उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में अत्यधिक वर्षा की चेतावनी
चर्चा में क्यों?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तर प्रदेश के लिये महत्त्वपूर्ण मौसम चेतावनी जारी करते हुए विभिन्न ज़िलों को येलो और ऑरेंज अलर्ट पर रखा है।
- यह चेतावनी मुख्य रूप से बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिम में बने निम्न दाब के क्षेत्र के कारण है, जो अब चक्रवाती परिसंचरण में परिवर्तित हो गया है और वर्तमान में उत्तर प्रदेश को प्रभावित कर रहा है।
मुख्य बिंदु
- अत्यधिक वर्षा की चेतावनी वाले ज़िले: कुल 24 ज़िलों में अत्यधिक वर्षा की चेतावनी जारी की गई है। इनमें शामिल हैं: बाँदा, चित्रकूट, कौशांबी, प्रयागराज, देवरिया, गोरखपुर, बहराईच, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झाँसी, ललितपुर,
- इन ज़िलों में IMD ने अत्यधिक वर्षा की संभावना जताते हुए येलो अलर्ट जारी किया है।
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अत्यधिक वर्षा के लिये आठ ज़िलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। ये ज़िले हैं संत कबीर नगर, बस्ती, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती।
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इन क्षेत्रों के निवासियों को अत्यधिक वर्षा और संभावित व्यवधानों के लिये तैयार रहना चाहिये।
रंग-कोडित मौसम चेतावनी
- इसे IMD द्वारा जारी किया जाता है जिसका उद्देश्य गंभीर अथवा खतरनाक मौसम से पूर्व लोगों को सचेत करना है जिससे नुकसान, व्यापक व्यवधान या जीवन को खतरा होने की संभावना होती है ।
- IMD 4 रंग कोड का उपयोग करता है:
- ग्रीन (सब ठीक है): कोई सलाह जारी नहीं की गई है।
- येलो (सावधान रहें): येलो अलर्ट कई दिनों तक खराब मौसम का संकेत देता है। यह बताता है कि मौसम और भी खराब हो सकता है, जिससे दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में व्यवधान आ सकता है।
- ऑरेंज (तैयार रहें): ऑरेंज अलर्ट अत्यंत खराब मौसम की चेतावनी के रूप में जारी किया जाता है, जिससे सड़क और रेल मार्ग बंद होने से आवागमन में व्यवधान उत्पन्न होने और विद्युत् आपूर्ति बाधित होने की संभावना रहती है।
- रेड (कार्यवाही करें): जब अत्यंत खराब मौसम की स्थिति के कारण यात्रा और विद्युत् बाधित होने लगती है तथा जीवन को गंभीर खतरा उत्पन्न हो जाता है, तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है।
- ये चेतावनियाँ सार्वभौमिक प्रकृति की होती हैं तथा बाढ़ के दौरान भी जारी की जाती हैं, जो अत्यधिक वर्षा के परिणामस्वरूप भूमि/नदी में जल की मात्रा पर निर्भर करती हैं।
- उदाहरण के लिये, जब किसी नदी का जल 'सामान्य' स्तर से ऊपर या 'चेतावनी' और 'खतरे' के स्तर के बीच होता है, तो येलो अलर्ट जारी किया जाता है।
झारखंड Switch to English
झारखंड सरकार ने कृषि ऋण माफ किया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड सरकार ने 400.66 करोड़ रुपए के कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की है ।
- 1,76,977 किसानों को लाभान्वित करने वाला यह निर्णय 26 सितंबर, 2024 को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefit Transfer- DBT) के माध्यम से लागू किया गया था।
मुख्य बिंदु
- किसानों की चुनौतियों को संबोधित करना:
- ऋण माफी का उद्देश्य प्रति किसान 2 लाख रुपए तक के ऋण को माफ करके ऋण के बोझ को कम करना है।
- यह माफी झारखंड के किसानों द्वारा अनुभव की जा रही गंभीर कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए की गई है, जहाँ 80% आबादी अपनी आजीविका के लिये कृषि पर निर्भर है।
- आत्मनिर्भरता और वैकल्पिक कृषि को बढ़ावा देना:
- सरकार ने किसानों से बदलती जलवायु से निपटने के लिये पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ वैकल्पिक कृषि तकनीक अपनाने का आग्रह किया।
- झारखंड सरकार ने राज्य के विकास के लिये आत्मनिर्भरता के महत्व पर बल दिया, भले ही झारखंड खनिज और वन संसाधनों से समृद्ध है।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना
- उद्देश्य: इसे लाभार्थियों तक सूचना और धन के सरल/तेज प्रवाह के लिये तथा वितरण प्रणाली में धोखाधड़ी को कम करने के लिये एक सहायता के रूप में देखा गया है।
- कार्यान्वयन: यह भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी 2013 को शुरू किया गया एक मिशन या पहल है, जो सर्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार लाने के लिये है।
- महालेखा नियंत्रक कार्यालय की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (Public Financial Management System- PFMS) के पुराने संस्करण, केन्द्रीय योजना स्कीम निगरानी प्रणाली (Central Plan Scheme Monitoring System- CPSMS) को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के लिये साझा प्लेटफार्म के रूप में कार्य करने के लिये चुना गया था ।
- DBT के घटक: DBT योजनाओं के कार्यान्वयन में प्राथमिक घटकों में लाभार्थी खाता सत्यापन प्रणाली, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI), सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक (बैंकों के कोर बैंकिंग समाधान, RBI की निपटान प्रणाली, NPCI का आधार भुगतान ब्रिज) आदि के साथ एकीकृत एक मज़बूत भुगतान और सुलह मंच शामिल है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश में चौथा क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलन आयोजित
चर्चा में क्यों?
