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स्टेट पी.सी.एस.

  • 14 Feb 2025
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उत्तर प्रदेश Switch to English

ट्रैश स्कीमर मशीन

चर्चा में क्यों ? 

प्रयागराज में स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने तथा त्रिवेणी संगम को स्वच्छ एवं निर्मल बनाए रखने के लिये ट्रैश स्कीमर मशीनें लगाई गई हैं, जो गंगा और यमुना नदियों से प्रतिदिन 10 से 15 टन कचरा निकाल रही हैं।

मुख्य बिंदु 

  • त्रिवेणी संगम को स्वच्छ और शुद्ध बनाए रखने के लिये महाकुंभ से पहले वर्ष 2021 में ट्रैश स्कीमर मशीनें लगाई गई हैं।
  • ट्रैश स्कीमर मशीन:
    • यह एक ऐसी मशीन है, जो पानी की सतह से तैरते मलबे को इकट्ठा करती है।
    • यह मशीन नदी से फूल, पत्ते, तैरता हुआ कचरा, प्लास्टिक, बोतलें आदि सभी वस्तुओं को विभिन्न तरीकों से उठाकर किनारे पर लाती है, जिनका बाद में उचित तरीकों से निपटान किया जाता है।
    • इस मशीन का उपयोग नदियों, बंदरगाहों और समुद्रों को साफ करने के लिये किया जाता है।
    • यह जलीय खरपतवार (जलकुंभी) को हटाने में भी मदद करती है।

जलकुंभी

  • जलकुंभी, जिसे वैज्ञानिक रूप से इचोर्निया क्रैसिप्स मार्ट (पोंटेडेरियासी) के नाम से जाना जाता है, एक जलीय खरपतवार है, जो भारत सहित पूरे दक्षिण एशिया में जल निकायों में आम है।
  • यह कोई देशी प्रजाति नहीं है, लेकिन ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान दक्षिण अमेरिका से एक सजावटी जलीय पौधे के रूप में भारत में लाई गई थी।
  • यह पौधा सुंदर बैंगनी फूल पैदा करता है जिसका सौंदर्य मूल्य बहुत अधिक होता है।

स्वच्छ भारत मिशन (SBM)

  • यह एक वृहत जन आंदोलन है जिसका लक्ष्य वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत का निर्माण करना था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सदैव स्वच्छता पर ज़ोर देते थे क्योंकि स्वच्छता से स्वस्थ और समृद्ध जीवन की राह खुलती है।
  • इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 2 अक्टूबर 2014 (गांधी जयंती) के अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन की नींव रखी। यह मिशन सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को दायरे में लेता है।
  • इस मिशन के शहरी घटक का क्रियान्वयन आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा और ग्रामीण घटक का क्रियान्वयन जल शक्ति मंत्रालय द्वारा किया जाता है।



उत्तर प्रदेश Switch to English

भारतीय कला इतिहास कॉन्ग्रेस का 32वाँ सम्मेलन

चर्चा में क्यों?

भारतीय कला इतिहास कॉन्ग्रेस का 32वाँ सम्मलेन 8 से 10 फरवरी 2025 तक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज नोएडा में आयोजित किया गया। 

मुख्य बिंदु 

  • सम्मेलन के बारे में:-
    • सम्मेलन का विषय था “कला और संस्कृति में भारतीय महाकाव्यों का प्रतिपादन”
    • इसका उद्देश्य महाकाव्यों पर आधारित कलात्मक अभिव्यक्तियों के विविध रूपों को उजागर करना था।
      • महाभारत और रामायण ने कर्तव्य, धर्म और न्याय की शिक्षाओं के साथ कई लोगों के जीवन का मार्ग प्रशस्त किया है।
      • उनके आदर्श भारत और उसके बाहर की संस्कृतियों में गूँजते हैं।
  • इसका आयोजन संस्कृति मंत्रालय के तहत भारतीय विरासत संस्थान, नोएडा द्वारा किया गया था।
  • महत्त्व:
    • सम्मेलन ने मौखिक, पाठ्य और दृश्य मीडिया के माध्यम से महाकाव्यों पर आधारित कलात्मक अभिव्यक्तियों के विविध रूपों पर प्रकाश डाला।
    • प्राचीन से समकालीन समय तक महाकाव्यों और उनके विभिन्न कलात्मक रूपों के प्रभाव पर चर्चा।
    • भारतीय कला में रुचि को बढ़ावा देना और इसके संरक्षण और सुरक्षा के लिये काम करना।
    • मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिये प्रयास करना।

