डेली न्यूज़ (03 Jul, 2023)



फुकुशिमा जल मुद्दा

प्रिलिम्स के लिये:

फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र, जापान के पड़ोसी देश, भूकंप, सुनामी, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

मेन्स के लिये:

भूकंप एवं सुनामी का प्रभाव तथा परमाणु अपशिष्ट निपटान 

चर्चा में क्यों?

फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र से समुद्र में 1 मिलियन टन से अधिक जल छोड़ने की जापान की योजना ने पड़ोसी देशों के लिये चिंता उत्पन्न कर दी है, विशेष रूप से दक्षिण कोरिया के लिये। हालाँकि इसके बारे में दावा किया जाता है कि यह जल उपचारित है लेकिन संभावित रूप से रेडियोधर्मी है।

फुकुशिमा जल मुद्दा:

  • परिचय:  
    • फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र को वर्ष 2011 में आए एक बड़े भूकंप और सुनामी के बाद बंद करना पड़ा था तथा इसके कारण पर्यावरण में बड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी सामग्री फैल गई थी।
    • शुरुआत में इस घटना के कारण किसी की मौत की खबर नहीं मिली थी। हालाँकि इस भूकंप और सुनामी के कारण लगभग 18,000 लोगों की जान चली गई थी।
    • जापान परमाणु ईंधन के लिये शीतल जल तथा क्षतिग्रस्त रिएक्टर इमारतों से रिसने वाले बारिश एवं भू-जल को बड़े टैंकों में संग्रहीत कर रहा है।
  • मुद्दे से जुड़े हालिया विकास:
    • जल को उन्नत तरल प्रसंस्करण प्रणाली (ALPS) का उपयोग करके शुद्ध किया जाता है, जो रेडियोधर्मी घटक ट्रिटियम, जिसे पृथक करना काफी कठिन होता है- एक हाइड्रोजन आइसोटोप है, को छोड़कर अधिकांश को फिल्टर किया जाता है।
    • जापान का कहना है कि उसके पास जल के संग्रहण के लिये कोई जगह नहीं है और वह इसे समुद्र में छोड़ देता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) जापान को जल छोड़ने में सहायता कर रही है। 

नोट: ट्रिटियम रेडियोधर्मी है और इसकी समय-सीमा लगभग 12.5 वर्ष है।

  • चिंताएँ:
    • दक्षिण कोरिया को डर है कि जल छोड़े जाने से उसका जल, नमक और समुद्री भोजन प्रदूषित हो जाएगा, जिससे मत्स्यन और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभावित होगा।
    • दक्षिण कोरिया में नमक की बढ़ती मांग का कारण लगभग 27% मूल्य वृद्धि, भंडारण के साथ-साथ मौसम और कम उत्पादन जैसे बाह्य कारकों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है।
    • चीन ने भी जापान की योजना की आलोचना की है, इसकी पारदर्शिता पर सवाल उठाया है और समुद्री पर्यावरण तथा वैश्विक स्वास्थ्य पर संभावित प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है।

विश्व की अन्य प्रमुख परमाणु आपदाएँ:  

  • चेर्नोबिल आपदा (वर्ष 1986): सबसे प्रमुख  और गंभीर परमाणु आपदाओं में से एक, चेर्नोबिल आपदा यूक्रेन के चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में देखी गई थी।
    • सुरक्षा परीक्षण के दौरान अचानक विद्युत क्षमता बढ़ने से विस्फोटों और अग्नि की एक शृंखला बन गई, जिससे रिएक्टर कोर नष्ट हो गया तथा  बड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी सामग्री वायुमंडल में फैल गई।
  • थ्री माइल आइलैंड दुर्घटना (वर्ष 1979): यह दुर्घटना संयुक्त राज्य अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में थ्री माइल आइलैंड न्यूक्लियर जनरेटिंग स्टेशन पर हुई। इसमें रिएक्टर के कोर के आंशिक रूप से पिघलने के परिणामस्वरूप रेडियोधर्मी गैसों का रिसाव हुआ।
  • किश्तिम आपदा (वर्ष 1957): यह सोवियत संघ (अब रूस) में मयाक प्रोडक्शन एसोसिएशन में घटित हुई थी।
    • इसमें एक परमाणु अपशिष्ट संग्रहण टैंक में विस्फोट के कारण के कारण  पर्यावरण में रेडियोधर्मी सामग्री का रिसाव हो गया था।

