छत्तीसगढ़ Switch to English
मलेरिया से निपटने के लिये छत्तीसगढ़ की पहल
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को मानसून के दौरान में मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिये सक्रिय कदम उठाने के निर्देश दिये हैं
- परिणामस्वरूप, बस्तर सहित पूरे राज्य में मलेरिया के मामलों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।
मुख्य बिंदु:
- बस्तर संभाग के घने वनों और दुर्गम इलाकों में मलेरिया जैसी बीमारियों को रोकना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है
- मलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत, 2020 से 2023 तक मलेरिया उन्मूलन अभियान के नौ चरणों के दौरान मलेरिया सकारात्मकता (Positivity) दर 4.60% से घटकर 0.51% हो गई।
- दसवाँ चरण 5 जुलाई, 2024 को समाप्त हुआ और इस अभियान के तहत 22 ज़िलों में 16.97 लाख कीटनाशक उपचारित मच्छरदानियाँ वितरित की गईं।
- स्वास्थ्य विभाग की वर्ष 2024 की पहली छमाही के लिये मलेरिया मामले की रिपोर्ट में निम्नलिखित संख्या में मामले सामने आए: बस्तर में 1,660, बीजापुर में 4,441, दंतेवाड़ा में 1,640, कांकेर में 259, कोंडागाँव में 701, नारायणपुर में 1,509 और सुकमा में 1,144।
- परिणामस्वरूप, स्वास्थ्य विभाग ने मामले की निगरानी बढ़ा दी है और सभी ज़िलों में उपचार सुविधाओं को मज़बूत किया है।
मलेरिया
- मलेरिया एक जानलेवा मच्छर जनित रक्त रोग है जो प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता है।
- प्लास्मोडियम परजीवी की पाँच प्रजातियाँ हैं जो मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनती हैं और इनमें से दो प्रजातियाँ- पी. फाल्सीपेरम तथा पी. विवैक्स- सबसे बड़ा खतरा उत्पन्न करती हैं।
- मलेरिया मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
- मलेरिया संक्रमित मादा एनोफिलीज़ मच्छर के काटने से फैलता है।
- संक्रमित व्यक्ति को काटने से मच्छर संक्रमित हो जाता है और इससे मलेरिया के परजीवी मच्छर द्वारा काटे गए अगले व्यक्ति के रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं। ये परजीवी यकृत तक जाते हैं, परिपक्व होते हैं तथा फिर लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं।
- मलेरिया के लक्षणों में बुखार और फ्लू जैसे लक्षण शामिल हैं, जैसे- ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द तथा थकान आदि। उल्लेखनीय है कि मलेरिया का इलाज संभव है एवं रोकथाम भी संभव है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश में क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मेलन
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश सरकार आगामी महीनों में राज्य के विभिन्न शहरों में क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मेलन (Regional Industrial Conclaves- RIC) आयोजित करने जा रही है।
मुख्य बिंदु:
- मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम (Madhya Pradesh Industrial Development Corporation- MPIDC) के अनुसार, जबलपुर के बाद ग्वालियर, रीवा और सागर में भी क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मेलन (RIC) कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
- इसके अतिरिक्त, इंदौर में एक टेक्सटाइल सम्मलेन की योजना बनाई गई है तथा भोपाल में इलेक्ट्रॉनिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण विनिर्माण इकाइयों पर केंद्रित एक सम्मलेन आयोजित किया जाएगा।
- अधिकारियों के अनुसार, लगातार अनेक वर्षों तक इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (Global Investors Summit- GIS) आयोजित करने के बाद, राज्य सरकार ने अब इसे राजधानी भोपाल में आयोजित करने का निर्णय लिया है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश तीर्थ यात्रा योजना
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों के लिये सरकार की तीर्थ यात्रा योजना का विस्तार करने और राज्य के धार्मिक स्थलों को इसमें शामिल करने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य बिंदु:
- मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना, जिसके तहत लोग देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों की यात्रा करते हैं, वर्ष 2012 में शुरू की गई थी।
- मध्य प्रदेश के अधिकांश लोग राज्य की भौगोलिक बनावट के कारण विभिन्न तीर्थ स्थलों की यात्रा करने में असमर्थ हैं, जिससे वे अपने राज्य की अनूठी विशेषताओं से अनभिज्ञ रह जाते हैं।
- इस योजना का विस्तार किया जाना चाहिये जिससे वरिष्ठ नागरिक न केवल देश भर के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों, बल्कि मध्य प्रदेश के उल्लेखनीय धार्मिक स्थलों के दर्शन भी कर सकें।
- मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि:
- मेधावी विद्यार्थियों को ऐतिहासिक महत्त्व के महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थलों का भ्रमण कराने की सुविधा प्रदान करने के लिये एक योजना तैयार करें।
- जनजातीय बहुल क्षेत्रों के लोक कलाकारों को पर्यटन स्थलों तक आने का अवसर प्रदान करना, जहाँ वे अपनी कला का प्रदर्शन कर सकें।
मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना
- इसे जून 2012 में मध्य प्रदेश सरकार के धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग द्वारा शुरू किया गया था।
- इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार राज्य के 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों (महिलाओं के लिये 2 वर्ष की छूट) को राज्य से बाहर निर्धारित तीर्थ यात्रा के लिये एकमुश्त सहायता प्रदान करती है।
- इस योजना में राज्य के वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जाती है।
