अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-फ्राँस रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगाँठ
- 19 Jul 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:राफेल जेट, P75 कार्यक्रम, पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, सुपरकंप्यूटिंग, ब्लू इकॉनमी, अभ्यास शक्ति, अभ्यास वरुण, अभ्यास गरुड़, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, पेरिस समझौता मेन्स के लिये:भारत और फ्राँस के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र |
चर्चा में क्यों ?
बैस्टिल डे परेड समारोह में भारतीय प्रधानमंत्री ने फ्राँसीसी राष्ट्रपति के साथ विशिष्ट अतिथि के तौर पर हिस्सा लिया, इस परेड में भारत की तीनों सेवाओं के मार्चिंग दल ने भाग लिया। भारतीय वायु सेना के राफेल जेट भी फ्लाईपास्ट का हिस्सा बने।
- इस अवसर पर फ्राँस और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगाँठ: भारत-फ्राँस संबंधों की शताब्दी की ओर शीर्षक वाला संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया जो वर्ष 2047 तक द्विपक्षीय संबंधों के लिये मार्ग प्रशस्त करता है।
- इस संबंध में तीन स्तंभों पर रोडमैप बनाया गया है: सुरक्षा और संप्रभुता के लिये साझेदारी, ग्रह के लिये साझेदारी और लोगों के लिये साझेदारी।
यात्रा की प्रमुख झलकियाँ:
- स्तंभ 1: सुरक्षा और संप्रभुता के लिये साझेदारी:
- रक्षा: भारतीय वायुसेना के लिये 36 राफेल जेट की समय पर डिलीवरी और P75 कार्यक्रम (छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों) की सफलता के बाद लड़ाकू जेट और पनडुब्बियों के संबंध में सहयोग जारी रखना।
- अंतरिक्ष: फ्राँस के CNES और भारत के इसरो के बीच समझौतों के माध्यम से वैज्ञानिक और वाणिज्यिक साझेदारी को बढ़ाना।
- इसमें संयुक्त पृथ्वी अवलोकन उपग्रह तृष्णा, हिंद महासागर में समुद्री निगरानी उपग्रह और कक्षा में भारत-फ्राँसीसी उपग्रहों की सुरक्षा शामिल है।
- परमाणु ऊर्जा: जैतापुर, महाराष्ट्र में 6-यूरोपीय दबावयुक्त रिएक्टर विद्युत संयंत्र परियोजना पर प्रगति के साथ छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों और उन्नत मॉड्यूलर रिएक्टरों पर एक सहयोग कार्यक्रम का शुभारंभ।
- हिंद-प्रशांत: हिंद-प्रशांत में संयुक्त कार्रवाई के लिये एक रोडमैप को अपनाना, जिसमें इस क्षेत्र के लिये व्यापक रणनीति के सभी पहलुओं को शामिल किया गया हो।
- तीसरी दुनिया के देशों के लिये भारत-फ्राँस विकास निधि को अंतिम रूप देने पर चर्चा, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सतत् विकास परियोजनाओं के संयुक्त वित्तपोषण को सक्षम किया जा सके।
- आतंकवाद-निरोध: फ्राँस के GIGN और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के बीच सहयोग को मज़बूत करना।
- महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी: सुपरकंप्यूटिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्वांटम कंप्यूटिंग सहित अत्याधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी पर सहयोग को मज़बूत करना।
- सुपरकंप्यूटर की आपूर्ति के लिये Atos और भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बीच एक समझौते की घोषणा।
- नागरिक उड्डयन: फ्राँस और भारत के बीच मार्गों और भारतीय नागरिक उड्डयन बाज़ार के विस्तार का समर्थन करने के लिये नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में तकनीकी और सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर करना।
- स्तंभ 2: ग्रह और वैश्विक मुद्दों के लिये भागीदारी:
- प्लास्टिक प्रदूषण: प्लास्टिक उत्पादों के पूरे जीवन चक्र के दौरान प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संधि को अपनाने हेतु फ्राँस और भारत की प्रतिबद्धता।
- स्वास्थ्य: अस्पतालों, चिकित्सा अनुसंधान, डिजिटल प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सूक्ष्म जीवाणु प्रतिरोध से निपटने में सहयोग के लिये स्वास्थ्य और चिकित्सा को लेकर एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर।
- ब्लू इकॉनमी: ब्लू इकॉनमी और महासागर गवर्नेंस रोडमैप के अंर्तगत समुद्री अनुसंधान पर फ्राँस के IFREMER और भारत के राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) के बीच साझेदारी का शुभारंभ।