परमाणु ऊर्जा संयंत्र:

  • परमाणु ऊर्जा संयंत्र, एक प्रकार के विद्युत संयंत्र हैं जो विद्युत उत्पन्न करने के लिये परमाणु विखंडन की प्रक्रिया का उपयोग करते हैं।
    • परमाणु विखंडन में परमाणु विभाजित होकर छोटे परमाणु बनाते हैं, जिससे ऊर्जा विमुक्त होती है।
      • परमाणु ऊर्जा संयंत्र के रिएक्टर के भीतर विखंडन होता है। रिएक्टर के केंद्र में यूरेनियम ईंधन होता है।
  •  रिएक्टर कोर में परमाणु विखंडन के दौरान उत्पन्न गर्मी का उपयोग पानी को भाप में बदलने के लिये किया जाता है, यह भाप टरबाइन के ब्लेड को परिवर्तित देता है
    • जैसे ही टरबाइन के ब्लेड मुड़ते हैं, वे जनरेटर को चालू कर देते हैं जिससे विद्युत उत्पन्न होती है।
  • परमाणु संयंत्र भाप को ठंडा करके विद्युत संयंत्र में एक अलग संरचना में जल को परिवर्तित कर देते हैं जिसे कूलिंग टॉवर कहा जाता है, या वे तालाबों, नदियों या समुद्र के जल का उपयोग करते हैं।
    • फिर ठंडे जल को भाप बनाने के लिये पुन: उपयोग किया जाता है। 

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA):

  • IAEA एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना और परमाणु हथियारों सहित किसी भी सैन्य उद्देश्य के लिये इसके उपयोग को प्रतिबंधित करना है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1957 में संयुक्त राष्ट्र के तहत  विश्व की "शांति के लिये परमाणु" (Atoms for Peace) संगठन के रूप में की गई थी। इसे इसकी स्वयं की संस्थापक संधि, IAEA के कानून द्वारा शासित किया जाता है।
  • यह संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद दोनों को रिपोर्ट करता है तथाइसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में है।
  • वर्ष 2005 में एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण विश्व की स्थापना के लिये किये गए इसके कार्यों एवं प्रयासों के लिये इसे नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. नाभिकीय रिएक्टर में भारी जल का कार्य है: (2011)

(a) न्यूट्रॉन की गति धीमा करना
(b) न्यूट्रॉन की गति बढ़ाना
(c) रिएक्टर को ठंडा करना
(d) परमाणु प्रतिक्रिया को बंद करना

उत्तर: (a) 


मेन्स:

प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों के परिप्रेक्ष्य में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये? परमाणु ऊर्जा से जुड़े तथ्यों एवं भयों की विवेचना कीजिये। (2018) 

 स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


पंचायत विकास सूचकांक रिपोर्ट

हाल ही में केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के राज्य मंत्री ने नई दिल्ली में पंचायत विकास सूचकांक पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में पंचायत विकास सूचकांक (PDI) पर रिपोर्ट जारी की।

पंचायत विकास सूचकांक: 

