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हरियाणा के दंपतियों ने उत्तर प्रदेश में अवैध लिंग निर्धारण परीक्षण की मांग की
चर्चा में क्यों?
हरियाणा में अवैध लिंग निर्धारण परीक्षण के लिये उत्तर प्रदेश जाने वाले दंपतियों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है।
- यह बदलाव मुख्य रूप से हरियाणा में कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध कार्रवाई के कारण हुआ है, विशेष रूप से जनवरी 2015 में 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान के शुभारंभ के बाद।
मुख्य बिंदु
- पिछले एक दशक में, हरियाणा के अधिकारियों ने इन अवैध गतिविधियों से संबंधित लगभग 400 प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की हैं, जिनमें से 205 केवल उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई हैं।
- ये FIR गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 के तहत दर्ज की गई हैं।
- यह भारतीय संसद का एक अधिनियम है जिसे भारत में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और घटते लिंगानुपात को रोकने के लिये बनाया गया था। इस अधिनियम ने जन्मपूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया।
- हरियाणा में अधिकारियों द्वारा अवैध लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या पर कार्रवाई शुरू करने के बाद से, राज्य में PCPNDT अधिनियम, 1994 के तहत 800 से अधिक FIR दर्ज की गई हैं और राज्य और बाहर डॉक्टरों, झोलाछाप डॉक्टरों और दलालों सहित 4,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
- हालाँकि, 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' पहल से हरियाणा में लिंगानुपात में सुधार करने में कुछ सफलता मिली है, जो वर्ष 2014 में प्रति 1,000 लड़कों पर 871 लड़कियों से बढ़कर वर्तमान में 910 हो गई है।
- यह वृद्धि लैंगिक भेदभाव से निपटने और बालिकाओं के मूल्य को बढ़ावा देने के लिये चल रहे प्रयासों को दर्शाती है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
- परिचय:
- इसे जनवरी 2015 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य लिंग आधारित गर्भपात और घटते बाल लिंग अनुपात की समस्या से निपटना था, जो वर्ष 2011 में प्रति 1,000 लड़कों पर 918 लड़कियाँ थी।
- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है।
- यह कार्यक्रम देश के 405 ज़िलों में क्रियान्वित किया जा रहा है।
- मुख्य उद्देश्य:
- लिंग-पक्षपाती लिंग-चयनात्मक उन्मूलन की रोकथाम।
- बालिकाओं के जीवन और संरक्षण को सुनिश्चित करना।
- बालिकाओं की शिक्षा एवं भागीदारी सुनिश्चित करना।
- बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा करना।