लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 23 Dec 2024
  • 0 min read
  • Switch Date:  
छत्तीसगढ़ Switch to English

वन एवं वृक्ष आवरण वृद्धि में छत्तीसगढ़ शीर्ष पर: ISFR

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट (ISFR) 2023 के अनुसार, छत्तीसगढ़ संयुक्त वन और वृक्ष आवरण वृद्धि में शीर्ष राज्य के रूप में उभरा है।

मुख्य बिंदु

  • छत्तीसगढ़ का वन एवं वृक्ष आवरण विकास:
    • भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट (ISFR) 2023 के अनुसार, छत्तीसगढ़ संयुक्त वन और वृक्ष आवरण वृद्धि में शीर्ष राज्य के रूप में उभरा है।
    • छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्र में 94.75 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई, जिससे इसका कुल वन क्षेत्र 55,811.75 वर्ग किमी. हो गया।
    • राज्य में वन एवं वृक्ष आवरण में कुल 684 वर्ग किमी. की वृद्धि दर्ज की गई, जो सभी भारतीय राज्यों में सबसे अधिक है।
    • छत्तीसगढ़ का संयुक्त वन एवं वृक्ष आवरण (55,812 वर्ग किमी.) देश में मध्य प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश के बाद तीसरा सबसे बड़ा है, जहाँ वन एवं वृक्ष क्षेत्र दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

ISFR 2023 के प्रमुख निष्कर्ष

  • कुल वन एवं वृक्ष आवरण:
    • भारत का कुल वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी. है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है।
    • भारत में कुल वन एवं वृक्ष आवरण में 7,15,343 वर्ग किमी. वन आवरण (कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.76%) और 1,12,014 वर्ग किमी. वृक्ष आवरण ( कुल भौगोलिक क्षेत्र का 3.41%) शामिल है।
  • वन एवं वृक्षावरण वृद्धि में शीर्ष राज्य:
    • छत्तीसगढ़: वन एवं वृक्ष आवरण में 684 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई।
    • उत्तर प्रदेश: 559 वर्ग किमी. क्षेत्रफल बढ़ा।
    • ओडिशा: 559 वर्ग किमी. क्षेत्रफल बढ़ा।
    • राजस्थान: क्षेत्रफल में 394 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई।
  • सर्वाधिक वन एवं वृक्ष आवरण वाले राज्य:
    • मध्य प्रदेश: सबसे बड़ा कुल क्षेत्रफल 85,724 वर्ग किमी. 
    • अरुणाचल प्रदेश: 67,083 वर्ग किमी. में दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र।
    • महाराष्ट्र: 65,383 वर्ग किमी. में तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र।
  • सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले राज्य:
    • मध्य प्रदेश: 77,073 वर्ग किमी. 
    • अरुणाचल प्रदेश: 65,882 वर्ग किमी. 
    • छत्तीसगढ़: 55,812 वर्ग किमी. 


उत्तर प्रदेश Switch to English

अयोध्या ने ताजमहल को पीछे छोड़ते हुए उत्तर प्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल बना (2024)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अयोध्या ने आगरा (ताजमहल) को पीछे छोड़ते हुए वर्ष 2024 के लिये उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक देखा जाने वाला स्थल बन गया।