भारतीय कला इतिहास कॉन्ग्रेस (IAHC)

  • यह भारतीय कला विरासत का अध्ययन करने वाली अखिल भारतीय संस्था है।
  • इसका उद्देश्य भारतीय कला इतिहास और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर गहन शोध और विमर्श को प्रोत्साहित करना है।
  • यह संगठन भारतीय सांस्कृतिक धरोहर, मूर्त और अमूर्त कला रूपों के संरक्षण के लिये काम करता है।
  • यह अनुभवी और युवा विद्वानों को एक मंच प्रदान करता है, ताकि वे अपनी कला संबंधित शोधों और विचारों का आदान-प्रदान कर सकें।
  • इसका मुख्यालय गुवाहाटी में स्थित है।


राजस्थान Switch to English

भारत-मिस्र संयुक्त विशेष बल अभ्यास साइक्लोन-III

चर्चा में क्यों ?

भारत और मिस्र के बीच संयुक्त विशेष बल अभ्यास "साइक्लोन-lll" 10 फरवरी 2025 से राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में शुरू हुआ। 

मुख्य बिंदु

  • साइक्लोन-III के बारे में:
    • यह एक वार्षिक अभ्यास है, जिसे दोनों देशों में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।
  •  इसका पिछला संस्करण जनवरी 2024 में मिस्र के अंशास में आयोजित हुआ था।
  • भारतीय टीम में 25 सैनिक होंगे, जिनका प्रतिनिधित्व दो विशेष बल बटालियनों के जवान करेंगे। वहीं, मिस्र की टीम में भी 25 सैनिक होंगे, जिनका प्रतिनिधित्व मिस्र के विशेष बल समूह और टास्क फोर्स के जवान करेंगे।

अभ्यास के उद्देश्य:

  • दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों को सुदृढ़ करना। 
  • शारीरिक फिटनेस, संयुक्त योजना और सामरिक अभ्यास पर विशेष ध्यान देना।
  • रेगिस्तान और अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्रों में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिये सामरिक अभ्यासों का पूर्वाभ्यास और सत्यापन करना। 
  • इसमें मिस्र द्वारा स्वदेशी सैन्य उपकरणों का प्रदर्शन और रक्षा विनिर्माण उद्योग का निरीक्षण भी किया गया।

मिस्र

  • मिस्र उत्तरपूर्वी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया (मध्य पूर्व) में सिनाई प्रायद्वीप में एक अंतरमहाद्वीपीय देश है।
  • काहिरा मिस्र की राजधानी है।

सीमाएँ:

  • उत्तर: भूमध्य सागर की सीमाएँ।
  • पूर्व: स्वेज की खाड़ी और लाल सागर से घिरा हुआ।
  • पश्चिम: लीबिया के साथ भूमि सीमा साझा करता है।
  • उत्तर-पूर्व: गाज़ा पट्टी (फिलिस्तीनी क्षेत्र) और इज़रायल की सीमाएँ।
  • दक्षिण: सूडान के साथ सीमा साझा करता है।

समुद्री सीमाएँ:

  • भूमध्य सागर: साइप्रस, तुर्की और ग्रीस के साथ समुद्री सीमाएँ साझा करता है।
  • लाल सागर: जॉर्डन और सऊदी अरब के साथ समुद्री सीमाएँ साझा करता है।
  • मिस्र ने 1922 में आधुनिक स्वतंत्रता प्राप्त की।
  • आधिकारिक भाषा आधुनिक मानक अरबी है।
  • आम तौर पर बोली जाने वाली बोली मिस्री अरबी (मसरी) है।
  • इस्लाम प्रमुख धर्म है, जिसमें 85-90% आबादी सुन्नी मुस्लिम है।

प्रमुख नदी:

  • नील नदी मिस्र में साल भर बहने वाली एकमात्र नदी है। लगभग 98% आबादी नील नदी घाटी में रहती है।


छत्तीसगढ़ Switch to English

डोकरा कलाकृति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारतीय प्रधानमंत्री ने फ्राँस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को संगीतकारों द्वारा जड़ी-बूटियों से सजी एक डोकरा कलाकृति उपहार में दी, जिसमें भारत की समृद्ध जनजातीय कलात्मकता को दर्शाया गया है। 

