हरियाणा-पंजाब कृषि विचलन | हरियाणा | 06 Sep 2024
चर्चा में क्यों?
हरियाणा की कृषि अपनी फसल विविधीकरण के कारण पंजाब से अलग है, जबकि पंजाब में चावल-गेहूँ की एकल कृषि पर्यावरणीय और वित्तीय दृष्टि से सतत् नहीं है।
प्रमुख बिंदु:
- पंजाब:
- एकल कृषि फसल: पंजाब की कृषि की विशेषता चावल-गेहूँ की एकरूपता है, जहाँ किसान क्रमशः खरीफ (मानसून) तथा रबी (सर्दी-वसंत) मौसम के दौरान केवल इन दो फसलों को उगाते हैं।
- चावल की कृषि का क्षेत्रफल 2014-15 में 28.9 लाख हेक्टेयर (एलएच) से बढ़कर 2023-24 में 31.9 लाख हेक्टेयर हो गया।
- उत्पादन रैंकिंग: पंजाब भारत में गेहूँ और चावल दोनों के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है।
- भारत में गेहूँ उत्पादन में आठ प्रमुख राज्य शामिल हैं, जबकि चावल उत्पादन में 16 राज्य शामिल हैं।
- जल एवं पर्यावरण संबंधी मुद्दे: चावल एक जल-गहन फसल है और इसे लगभग 25 बार सिंचाईयों की आवश्यकता होती है, जबकि गेहूँ को केवल 4-5 बार की सिंचाईयों की आवश्यकता होती है।
- हरियाणा:
- न्यूनतम एकल कृषि: हरियाणा में पंजाब की तुलना में अधिक विविध फसल पद्धति है, जिसमें चावल-गेहूँ की एकल कृषि से परहेज़ किया जाता है।
- खरीफ मौसम: इसमें चावल, कपास, बाजरा और ग्वार शामिल हैं।
- रबी मौसम: इसमें गेहूँ, सरसों, चना और सूरजमुखी शामिल हैं।
- चावल की किस्में: हरियाणा में बासमती चावल क्षेत्र का 56.2% हिस्सा है (2019-20 से 2023-24)।
- बासमती चावल गैर-बासमती किस्मों की तुलना में कम जल की खपत करता है।
- बासमती की कृषि जुलाई में की जाती है, जिससे मानसून और ठंडे तापमान का लाभ मिलता है तथा इसकी खुशबू बढ़ जाती है।
- नहर नेटवर्क: 1,594 चैनलों का विस्तृत नहर नेटवर्क, 14,814 किमी. लंबा है।
- यह हरियाणा के पूर्वोत्तर, मध्य और उत्तर-पश्चिमी ज़िलों को सिंचित करता है।
- दक्षिणी ज़िलों (चरखी दादरी, झज्जर आदि) में सिंचाई की सुविधा सीमित है।
- फसल वितरण:
- दक्षिणी हरियाणा: किसान आमतौर पर खरीफ में बाजरा, ग्वार और ज्वार तथा रबी में गेहूँ, सरसों, चना एवं जौ उगाते हैं।
- चुनौतियाँ:
- चावल का क्षेत्रफल बढ़ा: वर्ष 2024 में चावल की कृषि का रिकॉर्ड स्तर, 16.4 लाख हेक्टेयर में रोपण।
- इस वृद्धि के कारण कपास की कृषि के क्षेत्रफल में कमी आई है (4.8 लाख हेक्टेयर)।
- विविधीकरण प्रयास: फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिये भावांतर भरपाई योजना (BBY) के तहत प्रयास।
- बाजरा, सरसों, सूरजमुखी और अन्य फसलों के लिये MSP खरीद एवं मूल्य कमी भुगतान।