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शासन व्यवस्था

बाल विवाह रोकने हेतु ओडिशा की पहल

  • 21 Feb 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अद्विका, बाल विवाह रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2021 

मेन्स के लिये:

भारत में न्यूनतम विवाह योग्य आयु में वृद्धि, बाल विवाह संबंधी मुद्दे।

चर्चा में क्यों?  

ओडिशा पिछले 4-5 वर्षों से बाल विवाह के संबंध में सामाजिक एवं व्यावहारिक परिवर्तन लाने हेतु दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपना रहा है। 

  • ओडिशा ने बाल विवाह की व्यापकता में समग्र गिरावट दर्ज की है; राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के 21.3% से NFHS- 5 में 20.5% तक।  

ओडिशा बाल विवाह की समस्या से कैसे निपट रहा है?

  • राज्य ने बाल विवाह से निपटने के लिये एक बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें स्कूलों और गाँवों में लड़कियों की अनुपस्थिति पर नज़र रखना, परामर्श देना तथा 10 से 19 आयु वर्ग की लड़कियों को लक्षित करने वाली सभी योजनाओं को एकीकृत करने के लिये "अद्विका" (Advika) नामक मंच का उपयोग करना शामिल है। 
  • इसने गाँवों को बाल-विवाह मुक्त घोषित करने के लिये दिशा-निर्देश तथा विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूहों हेतु मौद्रिक प्रोत्साहन भी जारी किये हैं।
    • बाल विवाह को रोकने के दृष्टिकोण अलग-अलग ज़िलों में भिन्न होते हैं, जिनमें से कुछ किशोरियों का डेटाबेस तैयार करते हैं और अन्य सभी विवाहों में आधार संख्या को अनिवार्य बनाते हैं।
    • इस समस्या से निपटने हेतु विभिन्न ज़िलों ने अपने तरीके पेश किये हैं, जैसे कि बाल विवाह के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु स्थानीय उत्सव में कत्थक प्रदर्शन को शामिल करना।
  • विशेष रूप से 15 से 18 वर्ष की आयु वर्ग की लड़कियाँ जो ड्रॉपआउट हैं और उन्हें शैक्षणिक संस्थानों में बने रहने के साथ समुदाय से जुड़े रहने पर ज़ोर दिया जाता है।
  • स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के माता-पिता सहित बाल विवाह पर चर्चा करने हेतु ओडिशा पुलिस भी पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मासिक सामुदायिक बैठकें आयोजित करती रही है।
    • पुलिस थानों को चाइल्ड फ्रेंडली बनाया गया है ताकि लड़कियाँ पुलिस के पास जाने के लिये खुद को सशक्त महसूस कर सकें।
  • बाल विवाह के बारे में जागरूकता के प्रसार हेतु विभिन्न जाति, जनजाति और धार्मिक समूहों के विभिन्न सामुदायिक नेताओं को शामिल किया गया है। 

भारत में न्यूनतम विवाह योग्य आयु के संदर्भ में प्रमुख प्रगति: 

  • स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत में न्यूनतम विवाह योग्य आयु महिलाओं हेतु 15 वर्ष और पुरुषों के लिये 18 वर्ष थी।
  • वर्ष 1978 में सरकार ने इसे बढ़ाकर लड़कियों हेतु 18 और पुरुषों के लिये 21 कर दिया।
  • परिवार कानून में सुधार को लेकर वर्ष 2008 में विधि आयोग की रिपोर्ट में शादी के लिये लड़कों और लड़कियों दोनों हेतु 18 वर्ष की एक समान उम्र की सिफारिश की गई।
  • वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने सभी धर्मों में महिलाओं हेतु आयु को 18 से 21 वर्ष तक बढ़ाने के लिये बाल विवाह रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2021 पेश किया।
    • प्रस्तावित कानून देश में सभी समुदायों पर लागू होगा और एक बार अधिनियमित हो जाने के बाद यह मौजूदा विवाह तथा व्यक्तिगत कानूनों का स्थान लेगा।

बाल विवाह से जुड़े मुद्दे:  

  • बच्चे के जन्म के दौरान स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ: बाल वधू अक्सर बच्चे को जन्म देने एवं उसे सुरक्षित रखने हेतु शारीरिक रूप से पर्याप्त रूप से परिपक्व नहीं होती है, जिससे माँ और बच्चे दोनों के लिये स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।
  • शिक्षा बाधित: विवाह अक्सर एक लड़की की शिक्षा में बाधक है, जो उसके भविष्य के अवसरों को सीमित कर सकता है और साथ ही निर्धनता के चक्र में उलझाए रख सकता है।
  • सीमित आर्थिक अवसर: बाल वधुओं के पास अक्सर कॅरियर बनाने अथवा जीविकोपार्जन के अवसर सीमित होते हैं, जो उन्हें आर्थिक रूप से पति पर निर्भर बना सकता है और इससे दुर्व्यवहार का जोखिम बना रहता है।
  • घरेलू हिंसा: बाल वधुओं को पतियों द्वारा घरेलू हिंसा का शिकार बनाए जाने की अधिक संभावना होती है, इसका प्रमुख कारण यह है कि सामान्यतः कम उम्र होने के कारण पति द्वारा इन्हें अयोग्य एवं हीन आँका जाता है।
  • बाल विवाह एक लड़की के मानसिक स्वास्थ्य को भी काफी प्रभावित करता है, जिस कारण उसे अवसाद, चिंता और आत्म-सम्मान में कमी जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है

आगे की राह 

  • प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: बाल विवाह के नुकसान के संबंध में जागरूकता बढ़ाने और बाल विवाह के जोखिम वाली लड़कियों को शिक्षा एवं सहायता प्रदान करने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है।
    • उदाहरण के लिये विधिक अधिकारों, स्वास्थ्य और शिक्षा के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले मोबाइल एप विकसित किये जा सकते हैं जो लड़कियों को सहायता नेटवर्क से जुड़ने में सक्षम बना सकते हैं।
  • धार्मिक और सामुदायिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं को सम्मिलित करना: धार्मिक और सामुदायिक नेता बाल विवाह को समाप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं।
    • उन्हें बाल विवाह के खिलाफ बोलने और शिक्षा, लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिये अपने प्रभाव का उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • सफलता की कहानियों पर ध्यान दें: बाल विवाह के खतरों के बारे में जहाँ जागरूकता बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है, वहीं सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान देना भी आवश्यक है।
    • इसका तात्पर्य उन सफल कार्यक्रमों और पहलों पर उत्सव मनाने से है जिन्होंने बाल विवाह की घटनाओं को कम करने में मदद की है, साथ ही उन लड़कियों की सकारात्मक कहानियों को उजागर करना जो शिक्षा और सशक्तीकरण के माध्यम से गरीबी एवं भेदभाव के चक्र से मुक्त होने में सक्षम हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. राष्ट्रीय बाल नीति के मुख्य प्रावधानों का परीक्षण कीजिये तथा इसके क्रियान्वयन की प्रस्थिति पर प्रकाश डालिये। (2016). 

स्रोत: द हिंदू

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