केरल इस सूची में प्रथम स्थान पर रहा।

सतत् विकास लक्ष्य

(Sustainable Development Goal-SDG)

वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) में सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने विकास के 17 लक्ष्यों को आम सहमति से स्वीकार किया। UN ने विश्व के बेहतर भविष्य के लिये इन लक्ष्यों को महत्त्वपूर्ण बताया तथा वर्ष 2030 तक इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये इसके क्रिन्वयन की रूपरेखा सदस्य देशों के साथ साझा की।

सतत् विकास लक्ष्य भारत सूचकांक:

नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के आधार पर भारत की प्राथमिकताओं के अनुरूप अपना सूचकांक तैयार किया है। इस वर्ष नीति आयोग की रिपोर्ट में UN के 17 में से 16 लक्ष्यों को शामिल किया गया है जबकि वर्ष 2018 में इसमें केवल 13 लक्ष्यों को ही शामिल किया गया था।

नीति आयोग UN के 232 सूचकांकों की प्रणाली पर आधारित 100 निजी सूचकांकों पर राज्यों के प्रदर्शन की समीक्षा करता है, जिनमें शामिल हैं-

  1. आकांक्षी (Aspirant): 0–49
  2. परफार्मर (Performer): 50-64
  3. फ्रंट रनर (Front Runner): 65–99
  4. अचीवर (Achiever): 100

Sustainable-Development

मुख्य बिंदु:

  • सतत् विकास लक्ष्य भारत सूचकांक को ‘सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय’, संयुक्त राष्ट्र संघ की भारतीय शाखा और वैश्विक हरित विकास संस्थान (Global Green Growth Institute-GGGI) के सहयोग से तैयार किया गया है।
  • नीति आयोग द्वारा जारी वर्ष 2019 के सूचकांक में केरल (70) का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा जबकि बिहार (50) इस सूची में सबसे निचले स्थान पर रहा।
  • इस सूचकांक में पिछले वर्ष के मुकाबले उत्तर प्रदेश (55), ओडिशा (58) और सिक्किम (65) के प्रदर्शनों में सबसे अधिक सुधार देखने को मिले।
  • इस सूचकांक में 69 अंकों के साथ हिमाचल दूसरे और आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु 67 अंकों के साथ संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहे।
  • भुखमरी से मुक्ति और लैंगिक समानता के क्षेत्र में लगभग सभी राज्यों का प्रदर्शन खराब रहा, इन क्षेत्रों में भारत को राष्ट्रीय स्तर पर 100 में से क्रमशः मात्र 35 और 42 अंक ही प्राप्त हुए।
  • सभी 16 क्षेत्रों में भारत को संयुक्त रूप से 60 अंक प्राप्त हुए, पिछले वर्ष इसी श्रेणी में भारत को 57 अंक प्राप्त हुए थे।
    • भारत के इस प्रदर्शन का कारण नवीकरणीय ऊर्जा और स्वच्छता के क्षेत्र में हुई प्रगति (88), शांति, न्याय और सशक्त संस्थानों (72) तथा सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा (70) आदि क्षेत्रों में हुए सफल प्रयास हैं।
  • दूसरे SDG ‘भुखमरी से मुक्ति’ में राज्यों के प्रदर्शन में ह्रास देखने को मिला केरल, गोवा और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को छोड़कर 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 50 से कम अंक प्राप्त हुए।
  • मिज़ोरम (67), नगालैंड (70), अरुणाचल प्रदेश (66) और सिक्किम (66) को भुखमरी से मुक्ति में 65 से अधिक अंक प्राप्त हुए जबकि मध्य भारत के राज्यों झारखंड (22), मध्यप्रदेश (24), बिहार (26) और छत्तीसगढ़ (27) को इस श्रेणी में 30 से भी कम अंक प्राप्त हुए। (इस श्रेणी में प्राप्त अंक राज्य के भीतर बच्चों में कुपोषण, बाल-विकास, एनीमिया तथा खाद्य उत्पादन और वितरण की दिशा में किये गए कार्यों को दर्शाते हैं)
  • पाँचवें SDG- ‘लैंगिक समानता’ के क्षेत्र में सभी राज्यों का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा। केवल जम्मू और कश्मीर-J&K (53), हिमाचल (52) तथा केरल (51) को छोड़कर सभी राज्य 50 का आँकड़ा पार करने में असफल रहे। (यह गणना J&K राज्य के विभाजन से पूर्व की हैं )
    • इस सूचकांक में महिलाओं के खिलाफ अपराध, महिलाओं के साथ लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव तथा गर्भधारण से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को देखा गया।
    • इसके साथ ही महिलाओं के आर्थिक और राजनीतिक सशक्तीकरण तथा इन क्षेत्रों में उनके लिये नेतृत्व के अवसरों की उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया गया।
    • भारत का असमान लैंगिक अनुपात 896/1000, कार्यक्षेत्रों में केवल 17.5% महिलाओं की भागीदारी और 3 में से 1 महिला के वैवाहिक उत्पीड़न के मामलों को इस खराब प्रदर्शन का कारण माना जा रहा है।
  • छठे SDG ‘स्वच्छ जल और सफाई’ (Clean Water and Sanitation) में बेहतर प्रदर्शन का श्रेय स्वच्छ भारत मिशन को जाता है, यद्यपि इसका एक कारण यह भी है कि इस लक्ष्य के सात संकेताकों में से चार शौचालय और स्वच्छता से जुड़े हुए थे जबकि एक सुरक्षित और साफ पेयजल से संबंधित था।
  • दिल्ली को छोड़कर सभी केन्द्रशासित प्रदेशों को इस सूचकांक में 65 से अधिक अंक प्राप्त हुए। दिल्ली का प्रदर्शन स्वच्छता के मामले में बहुत ही ख़राब रहा।
  • सरकार की घर-घर बिजली और भोजन पकाने के लिये LPG वितरण की योजनाओं को 7वें SDG लक्ष्य ‘सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा’ (Affordable and Clean energy) में बेहतर प्रदर्शन का कारण माना जा रहा है।

सतत् विकास लक्ष्य भारत सूचकांक के लक्ष्य :

  • इस रिपोर्ट के आँकड़े UN की SDG योजना में भागीदारी के प्रति भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
  • इस वार्षिक आकलन के पीछे नीति आयोग के दो उद्देश्य है-
  1. SDG की प्रगति में राज्यों की स्थिति का आकलन करना।
  2. इसके माध्यम से राज्यों के मध्य विकास की दिशा में प्रतिस्पर्द्धा और परस्पर सहयोग को बढ़ाना।
  • इस रिपोर्ट का उद्देश्य देश में वैश्विक स्तर के विकास के लिये रणनीतिक चर्चा, नीति निर्धारण और उनके क्रियान्वन को बढ़ावा देना है।
  • रिपोर्ट का एक अन्य उद्देश्य राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों को उनके विकास के मार्ग में बाधाओं की पहचान करने और प्राथमिकताओं को चुनने में सहायता के साथ राज्यों को आपसी सहयोग के लिये प्रेरित करना है।

निष्कर्ष :UN की SDG योजना के अनुसार 2020 की शुरूआत के साथ ही हम ‘कार्यवाही के दशक’ (Decade of Action) में प्रवेश का जायेंगे ऐसे में राज्य स्तर पर अपनी कमियों की जानकारी और उस अनुरूप योजनाओं क्रियान्वन में सतत् विकास लक्ष्य भारत सूचकांक के आंकड़े बहुत ही मददगार साबित होंगें। SDG के लक्ष्यों के अतिरिक्त भी ये आंकड़े केंद्र तथा राज्य सरकारों के समक्ष वर्तमान भारत की वास्तविक छवि प्रकट करते है, जिसके अनुरूप ही सरकारों को भविष्य की योजनाओं और उनके क्रियान्वन की रूपरेखा तैयार करनी होगी।

स्रोत: द हिंदू, पीआईबी

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