हरियाणा Switch to English
OBC की आय सीमा में वृद्धि
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes- OBC) के क्रीमी लेयर के लिये वार्षिक आय सीमा ₹6 लाख से बढ़ाकर ₹8 लाख करने की घोषणा की।
मुख्य बिंदु:
- इसका प्राथमिक लक्ष्य हरियाणा में OBC समुदाय के कल्याण की रक्षा करना तथा सरकारी नौकरियों में युवाओं को पर्याप्त लाभ प्रदान करना है।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रुप-ए और ग्रुप-बी के पदों पर पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण कोटा, जो वर्तमान में 15% है, को केंद्र सरकार की नीति के अनुरूप बढ़ाकर 27% किया जाएगा।
भारत में आरक्षण
- संविधान के अनुच्छेद 340 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति ने दिसंबर 1978 में बी.पी.मंडल की अध्यक्षता में पिछड़ा वर्ग आयोग की नियुक्ति की।
- आयोग का गठन भारत के “सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों” को परिभाषित करने के मानदंड निर्धारित करने तथा उन वर्गों की उन्नति हेतु उठाए जाने वाले कदमों की सिफारिश करने के लिये किया गया था।
- मंडल आयोग ने निष्कर्ष निकाला था कि भारत की जनसंख्या में लगभग 52 प्रतिशत OBC हैं, इसलिये 27 प्रतिशत सरकारी नौकरियाँ उनके लिये आरक्षित होनी चाहिये।
- आयोग ने सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन के ग्यारह संकेतक विकसित किये हैं।
- हिंदुओं में पिछड़े वर्गों की पहचान करने के अलावा, आयोग ने गैर-हिंदुओं (जैसे- मुस्लिम, सिख, ईसाई और बौद्ध) में भी पिछड़े वर्गों की पहचान की है।
- इसने 3,743 जातियों की अखिल भारतीय अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची तथा 2,108 जातियों की अधिक वंचित “दलित पिछड़ा वर्ग” सूची तैयार की है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में जाली भारतीय मुद्रा ज़ब्त
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सुरक्षा बलों को छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में नक्सलियों के पास से जाली भारतीय मुद्रा का एक बड़ा जखीरा और उसे छापने के उपकरण बरामद हुए।
मुख्य बिंदु:
- पुलिस का दावा है कि नक्सली कुछ समय से बस्तर क्षेत्र के दूर-दराज़ के इलाकों के साप्ताहिक बाज़ारों में जाली नोटों का इस्तेमाल कर रहे हैं और भोले-भाले आदिवासियों को धोखा दे रहे हैं।
- घटनास्थल की तलाशी के दौरान सुरक्षाकर्मियों को 50 रुपए, 100 रुपए, 200 रुपए और 500 रुपए के जाली नोट, एक रंगीन प्रिंटिंग मशीन, एक ब्लैक एंड व्हाइट प्रिंटर, एक इन्वर्टर मशीन, 200 बोतल स्याही, चार प्रिंटर कार्ट्रिज, नौ प्रिंटर रोलर्स और चार्जर व बैटरी के साथ छह वायरलेस सेट मिले।
- इस अभियान में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल की 50वीं बटालियन, ज़िला रिज़र्व गार्ड (DRG), बस्तर फाइटर्स और ज़िला बल के जवान शामिल थे।
जाली मुद्रा (Counterfeit Money)
- जालसाजी, लाभ के लिये नकली धन का निर्माण, एक प्रकार की जालसाजी जिसमें किसी चीज़ की नकल की जाती है ताकि उसे मूल या वास्तविक वस्तु बताकर धोखा दिया जा सके।
- धन को दिये गए मूल्य और इसकी नकल करने के लिये आवश्यक उच्च स्तर के तकनीकी कौशल के कारण, जालसाजी को धोखेबाज़ी के अन्य कृत्यों से अलग रखा जाता है तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 489 A के तहत इसे एक अलग अपराध माना जाता है।
