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स्टेट पी.सी.एस.

  • 06 Aug 2024
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हरियाणा Switch to English

हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 में संशोधन

चर्चा में क्यों?

हरियाणा मंत्रिपरिषद हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 में संशोधन के लिये अध्यादेश को मंज़ूरी देने वाली है।

मुख्य बिंदु

  • हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 का उद्देश्य एक कानूनी प्रक्रिया प्रदान करना था जिसके द्वारा गुरुद्वारों को उनके उचित उपयोग, प्रशासन, नियंत्रण और वित्तीय प्रबंधन सुधारों के लिये हरियाणा के सिखों के विशेष नियंत्रण में लाया जा सके।
    • इस अधिनियम ने हरियाणा के ऐतिहासिक गुरुद्वारों, 20 लाख रुपए से अधिक या उससे कम आय वाले गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिये एक अलग न्यायिक इकाई बनाई।
  • प्रस्तावित संशोधन:
    • न्यायिक नियुक्तियाँ: प्रस्तावित संशोधन में हरियाणा सिख गुरुद्वारा न्यायिक आयोग के अध्यक्ष के रूप में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रावधान शामिल है।
      • यदि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति नहीं होती है तो ज़िला न्यायाधीश या आयोग के वरिष्ठ सदस्य की नियुक्ति पर विचार किया जाएगा।
    • पेंशन/पारिवारिक पेंशन में संशोधन: हरियाणा सरकार से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वह द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (SNJPC) के अनुसार हरियाणा सरकार के सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के लिये पेंशन/पारिवारिक पेंशन में संशोधन के मुद्दे पर भी विचार करेगी।

द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग

  • आयोग का गठन वर्ष 2017 में अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसरण में संविधान के अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचार) के अंतर्गत किया गया था।
  • इसकी अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. वेंकटराम रेड्डी कर रहे हैं।
  • कुछ उद्देश्य इस प्रकार हैं:
    • देश भर में अधीनस्थ न्यायपालिका से संबंधित न्यायिक अधिकारियों के वेतन ढाँचे और परिलब्धियों को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों को विकसित करना।
    • राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में न्यायिक अधिकारियों के पारिश्रमिक तथा सेवा शर्तों की वर्तमान संरचना की जाँच करना एवं सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन आदि जैसे लाभों सहित उपयुक्त सिफारिशें करना।
    • ऐसे अंतरिम राहत पर विचार करना और सिफारिश करना जिसे आयोग सभी श्रेणियों के न्यायिक अधिकारियों के लिये उचित समझे।
    • एक स्वतंत्र आयोग द्वारा समय-समय पर अधीनस्थ न्यायपालिका के सदस्यों के वेतन और सेवा शर्तों की समीक्षा करने के लिये एक स्थायी तंत्र की स्थापना के संबंध में सिफारिशें करना।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आयोग, यदि आवश्यक हो, सिफारिशों को अंतिम रूप दिये जाने पर किसी भी मामले पर रिपोर्ट भेजने पर विचार कर सकता है।
    • आयोग को अपनी स्वयं की प्रक्रिया तैयार करने तथा कार्य पूरा करने के लिये आवश्यक तौर-तरीके तैयार करने का अधिकार दिया गया है।






झारखंड Switch to English

NDRF ने झारखंड में बाढ़ से ग्रामीणों को बचाया

चर्चा में क्यों?

  • राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) ने झारखंड के गढ़वा ज़िले में बाढ़ के पानी में फँसे 26 ग्रामीणों को बचाया।
    • पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण बाढ़ आ गई है

मुख्य बिंदु

  • हरिहरपुर पुलिस चौकी के पास सोन नदी के बाढ़ के पानी में ग्रामीण फँस गए थे।
    • सोन नदी, जो एक बारहमासी नदी है जो मध्य भारत से होकर बहती है।
    • यह यमुना नदी के बाद गंगा की दूसरी सबसे बड़ी दक्षिणी (दाहिनी तट) सहायक नदी है।
    • यह नदी छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही ज़िले में अमरकंटक पहाड़ी के पास से निकलती है और अंततः बिहार में पटना के पास गंगा नदी में मिल जाती है।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF)

