सुभाष चंद्र बोस की विरासत

प्रिलिम्स के लिये:

पराक्रम दिवस, रासबिहारी बोस, इंडियन नेशनल आर्मी, सुभाष चंद्र बोस, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, परमवीर चक्र, प्रेसीडेंसी कॉलेज, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, आनंद मठ, महात्मा गांधी, भारतीय महासंघ, राजेंद्र प्रसाद, फॉरवर्ड ब्लॉक, ब्लैक होल त्रासदी, आज़ाद हिंद रेडियो, अलीपुर बम केस, गदर आंदोलन, वीर सावरकर, इंडियन इंडिपेंडेंस लीग (IIL)

मेन्स के लिये:

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सुभाष चंद्र बोस और रास बिहारी बोस का योगदान।

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

पराक्रम दिवस 2025 के अवसर पर, संस्कृति मंत्रालय नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्मस्थली कटक में बाराबती किले में 23 जनवरी से 25 जनवरी 2025 तक एक भव्य समारोह का आयोजन कर रहा है।

  • 21 जनवरी को इंडियन नेशनल आर्मी के संस्थापक नेता रास बिहारी बोस की 80 वीं पुण्यतिथि थी, जिनके साथ सुभाष चंद्र बोस जुड़े थे। 

पराक्रम दिवस क्या है?

  • परिचय: पराक्रम दिवस भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के उपलक्ष्य में 23 जनवरी को प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
    • पराक्रम दिवस 2025 सुभाष चंद्र बोस (SC बोस) की 128 वीं जयंती पर मनाया जा रहा है।
  • विगत समारोह:
    • वर्ष 2021: पहला पराक्रम दिवस कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में आयोजित किया गया।
    • वर्ष 2022: इंडिया गेट, नई दिल्ली पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया।
    • वर्ष 2023: अंडमान और निकोबार के 21 द्वीपों का नाम मेजर सोमनाथ शर्मा, नायक जदुनाथ सिंह आदि परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर रखा गया।
    • वर्ष 2024: इस कार्यक्रम का उद्घाटन दिल्ली के लाल किले में किया गया, जो INA का ट्रायल स्थल था।
  • महत्त्व: यह दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साहस, वीरता और देशभक्ति का प्रतीक है, जिन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी (INA) का नेतृत्व किया और पूर्ण स्वतंत्रता की वकालत की।
    • यह नेताजी के प्रसिद्ध नारे, "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा" की भी याद दिलाता है, जिसने भारत की आजादी की लड़ाई में लाखों लोगों को प्रेरित किया था।