- जालसाजी धोखेबाज़ों द्वारा भोले-भाले व्यक्तियों से उनका पैसा ठगने के लिये इस्तेमाल की जाने वाली सबसे पुरानी तकनीक है।
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल
- मूलतः वर्ष 1939 में क्राउन रिप्रेज़ेटेटिव पुलिस के रूप में गठित यह सबसे पुराने केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों में से एक है।
- स्वतंत्रता के बाद 28 दिसंबर, 1949 को CRPF अधिनियम के अधिनियमन के साथ ही इसका नाम बदलकर केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल कर दिया गया।
- यह आंतरिक सुरक्षा के लिये भारत के प्रमुख केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (गृह मंत्रालय के अधीन) में से एक है।
ज़िला रिज़र्व गार्ड (DRG)
- ज़िला रिज़र्व गार्ड (District Reserve Guard- DRG) छत्तीसगढ़ में एक विशेष पुलिस इकाई है, जिसे वर्ष 2008 में माओवादी हिंसा से निपटने के लिये स्थापित किया गया था।
- इसमें विशेष रूप से प्रशिक्षित कार्मिक शामिल होते हैं जो प्रभावित ज़िलों में माओवाद-विरोधी अभियान चलाते हैं, तलाशी और ज़ब्ती करते हैं तथा खुफिया जानकारी एकत्र करते हैं।
- माओवादी विद्रोह का मुकाबला करने के लिये DRG केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) जैसे अन्य सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करता है।
हरियाणा Switch to English
गोहाना: हरियाणा का 23वाँ ज़िला
चर्चा में क्यों?
संत कबीर दास की 626वीं जयंती के अवसर पर गोहाना में एक सभा को संबोधित करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने घोषणा की कि सोनीपत के गोहाना को हरियाणा का 23वाँ ज़िला घोषित किया जाएगा।
मुख्य बिंदु:
- राज्य में नए ज़िले बनाने के लिये एक समिति बनाई गई है और यह तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी। जिसके बाद गोहाना को राज्य का नया ज़िला घोषित किया जाएगा।
- सभा के दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की:
- गोहाना में संत कबीर के नाम पर एक चौक का निर्माण।
- लाइब्रेरी और लंगर हॉल के निर्माण के लिये गोहाना धानक शिक्षा सभा को 31 लाख रुपए का आवंटन।
- आवश्यक भूमि उपलब्ध होते ही रोहतक-जींद रोड पर बाई-पास का निर्माण तुरंत शुरू किया जाएगा।
- सरकारी नौकरियों में लंबित पदों को पूरा किया जाएगा।
- मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि हरियाणा अंत्योदय परिवार परिवहन योजना (HAPPY) शुरू की गई है, जिसके तहत ₹1 लाख से कम आय वाले 23 लाख परिवारों के 84 लाख व्यक्तियों को हरियाणा राज्य परिवहन की बसों में सालाना 1000 किलोमीटर तक की निशुल्क यात्रा की सुविधा दी जाती है।
- चिरायु योजना के तहत, सरकार आर्थिक रूप से वंचित व्यक्तियों को सरकारी और निजी अस्पतालों में प्रति वर्ष ₹5 लाख तक का निशुल्क इलाज़ मुहैया करा रही है
- राज्य सरकार ने महापुरुषों द्वारा दी गई शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाने के लिये महापुरुष सम्मान प्रचार प्रसार योजना भी शुरू की है
संत कबीर दास
- संत कबीर दास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में हुआ था। वे 15वीं शताब्दी के रहस्यवादी कवि, संत, समाज सुधारक और भक्ति आंदोलन के समर्थक थे।
