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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 24 Feb 2025
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देश का पहला बायोपॉलिमर प्लांट

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 22 फरवरी 2025 को लखीमपुर खीरी के कुंभी में देश के पहले बायोपॉलिमर संयंत्र का शिलान्यास किया। 

मुख्य बिंदु 

  • संयंत्र के बारे में:
    • यह बायोपॉलिमर संयंत्र बलरामपुर चीनी मिल लिमिटेड द्वारा 2,850 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित किया जाएगा।
    • यह जैविक तरीके से पॉलिमर उत्पादन का कार्य करेगा। इससे पर्यावरण के अनुकूल औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा मिलेगा।
  • उद्देश्य:
    • इसका मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक की जगह बायोपॉलिमर का उपयोग करके पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है।
    • यह संयंत्र आत्मनिर्भर भारत और पर्यावरण संरक्षण के संकल्प को साकार करेगा।
  • लाभ:
    • संयंत्र द्वारा उत्पादित बोतलें, प्लेट, कप, थैले आदि पूरी तरह से 'डिस्पोजबिल' होंगे और इस्तेमाल के बाद मात्र तीन महीने में नष्ट हो जाएंगे।
    • प्लास्टिक की बजाए बायोपॉलिमर का इस्तेमाल करने से पर्यावरण पर दबाव कम होगा।
    • इस संयंत्र से 'मेक इन इंडिया' के तहत देश में बायोपॉलिमर उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
    • इससे प्रदेश में व्यापार और निवेश को गति मिलेगी

मेक इन इंडिया पहल: 

  • परिचय: 
    • वर्ष 2014 में लॉन्च किये गए मेक इन इंडिया का मुख्य उद्देश्य देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माण और निवेश गंतव्य में बदलना है।
    • इसका नेतृत्त्व उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है।
    • यह पहल दुनिया भर के संभावित निवेशकों और भागीदारों को 'न्यू इंडिया' की विकास गाथा में भाग लेने हेतु एक खुला निमंत्रण है।
    • मेक इन इंडिया ने 27 क्षेत्रों में पर्याप्त उपलब्धियांँ हासिल की हैं। इनमें विनिर्माण और सेवाओं के रणनीतिक क्षेत्र भी शामिल हैं।
  • उद्देश्य:
    • विनिर्माण क्षेत्र की संवृद्धि दर को बढ़ाकर 12-14% प्रतिवर्ष करना।
    • वर्ष 2022 तक (संशोधित तिथि 2025) विनिर्माण से संबंधित 100 मिलियन अतिरिक्त रोज़गार सृजित करना। 
    • वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाकर 25% करना।
    • नए औद्योगीकरण के लिये विदेशी निवेश को आकर्षित करना और चीन से आगे निकलने के लिये भारत में पहले से मौजूद उद्योग आधार का विकास करना।


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जेवर एयरपोर्ट से जुड़ेगा गंगा एक्सप्रेस-वे

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (NIA), जिसे जेवर एयरपोर्ट भी कहा जाता है, को गंगा एक्सप्रेस-वे से जोड़ने की घोषणा की 

मुख्य बिंदु 

  • मुद्दे के बारे में:
    • गंगा एक्सप्रेस-वे को जेवर एयरपोर्ट से जोड़ने के लिये 76 किमी. लंबा एक नया लिंक एक्सप्रेसवे बुलंदशहर होते हुए बनाया जाएगा
    • सरकार ने बजट में इस परियोजना के लिये 1000 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है।
    • यह लिंक एक्सप्रेसवे यमुना एक्सप्रेस-वे के जरिये 24 किलोमीटर पहले ही जुड़ जाएगा।
    • इस पूरी परियोजना की अनुमानित लागत 4415 करोड़ रुपए है।
  • लाभ:
    • इस एक्सप्रेस-वे के बनने से मेरठ, बुलंदशहर के लोग कम समय में सीधे जेवर एयरपोर्ट तक पहुँच सकेंगे। साथ ही पूर्वाँ चल और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से आने वाले लोगों को भी इस एक्सप्रेस-वे का लाभ मिलेगा।
    • इससे व्यापारिक और औद्योगिक विकास में गति आएगी।
    • बेहतर कनेक्टिविटी से पर्यटन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।

जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट

  • यह एयरपोर्ट विश्व का चौथा सबसे बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और उत्तर प्रदेश का 5वाँ इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा। वहीं दिल्ली एनसीआर में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) के बाद यह दूसरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा।
  • नोएडा एयरपोर्ट को ज्यूरिख एअरपोर्ट इंटरनेशनल (Zurich Airport International AG) द्वारा तैयार किया जा रहा है।
  • इस एयरपोर्ट पर स्टेट ऑफ आर्ट MRO (Maintenance, Repair & Overhauling) सर्विस भी उपलब्ध होगी। एयरपोर्ट को इस प्रकार से डिजाइन किया गया कि इससे ऑपरेटिंग खर्चों को कम रखा जा सकेगा एवं यात्रियों के ट्रांसफर प्रोसेस को शीघ्रता से किया जा सकेगा। 
  • आसपास की सड़कों, हाईवे जैसे यमुना एक्सप्रेस-वे, वेस्टर्व फेरिफेरल, ईस्टर्न फेरिफेरल, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे और दूसरे हाईवे को भी एयरपोर्ट से सीधा कनेक्ट किया जाएगा। एयरपोर्ट को दिल्ली-वाराणसी के बीच प्रस्तावित हाई स्पीड रेल से भी जोड़ा जाएगा, जिससे दिल्ली और नोएडा एयरपोर्ट की दूरी 21 मिनट में पूरी की जा सकेगी.
  • नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर्यावरण के लिहाज से देश का पहला नेट जीरो एमिशन एयरपोर्ट होगा। पास की ज़मीन पर पेड़ों को लगाकर फारेस्ट पार्क तैयार किया जाएगा।

गंगा एक्सप्रेस-वे

  • गंगा एक्सप्रेस-वे मुंबई-नागपुर एक्सप्रेस-वे के बाद देश का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे है।
  • यह 594 किलोमीटर की अनुमानित लंबाई वाला एक महत्त्वाकांक्षी पहल है।
  • राज्य को पूर्व से पश्चिम तक जोड़ने वाला यह एक्सप्रेस-वे 12 ज़िलों के 518 गाँवों से होकर गुज़रेगा, जिससे मेरठ और प्रयागराज के बीच यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा।
  • गंगा एक्सप्रेस-वे केवल एक परिवहन लिंक नहीं है, बल्कि अपने एडवेंचर लैंडस्केप को आधुनिक बनाने के लिये उत्तर प्रदेश के विस्तार का एक प्रमाण है।

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कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में बहराइच ज़िलेमें भारत-नेपाल सीमा के पास कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के घने जंगलों में लगभग 45-50 वर्ष की आयु के नर हाथी का शव मिला है।

मुख्य बिंदु:

  • मौत का कारण:
    • अधिकारियों का मानना है कि हाथी की मौत दो वयस्क हाथियों के बीच लड़ाई के कारण हो सकती है, क्योंकि घटनास्थल पर पैरों के निशान और टूटे हुए पेड़ पाए गए हैं। 
  • हालिया वन्यजीव मौतें:
    • इस घटना से पहले भी अभयारण्य में 12 वर्षीय नर बाघ और 7 वर्षीय नर तेंदुए की मौतें हो चुकी हैं। ये घटनाएँ वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताओं का कारण बन रही हैं।

कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य

  • भौगोलिक स्थिति:
    • यह उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले में ऊपरी गंगा के मैदान में स्थित है, जो प्राकृतिक रूप से एक समृद्ध और विविध पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखता है।
    • यह 400.6 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। 
  • संरक्षण:
    • वर्ष 1987 में इसे 'प्रोजेक्ट टाइगर' के दायरे में लाया गया और किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य और दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के साथ मिलकर यह दुधवा टाइगर रिज़र्व बनाता है। इसकी स्थापना 1975 में हुई थी।
    • अभयारण्य में चीतल, हिरण, जंगली सूअर, बाघ, हाथी और तेंदुए आदि प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
    • यह घड़ियाल, बाघ, गैंडे, गंगा डॉल्फिन, दलदली हिरण, हिसपिड खरगोश, बंगाल फ्लोरिकन, सफेद पीठ वाले और लंबी चोंच वाले गिद्धों सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
  • पारिस्थितिकी संरचना:
    • यह क्षेत्र मिश्रित पर्णपाती वन से घिरा हुआ है, जिसमें साल और सागौन के जंगल, हरे-भरे घास के मैदान, असंख्य दलदल और आर्द्रभूमि शामिल हैं।
    • इस क्षेत्र में गिरवा नदी बहती है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करती है।


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