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स्टेट पी.सी.एस.

  • 04 Oct 2024
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बिहार Switch to English

बिहार का वार्षिक बाढ़ संकट

चर्चा में क्यों?

बिहार को अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति और दशकों पुरानी बाढ़ नियंत्रण पद्धति के कारण प्रति वर्ष विनाशकारी बाढ़ का सामना करना पड़ता है।

मुख्य बिंदु

  • बिहार की बाढ़-प्रवण प्रकृति
    • बिहार भारत का सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित राज्य है, जहाँ उत्तर बिहार की 76% आबादी प्रभावित है।
    • यह क्षेत्र वर्षा और हिमपात से उत्पन्न नदियों से घिरा हुआ है, जिससे बाढ़ आने की संभावना अधिक रहती है।
    • बिहार नेपाल के नीचे स्थित है, और हिमालयी नदियाँ (कोसी, गंडक, बागमती) राज्य में बहती हैं।
    • इन नदियों में हिमालय की ढीली मृदा के कारण अत्यधिक मात्रा में तलछट होता है, जिसके कारण तीव्र वर्षा के दौरान ये उफान पर आ जाती हैं।
  • तटबंधों का प्रभाव: 
    • बाढ़ को नियंत्रित करने के लिये 1950 के दशक में कोसी जैसी नदियों पर तटबंध बनाए गए थे।
    • तटबंधों के कारण नदी के मार्ग संकीर्ण हो गए, जिससे तलछट जमा हो गया और नदी तल ऊँचा हो गया, जिससे नदियों के अतिप्रवाह की संभावना बढ़ गई।
    • कोसी, जिसे "बिहार का शोक" कहा जाता है, तटबंधों के बावजूद प्रतिवर्ष बाढ़ आती है।
  • हालिया बाढ़ (2024): 
    • अत्यधिक वर्षा और नेपाल द्वारा कोसी बैराज से जल छोड़े जाने के कारण उत्तर बिहार में भीषण बाढ़ आ गई।
    • विभिन्न ज़िलों में तटबंध टूट गए हैं, जिससे 11.84 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।
    • बीरपुर बैराज से 6.6 लाख क्यूसेक जल छोड़ा गया, जो छह दशकों में सबसे अधिक है।
  • आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: 
    • बाढ़ के परिणामस्वरूप फसल की हानि, पशुधन विनाश, बुनियादी ढाँचे को नुकसान, तथा मज़बूरन पलायन होता है।
    • बिहार सरकार बाढ़ राहत और प्रबंधन पर प्रतिवर्ष 1,000 करोड़ रुपए व्यय करती है।
  • प्रस्तावित समाधान: 
    • संरचनात्मक: कोसी एवं अन्य नदियों पर बाँध एवं अतिरिक्त बैराज के प्रस्ताव।
    • गैर-संरचनात्मक: बाढ़ की चेतावनियों में सुधार, प्रतिक्रिया समय में सुधार, जन जागरूकता, तथा बाढ़ के प्रभावों को कम करने के लिये प्रशिक्षण।


उत्तर प्रदेश Switch to English

"रेडियो मैन ऑफ इंडिया" ने बनाया रिकॉर्ड

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश के राम सिंह बौद्ध ने रेडियो की विरासत को संरक्षित करते हुए अपने अद्वितीय रेडियो संग्रह के साथ गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। 

मुख्य बिंदु 

  • विश्व रिकॉर्ड रेडियो संग्रह
    • "भारत के रेडियो मैन " के नाम से प्रसिद्ध राम सिंह बौद्ध ने 1920 के दशक से लेकर 2010 तक के 1,257 अद्वितीय रेडियो का संग्रह एकत्र किया है।
    • उनके संग्रह ने एम. प्रकाश के 625 रेडियो  के पिछले विश्व रिकार्ड को पीछे छोड़ दिया।
  • प्रधानमंत्री द्वारा मान्यता: 
    • रेडियो की विरासत को संरक्षित करने के लिये बौध के जुनून को राष्ट्रीय मान्यता तब मिली जब प्रधानमंत्री ने नवंबर 2023 में  मन की बात रेडियो कार्यक्रम के दौरान उनका उल्लेख किया।
    • प्रधानमंत्री मोदी ने रेडियो को प्रासंगिक बनाए रखने के लिये बौध के समर्पण पर प्रकाश डाला तथा कहा कि उनके प्रयासों से उनके संग्रह के बारे में जिज्ञासा बढ़ी है। 
    • प्रधानमंत्री ने माना कि मन की बात ने रेडियो और आकाशवाणी (All India Radio) के प्रति रुचि को पुनर्जीवित किया है, जिससे ये कई घरों में एक बार फिर लोकप्रिय हो गए हैं।

रेडियो स्पेक्ट्रम

  • रेडियो स्पेक्ट्रम (जिसे रेडियो फ्रीक्वेंसी या RF के रूप में भी जाना जाता है) विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम का एक हिस्सा है, इस आवृत्ति रेंज में विद्युत चुंबकीय तरंगों को रेडियो आवृत्ति बैंड या बस 'रेडियो तरंगें' कहा जाता है।
  • विद्युतचुंबकीय स्पेक्ट्रम में रेडियो तरंगों की तरंगदैर्घ्य सबसे लंबी होती है। इनकी खोज हेनरिक हर्ट्ज़ ने 1880 के दशक के अंत में की थी।
  • RF बैंड 30 kHz और 300 GHz के बीच की सीमा में विस्तारित हैं (वैकल्पिक दृष्टिकोण 3 KHz – 300 GHz की कवरेज प्रदान करता है)।



हरियाणा Switch to English

FMDA ने भूजल और आर्द्रता निगरानी परियोजना शुरू की

चर्चा में क्यों?

हाल ही में फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण (FMDA) ने भूजल और आर्द्रता के स्तर की निगरानी के लिये एक परियोजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य जल की कमी की समस्या का समाधान करना है।

मुख्य बिंदु 

  • परियोजना अवलोकन: 
    • FMDA ने भूजल और भूमिगत आर्द्रता के स्तर की निगरानी के लिये फरीदाबाद के शहरी क्षेत्रों में  100 पीज़ोमीटर स्थापित करने की योजना बनाई है।
    • लगभग 9.5 करोड़ रुपए की लागत वाली यह परियोजना गुरुग्राम  में शुरू की जा रही पायलट पहल का हिस्सा है।
    • ये उपकरण वास्तविक समय के आँकड़े उपलब्ध कराएंगे, जिससे अधिकारियों को भूजल की स्थिति और इसके ह्रास के लिये ज़िम्मेदार कारकों को समझने में सहायता मिलेगी।
  • तकनीकी सेटअप: 
    • विशेषीकृत संवेदन उपकरण, पीज़ोमीटर, प्रति इकाई 1,000 मीटर की परिधि में भूजल दबाव और आर्द्रता को मापेंगे। 
    • यह सिस्टम 24/7 निगरानी प्रदान करेगा, जिससे ऑनलाइन डेटा ट्रैकिंग की सुविधा मिलेगी। APCOS लिमिटेड (पूर्व में जल और विद्युत परामर्श सेवाएँ) द्वारा विकसित यह तकनीक जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आती है।

दबाव नापने का यंत्र

  • पीज़ोमीटर एक खुली तली वाली ट्यूब होती है जो भूजल के दबाव या किसी जल निकाय के कंटेनर के किनारों पर दबाव को मापती है। 
  • शब्द पीज़ोमीटर ग्रीक उपसर्ग पीज़ो- से आया है, जिसका अर्थ है "दबाव" और मूल शब्द मीटर, जिसका अर्थ है "मापना"।



उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में ततैया के हमले से कई लोगों की मौत

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में उत्तराखंड में एक दुखद घटना ने वन्यजीव संघर्ष के खतरों को उज़ागर किया, जिसके परिणामस्वरूप ततैया के हमले में पिता और पुत्र की मृत्यु हो गई। 

मुख्य बिंदु 

  • घटना का अवलोकन: 
    • उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल ज़िले के जौनपुर ब्लॉक के वनों में अपनी गायों को चराते समय ततैयों के हमले में 47 वर्षीय एक व्यक्ति और उसके आठ वर्षीय बेटे की दुखद मौत हो गई।
  • ततैया और उनके खतरे: 
    • प्रकार और आक्रामकता:
      • पीले जैकेट, पेपर ततैया और हॉरनेट सहित ततैया अपने घोंसलों को परेशान किये जाने पर आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित कर सकते हैं। 
      • उनके पास तीक्ष्ण दंश होते हैं, जिनकी सहायता से वे खतरे के समय कई बार दंश मार सकते हैं।
  • दंश के प्रभाव:
    • ततैया के दंश से आमतौर पर तत्काल दर्द, सूजन और उस स्थान पर लालिमा उत्पन्न होती है, क्योंकि उसके विष में विषैले एंज़ाइम और प्रोटीन होते हैं। 
    • व्यक्तियों को एलर्जी संबंधी प्रतिक्रियाएँ हो सकती हैं, जिनमें पित्ती जैसे हल्के लक्षणों से लेकर गंभीर तीव्रग्राहिता (एनाफाइलैक्सिस) तक शामिल हो सकते हैं, जिसमें साँस लेने में कठिनाई, सूजन और चेतना की संभावित हानि शामिल है।
  • एकाधिक दंश और जोखिम:
    • एकाधिक दंश खासकर संवेदनशील व्यक्तियों में गंभीर प्रणालीगत प्रतिक्रियाओं के ज़ोखिम को काफी हद तक बढ़ा देते हैं। 
    • ततैया के दंश से तीव्रग्राहिता (एनाफाइलैक्सिस) हो सकती है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं या मृत्यु को रोकने के लिये तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है।
  • रोकथाम और आपातकालीन प्रतिक्रिया:
    • दंश से बचने के लिये, चमकीले रंगों और पुष्प पैटर्न से बचना, कीट विकर्षक का उपयोग करना, और घोंसले को हटाने के लिये पेशेवर मदद लेना। 
    • दंश लगने की स्थिति में, उस जगह को साफ करना, ठंडी पट्टी लगाना और यदि आवश्यक हो तो दर्द निवारक लेना। गंभीर प्रतिक्रियाओं के लिये तत्काल चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है।


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