- कबीर की विरासत आज भी कबीर पंथ (एक धार्मिक समुदाय जो कबीर को संस्थापक मानता है) के नाम से प्रसिद्ध संप्रदाय के माध्यम से चल रही है।
- उनका प्रारंभिक जीवन एक मुस्लिम परिवार में बीता, लेकिन वे अपने गुरु, हिंदू भक्ति नेता रामानंद से बहुत प्रभावित थे।
- कबीर दास की रचनाओं का भक्ति आंदोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा और इसमें कबीर ग्रंथावली, अनुराग सागर, बीजक तथा साखी ग्रंथ जैसे शीर्षक शामिल हैं।
- उनके पद सिख धर्म के धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में पाए जाते हैं
- उनके काम का बड़ा हिस्सा पाँचवें सिख गुरु, गुरु अर्जन देव द्वारा संकलित किया गया था
- वे अपने दो-पंक्ति वाले दोहों के लिये सबसे ज़्यादा जाने जाते हैं, जिन्हें 'कबीर के दोहे' के नाम से जाना जाता है।
- कबीर की रचनाएँ हिंदी भाषा में लिखी गई थीं, जिसे समझना आसान था। वे लोगों को ज्ञान देने के लिये दोहों में लिखते थे।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड पर्यटन नीति में संशोधन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने राज्य की पर्यटन नीति- 2018 में संशोधन को मंज़ूरी दी, जिसमें विभिन्न उद्योगों को राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST) मुआवज़ा मिलने की अवधि निर्दिष्ट की गई।
मुख्य बिंदु:
- संशोधन के अनुसार, उत्तराखंड में A, B और B+ श्रेणी के उद्योगों को पाँच वर्ष के लिये 100% SGST मुआवज़ा मिलेगा, जिसके बाद उन्हें अगले पाँच वर्षों के लिये क्रमशः 90, 75 तथा 75% की दर से यह मिलेगा।
- लार्ज, मेगा और अल्ट्रा-मेगा परियोजनाओं को 10 वर्षों के लिये क्रमशः 30 तथा 50% का SGST मुआवज़ा मिलेगा।
- उत्तराखंड पर्यटन नीति- 2018 का उद्देश्य इस क्षेत्र में निवेशकों के लिये एकल-खिड़की निकासी प्रणाली स्थापित करना था।
- हालाँकि राज्य में विभिन्न उद्योगों को SGST मुआवज़ा प्रदान करने की अवधि निर्दिष्ट नहीं की गई थी।
- राज्य मंत्रिमंडल ने यह भी निर्णय लिया:
- विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवा अवधि को 65 वर्ष की आयु तक बढ़ाया जाए।
- शहरी परिवहन व्यवस्था के विकास, संचालन और निर्वहन के लिये राज्य विधानसभा में एकीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण विधेयक, 2024 पेश किया जाए
- सहकारी समिति के नियमों में संशोधन कर इसकी प्रबंधन समितियों में 33% पद महिलाओं के लिये आरक्षित किया जाए।
- महासू देवता मंदिर के आस-पास रहने वाले परिवारों को पुनर्स्थापित करें।
महासू देवता मंदिर
- यह उत्तराखंड के देहरादून ज़िले के हनोल में त्यूनी-मोरी मार्ग पर स्थित है और 9वीं शताब्दी में बनाया गया था।
- यह मंदिर महासू देवता को समर्पित है। इसका निर्माण काठ-कुनी या कोटि-बनाल वास्तुकला शैली में किया गया था।
- यह भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की उत्तराखंड के देहरादून सर्कल के प्राचीन मंदिरों की सूची में शामिल है।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अवमान नोटिस जारी किया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 10 वर्ष की सेवा वाले व्याख्याताओं और सहायक अध्यापकों को उच्च वेतनमान प्रदान करने के अपने आदेशों का पालन न करने पर विद्यालयी शिक्षा निदेशक को अवमान नोटिस जारी किया है।
मुख्य बिंदु:
