विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
राष्ट्रीय भू-अनुसंधान विद्वान बैठक
- 06 Jul 2020
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय भू-अनुसंधान विद्वान बैठक, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग। मेन्स के लिये:अनुसंधान के क्षेत्र में युवा शोधार्थियों और छात्रों की रूचि को प्रगाढ़ करने में NGRSM की भूमिका। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भू-अनुसंधान विद्वानों द्वारा चौथे राष्ट्रीय भू-अनुसंधान विद्वान बैठक (National Geo-research Scholars Meet-NGRSM) का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इस बैठक में प्राकृतिक संसाधनों, जल प्रबंधन, भूकंप, मानसून, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा, नदी प्रणालियों जैसे कई क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के लिये ‘समाज के लिये भू-विज्ञान’ विषय पर चर्चा की गई।
- इस बैठक का आयोजन भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत स्वायत्त संस्थान वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology-WIHG), देहरादून द्वारा किया गया।
- इस वर्ष वैश्विक कोविड-19 महामारी के कारण चौथे NGRSM का आयोजन वेबिनार के माध्यम से किया गया जो WIHG की ओर से ऐसा पहला कार्यक्रम था।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी
Wadia Institute of Himalayan Geology
- वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है।
उद्देश्य:
- हिमालय के भू-विज्ञान में अनुसंधानों को शुरू करना, सहायता एवं बढ़ावा देना, मार्गदर्शन और समन्वय करना तथा छात्रवृत्ति की परंपरा को बढ़ावा देना।
- हिमालयी भू-विज्ञान और संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाले देश के विभिन्न संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों के बीच अनुसंधान गतिविधियों का समन्वय करना।
- हिमालय के भू-विज्ञान के लिये नेशनल रेफेरंस सेंटर के रूप में सेवा प्रदान करना और विभिन्न संस्थानों, सार्वजनिक एजेंसियों और उद्योगों को उच्च स्तरीय परामर्श सेवाएँ उपलब्ध कराना।
- नए उपकरणों, कार्य प्रणालियों और विश्लेषणात्मक तकनीकों के आवेदन पर विशेष बल देने के साथ-साथ संस्थान के उद्देश्यों के लिये प्रासंगिक क्षेत्रों में विदेशी अनुसंधान संगठनों और विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग करना।
- हिमालय में मोनोग्राफ, शोध-पत्र, मानचित्र, वैज्ञानिक रिपोर्ट आदि के प्रकाशन के माध्यम से भू-वैज्ञानिक और संबद्ध अनुसंधानों से संबंधित ज्ञान और सूचना का प्रसार करना।
- हिमालयी भू-विज्ञान को बढ़ावा देने के लिये मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा केंद्रों के साथ मिलकर कार्य करना।
- हिमालय के भू-विज्ञान के अध्ययन में युवा भू-वैज्ञानिकों को प्रेरित और प्रोत्साहित करना।
- संस्थान में शोध कार्य करने के लिये हिमालयन भू-विज्ञान में एक वाडिया राष्ट्रीय फेलोशिप संस्थान स्थापित करना।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST)
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की स्थापना 3 मई, 1971 को हुई थी।
- DST विभिन्न गतिविधियों जैसे- व्याख्यान श्रृंखला, प्रकाशनों, वृत्तचित्रों को जारी करना, DST के तहत भारतीय सर्वेक्षण के विकिपीडिया पृष्ठ को अपडेट करना आदि के साथ 3 मई, 2020 से 2 मई, 2021 की अवधि के दौरान स्वर्ण जयंती स्मरणोत्सव वर्ष की समीक्षा कर रहा है।
- DST भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science and Technology) के तहत कार्य करता है।
DST का लक्ष्य:
- भारत सरकार के इस विभाग का लक्ष्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के नए क्षेत्रों को बढ़ावा देना है। यह भारत में वैज्ञानिक एवं तकनीकी गतिविधियों को व्यवस्थित, समन्वित करने एवं बढ़ावा देने वाला नोडल विभाग है।
- उल्लेखनीय है कि DST भारत में विभिन्न स्वीकृत वैज्ञानिक परियोजनाओं के लिये धन भी प्रदान करता है। यह विदेशों में होने वाले सम्मेलनों में भाग लेने तथा प्रायोगिक कार्यों के लिये भारत में शोधकर्त्ताओं का समर्थन करता है।
पृष्ठभूमि
- WIHG के नियमित आयोजन के रूप में राष्ट्रीय भू-अनुसंधान विद्वान बैठक (NGRSM) की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी।
- इसका उद्देश्य युवा शोधार्थियों और छात्रों को अपने अनुसंधान कार्यों को साझा करने, समकक्ष लोगों की उस पर राय जानने और इस आधार पर अपने कार्यों को पहले से और बेहतर बनाने के लिये एक उचित मंच प्रदान करते हुए अनुसंधान में उनकी रूचि को और प्रगाढ़ करने के लिये प्रोत्साहित करना है।
- यह कार्यक्रम उन्हें प्रख्यात भू-वैज्ञानिकों के साथ बातचीत कर उनका अनुभव हासिल करने और भू-विज्ञान अनुसंधान क्षेत्र के नवीनतम रुझानों को समझने का अवसर भी प्रदान करता है।