  • उन्होंने फ्राँस की प्रथम महिला को पुष्प और मोर की आकृति वाला एक अति सुंदर चाँदी का हाथ से उत्कीर्ण टेबल दर्पण भी भेंट किया।

मुख्य बिंदु 

  • डोकरा के बारे में:
    • छत्तीसगढ़ की सदियों पुरानी धातु-ढलाई शिल्प कला डोकरा में जटिल पीतल और ताँबे की मूर्तियाँ बनाने के लिये लुप्त-मोम तकनीक का उपयोग किया जाता है।
    • उपहार में दी गई इस कृति में पारंपरिक संगीतकारों को गतिशील मुद्राओं में चित्रित किया गया है, जो आदिवासी जीवन में संगीत के गहन सांस्कृतिक महत्त्व को उजागर करता है। 
    • लापीस लाजुली और मूंगा की सजावट कलाकृति के दृश्य आकर्षण को बढ़ाती है तथा भारत की समृद्ध स्वदेशी शिल्पकला को प्रदर्शित करती है।
  • सिल्वर टेबल दर्पण: 
    • चाँदी के टेबल दर्पण पर विस्तृत पुष्प और मोर की नक्काशी है, जो भारत की उत्कृष्ट धातुकला की विरासत को दर्शाती है।
    • इसका जटिल डिज़ाइन कलात्मक सुंदरता को सांस्कृतिक प्रतीकवाद के साथ जोड़ता है, जिससे यह एक बहुमूल्य स्मृतिचिह्न बन जाता है।

डोकरा

  • डोकरा प्राचीन बेल मेटल शिल्प का एक रूप है जिसका उपयोग झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना जैसे राज्यों में रहने वाले ओझा धातु कारीगरों द्वारा किया जाता है।
  • हालाँकि, इस कारीगर समुदाय की शैली और कारीगरी अलग-अलग राज्यों में भिन्न होती है।
  • ढोकरा या डोकरा को बेल मेटल शिल्प के नाम से भी जाना जाता है।
  • 'ढोकरा' नाम ढोकरा दामर जनजाति से आया है, जो पश्चिम बंगाल के पारंपरिक धातुकार हैं।
    • उनकी लुप्त मोम ढलाई की तकनीक का नाम उनकी जनजाति के नाम पर रखा गया है, इसलिये इसे ढोकरा धातु ढलाई कहा जाता है।
    • डोकरा कलाकृतियाँ पीतल से बनी हैं और यह इस मायने में अनोखी हैं कि इनके टुकड़ों में कोई जोड़ नहीं है। 
      • इस विधि में धातुकर्म कौशल को मोम तकनीक के साथ संयोजित किया जाता है, जिसमें लुप्त मोम तकनीक का उपयोग किया जाता है, जो एक अनूठी कला है, जिसमें साँचे का उपयोग केवल एक बार किया जाता है और उसे तोड़ा जाता है, जिससे यह कला विश्व में अपनी तरह की एकमात्र कला बन जाती है।
    • यह जनजाति झारखंड से उड़ीसा, छत्तीसगढ़, राजस्थान और केरल तक फैली हुई है।
  • प्रत्येक मूर्ति को बनाने में लगभग एक माह का समय लगता है।
  • मोहनजोदड़ो (हड़प्पा सभ्यता) की नर्तकी अब तक ज्ञात सबसे प्राचीन ढोकरा कलाकृतियों में से एक है।
  • डोकरा कला का उपयोग अभी भी कलाकृतियाँ, सहायक उपकरण, बर्तन और आभूषण बनाने के लिये किया जाता है।


मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने 10 से अधिक नीतियों को दी मंजूरी

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने 11 फरवरी, 2025 को भोपाल में आयोजित कैबिनेट बैठक में विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों से संबंधित 10 से अधिक नीतियों को मंजूरी दी। 

मुख्य बिंदु 

  • प्रमुख नीतियाँ: राज्य सरकार नए ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (GIS) के आयोजन से पहले प्रदेश में निवेश लाने और रोज़गार के अवसर बढ़ाने के लिये कई नीतियों को स्वीकृति दी है। 
  • कैबिनेट ने प्रदेश को विकसित एवं समृद्ध बनाने के लिये औद्योगिक संवर्धन नीति-2025 की स्वीकृति दी। इसके अंतर्गत 10 सेक्टर विशिष्ट नीतियाँ स्वीकृत की गई हैं:
    • कृषि, डेयरी और खाद्य प्रसंस्करण नीति
    • टेक्सटाइल नीति