  • परिचय: 
    • PDI एक समग्र सूचकांक है जो सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के स्थानीयकरण को प्राप्त करने में पंचायतों के प्रदर्शन को मापता है।
    • यह पंचायतों की विकास स्थिति का समग्र और साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन प्रदान करता है तथा उनकी शक्ति एवं कमज़ोरियों को उजागर करता है। 
  • उद्देश्य:  
    • PDI का उद्देश्य पंचायतों और हितधारकों के बीच उनके महत्त्व के विषय में जागरूकता बढ़ाकर SDG के स्थानीयकरण को बढ़ावा देना है।
    • यह सतत् विकास लक्ष्य (SDG) हासिल करने में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिये पंचायतों को सर्वोत्तम प्रथाओं और नवाचारों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करता है।
  • रैंकिंग और वर्गीकरण:
    • पंचायत विकास सूचकांक, ज़िला, ब्लॉक और गाँव सहित विभिन्न स्तरों पर पंचायतों को  उनके कुल स्कोर के आधार पर रैंकिंग प्रदान करता है।
    • पंचायतों को चार ग्रेडों में वर्गीकृत किया गया है: D (स्कोर 40% से कम), C (40-60%), B (60-75%), A(75-90%) और A+ (90% से ऊपर)।
  • विषय और केंद्रीय बिंदु:
    • पंचायत विकास सूचकांक नौ विषयों पर विचार करता है, जिनमें गरीबी मुक्त और उन्नत आजीविका, स्वस्थ गाँव, बाल-सुलभ गाँव, जल-पर्याप्त गाँव, स्वच्छ और हरित गाँव, आत्मनिर्भर बुनियादी ढाँचा, सामाजिक रूप से न्यायसंगत एवं सुरक्षित गाँव, सुशासन तथा महिला-अनुकूल गाँव शामिल हैं।
  • पंचायत विकास सूचकांक के अनुप्रयोग और लाभ:
    • पंचायत विकास सूचकांक का उपयोग राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा पंचायती राज पुरस्कारों और विकास के लिये डेटा-संचालित एवं साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण पर बल देने हेतु किया जा सकता है।
    • यह SDG के साथ संबद्ध पंचायतों तथा अन्य संस्थाओं द्वारा कार्यान्वित योजनाओं के निर्माण, निगरानी और मूल्यांकन करने के लिये एक उपकरण के रूप में कार्य करता है।
    • PDI सफल मॉडलों एवं हस्तक्षेपों को सीखने तथा उनकी प्रतिकृति बनाने के लिये पंचायतों, हितधारकों के बीच ज्ञान के साथ अनुभवों को साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।

PDI रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:

  • पायलट प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के चार ज़िलों पुणे, सांगली, सतारा तथा सोलापुर में चलाया गया था।
  • पायलट प्रोजेक्ट से एकत्र किये गए डेटा का उपयोग पंचायत विकास सूचकांक समिति की रिपोर्ट संकलित करने के लिये किया गया था।
  • पायलट अध्ययन से जानकारी प्राप्त हुई कि महाराष्ट्र के चार ज़िलों में 70% पंचायतें श्रेणी C में आती हैं, जबकि 27% पंचायतें श्रेणी B में हैं।
  • यह रिपोर्ट साक्ष्य-आधारित योजना निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है, जिसके तहत समग्र विकास के लिये आवश्यक स्थानों पर संसाधनों का प्रबंधन किया जाना चाहिये। 

पंचायती राज संस्थान:

  • पंचायती राज संस्थान (Panchayati Raj Institution- PRI) भारत में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन (Rural Local Self-government) की एक प्रणाली है।
  • स्थानीय स्वशासन स्थानीय लोगों द्वारा चुने गए स्थानीय निकायों द्वारा स्थानीय मामलों का प्रबंधन है।
  • स्थानीय स्तर पर लोकतंत्र की स्थापना के लिये 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थान (Panchayati Raj Institution) को संवैधानिक स्थिति प्रदान की गई और उन्हें देश में ग्रामीण विकास का कार्य सौंपा गया।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य क्या सुनिश्चित करना है? (2015) 

  1. विकास में जन-भागीदारी
  2. राजनीतिक जवाबदेही
  3. लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण
  4. वित्तीय संग्रहण

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (c) 

व्याख्या: 

  • पंचायती राज व्यवस्था का सबसे बुनियादी उद्देश्य विकास एवं लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करना है। 
  • पंचायती राज संस्थाओं की स्थापना से स्वतः ही राजनीतिक जवाबदेही सिद्ध नहीं होती है।
  • वित्तपोषण पंचायती राज का मूल उद्देश्य नहीं है। हालाँकि यह ज़मीनी स्तर पर सरकार को वित्त एवं संसाधन हस्तांतरित करना चाहता है।

स्रोत: पी.आई.बी.


