शिवालिक वन को टाइगर रिज़र्व घोषित करने का प्रस्ताव
प्रीलिम्स के लियेदेश के विभिन्न टाइगर रिज़र्व और उनकी अवस्थिति मेन्स के लियेभारत में बाघों की स्थिति और उनके संरक्षण संबंधी चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
सहारनपुर मंडल के आयुक्त ने उत्तर प्रदेश सरकार को सहारनपुर मंडल में आने वाले शिवालिक वन को टाइगर रिज़र्व (Tiger Reserve) घोषित करने का प्रस्ताव दिया है।
प्रमुख बिंदु
- यदि सरकार इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेती है तो यह उत्तर प्रदेश का चौथा टाइगर रिज़र्व (Tiger Reserve) होगा।
- वर्तमान में उत्तर प्रदेश में कुल तीन टाइगर रिज़र्व हैं जिसमें पीलीभीत टाइगर (Pilibhit Tiger Reserve), अमानगढ़ टाइगर रिज़र्व (Amangarh Tiger Reserve) और दुधवा टाइगर रिज़र्व (Dudhwa Tiger Reserve) शामिल हैं।
कारण
- इस क्षेत्र में बाघों की संख्या तेज़ी से बढ़ती जा रही है, जिसके कारण इस क्षेत्र में अपने आवास की रक्षा करने हेतु बाघों के बीच झड़पों की संख्या भी बढ़ रही है। कमज़ोर बाघ अक्सर छिपने के उद्देश्य से आस-पास के खेतों में चले जाते हैं, हालाँकि इससे इससे मानव-पशु संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है।
- ऐसे में बाघों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करने के लिये इस क्षेत्र को टाइगर रिज़र्व घोषित करना काफी महत्त्वपूर्ण है।
महत्त्व
- इस कदम से न केवल बढ़ते मानव-पशु संघर्ष को कम किया जा सकेगा बल्कि इस क्षेत्र की समृद्ध जैव-विविधता के पोषण में भी मदद मिलेगी।
- इस क्षेत्र को टाइगर रिज़र्व घोषित करने से यहाँ बाघों के सुरक्षित आवागमन की सुविधा प्रदान प्रदान की जा सकेगी।
- विशेषज्ञ मानते हैं कि यह क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से काफी समृद्ध है और इसे ईको-टूरिज़्म (Eco-Tourism) के केंद्र के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
शिवालिक वन
- 33,220-हेक्टेयर क्षेत्रफल वाला शिवालिक वन उत्तर प्रदेश के उत्तरी सिरे में शिवालिक श्रेणी (Shivalik Range) की तलहटी में स्थित है, शिवालिक श्रेणी देश के चार राज्यों (हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और उत्तर प्रदेश) को जोड़ती है।
भारत में बाघों की स्थिति
- अखिल भारतीय बाघ अनुमान, 2018 के अनुसार, वर्ष 2018 में भारत में बाघों की संख्या बढ़कर 2,967 हो गई थी। यह भारत के लिये एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, क्योंकि भारत ने बाघों की संख्या को दोगुना करने के लक्ष्य को चार वर्ष पूर्व ही प्राप्त कर लिया है।
- सर्वेक्षण के अनुसार, देश में मध्य प्रदेश और कर्नाटक में बाघों की संख्या सबसे अधिक है। हालाँकि, बाघों की संख्या में हुई वृद्धि उन सभी 18 राज्यों में एक समान नहीं हुई है जहाँ बाघ पाए जाते हैं।
- तीन टाइगर रिज़र्व बक्सा (पश्चिम बंगाल), डंपा (मिज़ोरम) और पलामू (झारखंड) में बाघों के अनुपस्थिति दर्ज की गई है।
बाघ संरक्षण की चुनौतियाँ
- अवैध बाज़ारों में बाघ के शरीर के प्रत्येक हिस्से का कारोबार होता है, जिसके कारण बाघों का अवैध रूप से शिकार किया जाता है, जो कि भारत में बाघ संरक्षण के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है।
- एक अनुमान के अनुसार, विश्व भर के बाघों ने अपने प्राकृतिक वास स्थान का लगभग 93 प्रतिशत हिस्सा खो दिया है, जो कि मौजूदा दौर में बाघों के लिये सबसे मुख्य खतरा है।
- बाघों के प्राकृतिक निवास स्थान और शिकार स्थान छोटे होने के कारण अधिकांश बाघ पशुधन को मारने के लिये मज़बूर है और जब वे ऐसा करते हैं तो किसान अक्सर जवाबी कार्रवाई करते हैं और बाघों को मार देते हैं।