छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में समाधि स्मृति महोत्सव
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव में श्री विद्यासागर जी महाराज के पहले समाधि स्मृति महोत्सव को संबोधित किया।
मुख्य बिंदु
- महोत्सव को संबोधित करते हुए:
- उन्होंने श्री 1008 सिद्धचक्र विधान विश्व शांति महायज्ञ में भी भाग लिया।
- कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने जारी किया:
- 100 रुपए का स्मारक सिक्का
- 5 रुपए का विशेष डाक लिफाफा
- आचार्य श्री विद्यासागर जी के 108 चरण चिह्न एवं चित्र
- प्रस्तावित समाधि स्मारक 'विद्यायतन' की आधारशिला रखी
- शिक्षा और सामाजिक विकास पहल:
- मंत्री ने मध्य प्रदेश के डिंडोरी ज़िले में एक बालिका विद्यालय की आधारशिला रखने की घोषणा की, जिसमें निःशुल्क शिक्षा, कौशल विकास और रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराये जायेंगे।
- राष्ट्रीय एकता में जैन संतों की भूमिका:
- मंत्री ने जैन संतों के योगदान की सराहना की, जिन्होंने उत्तर प्रदेश से कर्नाटक, बिहार से गुजरात तक आध्यात्मिक का प्रसार किया।
- उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आचार्य जी ने हमें सिखाया कि भारत की पहचान उसकी संस्कृति में गहराई से निहित है।
- आचार्य जी ने हिंदी महाकाव्य 'मूक माटी' की रचना की, जिसका अनुवाद अनेक भाषाओं में किया जा चुका है। यह कृति दर्शन, नैतिकता, अध्यात्म और राष्ट्र के संदर्भ में अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है।
- मंत्री ने जैन संतों के योगदान की सराहना की, जिन्होंने उत्तर प्रदेश से कर्नाटक, बिहार से गुजरात तक आध्यात्मिक का प्रसार किया।
आचार्य विद्यासागर महाराज
- आचार्य विद्यासागर महाराज जैन समुदाय में एक अत्यंत सम्मानित साधु थे, जो अपनी बुद्धिमत्ता और आध्यात्मिक नेतृत्व के लिये जाने जाते थे।
- उन्होंने युवावस्था में ही संन्यास ग्रहण कर लिया और आचार्य की प्रतिष्ठित उपाधि प्राप्त की, जो उनके गहन ज्ञान और आध्यात्मिक उपलब्धियों का प्रतीक है।
- उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यावरण संरक्षण और सतत् कृषि के क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम किया।
- उन्होंने सामाजिक प्रगति को प्रोत्साहित किया और लोगों से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेने का आग्रह किया।
- उन्होंने अपने अंतिम क्षणों में सल्लेखना (मृत्यु तक उपवास रखने की एक स्वैच्छिक जैन प्रथा) का अनुसरण किया और जीवन के अंतिम तीन दिनों तक भोजन और जल का परित्याग किया।
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मध्य प्रदेश Switch to English
वैश्विक यूनाइटेड कॉन्शियसनेस कॉन्क्लेव
चर्चा में क्यों?
पवित्र नगरी उज्जैन में 14 से 16 फरवरी 2025 तक तीन दिवसीय वैश्विक यूनाइटेड कॉन्शियसनेस कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे 20 से अधिक देशों के विचारक, विद्वान, आध्यात्मिक नेता और योगाचार्य शामिल होंगे।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: इस कॉन्क्लेव का उद्देश्य देश और दुनिया में शांति की संस्कृति स्थापित करना है। इसमें एकता की भावना, कल्याण, सेवा, आध्यात्मिकता और योग, पारिस्थिति, शिक्षा और लोकतंत्र, समावेश और भागीदारी तथा स्थायी अर्थव्यवस्था जैसे विषय शामिल हैं।
- आयोजन: यह आयोजन कालिदास अकादमी में यूनाइटेड कॉन्शियसनेस, योगा विद्या-जर्मनी, यूरोपियन योगा फेडरेशन एवं अक्षरा किड्स अकादमी-उज्जैन द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
- इसमें सहयोगी संस्थाओं में महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन, कालीदास संस्कृत अकादमी एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन शामिल है।
- यह कार्यक्रम G20 के "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" मिशन के अनुरूप है और इसका उद्देश्य शांति, तनाव मुक्ति और रिश्तों को बेहतर बनाना है।
- प्रमुख विषय: इस कॉन्क्लेव के प्रमुख विषय है:
- एकता की भावना के माध्यम से शांति की संस्कृति
- कल्याण के माध्यम से शांति की संस्कृति
- सेवा की भावना के माध्यम से शांति की संस्कृति
- आध्यात्मिकता और योग के माध्यम से शांति की संस्कृति
- पारिस्थिति की के माध्यम से शांति की संस्कृति
- शिक्षा और लोकतंत्र के माध्यम से शांति की संस्कृति
- समावेश और भागीदारी के माध्यम से शांति की संस्कृति
- स्थायी अर्थव्यवस्था के माध्यम से शांति की संस्कृति
यूनाइटेड कॉन्शियसनेस
