हरियाणा Switch to English
राष्ट्रीय बालिका दिवस (NGCD)
चर्चा में क्यों?
भारतीय समाज में लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालने के लिये प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day- NGCD) मनाया जाता है।
- यह दिन लड़कियों के सामने आने वाली असमानताओं के बारे में जागरूकता लाने और शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तथा पोषण में समान अवसरों का समर्थन करने पर केंद्रित है।
मुख्य बिंदु:
- NGCD की स्थापना वर्ष 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी।
- यह पहल बाल विवाह और लिंग आधारित हिंसा सहित लड़कियों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों को पहचानती है।
- NGCD ने 22 जनवरी, 2015 को शुरू की गई बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (Save the Girl Child, Educate the Girl Child) की उद्घाटन वर्षगाँठ मनाई।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
- परिचय:
- यह योजना गिरते बाल लिंग अनुपात (CSR) और जीवन-चक्र निरंतरता में महिला सशक्तीकरण से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिये शुरू की गई थी।
- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MW&CD), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MH&FW) और शिक्षा मंत्रालय का त्रि-मंत्रालयी प्रयास है।
- मुख्य उद्देश्य:
- लिंग आधारित चयन पर रोकथाम।
- बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
- बालिकाओं के लिये शिक्षा की उचित व्यवस्था तथा उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना।
- बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा करना।
- BBBP के तहत नवोन्वेषी हस्तक्षेप: जिन नवप्रवर्तनों ने लड़कियों के लिये एक सकारात्मक पारिस्थितिकी तंत्र/सक्षम वातावरण तैयार किया है, उनमें शामिल हैं:
- गुड्डी-गुड्डा बोर्ड: (सार्वजनिक रूप से जन्म सांख्यिकी का प्रदर्शन (लड़कों की तुलना में जन्म लेने वाली लड़कियों की संख्या)।
- उदाहरण: महाराष्ट्र के जलगाँव ज़िले ने डिजिटल गुड्डी-गुड्डा डिस्प्ले बोर्ड स्थापित किये हैं।
- लैंगिक रूढ़िवादिता को तोड़ना और पुत्र-केंद्रित अनुष्ठानों को चुनौती देना: बालिका के जन्म का जश्न मनाना, बालिका के मूल्य पर विशेष दिन समर्पित करना, बालिका के पोषण और देखभाल का प्रतीक वृक्षारोपण अभियान।
- उदाहरण: कुड्डालोर (तमिलनाडु), सेल्फी विद डॉटर्स (जींद ज़िला, हरियाणा)।
- गुड्डी-गुड्डा बोर्ड: (सार्वजनिक रूप से जन्म सांख्यिकी का प्रदर्शन (लड़कों की तुलना में जन्म लेने वाली लड़कियों की संख्या)।
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हरियाणा Switch to English
अमृत धरोहर क्षमता निर्माण योजना
चर्चा में क्यों?