SC बोस के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • प्रारंभिक जीवन: वर्ष 1897 में कटक (अब ओडिशा में, तब बंगाल में ) में जानकीनाथ और प्रभावती बोस के घर जन्मे नेताजी का पालन-पोषण एक ऐसे परिवार में हुआ, जो अंग्रेज़ी शिक्षा और हिंदू रीति-रिवाजों को महत्त्व देता था।
    • उन्होंने रेवेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल में शिक्षा प्राप्त की और बाद में कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में अध्ययन किया, जहाँ वे ब्रिटिश विरोधी सक्रियता में शामिल हो गये।
  • वैचारिक आधार: वह रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं के साथ-साथ बंकिम चंद्र चटर्जी के आनंद मठ के विषयों से भी प्रेरित थे।
    • उन्होंने पश्चिमी और भारतीय संस्कृतियों का एक अनूठा संश्लेषण विकसित किया, जो भारत की स्वतंत्रता और पुनरुत्थान पर केंद्रित था।
  • प्रारंभिक राजनीतिक भागीदारी: एस.सी. बोस ने वर्ष 1920 में भारतीय सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिये उन्होंने वर्ष 1921 में इस्तीफा दे दिया।
    • वर्ष 1921 में नेताजी ने बम्बई में महात्मा गांधी से मुलाकात की लेकिन स्वतंत्रता के प्रति उनके दृष्टिकोण (विशेषकर उनके धैर्य एवं अहिंसा के प्रति प्रतिबद्धता) से वह असहमत थे।
  • कॉन्ग्रेस से मतभेद: वर्ष 1938 में नेताजी हरिपुरा अधिवेशन में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष चुने गए और उन्होंने स्वराज की वकालत की तथा भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत भारतीय संघ का विरोध किया।
    • वर्ष 1939 में नेताजी त्रिपुरी अधिवेशन में गांधी समर्थित डॉ पट्टाभि सीतारमैया को हराकर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के रूप में फिर से चुने गए। गांधी ने इसे व्यक्तिगत हार के रूप में देखा जिसके कारण जेएल नेहरू, पटेल और राजेंद्र प्रसाद सहित कार्यकारिणी समिति के 15 सदस्यों में से 12 ने इस्तीफा दे दिया।
      • बोस ने एक नई कार्यसमिति बनाने का प्रयास किया लेकिन वह असफल रहे , जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और उनके स्थान पर राजेंद्र प्रसाद को नियुक्त किया गया।
    • बोस ने 29 अप्रैल 1939 को पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और स्वतंत्रता के बाद साम्राज्यवाद-विरोध एवं समाजवाद पर आधारित वैकल्पिक नेतृत्व की पेशकश करते हुए उग्र-वामपंथी कॉन्ग्रेस सदस्यों को एकजुट करने के लिये फॉरवर्ड ब्लॉक का प्रस्ताव रखा।
  • मृत्यु: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा एवं नागासाकी पर परमाणु बम गिराए जाने के बाद, 16 अगस्त 1945 को जापानियों ने आत्मसमर्पण कर दिया और बोस ने जापानी विमान से दक्षिण पूर्व एशिया छोड़कर चीन की ओर प्रस्थान किया। हालांकि, विमान कथित तौर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया और एससी बोस बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, लेकिन कुछ विवरणों के अनुसार वे अभी भी जीवित हैं।
  • विरासत: बोस के नेतृत्व, विचारधारा और पूर्ण स्वतंत्रता के आह्वान ने उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक बना दिया।

SC_Bose

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में एस.सी बोस की भूमिका क्या थी?

  • क्रांतिकारी भूमिका: बोस को वर्ष 1940 में गिरफ्तार कर लिया गया, इससे पहले कि वे कलकत्ता में ब्लैक होल त्रासदी को समर्पित स्मारक को हटाने के लिये अभियान चला पाते, जहाँ 20 जून 1756 (प्लासी के युद्ध से एक वर्ष पूर्व) को 123 यूरोपीय मारे गए थे। 
    • वर्ष 1941 में पहचान बदलकर भारत से भागना, स्वतंत्रता के लिये उनके अथक प्रयास को दर्शाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन: यूरोप पहुँचने के बाद बोस ने नाजी जर्मनी, सोवियत संघ और बाद में एशिया में इंपीरियल जापान से समर्थन मांगा, यह देश द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन को हराने में रुचि रखते थे। 
    • बोस को आज़ाद हिंद रेडियो शुरू करने की अनुमति दी गई और उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध में धुरी राष्ट्रों द्वारा पकड़े गए कुछ हज़ार भारतीय युद्ध बंदी भी दिये गए।
  • दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा: फरवरी 1943 में बोस और उनके सहयोगी आबिद हसन एक पनडुब्बी में जर्मनी से चले और अटलांटिक महासागर, केप ऑफ गुड होप तथा हिंद महासागर को पार करते हुए टोक्यो पहुँचे। इस दौरान उन्होंने 90 दिनों की दुर्गम यात्रा पूरी की।
  • आजाद हिंद फौज (INA): INA का गठन वर्ष 1942 में हुआ था। इसमें जापान द्वारा कैदी बनाए गए कई भारतीय युद्ध बंदी शामिल थे तथा उन्हें जापानी सैनिकों का समर्थन प्राप्त था।
    • चलो दिल्ली अभियान के तहत, बोस के नेतृत्व में INA ने भारत-बर्मा सीमा पार की और मार्च 1944 में इम्फाल और कोहिमा की ओर कूच किया। हालाँकि, जापान की हार के साथ यह इम्फाल में समाप्त हो गया।
    • प्रारंभ में, कैप्टन मोहन सिंह को आई.एन.ए. का कमांडर नियुक्त किया गया था। 
  • आज़ाद हिंद सरकार: अक्तूबर 1943 में बोस ने सिंगापुर में आज़ाद हिंद की अंतः कालीन सरकार की स्थापना की। जनवरी 1944 में इसका मुख्यालय रंगून में स्थानांतरित कर दिया गया।
    • इसे 9 देशों अर्थात् जापान, जर्मनी, इटली, क्रोएशिया, बर्मा, थाईलैंड, फिलीपींस, मंचूरिया और चीन गणराज्य (वांग जिंगवेई के अधीन) द्वारा मान्यता दी गई।
  • INA महिला रेजिमेंट: बोस ने झाँसी की रानी रेजिमेंट का भी गठन किया, जिसमें महिलाएँ शामिल थी, जिन्होंने स्वतंत्रता के संघर्ष में पुरुषों के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी थी।
  • आज़ाद हिंद फौज पर अभियोग: शाह नवाज़ खान, प्रेम कुमार सहगल और गुरबख्श सिंह ढिल्लों पर किये गए अभियोग के दौरान लोगों की राष्ट्रवादी भावना अपने चरम पर थी, जिससे यह ब्रिटिश राज के खिलाफ हिंसक टकराव में परिणत हुआ।
    • INA अभियोग, 1945 से 46 में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा आयोजित सैन्य अधिकरणों की एक शृंखला थी, जिसमें आज़ाद हिंद फौज के अधिकारियों और सैनिकों पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया था।