- यूनाइटेड कॉन्शियसनेस, प्रोजेक्ट सेल्फ इंक. की एक वैश्विक पहल है, जो अमेरिका और भारत में पंजीकृत एक गैर-लाभकारी संगठन है।
- इसका उद्देश्य पूरे विश्व में सार्वभौमिक शांति, आध्यात्मिक ज्ञान, एकता की भावना और खुशी को बढ़ावा देना है।
- यह एक चेतना, एक अस्तित्व की शक्ति में विश्वास करता है।
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उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में जल परिवहन एवं जल पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु 'उत्तर प्रदेश अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण' के गठन को मंजूरी दी।
मुख्य बिंदु
- जलमार्ग प्राधिकरण के बारे में:
- जल परिवहन का विकास: इसका उद्देश्य जलमार्गों का विकास कर जल परिवहन को बढ़ावा देना है, जिससे सड़क और रेल नेटवर्क पर दबाव कम होगा।
- जल पर्यटन का विकास: साथ ही इसके गठन से जल पर्यटन के क्षेत्र में प्रगति हो सकती है। गंगा नदी और अन्य जलमार्गों के किनारे महत्त्वपूर्ण शहर स्थित हैं, जिन्हें पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किया जा सकता है।
- संरचना: प्राधिकरण का अध्यक्ष परिवहन मंत्री या मुख्यमंत्री द्वारा नामित जलमार्ग, जहाजरानी, नौवहन, बंदरगाह और समुद्री मामलों का विशेषज्ञ होगा।
- उपाध्यक्ष की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी।
- भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के अध्यक्ष द्वारा नामित एक प्रतिनिधि भी इसका सदस्य होगा।
- उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त इस प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे।
- उल्लेखनीय है कि देश में 111 राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किये गए हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना सहित कुल 11 राष्ट्रीय जलमार्ग हैं।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI):
- IWAI, जहाज़रानी मंत्रालय (Ministry of Shipping) के अधीन एक सांविधिक निकाय है।
- इसका गठन भारतीय संसद द्वारा आईडब्ल्यूएआई अधिनियम, 1985 के तहत किया गया था।
- इसका मुख्यालय नोएडा , उत्तर प्रदेश में स्थित है। जबकि क्षेत्रीय कार्यालय पटना, कोलकाता, गुवाहाटी और कोची में तथा उप-कार्यालय प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद), वाराणसी, भागलपुर, रक्का और कोल्लम में हैं।
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उत्तर प्रदेश Switch to English
लखीसराय संग्रहालय
चर्चा में क्यों?
6 फरवरी 2025 को बिहार के मुख्यमंत्री ने 35.8 करोड़ की लागत से बने लखीसराय संग्रहालय का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- लखीसराय संग्रहालय के बारे में:
- यह बिहार का दूसरा सबसे बड़ा विश्वस्तरीय संग्रहालय है। संग्रहालय का भवन काफी सुसज्जित तरीके से बनाया गया है, जिसमें इंडोर थियेटर व आउटडोर थियेटर का भी निर्माण किया गया है।
- लखीसराय जिले के विभिन्न क्षेत्रों में खुदाई से प्राप्त पौराणिक मूर्तियाँ, शिलालेख, मृदभांड, बौद्ध स्तूप और कीमती पत्थर जिन्हें अशोकधाम मंदिर समेत अन्य स्थानों पर रखा गया था, अब इस संग्रहालय में संरक्षित किया जाएगा।
- महत्त्व:
- ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण: संग्रहालय जिले के प्राचीन इतिहास और संस्कृति का संरक्षण करेगा, जहाँ पुरातात्विक अवशेषों और मूर्तियों का अध्ययन और संरक्षण किया जाएगा।
- पर्यटन को बढ़ावा: संग्रहालय से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे लोग यहाँ के इतिहास और संस्कृति को जानंगे और स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
- स्थानीय संस्कृति का प्रचार: संग्रहालय लखीसराय से सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्त्व को प्रस्तुत करने सहायता मिल सकती है।
- घोषणा: ज्ञातव्य है की लखीसराय के आसपास के क्षेत्र में पुरातत्विक अवशेषों के संरक्षण की आवश्यकता को देखते हुए लखीसराय में संग्रहालय बनाए जाने की घोषणा वर्ष 2018 में की गई थी।
लखीसराय जिला
- यह जिला 3 जुलाई 1994 को स्थापित किया गया था। पहले लखीसराय मुंगेर जिले में एक अनुमंडल था।
- जिले के भीतर कुछ महत्वपूर्ण मंदिरों और धार्मिक स्थलों में अशोकधाम, बरहिया के भगवती मंदिर, श्रृंगी ऋषि, जलप्पा स्थान, अभयनाथ स्थान, अभिपुर पर्वत, अभिपुर के महारानी स्थान, गोविंद बाबा स्थान (मंडप) रामपुर और दुर्गा स्थान लखिसराई आदि हैं।
- लखीसराय क्रमशः पूर्व, दक्षिण, पश्चिम और उत्तर में मुंगेर, शेखपुरा, बेगुसराय और पटना से घिरा है।
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