क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलन का चौथा संस्करण आज, 27 सितंबर, 2024 को मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में आयोजित किया जा रहा है।
- इस महत्त्वपूर्ण आयोजन का उद्देश्य बुंदेलखंड क्षेत्र में निवेश आकर्षित करना और समान विकास को बढ़ावा देना है ।
मुख्य बिंदु:
- मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव क्षेत्रीय सत्रों में भाग लेंगे और उद्योगपतियों के साथ आमने-सामने चर्चा करेंगे।
- इस सम्मेलन में पेट्रोकेमिकल्स, प्लास्टिक, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी, MSME, स्टार्टअप और स्थानीय कुटीर उद्योग, विशेष रूप से बीड़ी उद्योग पर केंद्रित विभिन्न क्षेत्रीय सत्र होंगे। इन सत्रों का उद्देश्य उद्योग-विशिष्ट चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करना है।
- मुख्यमंत्री कई नई और प्रस्तावित परियोजनाओं का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे।
- इनमें क्षेत्रीय कार्यालयों के लिये प्रस्तावित भूमि आवंटन, मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम (MPIDC) का भूमि पूजन और कई ज़िलों में ज़िला निवेश प्रोत्साहन केंद्रों का उद्घाटन शामिल है।
- बीड़ी उद्योग के लिये विस्तृत कार्ययोजना पर चर्चा की जाएगी, साथ ही 'एक ज़िला-एक उत्पाद' पहल के तहत स्थानीय उत्पादों के विपणन और प्रसंस्करण के लिये रणनीतियों पर भी चर्चा की जाएगी ।
- यह सम्मेलन 7-8 फरवरी, 2025 को भोपाल में आयोजित होने वाले “इन्वेस्ट मध्य प्रदेश-ग्लोबल इन्वेस्टर समिट-2025” के लिये एक पूर्व-कार्यक्रम है।
- शिखर सम्मेलन का उद्देश्य मध्य प्रदेश को एक अनुकूल निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करना है।
एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP)
- ODOP देश के प्रत्येक ज़िले के एक उत्पाद को बढ़ावा देने और ब्रांडिंग करके ज़िला स्तर पर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की एक पहल है।
- इसका उद्देश्य प्रत्येक ज़िले की स्थानीय क्षमता, संसाधनों, कौशल और संस्कृति का लाभ उठाना तथा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में उनके लिये एक विशिष्ट पहचान बनाना है।
- देश के सभी 761 ज़िलों से 1000 से ज़्यादा उत्पादों का चयन किया गया है। इस पहल में कपड़ा, कृषि, प्रसंस्कृत सामान, फार्मास्यूटिकल्स और औद्योगिक वस्तुओं सहित कई तरह के क्षेत्र शामिल हैं।
- इसके अलावा, जनवरी 2023 में स्विट्ज़रलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच में भारतीय मंडप में कई ODOP उत्पाद प्रदर्शित किये गए।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में दीन दयाल उपाध्याय होमस्टे विकास योजना
चर्चा में क्यों?
विश्व पर्यटन दिवस (27 सितंबर, 2024) के उपलक्ष्य में, उत्तराखंड सरकार अपने पर्यटन बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने के लिये महत्त्वपूर्ण कदम उठा रही है
मुख्य बिंदु
- राज्य सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय होम स्टे योजना के तहत उपलब्ध कमरों की संख्या बढ़ाने की योजना की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य पर्यटकों के लिये किफायती और प्रामाणिक आवास विकल्पों को बढ़ावा देना है।
- दीन दयाल उपाध्याय गृह निवास विकास योजना:
- यह योजना लोकप्रिय और दूरस्थ पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों को आकर्षित करने, स्थानीय आवास सुविधाओं को बढ़ाने, स्थानीय निवासियों के लिये रोजगार के अवसर उत्पन्न करने और मकान मालिकों के लिये आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करने के लिये तैयार की गई है।
- मुख्य उद्देश्य:
- इस योजना का प्राथमिक लक्ष्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों पर्यटकों को स्वच्छ और किफायती होम स्टे सुविधाएँँ प्रदान करना है।
- यह सुविधा यात्रियों को उत्तराखंड की संस्कृति के बारे में जानने और राज्य के स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेने का अनूठा अवसर भी प्रदान करती है ।
- सब्सिडी और सहायता:
- पहाड़ी क्षेत्रों के लिये: सरकार ऋण चुकौती के पहले पाँच वर्षों के लिये 33% या 10 लाख रुपए (जो भी कम हो) की पूंजी सब्सिडी और ब्याज का 50% या 1.50 लाख रुपए प्रति वर्ष (जो भी कम हो) की ब्याज सब्सिडी प्रदान करती है।
- मैदानी क्षेत्रों के लिये: पूंजी सब्सिडी 25% या 7.50 लाख रुपए, जो भी कम हो, और ब्याज सब्सिडी ऋण चुकौती के पहले पाँच वर्षों के लिये ब्याज का 50% या 1 लाख रुपए प्रति वर्ष, जो भी कम हो, है।
- इस योजना का उद्देश्य स्थानीय अर्थव्यवस्था को समर्थन देते हुए आवास की गुणवत्ता और उपलब्धता को बढ़ाकर उत्तराखंड को अधिक आकर्षक गंतव्य बनाना है।
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