- केंद्र सरकार 'अमृत धरोहर क्षमता निर्माण योजना' के तहत आर्द्रभूमि पर्यटन के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन की अगुवाई कर रही है।
- इस पहल की शुरुआत जून 2023 में की गई थी जिसका उद्देश्य पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील आर्द्रभूमियों, विशेष रूप से ओडिशा की चिल्का झील तथा हरियाणा स्थित सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य जैसे रामसर स्थलों (Ramsar sites) पर पर्यटन प्रथाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना है।
मुख्य बिंदु:
- यह योजना पर्यटन मंत्रालय तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।
- यह योजना आर्द्रभूमि के अधिकतम उपयोग को प्रोत्साहित करने और स्थानीय समुदायों के लिये जैव विविधता, कार्बन स्टॉक, इकोटूरिज़्म के अवसरों एवं आय सृजन को बढ़ाने के लिये अगले तीन वर्षों (2023 से) में लागू की जाएगी।
- योजना का प्राथमिक उद्देश्य पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील आर्द्रभूमियों पर रणनीतिक रूप से उच्च मात्रा वाले पर्यटन से उच्च मूल्य वाले प्रकृति पर्यटन में परिवर्तन करना है।
- इसका उद्देश्य संपूर्ण देश के रामसर स्थलों की प्रकृति-पर्यटन क्षमता का उपयोग कर स्थानीय समुदायों के लिये आजीविका के अवसरों में वृद्धि करना है।
- यह योजना विभिन्न केंद्र सरकार के मंत्रालयों और एजेंसियों, राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरणों, औपचारिक तथा अनौपचारिक संस्थानों एवं व्यक्तियों के एक नेटवर्क के साथ मिलकर एक सामान्य उद्देश्य के लिये काम करते हुए कार्यान्वित की जा रही है।
- योजना के तहत 16 चिह्नित रामसर स्थलों में से पाँच को पायलट प्रोजेक्ट के लिये चुना गया है।
- इन पायलट स्थलों में सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान (हरियाणा), भितरकनिका मैंग्रोव (ओडिशा), चिल्का झील (ओडिशा), सिरपुर (मध्य प्रदेश) और यशवंत सागर (मध्य प्रदेश) शामिल हैं।
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राजस्थान Switch to English
पुरानी पेंशन योजना पर स्पष्टता
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान में विपक्षी दल ने 1 जनवरी, 2004 को या उसके बाद सेवा में शामिल होने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिये पुरानी पेंशन योजना (OPS) को जारी रखने के संबंध में स्पष्टीकरण का अनुरोध किया।
- राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया।
मुख्य बिंदु:
- यह योजना सेवानिवृत्ति के बाद आजीवन आय का आश्वासन देती है।
- पुरानी पेंशन योजना (OPS) के तहत, कर्मचारियों को पूर्व निर्धारित फार्मूले के अनुसार पेंशन मिलती थी जो अंतिम आहरित वेतन का आधा (50%) होता है तथा उन्हें वर्ष में दो बार महँगाई राहत (Dearness Relief) में संशोधन का भी लाभ मिलता था। भुगतान निर्धारित था और वेतन से कोई कटौती नहीं की जाती थी। इसके अलावा OPS के तहत सामान्य भविष्य निधि (General Provident Fund-GPF) का भी प्रावधान था।
- GPF भारत में सभी सरकारी कर्मचारियों के लिये उपलब्ध है। मूल रूप से यह सभी सरकारी कर्मचारियों को अपने वेतन का एक निश्चित प्रतिशत GPF में योगदान करने की अनुमति देता है। साथ ही कुल राशि जो रोज़गार की अवधि के दौरान जमा होती है, सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी को भुगतान की जाती है।
- पेंशन पर होने वाले खर्च को सरकार वहन करती है। वर्ष 2004 में इस योजना को बंद कर दिया गया था।
शून्यकाल
- शून्यकाल एक भारतीय संसदीय नवाचार है। संसदीय नियम पुस्तिका में इसका उल्लेख नहीं है।
- इसके तहत संसद सदस्य बिना किसी पूर्व सूचना के किसी भी मामले को उठा सकते हैं।
- शून्यकाल, प्रश्नकाल के तुरंत बाद शुरू होता है और दिन की कार्यसूची (सदन का नियमित कामकाज) शुरू होने तक चलता है।
- दूसरे शब्दों में, प्रश्नकाल और कार्यसूची के बीच के समय के अंतराल को शून्यकाल कहा जाता है।
- प्रत्येक संसदीय बैठक के पहले घंटे को प्रश्नकाल कहा जाता है। सदन की प्रक्रिया के नियमों में इसका उल्लेख है।
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उत्तराखंड Switch to English
