चार धाम के नामों के प्रयोग के विरुद्ध सख्त कानून | उत्तराखंड | 20 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने राज्य के चार धाम मंदिरों के नाम का उपयोग करने वाले संगठनों या ट्रस्टों के विरुद्ध सख्त कानून लागू करने का निर्णय लिया।
मुख्य बिंदु
- अधिकारियों के अनुसार, ऐसे ट्रस्ट और संगठन आम जनता में भ्रम उत्पन्न करते हैं तथा स्थानीय परंपराओं एवं धार्मिक मान्यताओं को भी ठेस पहुँचाते हैं।
- चार धाम मंदिर पुजारी संघ ने भी दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति की आधारशिला रखने के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
चार धाम
- यमुनोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
- समर्पित: देवी यमुना को।
- यमुना नदी भारत में गंगा नदी के बाद दूसरी सबसे पवित्र नदी है।
- गंगोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
- समर्पित: देवी गंगा
- सभी भारतीय नदियों में सबसे पवित्र मानी जाती है।
- केदारनाथ धाम:
- समर्पित: भगवान शिव
- मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित।
- भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य प्रतिनिधित्व) में से एक।
- बद्रीनाथ धाम:
- स्थान: चमोली ज़िला।
- पवित्र बद्रीनारायण मंदिर का घर।
- समर्पित: भगवान विष्णु
- वैष्णवों के लिये पवित्र तीर्थस्थलों में से एक
जोशीमठ में जलविद्युत परियोजना | उत्तराखंड | 20 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने कहा कि उसे NTPC (राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम) को तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना स्थल पर निर्माण कार्य फिर से शुरू करने की अनुमति देने में कोई आपत्ति नहीं है।
मुख्य बिंदु
- 5 जनवरी, 2023 को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर जोशीमठ में भूमि धँसने का मामला बिगड़ने के बाद NTPC की तपोवन-विष्णुगाड परियोजना के सभी कार्यों पर रोक लगा दी थी।
- NDMA ने बहु-संस्थागत विशेषज्ञ संगठनों का एक समूह बनाया, जिसमें केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान और IIT-रुड़की आदि शामिल हैं।
- उच्च न्यायालय को सौंपी गई रिपोर्ट में NDMA ने यह भी कहा कि विशेषज्ञों ने भूमि धँसने के कई कारण गिनाए हैं, जिनमें सबसे आम कारण यह है कि जोशीमठ शहर में अनियमित निर्माण के कारण औली से जोशीमठ तक बहने वाला प्राकृतिक जल बाधित हो गया है।
राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC)
- यह विद्युत मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (PSU) है
- यह भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा समूह है जिसकी जड़ें भारत में विद्युत विकास को गति देने के लिये वर्ष 1975 में स्थापित की गई थीं।
- इसका उद्देश्य नवीनता और चपलता से प्रेरित होकर किफायती, कुशल तथा पर्यावरण अनुकूल तरीके से विश्वसनीय विद्युत एवं संबंधित समाधान उपलब्ध कराना है।
- मई 2010 में यह महारत्न कंपनी बन गई।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (The National Disaster Management Authority- NDMA)
- यह आपदा प्रबंधन के लिये भारत का सर्वोच्च वैधानिक निकाय है।
- इसका औपचारिक गठन 27, सितंबर 2006 को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 द्वारा किया गया था।
- प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष हैं और इसके नौ अन्य सदस्य हैं। नौ सदस्यों में से एक को उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया जाता है।
- आपदा प्रबंधन की प्राथमिक ज़िम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार की है।
- हालाँकि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति सभी के लिये अर्थात् केंद्र, राज्य और ज़िला के लिये सक्षम वातावरण प्रदान करती है।