भारतीय इतिहास
गुरु तेग बहादुर
- 09 Dec 2021
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प्रिलिम्स के लिये:सिख धर्म के गुरुओं से संबंधित तथ्य मेन्स के लिये:सिख धर्म में गुरु तेग बहादुर का महत्त्व एवं उनके योगदान |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में श्री गुरु तेग बहादुर जी का शहादत दिवस मनाया गया।
प्रमुख बिंदु
- गुरु तेग बहादुर (1621-1675):
- गुरु तेग बहादुर नौवें सिख गुरु थे, जिन्हें अक्सर सिखों द्वारा ‘मानवता के रक्षक’ (श्रीष्ट-दी-चादर) के रूप में याद किया जाता था।
- गुरु तेग बहादुर एक महान शिक्षक के अलावा एक उत्कृष्ट योद्धा, विचारक और कवि भी थे, जिन्होंने आध्यात्मिक, ईश्वर, मन और शरीर की प्रकृति के विषय में विस्तृत वर्णन किया।
- उनके लेखन को पवित्र ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ (Guru Granth Sahib) में 116 काव्यात्मक भजनों के रूप में रखा गया है।
- ये एक उत्साही यात्री भी थे और उन्होंने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में उपदेश केंद्र स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- इन्होंने ऐसे ही एक मिशन के दौरान पंजाब में चाक-नानकी शहर की स्थापना की, जो बाद में पंजाब के आनंदपुर साहिब का हिस्सा बन गया।
- गुरु तेग बहादुर को वर्ष 1675 में दिल्ली में मुगल सम्राट औरंगज़ेब के आदेश के बाद मार दिया गया।
- सिख धर्म
- पंजाबी भाषा में 'सिख' शब्द का अर्थ है 'शिष्य'। सिख भगवान के शिष्य हैं, जो दस सिख गुरुओं के लेखन और शिक्षाओं का पालन करते हैं।
- सिख एक ईश्वर (एक ओंकार) में विश्वास करते हैं। सिख अपने पंथ को गुरुमत (गुरु का मार्ग- The Way of the Guru) कहते हैं।
- सिख परंपरा के अनुसार, सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक (1469-1539) द्वारा की गई थी और बाद में नौ अन्य गुरुओं ने इसका नेतृत्व किया।
- सिख धर्म का विकास भक्ति आंदोलन और वैष्णव हिंदू धर्म से प्रभावित था।
- इस्लामिक युग में सिखों के उत्पीड़न ने खालसा की स्थापना को प्रेरित किया जो अंतरात्मा और धर्म की स्वतंत्रता का पंथ है।
- गुरु गोविंद सिंह ने खालसा (जिसका अर्थ है 'शुद्ध') पंथ की स्थापना की जो सैनिक-संतों का विशिष्ट समूह था।
- खालसा (Khalsa) प्रतिबद्धता, समर्पण और सामाजिक विवेक के सर्वोच्च सिख गुणों को उजागर करता है तथा ये पंथ की पाँच निर्धारित भौतिक वस्तुओं को धारण करते हैं, जो हैं:
- केश (बिना कटे बाल), कंघा (लकड़ी की कंघी), कड़ा (एक लोहे का कंगन), कच्छा (सूती जांघिया) और कृपाण (एक लोहे का खंजर)।
- यह उपदेश देता है कि विभिन्न नस्ल, धर्म या लिंग के लोग भगवान की नज़र में समान हैं।
- सिख साहित्य:
- आदि ग्रंथ को सिखों द्वारा शाश्वत गुरु का दर्जा दिया गया है और इसी कारण इसे ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ के नाम से जाना जाता है।
- दशम ग्रंथ के साहित्यिक कार्य और रचनाओं को लेकर सिख धर्म के अंदर कुछ संदेह और विवाद है।
सिख धर्म के दस गुरु
गुरु नानक देव (1469-1539) |
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गुरु अंगद (1504-1552) |
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गुरु अमर दास (1479-1574) |
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गुरु राम दास (1534-1581) |
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गुरु अर्जुन देव (1563-1606) |
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गुरु हरगोबिंद (1594-1644) |
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गुरु हर राय (1630-1661) |
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गुरु हरकिशन (1656-1664) |
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गुरु तेग बहादुर (1621-1675) |
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गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708) |
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