गन्ने की किस्म का राज्य परामर्शित मूल्य (SAP)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने चालू पेराई सत्र 2023-24 के लिये गन्ने की अगेती और सामान्य किस्म का राज्य परामर्शित मूल्य (SAP) क्रमशः 375 रुपए तथा 365 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया है।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने भी हाल ही में गन्ने की कीमत में बढ़ोतरी की थी।
मुख्य बिंदु:
- गन्ने का मूल्य केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिलकर तय करती हैं।
- केंद्र सरकार: उचित और लाभकारी मूल्य (FRP):
- केंद्र सरकार FRP की घोषणा करती है जो कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश पर निर्धारित होती है, जिसे आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) द्वारा घोषित किया जाता है।
- CCEA की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री करते हैं।
- FRP, गन्ना उद्योग के पुनर्गठन पर रंगराजन समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
- केंद्र सरकार FRP की घोषणा करती है जो कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश पर निर्धारित होती है, जिसे आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) द्वारा घोषित किया जाता है।
- राज्य सरकार: राज्य परामर्शित मूल्य (SAP):
- SAP की घोषणा प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों की सरकारों द्वारा की जाती है।
- SAP आमतौर पर FRP से अधिक होता है।
गन्ने की वृद्धि के लिये भौगोलिक स्थितियाँ
- तापमान: गर्म और आर्द्र जलवायु के साथ 21-27 °C के मध्य।
- वर्षा: लगभग 75-100 सेमी.।
- मृदा का प्रकार: गहरी समृद्ध दोमट मृदा।
- शीर्ष गन्ना उत्पादक राज्य: महाराष्ट्र> उत्तर प्रदेश> कर्नाटक।
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झारखंड Switch to English
झारखण्ड कृषि ऋण माफी योजना
चर्चा में क्यों?
झारखंड सरकार ने किसानों के ऋण के बोझ को कम करने के लिये झारखंड कृषि ऋण माफी योजना शुरू की है। इस योजना के तहत उन किसानों का ऋण माफ किया जा रहा है जो अपना ऋण चुकाने में असमर्थ हैं।
योजना के तहत राज्य सरकार प्रति किसान 50,000 रुपए तक का ऋण माफ करेगी।
मुख्य बिंदु:
- यह योजना 1 फरवरी, 2021 को शुरू की गई थी।
- इस योजना का उद्देश्य झारखंड के अल्पावधि ऋण धारक किसानों को ऋण के बोझ से राहत प्रदान करना है।
- इसका उद्देश्य फसल ऋण धारकों की ऋण पात्रता में सुधार करना, नए फसल ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना, कृषक समुदाय के प्रवास को रोकना और कृषि अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना है।
- पात्र लाभार्थी:
- झारखंड राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिये।
- जिन छोटे और सीमांत किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का उपयोग करके ऋण लिया है।
- ऐसा किसान होना चाहिये जो अपनी भूमि पर स्वयं कृषि करता हो या ऐसे किसान हों जो पट्टे पर ली गई भूमि पर कृषि करते हों।
- किसान की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिये।
- एक परिवार से एक ही फसल ऋण धारक सदस्य पात्र होंगे।
- 31 मार्च 2020 से पहले बैंकों से ऋण लिया हुआ होना चाहिये।
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना
- परिचय:
- किसानों को समय पर ऋण सहायता प्रदान करने हेतु किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना वर्ष 1998 में शुरू की गई थी।
- यह खेती, कृषि आदानों की खरीद और अन्य ज़रूरतों हेतु ऋण प्रदान करती है।
- वर्ष 2004 में किसानों की निवेश ऋण आवश्यकता को कवर करने हेतु इस योजना का विस्तार किया गया था।
- यह सुविधा वर्ष 2018-19 में मत्स्य और पशुपालन में संलग्न किसानों हेतु बढ़ा दी गई थी।
- उद्देश्य:
- इस योजना का उद्देश्य फसल की खेती, फसल के बाद के खर्चों, विपणन ऋण, उपभोग आवश्यकताओं और कृषि संपत्तियों के रखरखाव के लिये कार्यशील पूंजी हेतु किसानों की अल्पकालिक ऋण आवश्यकताओं को पूरा करना है।
- यह कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिये निवेश ऋण भी प्रदान करती है।
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