कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में निगरानी प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग | 05 Dec 2024

चर्चा में क्यों?

एनवायरनमेंट एँड प्लानिंग एफ नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के वन रेंजरों ने स्थानीय महिलाओं पर निगरानी रखने और उन्हें प्राकृतिक संसाधनों को इकट्ठा करने से रोकने के लिये जानबूझकर ड्रोन का इस्तेमाल किया, जबकि वे कानूनी रूप से इन संसाधनों तक पहुँचने की हकदार थीं।

प्रमुख बिंदु

  • अध्ययन का महत्त्व:
    • अध्ययन से पता चला कि निगरानी प्रौद्योगिकियाँ उन स्थानीय महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं जो दैनिक गतिविधियों के लिये वनों पर निर्भर हैं।
    • यह अध्ययन प्रौद्योगिकी, संरक्षण और सामाजिक समानता के अंतर्संबंध पर प्रकाश डालता है तथा हितधारकों से अधिक समावेशी दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह करता है।
  • महिलाओं के समक्ष आने वाली समस्याएँ:
    • इस बात पर प्रकाश डाला गया कि हालाँकि कैमरा ट्रैप जैसी प्रौद्योगिकियाँ वन्यजीव निगरानी में आम हैं, लेकिन वे अनजाने में गोपनीयता का उल्लंघन कर सकती हैं और मानव व्यवहार को बदल सकती हैं।
    • ये निष्कर्ष इस बात को सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं कि ऐसे उपकरण स्थानीय समुदायों को नुकसान न पहुँचाएँ।
  • अनुशंसाएँ:
    • उत्तर भारत में महिलाओं की पहचान उनकी दैनिक वन गतिविधियों से गहराई से जुड़ी हुई है, जिससे संरक्षण प्रयासों में उनके दृष्टिकोण पर विचार करना महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
    • संरक्षण रणनीतियों में वन्यजीव निगरानी और स्थानीय समुदायों की गरिमा, सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के बीच संतुलन बनाना होगा।

कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व

  • परिचय:
    • यह उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में स्थित है। प्रोजेक्ट टाइगर को वर्ष 1973 में कॉर्बेट नेशनल पार्क (भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान) में लॉन्च किया गया था, जो कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व का हिस्सा है।
      • इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1936 में लुप्तप्राय बंगाल टाइगर की रक्षा के लिये हैली राष्ट्रीय उद्यान के रूप में की गई थी।
      • इसका नाम जिम कॉर्बेट के नाम पर रखा गया है जिन्होंने इसकी स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
    • मुख्य क्षेत्र कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान बनाता है, जबकि बफर क्षेत्र में आरक्षित वन तथा सोनानदी वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।
    • रिज़र्व का पूरा क्षेत्र पहाड़ी है और शिवालिक एवं बाह्य हिमालय भूगर्भीय प्रांतों में आता है।
  • वनस्पति:
    • सघन नम पर्णपाती वन पाए जाते हैं। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के अनुसार, कॉर्बेट में पादपों की 600 प्रजातियाँ हैं - वृक्ष, झाड़ियाँ, फ़र्न, घास, जड़ी-बूटियाँ और बाँस। साल, खैर और शीशम के वृक्ष कॉर्बेट में सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले वृक्ष हैं।
  • जीव-जंतु: