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हरियाणा

हरित घोषणा-पत्र, 2024

  • 05 Sep 2024
  • 6 min read

चर्चा में क्यों

हाल ही में पीपुल फॉर अरावली समूह ने राज्य में बढ़ते पर्यावरणीय संकट के जवाब में ‘हरियाणा हरित घोषण-पत्र 2024 (हरियाणा ग्रीन मेनिफेस्टो)’ के विकास की पहल की।

मुख्य बिंदु 

  • ग्रीन मेनिफेस्टो: यह दस्तावेज़ एक अद्वितीय भागीदारी अभ्यास के बाद तैयार किया गया था, जिसमें विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा के 17 ज़िलों के ग्रामीण और शहरी हितधारकों से इनपुट एकत्र किये गए थे।
    • पारिस्थितिकी, कृषि, शहरी नियोजन और टिकाऊ वास्तुकला के विशेषज्ञों ने हरियाणा के लिये हरित दृष्टिकोण को आकार देने में योगदान दिया।
  • हरित घोषणा-पत्र में प्रमुख मांगे:
    • विनाशकारी गतिविधियों और वाणिज्यिक परियोजनाओं पर रोक लगाने के लिये अरावली तथा  शिवालिक को कानूनी रूप से "critical ecological zones अर्थात् महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक क्षेत्र" के रूप में नामित किया जाना चाहिये।
    • शेष पहाड़ियों को संरक्षित करने के लिये वैकल्पिक निर्माण सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिये।
    • महेंद्रगढ़ ज़िले को "पहाड़ी डार्क ज़ोन" घोषित किया जाए तथा भूजल स्तर (1,500-2,000 फीट) के अत्यधिक निम्न स्तर के कारण सभी खनन और पत्थर-तोड़ने के कार्य बंद किये जाने चाहिये।
    • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में खनन को वैध बनाने हेतु सर्वोच्च न्यायालय में राज्य की अपील वापस ली जाए।
    • पाली के बंधवाड़ी और पुराने सोहना-अलवर रोड पर ITI कॉलोनी के पास लैंडफिल हटाए जाए।
    • नूह ज़िले के भिवाड़ी, खोरी खुर्द और अन्य गाँवों में औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट के अवैध डंपिंग तथा जलाने पर रोक लगाई जाए।
    • जिन ग्रामीणों की भूमि इन गतिविधियों से प्रभावित हुई है, उन्हें मुआवज़ा और गुणवत्तापूर्ण कृषि भूमि उपलब्ध कराएं।
  • वन संरक्षण की मांग:
  • खाद्य सुरक्षा की मांग:
    • जलवायु परिवर्तन अनुकूलन की प्रमुख रणनीति के रूप में फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना।
    • केंद्र द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों द्वारा उगाई गई प्रत्येक फसल की गारंटीकृत खरीद सुनिश्चित करना।
    • मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाने वाली नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) पद्धतियों को प्रोत्साहित करना।
    • पिछले 15 वर्षों से कुछ गाँवों में किसानों को शिक्षित करने वाले ‘कीट पाठशालाओं’ (कीट विद्यालयों) को सभी ज़िलों में विस्तारित करना। ये विद्यालय शाकाहारी और मांसाहारी कीटों के बीच संतुलन सिखाते हैं, जिससे कीटनाशकों के छिड़काव की ज़रूरत कम हो जाती है।

अरावली पर्वत शृंखला 

  • अरावली पृथ्वी पर सबसे पुराना मोड़दार पर्वत है।
  • यह गुजरात से दिल्ली (राजस्थान और हरियाणा से होकर) तक 800 किलोमीटर से अधिक विस्तृत है।
  • अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू पर स्थित गुरु शिखर है।

जलवायु पर प्रभाव:

  • अरावली पर्वतमाला उत्तर-पश्चिम भारत और उससे आगे की जलवायु पर प्रभाव डालती है।
  • मानसून के दौरान, पर्वत शृंखला मानसून के बादलों को शिमला और नैनीताल की ओर पूर्व की ओर ले जाती है, जिससे उप-हिमालयी नदियों को पोषण मिलता है तथा उत्तर भारतीय मैदानों को पोषण मिलता है।
  • सर्दियों के महीनों में यह उपजाऊ जलोढ़ नदी घाटियों (पैरा-सिंधु और गंगा) को मध्य एशिया से आने वाली ठंडी पश्चिमी पवनों के आक्रमण से बचाती है।

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