भारत-फिलीपींस संबंध

प्रिलिम्स के लिये:

सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय, दक्षिण चीन सागर, एक्ट ईस्ट पॉलिसी, ब्रह्मोस, आसियान, आसियान-भारत सहयोग कोष, आसियान-भारत हरित कोष 

मेन्स के लिये:

भारत-फिलीपींस संबंध

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में भारत के विदेश मंत्री और फिलीपींस के समकक्ष के बीच द्विपक्षीय सहयोग पर संयुक्त आयोग की 5वीं बैठक आयोजित की गई थी।

  • भारत और फिलीपींस समुद्री सुरक्षा पर विशेष बल देने के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिये विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।

बैठक के प्रमुख बिंदु:   

  • रक्षा सहयोग: दोनों मंत्रियों ने रक्षा सहयोग पर एक साथ काम करने में गहरी रुचि व्यक्त की जिसमें रक्षा एजेंसियों के बीच नियमित या उन्नत आधिकारिक स्तर की बातचीत, मनीला में एक निवासी रक्षा ‘अताशे’ कार्यालय खोलना तथा फिलीपींस की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये भारत द्वारा रियायती ऋण सुविधा पर विचार करना शामिल है।   
  • समुद्री सुरक्षा: दोनों देशों का लक्ष्य समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) क्षमताओं को बढ़ाने के लिये समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA), संयुक्त गश्त और सूचना के आदान-प्रदान पर सहयोग करना है।
    • MDA की उपयोगिता पर ज़ोर देते हुए दोनों देशों के मंत्रियों ने भारतीय नौसेना और फिलीपींस तटरक्षक के बीच व्हाइट शिपिंग समझौते के लिये मानक संचालन प्रक्रिया के शीघ्र कार्यान्वयन का आह्वान किया।
  • साइबर सुरक्षा सहयोग: आतंकवाद विरोधी उपायों और खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान सहित मौजूदा डोमेन में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई। दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।
  • क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे: दोनों देशों के मंत्री आपसी हित के क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा में शामिल हुए, उदाहरणतः  दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता और क्षेत्रीय दावे।

भारत-फिलीपींस संबंध: 

  • परिचय: भारत और फिलीपींस हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दो लोकतांत्रिक देश हैं जो स्वतंत्र, खुले और स्थिर क्षेत्र के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए हिंद-प्रशांत के प्रति समान दृष्टिकोण साझा करते हैं।
  • राजनीतिक संबंध: भारत और फिलीपींस ने औपचारिक रूप से 26 नवंबर, 1949 को दोनों देशों के स्वतंत्रता प्राप्त करने (1946 में फिलीपींस और 1947 में भारत) के तुरंत बाद राजनयिक संबंध स्थापित किये। 
    • भारत ने वर्ष 1992 में लुक ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत करते हुए आसियान के साथ साझेदारी में वृद्धि की जिसके फलस्वरूप फिलीपींस के साथ द्विपक्षीय और क्षेत्रीय संबंधों में भी तेज़ी आई। 
    • एक्ट ईस्ट पॉलिसी (2014) के तहत भारत-फिलीपींस संबंधों में राजनीतिक-सुरक्षा; व्यापार और उद्योग आदि क्षेत्रों में विविधता देखने को मिली है।
  • आर्थिक संबंध: वर्ष 2022 में भारत 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार के साथ फिलीपींस का पंद्रहवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 
    • इसके अलावा फिलीपींस भारत के साथ वस्तु व्यापार में शुद्ध आयातक रहा है। 
  • रक्षा सहयोग: भारत और फिलीपींस के बीच रक्षा एवं सुरक्षा साझेदारी बढ़ रही है। भारत तथा फिलीपींस के बीच रक्षा सहयोग में सबसे महत्त्वपूर्ण विकास कार्यों में से एक ब्रह्मोस मिसाइल सौदा है, जिसे जल्द ही अंतिम रूप दिये जाने की उम्मीद है।
    • ब्रह्मोस, भारत तथा रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जिसे धरातल, समुद्र या हवाई प्लेटफाॅर्म से लॉन्च किया जा सकता है।

फिलीपींस के बारे में मुख्य तथ्य: 