गांधी जी और बोस के बीच क्या वैचारिक मतभेद थे?

पहलू

महात्मा गांधी

सुभाष चंद्र बोस

विचारधारा

गांधी के अनुसार स्वतंत्रता प्राप्ति के साधन के रूप में अहिंसा और सत्याग्रह आवश्यक हैं।

बोस उग्रवादी प्रतिरोध के समर्थक थे तथा इनके अनुसार हिंसक प्रतिरोध से ही भारत स्वतंत्र हो सकता था।

साधन और साध्य

गांधी ने वांछनीय उद्देश्यों के लिये अनैतिक तरीकों का उपयोग करने के विचार को अस्वीकार करते हुए नैतिक साधनों पर ज़ोर दिया।

कार्रवाई के परिणाम पर ध्यान केंद्रित किया और इसके अतिरिक्त भारत की स्वतंत्रता के लिये धुरी शक्तियों (जर्मनी और जापान) के साथ गठबंधन भी किया।

सरकार की संरचना

आत्मनिर्भर ग्राम गणराज्यों के साथ विकेंद्रीकरण की मांग की और साथ ही राज्य के न्यूनतम नियंत्रण का समर्थन किया।

समाजवादी योजना के साथ एक सुदृढ़ केंद्रीय सरकार का समर्थन किया और इनके अनुसार प्रारंभ में एक सत्तावादी प्रणाली आवश्यक थी।

आर्थिक दृष्टि

औद्योगीकरण और वृहद स्तर के मशीनीकरण का विरोध किया और एक आत्मनिर्भर, ग्राम-आधारित अर्थव्यवस्था की वकालत की।

आर्थिक विकास और सामाजिक उत्थान के लिये आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और वैज्ञानिक विकास का समर्थन किया।

जाति और अस्पृश्यता

उन्होंने अस्पृश्यता का विरोध किया, लेकिन सामाजिक समरसता के लिये वर्ण व्यवस्था का समर्थन किया और जाति-आधारित कर्तव्यों की वकालत की।

जाति व्यवस्था का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया और जातिविहीन, समतावादी समाज और अंतर्जातीय विवाह की वकालत की।

सैनिक शासन

सैन्यवाद का विरोध किया और न्यूनतम रक्षात्मक बल में विश्वास किया तथा शांति एवं अहिंसा पर ज़ोर दिया।

सैन्य अनुशासन की प्रशंसा की; ब्रिटिश शासन से लड़ने के लिये इंडियन नेशनल आर्मी की स्थापना की।

