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हरियाणा स्टेट पी.सी.एस.

  • 17 Jan 2025
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विश्व का सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन इंजन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री ने घोषणा की कि भारत ने विश्व का सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन इंजन विकसित करके हरित ऊर्जा नेतृत्व में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है।

हाइड्रोजन चालित रेल इंजन का पहला परीक्षण हरियाणा के जींद-सोनीपत मार्ग पर किया जाएगा।

मुख्य बिंदु

  • भारत के हाइड्रोजन ट्रेन इंजन की मुख्य विशेषताएँ:
    • पावर आउटपुट: 1,200 हॉर्सपावर, वैश्विक समकक्षों से अधिक।
    • प्रौद्योगिकी: पूर्णतः स्वदेशी विशेषज्ञता का उपयोग करके विकसित की गई।
    • ग्रीन माइलस्टोन: यह भारत में हाइड्रोजन-चालित परिवहन की ओर एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • वैश्विक नेतृत्व:
    • वर्तमान में केवल चार देश- जर्मनी, फ्राँस, स्वीडन और चीन- हाइड्रोजन चालित रेलगाड़ियाँ चलाते हैं, जो 500-600 हॉर्सपावर की शक्ति प्रदान करती हैं।
    • भारत का स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन इंजन 1,200 अश्वशक्ति की शक्ति के साथ इनसे आगे है, जो अपनी श्रेणी में सर्वाधिक है।
  • स्वदेशी विकास:
    • यह इंजन पूर्णतः स्वदेशी विशेषज्ञता द्वारा विकसित किया गया है, जो स्वच्छ ऊर्जा समाधान में देश के नवाचार को प्रदर्शित करता है।
    • यह उपलब्धि भारत को हरित ऊर्जा-संचालित विकास में प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का नेतृत्व करने की दिशा में एक कदम है।

हरित ऊर्जा

  • हरित ऊर्जा को नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसे स्वच्छ, सतत् या नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में भी जाना जाता है।
  • हरित ऊर्जा उत्पादन से वायुमंडल में कोई खतरनाक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित नहीं होती, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण पर बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
  • सौर, पवन, भू-तापीय, बायोगैस, कम प्रभाव वाली जलविद्युत और कुछ योग्य बायोमास स्रोत सभी प्रमुख हरित ऊर्जा स्रोत हैं।




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फाल्केटेड डक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गुरुग्राम के सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान में पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों ने एक दुर्लभ पक्षी प्रजाति, फाल्केटेड डक को देखा।

मुख्य बिंदु

  • फाल्केटेड डक:
    • फाल्केटेड टील (मारेका फाल्काटा), जिसे फाल्केटेड डक के नाम से भी जाना जाता है, एक डैबलिंग बतख है।
  • वितरण/ डिस्ट्रीब्यूशन:
    • पूर्वी साइबेरिया और मंगोलिया से लेकर उत्तरी जापान तक पाया जाता है।
    • शीतकालीन प्रवास क्षेत्र दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्वी भारत में शामिल हैं।
    • अमेरिका, पोलैंड और थाईलैंड में भी इसके दुर्लभ दृश्य दर्ज किये गये हैं।
  • प्राकृतिक वास:
    • यह वनों से घिरी स्वच्छ जल की झीलों, तालाबों, नदियों और दलदलों को पसंद करता है।
  • प्रजनन:
    • प्रजनन काल मई से जुलाई के प्रारंभ तक रहता है।
    • घोंसले आमतौर पर पानी के पास जमीन पर, ऊँची घास या झाड़ियों में बनाए जाते हैं।
  • आहार:
    • मुख्यतः शाकाहारी, वनस्पति पदार्थ, बीज, चावल और जलीय पौधे खाते हैं।
    • कभी-कभी छोटे अकशेरुकी और नरम खोल वाले मोलस्क का सेवन करता है।
  • परिसंकट:
    • उनके मांस और पंखों की मांग के कारण शिकार एक बड़ा संकट है।
  • संरक्षण की स्थिति:

सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान  

  • परिचय:  
    • सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिये एक स्वर्ग है। यह प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिये प्रसिद्ध है।  
      • प्रवासी पक्षी सितंबर में उद्यान में आना शुरू हो जाते हैं। पक्षी मार्च-अप्रैल तक उद्यान को आरामगाह के रूप में इस्तेमाल करते हैं।  
      • गर्मियों और मानसून के महीनों के दौरान उद्यान में कई स्थानीय पक्षी प्रजातियाँ निवास करती हैं।  
    • अप्रैल 1971 में, उद्यान के अंदर सुल्तानपुर झील (1.21 वर्ग किमी. का क्षेत्र) को पंजाब वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1959 की धारा 8 के तहत अभयारण्य का दर्जा दिया गया था।
    • जुलाई 1991 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अंतर्गत उद्यान का दर्जा बढ़ाकर राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया।
  • स्थान:  
    • यह उद्यान हरियाणा के गुड़गाँव ज़िले में स्थित है। उद्यान की दूरी दिल्ली से लगभग 50 किलोमीटर और गुड़गाँव से 15 किलोमीटर है।  
  • उद्यान में महत्त्वपूर्ण जीव: 



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