मुख्य बिंदु

  • अयोध्या शीर्ष गंतव्य बना
    • जनवरी से सितंबर 2024 के बीच अयोध्या में 135.5 मिलियन घरेलू पर्यटक और 3,153 अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आए।
      • पर्यटन में यह वृद्धि मुख्य रूप से राम मंदिर के उद्घाटन से प्रेरित है, जिसने शहर को भारत में आध्यात्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में स्थापित किया है।
    • अयोध्या में धार्मिक पर्यटन बुकिंग में 70% की वृद्धि देखी गई है, राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बड़ी भीड़ जुट रही है और जनवरी 2025 में इसके वर्षगाँठ समारोह के दौरान इसमें और वृद्धि होने की आशा है।
  • आगरा (ताजमहल)
    • वर्ष 2024 में आगरा स्थित प्रसिद्ध ताजमहल में 125.1 मिलियन आगंतुकों ने प्रवेश किया, जिनमें से 115.9 मिलियन घरेलू और 924,000 अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक शामिल थे।
      • ताजमहल अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिये एक प्रमुख आकर्षण बना हुआ है, जहाँ विदेशी आगमन 2022-23 में 2.684 मिलियन से बढ़कर 2023-24 में 27.7 मिलियन हो जाएगा।
      • हालाँकि, ताजमहल में घरेलू पर्यटकों की संख्या में 193,000 की मामूली कमी आई है।
  • उत्तर प्रदेश में पर्यटन विकास
    • उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024 में पर्यटन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जनवरी से सितंबर 2024 तक 476.1 मिलियन पर्यटक राज्य में आएँगे।
    • वर्ष 2024 में राज्य का पर्यटन प्रदर्शन 2023 में दर्ज 480 मिलियन पर्यटकों को पार करने की राह पर है।
    • अयोध्या के अलावा, उत्तर प्रदेश के अन्य आध्यात्मिक स्थलों, जिनमें वाराणसी (62 मिलियन घरेलू, 184,000 अंतर्राष्ट्रीय), मथुरा (68 मिलियन, 87,229 विदेशी), प्रयागराज (48 मिलियन) और मिर्ज़ापुर (11.8 मिलियन) शामिल हैं, ने भी वर्ष 2024 में महत्त्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।
    • कुशीनगर में बौद्ध सर्किट में 1.62 मिलियन पर्यटक आए, जिनमें 153,000 अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक शामिल थे, जो अयोध्या के आध्यात्मिक आकर्षण से परे पर्यटन को विविधता प्रदान करने के उत्तर प्रदेश के प्रयासों को दर्शाता है।


मध्य प्रदेश Switch to English

भारत का पहला ज़ीरों-वेस्ट हवाई अड्डा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इंदौर स्थित देवी अहिल्याबाई होलकर हवाई अड्डा 3000 वर्ग फुट सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा के उद्घाटन के साथ भारत का पहला ज़ीरों-वेस्ट हवाई अड्डा बन गया।

  • अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली:
  • नई सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा में हवाई अड्डे और विमान दोनों से अपशिष्ट को अलग करने और पुनर्चक्रित करने के लिये एक व्यापक अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली की सुविधा है।
  • गीले अपशिष्ट को उर्वरक में परिवर्तित किया जाएगा, जो 4R सिद्धांत पर आधारित हवाई अड्डे की ज़ीरों-वेस्ट पहल के अनुरूप होगा: Reduce, Reuse, Recycle, and Recover (कम करना, पुनः उपयोग करना, पुनर्चक्रित करना, पुनर्स्थापित करना)।
  • विस्तृत योजनाएँ:
  • इसके अलावा, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने घोषणा की कि अगले तीन वर्षों में इंदौर हवाई अड्डे की क्षमता 40 लाख यात्रियों से बढ़ाकर 90 लाख यात्री प्रति वर्ष कर दी जाएगी।
  • थाईलैंड और अमेरिका सहित अंतर्राष्ट्रीय गंतव्यों तक कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये एयरलाइनों के साथ चर्चा चल रही है।
  • बुनियादी ढाँचा विकास:
  • केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने हवाई अड्डे पर 55 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित नए हवाई यातायात नियंत्रण टावर का भी उद्घाटन किया।


बिहार Switch to English

महिला कबड्डी विश्व कप 2025 बिहार में आयोजित किया जाएगा

चर्चा में क्यों?

बिहार मार्च 2025 में राजगीर स्पोर्ट्स अकादमी के इनडोर हॉल में महिला कबड्डी विश्व कप की मेज़बानी करेगा। 

मुख्य बिंदु

  • इसमें भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, नेपाल, पाकिस्तान, ईरान, इंडोनेशिया, श्रीलंका, थाईलैंड, पोलैंड, अर्जेंटीना और दक्षिण अफ्रीका सहित कुल 14 देशों के भाग लेने की आशा है।
  • बिहार दूसरी बार महिला कबड्डी विश्व कप की मेजबानी करेगा , इससे पहले 2012 में पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में इस आयोजन की मेजबानी की गई थी।