  • फिलीपींस,दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित एक द्वीपसमूह है, जिसकी सीमा पूर्व में फिलीपीन सागर, पश्चिम में दक्षिण चीन सागर तथा दक्षिण में सेलेब्स सागर से लगती है।
    • इसमें 7,641 द्वीप हैं, जिनमें लूज़ोन और मिंडानाओ सबसे बड़े हैं।
    • इसकी राजधानी मनीला है, जो लुज़ोन द्वीप पर स्थित है।
  • मिंडानाओ द्वीप पर माउंट अपो (2,954 मीटर) सबसे ऊँची चोटी है, साथ ही यह एक सक्रिय ज्वालामुखी है।
  • फिलीपींस में वर्ष भर उच्च तापमान एवं आर्द्रता के साथ उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है, जिसमें नम और शुष्क मौसम का अनुभव होता है। 
  • फिलीपींस को विश्व के जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक माना जाता है।
  • फिलीपींस भी पैसिफिक रिंग ऑफ फायर का भाग है, जो इसे भौगोलिक रूप से सक्रिय बनाता है। इसमें 20 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जिनमें मेयोन (हाल ही में वर्ष 2023 में विस्फोट हुआ), ताल और माउंट पिनातुबो (वर्ष 1991 में विस्फोट हुआ) शामिल हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)  

  1. ऑस्ट्रेलिया
  2. कनाडा
  3. चीन
  4. भारत
  5. जापान
  6. अमेरिका 

उपर्युक्त में से कौन-कौन आसियान के 'मुक्त-व्यापार भागीदारों' में से हैं?

(a) 1, 2, 4 और 5 
(b) 3, 4, 5 और 6 
(c) 1, 3, 4 और 5 
(d) 2, 3, 4 और 6 

उत्तर: (c) 


प्रश्न. रीजनल कॉम्प्रीहेनसिव इकोनाॅमिक पार्टनरशिप (‘Regional Comprehensive Economic Partnership’) पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016) 

(a) G20 
(b) ASEAN  
(c) SCO 
(d) SAARC 

उत्तर: (b) 


मेन्स:

प्रश्न. शीतयुद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में भारत की पूर्वोन्मुखी नीति के आर्थिक और सामरिक आयामों का मूल्यांकन कीजिये। (2016) 

स्रोत: द हिंदू


गेहूँ और चावल के लिये ओपन मार्केट सेल स्कीम

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय खाद्य निगम, ओपन मार्केट सेल स्कीम, गेहूँ, चावल

मेन्स के लिये:

खाद्यान्न आपूर्ति बढ़ाने में OMSS की भूमिका, खाद्य सुरक्षा प्रबंधन में भारतीय खाद्य निगम (FCI) की भूमिका 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा मात्रा प्रतिबंध लगाने और ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) में राज्यों की भागीदारी से इनकार की प्रतिक्रिया में राज्य गेहूँ तथा चावल खरीदने के वैकल्पिक तरीकों पर विचार कर रहे हैं।

ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS):

  • परिचय: 
    • OMSS, FCI द्वारा खुले बाज़ार में केंद्रीय पूल से अधिशेष खाद्यान्न, मुख्य रूप से गेहूँ और चावल की बिक्री की सुविधा के लिये कार्यान्वित एक कार्यक्रम है।
  • प्रयोजन और उद्देश्य: 
    • बुआई और कटाई के बीच के मौसम के दौरान खाद्यान्न आपूर्ति में वृद्धि करना।
    • ओपन मार्केट की कीमतें और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण करना।
    • घाटे वाले क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा और अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
    • केंद्रीय पूल से अधिशेष खाद्यान्न की बिक्री की सुविधा प्रदान करना।
  • कार्यान्वयन और प्रक्रिया: 
    • पूर्व-निर्धारित कीमतों पर निर्दिष्ट मात्रा में खाद्यान्न खरीदने के लिये व्यापारियों, थोक उपभोक्ताओं और खुदरा शृंखलाओं के लिये FCI द्वारा ई-नीलामी आयोजित किया जाना।
    • राज्यों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (NFSA) के तहत वितरण के लिये OMSS के माध्यम से अतिरिक्त खाद्यान्न खरीदने की अनुमति देना। 
    • नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (NCDEX) के प्लेटफॉर्म पर FCI, OMSS के लिये साप्ताहिक गेहूँ की नीलामी आयोजित करता है।
      • NCDEX भारत में एक कमोडिटी एक्सचेंज प्लेटफॉर्म है जो विभिन्न कृषि और अन्य वस्तुओं में व्यापार के लिये एक मंच प्रदान करता है।