- तीर्थयात्रियों को विशेष रेलगाड़ी से यात्रा, नाश्ता, भोजन, शुद्ध पेयजल, तीर्थ स्थानों पर ठहरने आदि की व्यवस्था की जाती है।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा में नया OBC कोटा जोड़ा गया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिये क्रीमी लेयर की सीमा को ₹6 लाख की वार्षिक आय से बढ़ाकर ₹8 लाख कर दिया है। साथ ही पंचायती राज संस्थाओं और नगर पालिकाओं में OBC-B श्रेणी के लिये 5% कोटा भी पेश किया है।
मुख्य बिंदु
- हरियाणा में OBC की जनसंख्या राज्य की जनसंख्या का लगभग 40% है और इसमें 78 जातियाँ शामिल हैं।
- OBC-B श्रेणी के लिये 5% आरक्षण OBC-A श्रेणी के लिये पहले से लागू 8% कोटे के अतिरिक्त होगा।
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)
- OBC शब्द में नागरिकों के सभी वर्ग शामिल हैं जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि OBC की पहचान करने के लिये क्रीमी लेयर के बहिष्कार के सिद्धांत को लागू किया जाना चाहिये।
- क्रीमी लेयर को OBC श्रेणी के उन लोगों के वर्गों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो अब पिछड़े नहीं हैं और सामाजिक तथा आर्थिक रूप से देश के अन्य अग्रिम वर्गों के समान हैं।
संवैधानिक प्रावधान
- संविधान के अनुच्छेद 15(4) के तहत राज्य को किसी भी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग यानी OBC की उन्नति के लिये विशेष प्रावधान करने की शक्ति है।
- उन्नति के लिये विशेष प्रावधान" में कई पहलू शामिल हैं जैसे- शैक्षणिक संस्थानों में सीटों का आरक्षण, वित्तीय सहायता, छात्रवृत्ति, मुफ्त आवास आदि।
- अनुच्छेद 16(4) के तहत राज्य को OBC के पक्ष में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिये कानून बनाने का अधिकार है।
बिहार Switch to English
मखाना के लिये MSP
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार सरकार ने केंद्र से मखाना के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित करने का आग्रह किया है। मखाना राज्य के 10 ज़िलों में उगाई जाने वाली एक जलीय फसल है।
मुख्य बिंदु
- राज्य ने मखाना के लिये दरभंगा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र (ICAR-NRC) में कर्मचारियों की कमी के बारे में चिंता व्यक्त की है।
- बिहार देश का लगभग 85% मखाना उत्पादित करता है तथा लगभग 10 लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसकी खेती और उत्पादन प्रक्रिया में शामिल हैं।
- कृषि मंत्रालय के अनुसार, दरभंगा में मखाना के लिये ICAR-NRC को भारत सरकार के कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग द्वारा मखाना फसल के संरक्षण, अनुसंधान और विकास के लिये 9वीं पंचवर्षीय योजना अवधि (वर्ष 1997-2002) के दौरान एक नई योजना के रूप में अनुमोदित किया गया था।
- मखाना के लिये NRC का कार्य फरवरी 2002 में शुरू हुआ, लेकिन वर्ष 2005 में इसे पटना स्थित ICAR-पूर्वी क्षेत्र अनुसंधान परिसर (RCER) के साथ विलय कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप इसका "राष्ट्रीय" दर्जा समाप्त कर दिया गया।
- मई 2023 में केंद्र सरकार ने मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा को "राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा" में अपग्रेड किया और मछली जैसी अन्य जलीय फसलों को शामिल करने के लिये इसके अधिदेश का विस्तार किया।
- मखाना के लिये NRC को ICAR के कृषि इंजीनियरिंग प्रभाग के अंतर्गत स्थानांतरित कर दिया गया और लुधियाना स्थित ICAR-केंद्रीय कटाई उपरांत इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान से संबद्ध कर दिया गया।
मिथिला मखाना
- पान, माखन और मच्छ (मछली) मिथिला की तीन प्रतिष्ठित सांस्कृतिक पहचान हैं।
- मिथिला मखाना या माखन (वानस्पतिक नाम: यूरीले फेरोक्स सालिसब- Euryale ferox Salisb) बिहार और नेपाल के मिथिला क्षेत्र में उगाया जाने वाला एक विशेष किस्म का मखाना है।
- मखाना मिथिला की तीन प्रतिष्ठित सांस्कृतिक पहचानों में से एक है
- यह नवविवाहित जोड़ों के लिये मनाए जाने वाले मैथिल ब्राह्मणों के कोजागरा उत्सव में भी बहुत प्रसिद्ध है।
- मखाने में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन तथा फास्फोरस जैसे सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के साथ-साथ प्रोटीन व फाइबर होता है।
- इसे वर्ष 2022 में भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त हुआ।
उत्तर प्रदेश Switch to English
सौश्रुतम 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) के शल्य तंत्र विभाग ने सुश्रुत जयंती-2024 के अवसर पर द्वितीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सौश्रुतम (SAUSHRUTAM) शल्य संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया।
मुख्य बिंदु
- शल्य चिकित्सा के महान जनक सुश्रुत के सम्मान में प्रतिवर्ष 15 जुलाई को सुश्रुत जयंती मनाई जाती है।
- वह काशी (लगभग 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के एक प्राचीन भारतीय शल्य चिकित्सक थे और उन्होंने चिकित्सा तथा शल्य चिकित्सा पर एक व्यापक पाठ्यपुस्तक 'सुश्रुत संहिता' लिखी थी।
- सुश्रुत संहिता को पाँच प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है:
- सूत्रस्थान (Sutrasthana): चिकित्सा विज्ञान और औषध विज्ञान के मूल सिद्धांतों से संबंधित प्राथमिक सिद्धांत;
- निदान (Nidana): यह रोगात्मक अवधारणाओं से संबंधित है;
- सरिरस्थान (Sarirasthana): मानव शरीर रचना विज्ञान पर;
- चिकित्सास्थानम (Chikitsasthanam): चिकित्सा और शल्य चिकित्सा प्रबंधन पर;
- कल्पस्थानम (Kalpasthanam): विष विज्ञान पर।
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