महिला कबड्डी विश्व कप

  • महिला कबड्डी विश्व कप महिला टीमों के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता है।
  • इसका आयोजन अंतर्राष्ट्रीय कबड्डी महासंघ (IKF) द्वारा किया जाता है।
  • इस टूर्नामेंट में दुनिया भर की शीर्ष कबड्डी टीमें खिताब के लिये प्रतिस्पर्द्धा करती हैं।
  • पहला महिला कबड्डी विश्व कप 2012 में पटना, बिहार में आयोजित किया गया था।


हरियाणा Switch to English

MSP खरीद पर हरियाणा सरकार की अधिसूचना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरियाणा सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 24 फसलों की खरीद को अधिसूचित किया है, जिससे सूची 14 फसलों से बढ़कर 24 हो गई है।

मुख्य बिंदु

  • धान, बाजरा, खरीफ मूँग, उड़द, अरहर, गेहूँ और सरसों सहित पहले से खरीदी जा रही फसलों के अलावा MSP के लिये अनुमोदित 10 और फसलें हैं रागी, सोयाबीन, नाइजरसीड, कुसुम, जौ, मक्का, ज्वार, जूट, खोपरा और ग्रीष्मकालीन मूँग।
  • MSP के अंतर्गत मौजूदा फसलें शामिल हैं: धान, बाजरा, खरीफ मूँग, उड़द, अरहर, गेहूँ और सरसों।

न्यूनतम समर्थन मूल्य

  • MSP वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से कुछ फसलों की खरीद की गारंटी देती है ताकि संकटपूर्ण बिक्री को रोका जा सके और उचित मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।
  • MSP कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों पर आधारित है, जो उत्पादन लागत, मांग और आपूर्ति, बाज़ार मूल्य रुझान, अंतर-फसल मूल्य समता आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करता है।
  • CACP कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संबद्ध कार्यालय है। यह जनवरी 1965 में अस्तित्व में आया।
  • भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) MSP के स्तर पर अंतिम निर्णय (अनुमोदन) लेती है।
  • MSP का उद्देश्य उत्पादकों को उनकी उपज के लिये लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है।


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड की वाइन टूरिज़्म पहल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने वाइन टूरिज़्म (वाइन पर्यटन) को बढ़ावा देने के लिये अपनी नई आबकारी नीति के तहत कोटद्वार में अपनी पहली वाइन उत्पादन इकाई का उद्घाटन किया।

मुख्य बिंदु

  • वाइन टूरिज़्म पहल:
    • इस पहल का उद्देश्य वाइन प्रेमियों को वाइन उत्पादन इकाइयों का दौरा करने, वाइन के इतिहास के बारे में जानने, उत्पादन प्रक्रिया को समझने और विभिन्न प्रकार की वाइन का स्वाद लेने का अवसर प्रदान करना है।
    • पर्यटन अनुभव को बढ़ाने के लिये वाइन इकाइयों के आसपास गेस्ट हाउस विकसित किये जा रहे हैं, जिससे आगंतुकों को आराम करने और क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने का अवसर मिलेगा।
  • उत्तराखंड के कृषि संसाधन:
    • उत्तराखंड माल्टा, सेब, बुरांश फूल, नाशपाती और गलगल जैसे फलों से समृद्ध है, जिनका उपयोग शराब उत्पादन (Wine Production) के लिये किया जा सकता है।
    • ये स्थानीय संसाधन वाइन टूरिज़्म के लिये एक अद्वितीय आकर्षण बनाने में सहायता करेंगे।
  • विस्तार योजनाएँ:
    • कोटद्वार में दो माह पूर्व एक प्राइवेट वाइन यूनिट स्थापित की गई है, जो आबकारी विभाग (Excise Department) की अनुमति से लगातार शराब का उत्पादन कर रही है।
    • बागेश्वर और चंपावत में नए वाइन उत्पादन संयंत्रों की योजना बनाई गई है।
  • आर्थिक एवं रोज़गार उद्देश्य:
    • सरकार का उद्देश्य यह है कि आबकारी नीति के माध्यम द्वारा राजस्व में वृद्धि हो और रोज़गार के नए अवसर सृजित किये जाएँ।
    • पहाड़ी क्षेत्रों में लघु एवं मध्यम वाइन उत्पादन इकाइयों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे स्थानीय फलों का उपयोग करके स्थानीय लोगों के लिये रोज़गार और व्यावसायिक अवसर उत्पन्न होंगे।

h


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2