उत्तराखंड Switch to English
कुंभ शिखर कुंभ शिखर सम्मेलन 2024 सम्मेलन 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ 2025 की तैयारी के लिये राज्य के विभिन्न स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक शृंखला आरंभ की है।
मुख्य बिंदु
- कुंभ शिखर सम्मेलन कार्यक्रम:
- महाकुंभ 2025 की प्रस्तावना के रूप में उत्तर प्रदेश की 18 तहसीलों में इसका शुभारंभ किया जाएगा।
- आयोजनों में "कुंभ अभिनंदन" रोड शो, बाल-युवा कुंभ, कला-संस्कृति कुंभ, कवि कुंभ और भक्ति कुंभ शामिल हैं।
- इन सांस्कृतिक आयोजनों में विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थान शामिल होंगे।
- सांस्कृतिक अकादमियाँ, जैसे कि ललित कला अकादमी और संगीत नाटक अकादमी, प्रतियोगिताओं के आयोजन का कार्य संभालती हैं।
- 'शून्य प्लास्टिक उपयोग' जैसी पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं और सुरक्षा के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उपकरणों पर ध्यान केंद्रित करना।
- 700 इलेक्ट्रिक बसों के माध्यम से परिवहन सुनिश्चित करना तथा त्योहार के चरम दिनों के दौरान श्रद्धालुओं के लिये सुगम्यता बढ़ाना।
- महाकुंभ के आयोजन के लिये सभी आवश्यक सुविधाओं को तैयार करने की अंतिम तिथि 15 दिसंबर, 2024 निर्धारित की गई है।
महाकुंभ
- कुंभ मेला संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची के अंतर्गत आता है।
- यह पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान या डुबकी लगाते हैं।
- यह नासिक में गोदावरी नदी, उज्जैन में शिप्रा/ क्षिप्रा नदी, हरिद्वार में गंगा और प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी के संगम पर होता है। इस मेल को 'संगम' कहा जाता है।
- चूँकि यह भारत के चार अलग-अलग शहरों में आयोजित किया जाता है, इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल होती हैं, जिससे यह सांस्कृतिक रूप से विविधतापूर्ण त्योहार बन जाता है।
- एक महीने से अधिक समय तक चलने वाले इस मेले में एक विशाल तंबूनुमा बस्ती का निर्माण किया जाता है, जिसमें झोपड़ियाँ, मंच, नागरिक सुविधाएँ, प्रशासनिक और सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं।
- इसका आयोजन सरकार, स्थानीय प्राधिकारियों और पुलिस द्वारा अत्यंत कुशलतापूर्वक किया जाता है।
- यह मेला विशेष रूप से जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं के सुदूर स्थानों से आए धार्मिक तपस्वियों की असाधारण उपस्थिति के लिये प्रसिद्ध है।
हरियाणा Switch to English
चुनाव में ज़मानत राशि गँवाना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा में काफी प्रयास के बावजूद, एक राजनीतिक दल स्थानीय चुनावों में कोई भी सीट जीतने में असफल रहा, जिसके परिणामस्वरूप आवश्यक वोट प्रतिशत हासिल न कर पाने के कारण उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हो गई।
मुख्य बिंदु
- ज़मानत राशि अधिदेश :
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, चुनाव लड़ते समय उम्मीदवारों को ज़मानत राशि जमा करनी होती है।
- संसदीय चुनाव के लिये: 25,000 रुपए; विधानसभा चुनाव के लिये: 10,000 रुपए।
- इससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल वास्तविक रूप से प्रतिबद्ध उम्मीदवार ही नामांकन प्रस्तुत किया जाए।
- ज़मानत राशि की ज़ब्ती :
- किसी उम्मीदवार को ज़मानत बचाने के लिये डाले गए कुल वैध मतों का कम से कम छठा हिस्सा (16.67%) प्राप्त करना आवश्यक है, अन्यथा ज़मानत राशि निर्वाचन आयोग द्वारा ज़ब्त कर ली जाती है।
- उदाहरण गणना:
- 200,000 वोटों वाली एक विधानसभा सीट पर, उम्मीदवारों को अपनी ज़मानत ज़ब्त होने से बचने के लिये 33,332 से अधिक वोट प्राप्त करने होंगे।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA),1951
- यह चुनावों और उप-चुनावों के वास्तविक संचालन को नियंत्रित करता है।
- जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 चुनाव संचालन के लिये प्रशासनिक तंत्र प्रदान करता है।
- यह राजनीतिक दलों के पंजीकरण से संबंधित है।
- इसमें सदनों की सदस्यता के लिये योग्यताएं और अयोग्यताएँ निर्दिष्ट की गई हैं।
- इसमें भ्रष्ट आचरण और अन्य अपराधों पर अंकुश लगाने के प्रावधान हैं।
- यह चुनावों से उत्पन्न होने वाले संदेहों और विवादों को निपटाने की प्रक्रिया निर्धारित करता है।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में UCC का क्रियान्वयन
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड सरकार डिजिटल सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code- UCC) को लागू करने के लिये अपने नियमों को अंतिम रूप दे रही है।
प्रमुख बिंदु
- समिति और रिपोर्ट:
- समान नागरिक संहिता (UCC) विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और लिव-इन संबंधों से संबंधित है।
- फरवरी में गठित एक समिति द्वारा 500 पृष्ठों की रिपोर्ट तैयार की गई।
- विधिक विशेषज्ञों और विधि प्रशिक्षुओं की 130 से अधिक बैठकें आयोजित की गईं।
- विवाह और लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण वेबसाइट और मोबाइल ऐप के माध्यम से डिजिटल रूप से किया जा सकता है।
- वसीयत (विधिक दस्तावेज़) का दस्तावेज़ीकरण और संशोधन भी डिजिटल रूप से किया जाएगा।
- कॉमन सर्विस सेंटर (Common Service Centres- CSC) सीमित डिजिटल कौशल वाले लोगों की सहायता करेंगे।
- कार्यान्वयन समयसीमा:
- उत्तराखंड के स्थापना दिवस 9 नवंबर 2024 से पहले UCC का क्रियान्वयन अपेक्षित है।
समान नागरिक संहिता
- समान नागरिक संहिता भारत के सभी नागरिकों के लिये विवाह, तलाक, गोद लेने, विरासत और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाली विधि के एक समूह को संदर्भित करती है।
- समान नागरिक संहिता की अवधारणा का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत के रूप में किया गया है, जिसमें कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिये एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।
- हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि यह विधिक रूप से लागू करने योग्य अधिकार नहीं है, बल्कि राज्य के लिये एक मार्गदर्शक सिद्धांत है।
मध्य प्रदेश Switch to English
पन्ना के खनन समुदाय में सिलिकोसिस त्रासदी
चर्चा में क्यों?
