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विश्व का सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन इंजन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री ने घोषणा की कि भारत ने विश्व का सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन इंजन विकसित करके हरित ऊर्जा नेतृत्व में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है।
हाइड्रोजन चालित रेल इंजन का पहला परीक्षण हरियाणा के जींद-सोनीपत मार्ग पर किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- भारत के हाइड्रोजन ट्रेन इंजन की मुख्य विशेषताएँ:
- पावर आउटपुट: 1,200 हॉर्सपावर, वैश्विक समकक्षों से अधिक।
- प्रौद्योगिकी: पूर्णतः स्वदेशी विशेषज्ञता का उपयोग करके विकसित की गई।
- ग्रीन माइलस्टोन: यह भारत में हाइड्रोजन-चालित परिवहन की ओर एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- वैश्विक नेतृत्व:
- वर्तमान में केवल चार देश- जर्मनी, फ्राँस, स्वीडन और चीन- हाइड्रोजन चालित रेलगाड़ियाँ चलाते हैं, जो 500-600 हॉर्सपावर की शक्ति प्रदान करती हैं।
- भारत का स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन इंजन 1,200 अश्वशक्ति की शक्ति के साथ इनसे आगे है, जो अपनी श्रेणी में सर्वाधिक है।
- स्वदेशी विकास:
- यह इंजन पूर्णतः स्वदेशी विशेषज्ञता द्वारा विकसित किया गया है, जो स्वच्छ ऊर्जा समाधान में देश के नवाचार को प्रदर्शित करता है।
- यह उपलब्धि भारत को हरित ऊर्जा-संचालित विकास में प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का नेतृत्व करने की दिशा में एक कदम है।
हरित ऊर्जा
- हरित ऊर्जा को नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसे स्वच्छ, सतत् या नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में भी जाना जाता है।
- हरित ऊर्जा उत्पादन से वायुमंडल में कोई खतरनाक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित नहीं होती, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण पर बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- सौर, पवन, भू-तापीय, बायोगैस, कम प्रभाव वाली जलविद्युत और कुछ योग्य बायोमास स्रोत सभी प्रमुख हरित ऊर्जा स्रोत हैं।
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फाल्केटेड डक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में गुरुग्राम के सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान में पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों ने एक दुर्लभ पक्षी प्रजाति, फाल्केटेड डक को देखा।
मुख्य बिंदु
- फाल्केटेड डक:
- फाल्केटेड टील (मारेका फाल्काटा), जिसे फाल्केटेड डक के नाम से भी जाना जाता है, एक डैबलिंग बतख है।
- वितरण/ डिस्ट्रीब्यूशन:
- पूर्वी साइबेरिया और मंगोलिया से लेकर उत्तरी जापान तक पाया जाता है।
- शीतकालीन प्रवास क्षेत्र दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्वी भारत में शामिल हैं।
- अमेरिका, पोलैंड और थाईलैंड में भी इसके दुर्लभ दृश्य दर्ज किये गये हैं।
- प्राकृतिक वास:
- यह वनों से घिरी स्वच्छ जल की झीलों, तालाबों, नदियों और दलदलों को पसंद करता है।
- प्रजनन:
- प्रजनन काल मई से जुलाई के प्रारंभ तक रहता है।
- घोंसले आमतौर पर पानी के पास जमीन पर, ऊँची घास या झाड़ियों में बनाए जाते हैं।
- आहार:
- मुख्यतः शाकाहारी, वनस्पति पदार्थ, बीज, चावल और जलीय पौधे खाते हैं।
- कभी-कभी छोटे अकशेरुकी और नरम खोल वाले मोलस्क का सेवन करता है।
- परिसंकट:
- उनके मांस और पंखों की मांग के कारण शिकार एक बड़ा संकट है।
- संरक्षण की स्थिति:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा इसे "निकट संकटग्रस्त" श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान
- परिचय:
- सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिये एक स्वर्ग है। यह प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिये प्रसिद्ध है।
- अप्रैल 1971 में, उद्यान के अंदर सुल्तानपुर झील (1.21 वर्ग किमी. का क्षेत्र) को पंजाब वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1959 की धारा 8 के तहत अभयारण्य का दर्जा दिया गया था।
- जुलाई 1991 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अंतर्गत उद्यान का दर्जा बढ़ाकर राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया।
- स्थान:
- यह उद्यान हरियाणा के गुड़गाँव ज़िले में स्थित है। उद्यान की दूरी दिल्ली से लगभग 50 किलोमीटर और गुड़गाँव से 15 किलोमीटर है।
- उद्यान में महत्त्वपूर्ण जीव:
- स्तनधारी: काला हिरण, नीलगाय, पाढ़ा (हॉग हिरण), सांभर, तेंदुआ आदि।
- पक्षी: साइबेरियन क्रेन, ग्रेटर फ्लेमिंगो, डेमोइसेल क्रेन आदि।