- पिछले आदेश के अनुसार, उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि व्याख्याताओं और सहायक अध्यापकों को चयन तथा पदोन्नति वेतनमान के साथ अतिरिक्त वेतन वृद्धि मिलनी चाहिये।
- सरकार अभी भी इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रही है और अंतिम निर्णय पर नहीं पहुँची है।
- वर्ष 2011 में नियुक्त व्याख्याताओं ने तर्क दिया कि उन्हें दस वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद उत्तराखंड सरकारी सेवक वेतन नियम, 2016 के अनुसार अतिरिक्त वेतन वृद्धि तथा चयन वेतनमान मिलना चाहिये।
- सरकार ने एक दशक बाद चयन वेतनमान तो दिया, लेकिन उम्मीद के मुताबिक अतिरिक्त वेतन वृद्धि नहीं दी।
न्यायालय अवमान
- परिचय:
- न्यायालय अवमान न्यायिक संस्थाओं को प्रेरित हमलों और अनुचित आलोचना से बचाने तथा इसके अधिकार को कम करने वालों को दंडित करने के लिये एक वैधानिक तंत्र के रूप में कार्य करती है।
- वैधानिक आधार:
- जब संविधान को अपनाया गया था, तब भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के तहत न्यायालय अवमान को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों में से एक बनाया गया था।
- इसके अलावा, संविधान के अनुच्छेद 129 ने सर्वोच्च न्यायालय को स्वयं के अवमान को दंडित करने की शक्ति प्रदान की। अनुच्छेद 215 ने उच्च न्यायालयों को इसी प्रकार की शक्ति प्रदान की।
- न्यायालय अवमान अधिनियम, 1971 इस विचार को वैधानिक समर्थन देता है।
- न्यायालय अवमान के प्रकार:
- सिविल अवमान: यह न्यायालय के किसी निर्णय, डिक्री, निर्देश, आदेश, रिट या अन्य प्रक्रिया की जानबूझकर अवज्ञा या न्यायालय को दिये गए वचन का जानबूझकर उल्लंघन है।
- आपराधिक अवमान: यह किसी भी मामले का प्रकाशन या वः अन्य कार्य है जो किसी भी न्यायालय के अधिकार को कम करता है या इसको बदनाम करता है अथवा किसी न्यायिक कार्यवाही के नियत क्रम में हस्तक्षेप करता है अथवा किसी अन्य तरीके से न्याय प्रशासन को बाधित करता है।
- सजा:
- न्यायालय अवमान अधिनियम, 1971 के तहत दोषी को छह महीने तक की कैद या 2,000 रुपए का ज़ुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
- इसमें वर्ष 2006 में संशोधन करके बचाव के तौर पर “सत्य और सद्भावना” को शामिल किया गया।
- इसमें यह भी जोड़ा गया कि न्यायालय केवल तभी दंड दे सकता है जब दूसरे व्यक्ति का कार्य न्याय के उचित तरीके में बहुत हद तक हस्तक्षेप करता हो या हस्तक्षेप करने की प्रवृत्ति रखता हो।
- न्यायालय अवमान अधिनियम, 1971 के तहत दोषी को छह महीने तक की कैद या 2,000 रुपए का ज़ुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
बिहार Switch to English
बिहार में पुल ढहा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले में एक निर्माणाधीन पुल ढह गया, जिससे राज्य में एक सप्ताह में यह तीसरी ऐसी घटना हो गई।
मुख्य बिंदु:
- घोड़ासहन प्रखंड में एक नहर पर 16 मीटर लंबे पुल का निर्माण ग्रामीण निर्माण विभाग (Rural Works Department- RWD) द्वारा 1.5 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा था।
- अधिकारियों के अनुसार, गंभीर मामला सामने आने के कारण विभागीय जाँच शुरू कर दी गई है तथा ज़िम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
- यह घटना राज्य के सिवान और अररिया ज़िले में हुई दो ऐसी ही घटनाओं के बाद हुई है।
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