खनन के विनाशकारी प्रभाव से पन्ना में लोगों की जान जा रही है, यहाँ के परिवार सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ित हैं, जिसे गलत तरीके से क्षय रोग के रूप में पहचाना जाता है।
प्रमुख बिंदु
- सिलिकोसिस:
- यह एक घातक फेफड़ों की बीमारी है जो महीन सिलिका धूल को साँस के माध्यम से अंदर लेने से होती है, जो कि खनन उद्योगों में आम है।
- इसके लक्षणों में पुरानी खाँसी, साँस लेने में तकलीफ और थकान शामिल है, जिसे प्रायः क्षय रोग समझ लिया जाता है।
- 2014 से, सिलिकोसिस से संदिग्ध रूप से परिवार के पाँच सदस्यों की मृत्यु हो चुकी है।
- क्षय रोग (Tuberculosis- TB):
- TB रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है, जो माइकोबैक्टीरियासी परिवार से संबंधित है, जिसमें लगभग 200 सदस्य हैं।
- कुछ सूक्ष्म जीवाणु मनुष्यों में TB और कुष्ठ रोग जैसी बीमारियाँ उत्पन्न करते हैं, तथा अन्य कई प्रकार के पशुओं को संक्रमित करते हैं।
- मनुष्यों में, TB सबसे अधिक फेफड़ों (फुफ्फुसीय TB) को प्रभावित करता है, लेकिन यह अन्य अंगों (इतर-फुफ्फुसीय TB) को भी प्रभावित कर सकता है।
- क्षय रोग (TB) एक बहुत ही प्राचीन बीमारी है और मिस्र में 3000 ईसा पूर्व से ही इसका अस्तित्व होने के प्रमाण मौजूद हैं। यह एक उपचार योग्य और इलाज योग्य बीमारी है।
मध्य प्रदेश Switch to English
सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव पुरस्कार
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन दिवस (27 सितंबर) पर मध्य प्रदेश के तीन गाँवों को उनके सतत् पर्यटन प्रयासों के लिये मान्यता दी गई।
प्रमुख बिंदु
- पुरस्कृत गाँव:
- प्राणपुर:
- श्रेणी: शिल्प
- यह अपनी बुनाई परंपरा के लिये उल्लेखनीय है, जहाँ 243 परिवार हथकरघा उत्पादन में लगे हुए हैं।
- कारीगर बाँस, लकड़ी, पत्थर, आभूषण और मिट्टी से वस्तुएँ बनाते हैं।
- बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिये आगंतुकों के उपयोग हेतु स्थानीय स्तर पर पत्थर शामिल किये गए हैं।
- इसमें एक "हैंडलूम कैफे" और सांस्कृतिक प्रदर्शन के लिये एक रंगभूमि (Amphitheatre) भी है।
- साबरवानी:
- श्रेणी: रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म
- 2019 से यह एक पर्यटन केंद्र में तब्दील हो चुका है, जहाँ 300 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आते हैं।
- पारंपरिक व्यंजन और स्थानीय कृषि पद्धतियों में भागीदारी जैसे सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है।
- आकर्षणों में अनहोनी गर्म पानी का झरना, घोघरा झरना और सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान की निकटता शामिल हैं।
- पर्यटकों के लिये गतिविधियों में बैलगाड़ी की सवारी, गाय का दूध निकालना और मोनाखेड़ी पहाड़ी पर ट्रैकिंग शामिल हैं।
- लाडपुरा खास:
- श्रेणी: रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म
- यह समुदाय के साथ जुड़ाव और स्थानीय परंपराओं को बढ़ावा देने के लिये जाना जाता है।
- प्राणपुर:
- सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव प्रतियोगिता 2024:
- इसे सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिये पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लॉन्च किया गया था।
- इसका उद्देश्य सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को संरक्षित रखने वाले गाँवों की पहचान करना था।
- आठ श्रेणियों में कुल 36 गाँवों को मान्यता दी गई।
अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन दिवस
- इतिहास: अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन दिवस पहली बार वर्ष 1980 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (United Nations World Tourism Organization- UNWTO) द्वारा मनाया गया था, और इसका उद्देश्य पर्यटन के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना था।
- यह दिन वर्ष 1975 में UNWTO की विधियों को अपनाने का प्रतीक है, जो पाँच वर्ष बाद इसकी आधिकारिक स्थापना का प्रतीक है।
- UNWTO आर्थिक वृद्धि, समावेशी विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के चालक के रूप में पर्यटन की वकालत करता है, साथ ही विश्व भर में ज्ञान एवं नीतियों को आगे बढ़ाने में इस क्षेत्र का समर्थन करता है।
- UNWTO में 160 सदस्य देश (भारत सहित), 6 सहयोगी सदस्य, 2 पर्यवेक्षक और 500 से अधिक संबद्ध सदस्य शामिल हैं।
- इसका मुख्यालय मैड्रिड, स्पेन में है।
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