हाल के संशोधित OMSS प्रतिबंध:

  • संशोधित OMSS प्रतिबंध:
    • OMSS में हाल ही में एक संशोधन किया गया है जिसमें एक बोलीदाता द्वारा एक ही बोली में खरीदी जा सकने वाली मात्रा को सीमित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
    • पूर्व में प्रति बोली अधिकतम अनुमत मात्रा 3,000 मीट्रिक टन थी। हालाँकि अब इसे घटाकर 10-100 मीट्रिक टन कर दिया गया है।
    • इस परिवर्तन का उद्देश्य छोटे तथा सीमांत खरीदारों को समायोजित करके व्यापक भागीदारी में वृद्धि करना है।
    • छोटे खरीदारों से प्रतिस्पर्द्धी बोलियों को प्रोत्साहित करके संशोधित OMSS, खुदरा कीमतों पर अंकुश लगाने एवं अधिक समान स्तर का कार्यान्वयन क्षेत्र बनाने का प्रयास करता है।
  • राज्यों को OMSS बिक्री बंद करना: 
    • केंद्र ने OMSS के अंतर्गत केंद्रीय पूल से राज्य सरकारों को चावल तथा गेहूँ की बिक्री बंद करने का निर्णय लिया है।
    • इसके अतिरिक्त निजी बोलीदाताओं को अब अपनी OMSS आपूर्ति राज्यों को बेचने की अनुमति नहीं है।
    • इस निर्णय के पीछे तर्क मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति को नियंत्रित करने के साथ केंद्रीय पूल में पर्याप्त स्टॉक स्तर बनाए रखना है।
    • यह सुनिश्चित कर खाद्य सुरक्षा दायित्वों को पूरा करना है, राज्यों को OMSS की बिक्री बंद करने का उद्देश्य खाद्यान्न के वितरण एवं आवंटन को सुव्यवस्थित करना है।

राज्यों की प्रतिक्रिया: 

  • कर्नाटक और तमिलनाडु ने केंद्र के फैसले की आलोचना की है।
  • गरीबी रेखा से नीचे (BPL) के परिवारों के लिये मुफ्त अनाज वितरण कार्यक्रम, अन्न भाग्य योजना के स्थान पर कर्नाटक सरकार ने अस्थायी रूप से लाभार्थियों को नकद हस्तांतरण को लागू कर दिया है, सरकार ने बताया है कि उसके इस कदम का कारण बाज़ार में उचित मूल्य पर पर्याप्त चावल की अनुपलब्धता है।

भारतीय खाद्य निगम:   

  • FCI वर्ष 1964 के खाद्य निगम अधिनियम के तहत वर्ष 1965 में स्थापित एक वैधानिक निकाय है। इसकी स्थापना अनाज, विशेषकर गेहूँ की भारी कमी की पृष्ठभूमि में की गई थी।
  • FCI का कार्य भारत में खाद्य सुरक्षा प्रणाली का प्रबंधन करना है।
  • खाद्यान की कमी अथवा संकट की स्थिति में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये FCI खाद्यान्न का बफर स्टॉक भी रखता है।
  • FCI सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिये पूरे देश में खाद्यान्न वितरित करने हेतु भी उत्तरदायी है।
  • अपने अधिशेष खाद्यान्न के निपटान के तरीकों में से एक के रूप में FCI ई-नीलामी का भी आयोजन करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अधीन बनाए गए उपबंधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. केवल वे ही परिवार सहायता प्राप्त खाद्यान्न लेने की पात्रता रखते है जो 'गरीबी रेखा से नीचे (बी.पी.एल.)' श्रेणी में आते हैं।
  2. परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार की मुखिया होगी।
  3. गर्भवती महिलाएँ और दुग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छह महीने बाद तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हकदार हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (b)  


मेन्स:

प्रश्न. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन भारत में सहायिकियों के परिदृश्य का किस प्रकार परिवर्तन कर सकता है? चर्चा कीजिये। (2015) 

स्रोत: द हिंदू