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बिहार

लखीसराय में नदी से मिली दो हज़ार वर्ष पुरानी कुषाणकालीन मूर्ति

  • 13 Jun 2023
  • 3 min read

चर्चा में क्यों

12 जून, 2023 को बिहार के लखीसराय ज़िले के डीएम अमरेंद्र कुमार ने बताया कि ज़िले के चानन प्रखंड के किऊल नदी पर स्थित रामपुर बालू घाट पर खुदाई के दौरान अष्टधातु की कुषाणकालीन पुरातात्त्विक महत्त्व की बेशकीमती मूर्ति मिली है। 

प्रमुख बिंदु 

  • रामपुर बालू घाट से मूर्ति मिलने की सूचना विश्वभारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार के द्वारा दी गई। पुरातत्त्वविदों के मुताबिक यह प्रतिमा दो हजार वर्ष पुरानी कुषाणकालीन है। 
  • ज़िलाधिकारी ने बताया कि ज़िले के अशोक धाम मोड़ पर उद्घाटित संग्रहालय अभी मूर्तियों के रखरखाव के लिये पूर्ण रूप से तैयार नहीं है, जिस वजह से मूर्ति को ज़िला मुख्यालय स्थित अस्थायी संग्रहालय में रखा गया है।
  • पटना के क्यूरेटर से मिली जानकारी के अनुसार चानन के रामपुर में मिली मूर्ति कुषाण काल शाल भंजिका मोक्ष देवी की है तथा दो हजार वर्ष पुरानी है। इस मूर्ति को बौद्धों से संबंधित लोक देवी कहा जा रहा है।
  • क्यूरेटर के अनुसार पहली शताब्दी में महाराष्ट्र में इस तरह की लाल बलुआही पत्थरों से प्रतिमाएँ बनायी जाती थी, जिसे बौद्ध धर्म के अनुयायियों के द्वारा लाई गई होगी। यह लाल पत्थर की मथुरा आर्ट का नमूना है। 
  • संग्रहालयाध्यक्ष ने बताया कि बुद्ध जन्म दृश्य से संबंधित मूर्ति में भी माया देवी को शाल वृक्ष को पकड़ते हुए दिखाया गया  है, लेकिन उसमें बुद्ध की छोटी मूर्ति भी बनी रहती है। इसमें वैसी कोई मूर्ति नहीं है, इसलिये इस मूर्ति को लोकदेवी ही मानना उचित होगा।
  • डीएम ने बताया कि इसके अलावा रामपुर बालू घाट के पास ही नोनगढ़ गाँव में कुषाण काल की कई मूर्तियाँ ग्रामीणों के द्वारा रखी गई है, जिसकी जाँच भी कराई जाएगी।

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