  • परिचय
    • NDRF भारत में प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के लिये विशेष प्रतिक्रिया के उद्देश्य से गठित एक विशेष बल है।
    • गठन और उद्देश्य: NDRF का गठन वर्ष 2006 में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत किया गया था। इसका प्राथमिक उद्देश्य प्राकृतिक तथा मानव निर्मित आपदाओं पर त्वरित एवं प्रभावी प्रतिक्रिया देना है।
    • संरचना: NDRF में सीमा सुरक्षा बल (BSF), केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CAPF), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CRPF), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और सशस्त्र सीमा बल (SSB) सहित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की बटालियनें शामिल हैं।
      • प्रत्येक बटालियन को आपदा प्रतिक्रिया के लिये विशेष प्रशिक्षण एवं उपकरण उपलब्ध हैं।

मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में शावक की मौत

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में अफ्रीकी चीता गामिनी के पाँच महीने के बच्चे की मौत हो गई।

  • कुनो राष्ट्रीय उद्यान में अब 13 वयस्क चीते और 12 शावक शेष हैं।

मुख्य बिंदु:

  • पाँच महीने के चीते के बच्चे की अचानक तबीयत खराब हो गई थी और रीढ़ की हड्डी टूटने के कारण वह अपने पिछले हिस्से को घसीटता हुआ पाया गया था, उसकी मौत हो गई है; मौत के कारण की पुष्टि पोस्टमार्टम के बाद होगी।
  • कुनो राष्ट्रीय उद्यान:
    • मध्य प्रदेश के श्योपुर ज़िले में स्थित कुनो राष्ट्रीय उद्यान नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से स्थानांतरित किये गए विभिन्न चीतों का आवास है।
    • इसका नाम कुनो नदी के नाम पर रखा गया है, जो चंबल नदी की एक मुख्य सहायक नदी है, जो इस क्षेत्र से होकर प्रवाहित होती है।



मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश में 43 बाघों की मौत

चर्चा में क्यों

वर्ष 2021 से वर्ष 2023 के बीच 43 बाघों की मौत की जाँच की गई, जिसमें बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में 34 और शहडोल वन सर्किल में 9 बाघों की मौत हुई।

मुख्य बिंदु:

  • विशेष जाँच दल (Special Investigation Team- SIT) की रिपोर्ट: स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स के प्रभारी की अध्यक्षता में गठित SIT ने 15 जुलाई को कार्यवाहक प्रधान मुख्य वन संरक्षक (Principal Chief Conservator of Forests- PCCF) और प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख (Principal Chief Conservator of Forest & Head of the Forest Force- PCCF-HoFF) को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।
  • जाँच का अभाव: रिपोर्ट में बाघों की मौत के कम-से-कम 10 मामलों में अपर्याप्त जाँच, उच्च अधिकारियों और वन रेंज अधिकारियों की उदासीनता तथा 34 में से 10 मामलों में शरीर के अंगों के गायब होने की बात कही गई है।
  • SIT का गठन: राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन के आदेश पर बाघों की बड़ी संख्या में हुई मौतों की जाँच के लिये SIT का गठन किया गया था।

बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व (BTR)

  • यह मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में स्थित है और विंध्य पहाड़ियों पर फैला हुआ है।
  • वर्ष 1968 में इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया तथा वर्ष 1993 में पड़ोसी पनपथा अभयारण्य में प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क के तहत इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया।
  • यह रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिये जाना जाता है। बांधवगढ़ में बाघों की आबादी का घनत्व भारत के साथ-साथ विश्व में भी सबसे ज़्यादा है।
    • ये धाराएँ फिर सोन नदी (गंगा नदी की एक महत्त्वपूर्ण दक्षिणी सहायक नदी) में विलीन हो जाती हैं।
  • महत्त्वपूर्ण शिकार प्रजातियों में चीतल, सांभर, बार्किंग डियर, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सुअर, चौसिंघा, लंगूर और रीसस मकाक शामिल हैं।
    • बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भेड़िया और सियार जैसे प्रमुख शिकारी इन पर निर्भर हैं।


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