- ऊर्जा संक्रमण के लिये वित्तपोषण: भारत के सतत् शहरों के कार्यक्रम "CITIIS 2.0" के लिये फ्राँसीसी विकास एजेंसी से वित्तपोषण तथा दक्षिण एशिया ग्रोथ फंड (SAGF III) के लिये प्रोपार्को से वित्तपोषण की घोषणा की गई है।
- डीकार्बोनाइज़्ड हाइड्रोजन: डीकार्बोनाइज़्ड हाइड्रोजन के लिये इंडो-फ्रेंच रोडमैप के अनुरूप भारत में इलेक्ट्रोलाइज़र का निर्माण किया जाएगा।
- स्तंभ 3: लोगों की साझेदारी:
- छात्र गतिशीलता: वर्ष 2030 तक फ्राँस में 30,000 भारतीय छात्रों का स्वागत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- फ्राँसीसी विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री वाले भारतीय छात्रों के लिये 5 वर्ष का अल्पकालिक शेंगेन वीज़ा जारी किया जाएगा।
- राजनयिक और दूतावास संबंध: मार्सिले, फ्राँस में भारत का एक महावाणिज्य दूतावास और हैदराबाद, भारत में एक ब्यूरो डी फ्राँस का उद्घाटन किया गया।
- संस्कृति: नई दिल्ली में नए राष्ट्रीय संग्रहालय की स्थापना के लिये भारत के भागीदार के रूप में फ्राँस का चयन किया गया है।
- ऑडियो-विज़ुअल सामग्री के आदान-प्रदान और कार्यक्रमों के सह-उत्पादन के लिये फ्राँस मेडियास मोंडे और प्रसार भारती के बीच समझौता हुआ है।
- अनुसंधान: नई परियोजनाओं का समर्थन करने के लिये उन्नत अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु इंडो-फ्रेंच सेंटर के लिये वित्तपोषण में वृद्धि की गई है।
- छात्र गतिशीलता: वर्ष 2030 तक फ्राँस में 30,000 भारतीय छात्रों का स्वागत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- अन्य मुख्य बिंदु:
- फ्राँस ने भारत को वर्ष 1916 की तस्वीर की एक फ्रेमयुक्त प्रतिकृति उपहार में दी है जिसमें पेरिसवासी एक सिख अधिकारी को फूल भेंट करते हुए दिखाया गया है।
- फ्राँस ने शारलेमेन शतरंज खिलाड़ियों की प्रतिकृति और मार्सेल प्राउस्ट के उपन्यासों की एक शृंखला भी प्रस्तुत की है।
- भारतीय प्रधानमंत्री को उनकी यात्रा के दौरान फ्राँस के सर्वोच्च नागरिक और सैन्य सम्मान ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया है।
- इसके अतिरिक्त अंतिम संयुक्त बयान में तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद और लड़ाकू विमान इंजन के संयुक्त विकास पर समझौते का कोई संदर्भ नहीं लिया गया।
भारत और फ्राँस के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:
- पृष्ठभूमि:
- जनवरी 1998 में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद फ्राँस उन पहले देशों में से एक था जिसके साथ भारत ने "रणनीतिक साझेदारी" पर हस्ताक्षर किये।
- फ्राँस वर्ष 1998 में भारत द्वारा परमाणु हथियारों के परीक्षण के फैसले का समर्थन करने वाले गिने चुने देशों में से एक था।
- रक्षा सहयोग: वर्ष 2017-2021 में दूसरे सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्त्ता बनने के साथ फ्राँस भारत के लिये एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में उभरा है।
- संयुक्त अभ्यास: अभ्यास शक्ति (सेना), अभ्यास वरुण (नौसेना), अभ्यास गरुड़ (वायु सेना)
- आर्थिक सहयोग: वर्ष 2022-23 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 13.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के नए प्रतिमान पर पहुँच गया, भारत द्वारा किया जाने वाला निर्यात 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक रहा।
- अप्रैल 2000 से दिसंबर 2022 तक 10.49 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संचयी निवेश के साथ फ्राँस भारत में 11वाँ सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है।
- अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सहयोग: फ्राँस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के साथ-साथ परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह में प्रवेश के लिये भारत का समर्थन करता है।
- जलवायु सहयोग: जलवायु परिवर्तन दोनों देशों के लिये चिंता का विषय है, भारत ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिये अपनी ठोस प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए पेरिस समझौते में फ्राँस का समर्थन किया है।
- दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन पर अपने संयुक्त प्रयासों के तहत वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत की।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |