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झारखंड

झारखंड हाईकोर्ट ने बांग्लादेश से अवैध अप्रवासन को लेकर चेतावनी दी

  • 09 Aug 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को संथाल परगना के रास्ते द्वारा राज्य में प्रवेश करने वाले अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

मुख्य बिंदु

बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति

    • विरोध प्रदर्शन और अशांति: बांग्लादेश में नौकरी कोटा के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन जारी है, जो सत्तावादी नीतियों और विपक्ष के दमन से प्रेरित है, जिसके कारण काफी अशांति उत्पन्न हो गई है, जो वर्ष 2008 में शेख हसीना के कार्यकाल के बाद से सबसे अधिक है।
    • आर्थिक चुनौतियाँ: शेख हसीना के जाने से कोविड-19 महामारी से देश की आर्थिक सुधार को लेकर चिंताएँ उत्पन्न हो गई हैं, जो पहले से ही बढ़ती मुद्रास्फीति और मुद्रा अवमूल्यन से प्रभावित है।
    • राजनीतिक परिदृश्य: बांग्लादेश की सेना अंतरिम सरकार बनाने के लिये तैयार है, जो स्थिति की अस्थिरता को दर्शाता है।
      • कट्टरपंथी इस्लामी शक्तियों की संभावित वापसी बांग्लादेश के धर्मनिरपेक्ष शासन के लिये खतरा बन सकती है।
    • निर्यात प्रवाह में व्यवधान: बांग्लादेश का कपड़ा क्षेत्र, जो इसके निर्यात राजस्व में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है, बड़े व्यवधानों का सामना कर रहा है। चल रही अशांति के कारण आपूर्ति शृंखलाएँ टूट गई हैं, जिससे माल की आवाजाही और उत्पादन कार्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं।
      • बांग्लादेश वैश्विक वस्त्र उद्योग में प्रमुख है, जो कपड़ों के वैश्विक व्यापार का 7.9% हिस्सा है। देश का 45 बिलियन अमेरिकी डॉलर का परिधान क्षेत्र, जिसमें चार मिलियन से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, इसके व्यापारिक निर्यात का 85% से अधिक प्रतिनिधित्व करता है।
        • यूरोपीय यूनियन, ब्रिटेन और अमेरिका में देश की महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी है तथा अमेरिकी बाज़ार में इसकी हिस्सेदारी 10% है।
      • बांग्लादेश में अनिश्चितता के कारण अंतर्राष्ट्रीय खरीदार अपने आपूर्ति स्रोतों का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप भारत सहित वैकल्पिक बाज़ारों में ऑर्डर का स्थानांतरण हो सकता है।
      • यदि भारत बांग्लादेश से विस्थापित ऑर्डरों का एक हिस्सा प्राप्त कर लेता है तो उसे काफी लाभ होगा।
      • उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि बांग्लादेश के कपड़ा निर्यात का 10-11% तिरुप्पुर जैसे भारतीय केंद्रों की ओर स्थानांतरित कर दिया जाए, तो भारत को मासिक कारोबार में 300-400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त वृद्धि हो सकती है।
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