    • परिधान, फुटवियर, खिलौने और सहायक उपकरण नीति

    • एयरोस्पेस और रक्षा उत्पादन प्रोत्साहन नीति

    • फार्मास्यूटिकल्स नीति

    • बायोटेक्नोलॉजी नीति

    • मेडिकल डिवाइस नीति

    • ईवी विनिर्माण नीति

    • नवकरणीय ऊर्जा उपकरण विनिर्माण नीति

    • हाई वेल्यू-एड विनिर्माता नीति

  • औद्योगिक संवर्धन नीति-2025 के उद्देश्य: 

    • मध्य प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना।
    •  उद्योगों के योगदान को राज्य के जीडीपी में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2.9 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2030 तक लगभग 6 लाख करोड़ रुपए करना।
    • निवेशकों को आकर्षित करने के लिये एक मजबूत औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना।
    • पर्यावरण की दृष्टि से सतत औद्योगिक विकास और संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना।
    • रोजगार-प्रधान क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अगले पांच वर्षों में 20 लाख नवीन रोज़गार के अवसर सृजित करना।
    • निवेशक सुविधा में सुधार करना और राज्य में व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाना।
  • निवेश-आधारित प्रोत्साहन:
    • 50 से 150 करोड़ रुपए तक निवेश करने वाले उद्योगों को 40% तक प्रोत्साहन मिलेगा।
    • 200 करोड़ रुपए तक के निवेश पर अतिरिक्त रियायतों के साथ 32% प्रोत्साहन मिलेगा।
  • बिजली पर छूट:
    • निवेशकों को बिजली पर विशेष छूट का लाभ मिलेगा।
  • प्रबंधन और बुनियादी ढांचे के लिये वित्तीय सहायता:
    • प्रबंधन सहायता के लिये 10 करोड़ रुपए दिए जाएंगे।
    • बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये 5 करोड़ रुपए आवंटित किए जाएंगे।


हरियाणा Switch to English

गुरुग्राम में कचरा संकट

चर्चा में क्यों?

गुरुग्राम नगर निगम द्वारा वर्ष 2024 के सर्वेक्षण में शहर में लगभग 100 अवैध डंपिंग स्थलों की पहचान की गई है, जिनमें गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड के साथ अरावली सबसे अधिक प्रभावित हैं।

  • वर्ष 2024 में अपशिष्ट संकट की घोषणा करने के बावजूद, अधिकारी 2021 से एक समर्पित अपशिष्ट संग्रह एजेंसी नियुक्त करने में विफल रहे हैं।

मुख्य बिंदु 

  • मुद्दे के बारे में:
    • लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान चर्चा के बावजूद अवैध डंपिंग का मुद्दा महत्त्वपूर्ण ध्यान आकर्षित करने में विफल रहा।
    • स्थिति बिगड़ने के कारण अब स्थानीय नेता स्पष्ट समाधान की मांग कर रहे हैं।
    • पर्यावरणविदों ने कार्रवाई की कमी की आलोचना करते हुए कहा कि गुरुग्राम एक विशाल कंक्रीट डंपयार्ड में बदल गया है।
    • अनियंत्रित मलबा डंपिंग के कारण हरित पट्टी, खाली स्थान और सड़कें अवरुद्ध हो रही हैं, जिससे गंभीर जलभराव हो रहा है।
  • अरावली पर्वत श्रेणी
    • अरावली, पृथ्वी पर सबसे पुराना वलित पर्वत है। भूवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि यह तीन अरब साल पुराना है।
    • यह गुजरात से दिल्ली (राजस्थान और हरियाणा से होकर) तक 800 किमी. से अधिक तक फैला हुआ है।
    • अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू पर स्थित गुरु शिखर है।
  • जलवायु पर प्रभाव:
    • अरावली पर्वतमाला का उत्तर-पश्चिम भारत और उससे आगे की जलवायु पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
    • मानसून के दौरान, पर्वत शृंखला मानसून के बादलों को धीरे-धीरे पूर्व की ओर शिमला और नैनीताल की ओर ले जाती है, जिससे उप-हिमालयी नदियों तथा उत्तर भारतीय मैदानों को पोषण मिलता है।
    • सर्दियों के महीनों के दौरान, यह सिंधु और गंगा की उपजाऊ जलोढ़ नदी घाटियों को मध्य एशिया से आने वाली कठोर ठंडी पश्चिमी हवाओं से बचाता है।


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