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उत्तर प्रदेश

गंगा के जल की गुणवत्ता बिगड़ रही है

  • 11 Nov 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने पाया है कि उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में सीवेज या गंदगी छोड़े जाने के कारण जल की गुणवत्ता खराब हो रही है।

मुख्य बिंदु

  • NGT की चिंताएँ:
    • NGT ने उत्तर प्रदेश में सीवेज उपचार की स्थिति की समीक्षा की, जिसमें पाया गया कि प्रयागराज ज़िले में सीवेज उपचार में 128 मिलियन लीटर प्रतिदिन (MLD) का अंतर है।
      • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि प्रयागराज में 25 अनुपयोगी नाले गंगा में बिना किसी उपचार के सीवेज का प्रवाह कर रहे हैं, जबकि 15 अन्य नाले यमुना में इसी प्रकार का प्रदूषण फैला रहे हैं।
      • उत्तर प्रदेश में 326 नालों में से 247 का उपयोग नहीं किया गया है और वे गंगा तथा उसकी सहायक नदियों में अपशिष्ट जल छोड़ते हैं।
  • NGT के निर्देश:
    • NGT ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को एक शपथ-पत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया, जिसमें प्रत्येक नाले के सीवेज, उससे जुड़े सीवेज उपचार संयंत्रों (STP) और STP को क्रियाशील बनाने की समयसीमा का विवरण हो।
    • शपथ-पत्र में अनुपचारित सीवेज निर्वहन को रोकने के लिये अल्पकालिक उपाय भी शामिल होने चाहिये।
  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) मुद्दे:
    • CPCB की रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा के किनारे स्थित 16 शहरों में 41 STP में से छह बंद हैं तथा 35 क्रियाशील संयंत्रों में से केवल एक ही नियमों का अनुपालन करता है।
    • 41 स्थानों पर जल की गुणवत्ता में फेकल कोलीफॉर्म का स्तर सुरक्षित सीमा (500/100 मिली.) से अधिक पाया गया, जबकि 17 स्थानों पर यह 2,500 एमपीएन/100 मिली. से अधिक पाया गया, जो अनुपचारित मलजल से होने वाले गंभीर प्रदूषण का संकेत है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)

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