शासन व्यवस्था
60% मतदाताओं ने आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ा
- 24 Feb 2023
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प्रिलिम्स के लिये:निर्वाचन आयोग (EC), आधार संख्या, पुट्टास्वामी मामला (निजता का अधिकार), डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022 मेन्स के लिये:भारत में आधार लिंकिंग की स्थिति, आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने से संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
निर्वाचन आयोग के अनुसार, भारत के 94.5 करोड़ मतदाताओं में से 60% से अधिक मतदाताओं ने अपने आधार नंबर को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ा है।
भारत में आधार लिंकिंग स्थिति:
- त्रिपुरा में आधार लिंकिंग दर उच्चतम है, इस राज्य में 92% से अधिक मतदाताओं ने निर्वाचन आयोग के साथ अपना आधार विवरण साझा किया है।
- आधार लिंकिंग दर में लक्षद्वीप दूसरे और मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर है, जहाँ क्रमशः 91% एवं 86% से अधिक मतदाताओं ने आधार संख्या को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ा है।
- दक्षिणी राज्यों में राष्ट्रीय औसत की तुलना में आधार पंजीकरण का अनुपात कम है, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में यह दर 71% है, तमिलनाडु तथा केरल में यह क्रमशः लगभग 63% और 61% है।
- गुजरात में मतदाताओं का आधार पंजीकरण सबसे कम है, केवल 31.5% मतदाताओं ने आधार को अपने मतदाता पंजीकरण से लिंक किया है।
- साथ ही दिल्ली में 34% से भी कम मतदाताओं के आधार मतदाता पहचान पत्र से जुड़े (लिंक्ड) हुए हैं।
सरकार द्वारा मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने पर ज़ोर देने का कारण:
- डेटाबेस को अद्यतित करना:
- इस लिंकिंग परियोजना से चुनाव आयोग को काफी मदद मिलेगी, जो आए दिन मतदाता आधार के अद्यतन और सटीक रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिये नियमित अभ्यास करता रहता है।
- प्रतिलिपियों (Duplicate) को हटाना:
- मतदाताओं के दोहराव को समाप्त करना, उदाहरण के लिये प्रवासी श्रमिक, जिनका विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में एक से अधिक बार पंजीकरण अथवा किसी व्यक्ति द्वारा एक ही निर्वाचन क्षेत्र में कई बार पंजीकरण कराया जाना,अतः इस प्रकार की समस्याओं से निपटने के लिये प्रतिलिपियों को हटाने का कार्य किया जा सकता है।
- अखिल भारतीय मतदाता पहचान पत्र:
- सरकार के अनुसार, आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि भारत के प्रत्येक नागरिक को केवल एक मतदाता पहचान पत्र जारी किया गया है।
आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने संबंधी मुद्दे:
- अस्पष्ट संवैधानिक स्थिति:
- पुट्टास्वामी मामले (गोपनीयता का अधिकार) में सर्वोच्च न्यायालय ने जिन प्रश्नों की पड़ताल की उनमें से एक यह था कि क्या बैंक खातों के साथ आधार को अनिवार्य रूप से जोड़ना संवैधानिक है या नहीं।
- भिन्न उद्देश्य:
- मतदाताओं का निर्धारण करने के उद्देश्य से आधार को प्राथमिकता देना हैरान करने वाला है क्योंकि आधार केवल निवास का प्रमाण है, न कि नागरिकता का प्रमाण।
- इसलिये इसके द्वारा मतदाता पहचान को सत्यापित करने से केवल दोहराव से निपटने में मदद मिलेगी, लेकिन यह मतदाता सूची से उन मतदाताओं को नहीं हटाएगा जो भारत के नागरिक नहीं हैं।
- मतदाताओं का निर्धारण करने के उद्देश्य से आधार को प्राथमिकता देना हैरान करने वाला है क्योंकि आधार केवल निवास का प्रमाण है, न कि नागरिकता का प्रमाण।
आगे की राह
- मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने के कार्य को आगे बढ़ाने के साथ सरकार डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) विधेयक, 2022 को लागू करने हेतु भी तत्पर है। DPDP व्यवस्था को सरकारी संस्थाओं पर भी लागू होना चाहिये जिसमें उन्हें विभिन्न सरकारी संस्थानों में अपने डेटा को साझा करने से पूर्व किसी व्यक्ति की स्पष्ट सहमति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. निजता के अधिकार पर उच्चतम न्यायालय के नवीनतम निर्णय के आलोक में मौलिक अधिकारों के विस्तार का परीक्षण कीजिये। (2017) |