छत्तीसगढ़ में 56वाँ टाइगर रिज़र्व | 19 Nov 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास-तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य को आधिकारिक तौर पर देश का 56वाँ टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया है।
मुख्य बिंदु
- गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व:
- गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर ज़िलों तक विस्तृत है।
- कुल क्षेत्रफल 2,829.38 वर्ग किमी. है, जिसमें मुख्य बाघ पर्यावास 2,049.2 वर्ग किमी. और बफर ज़ोन 780.15 वर्ग किमी. है।
- यह आंध्र प्रदेश में नागार्जुनसागर-श्रीशैलम और असम में मानस के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा बाघ अभयारण्य है।
- संरक्षण और कनेक्टिविटी:
- यह मध्य प्रदेश के संजय दुबरी टाइगर रिज़र्व के साथ मिलकर लगभग 4,500 वर्ग किलोमीटर का भूदृश्य परिसर बनाता है।
- यह पश्चिम में बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व, मध्य प्रदेश और पूर्व में पलामू टाइगर रिज़र्व, झारखंड से जुड़ा हुआ है।
- पारिस्थितिकी एवं जीव विविधता:
- छोटा नागपुर पठार और आंशिक रूप से बघेलखंड पठार में स्थित इस रिज़र्व में विविध भूभाग, घने वन, जलधाराएँ और नदियाँ हैं, जो बाघों के लिये महत्त्वपूर्ण पर्यावास उपलब्ध कराते हैं।
- भारतीय प्राणी सर्वेक्षण ने 753 प्रजातियों का दस्तावेज़ीकरण किया:
- 365 अकशेरुकी (मुख्यतः कीट)।
- 388 कशेरुकी, जिनमें 230 पक्षी प्रजातियाँ और 55 स्तनपायी प्रजातियाँ शामिल हैं, जिनमें से कई परिसंकटमय में हैं।
- छत्तीसगढ़ में अब चार बाघ रिज़र्व हैं, जिससे राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) प्रोजेक्ट टाइगर पहल के तहत बाघ संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा मिला है।