शिक्षा

बुनियादी शिक्षा (नई तालीम) का समर्थन किया, जिसमें नैतिकता, आत्मनिर्भरता और स्थानीय शिल्प में व्यावसायिक प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया।

औद्योगिक और राष्ट्रीय विकास के लिये तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में उच्च शिक्षा पर ज़ोर दिया गया।

ब्रिटिश शासन के प्रति दृष्टिकोण

ब्रिटिशों के साथ सहयोग को अस्वीकार कर दिया, विशेष रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, और फासीवादी शक्तियों के साथ गठबंधन का विरोध किया।

ब्रिटिश पाखंड की आलोचना की और भारत की स्वतंत्रता के लिये उनकी कमज़ोरियों का फायदा उठाने के लिये धुरी शक्तियों के साथ गठबंधन की मांग की।

स्वतंत्रता के लिये विजन

शासन के प्रति नैतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण के साथ अहिंसक सविनय अवज्ञा के माध्यम से स्वराज का समर्थन किया।

क्रांतिकारी कार्रवाई के माध्यम से तत्काल स्वतंत्रता और स्वतंत्रता के बाद पुनर्निर्माण के लिये समाजवादी मॉडल की मांग की।

सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार

  • भारत में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा दिये गए अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा को मान्यता देने और सम्मानित करने के लिये वर्ष 2018 में वार्षिक सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार की स्थापना की गई है।
  • इस पुरस्कार की घोषणा प्रत्येक वर्ष 23 जनवरी को की जाती है।
  • इसमें संस्थान के लिये 51 लाख रुपए का नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र तथा व्यक्तिगत पुरस्कार के लिये 5 लाख रुपए और प्रमाण पत्र दिया जाता है।

रास बिहारी बोस के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • बंगाल में जन्मे रास बिहारी बोस युवावस्था से ही क्रांतिकारी आदर्शों से प्रेरित थे और 16 वर्ष की उम्र में स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए।
  • क्रांतिकारी गतिविधियाँ: अलीपुर बम कांड (1908) के दौरान उन्हें प्रसिद्धि मिली, तथा वर्ष 1912 में वायसराय चार्ल्स हार्डिंग की हत्या की साजिश में उन्होंने भाग लिया।
    • वर्ष 1913 में रास बिहारी बोस की मुलाकात जतिन मुखर्जी (बाघा जतिन) से हुई, जिनके मार्गदर्शन में बोस भारत की स्वतंत्रता के लिये लड़ने के लिये और अधिक दृढ़ हो गए।
    • वह गदर आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप मे उभरकर सामने आए, जो ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिये भारतीय प्रवासियों द्वारा स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक आंदोलन था।
    • वर्ष 1924 में जापान में रास बिहारी बोस की मुलाकात सुभाष चंद्र बोस से हुई, जिसमें वीर सावरकर ने सहयोग किया।
  • जापान पलायन: ब्रिटिश खुफिया एजेंसी से बचकर, उन्होंने वर्ष 1915 में भारत छोड़ दिया और अंततः जापान में शरण ली।
    • वर्ष 1924 में, उन्होंने जापान में भारतीय स्वतंत्रता लीग (आईआईएल) की स्थापना की, जिसका लक्ष्य ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष के लिये भारतीयों को संगठित करना तथा लामबंद करना था।
  • आज़ाद हिंद फौज: वर्ष 1942 में रासबिहारी बोस ने भारत की आज़ादी के लिये लड़ने के लिये  आज़ाद हिंद फौज का गठन किया।
    • उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने की उनकी क्षमता को पहचानते हुए, आई.एन.ए. का नेतृत्व सुभाष चंद्र बोस को सौंप दिया।

निष्कर्ष:

सुभाष चंद्र बोस और रास बिहारी बोस दोनों की विरासत भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित करती रही है। सुभाष बोस ने आज़ाद हिंद फौज का नेतृत्व किया, जबकि रास बिहारी बोस ने इसकी नींव रखी तथा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिये क्रांतिकारियों को एकजुट करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत की स्वतंत्रता के लिये सुभाष चंद्र बोस का दृष्टिकोण महात्मा गांधी के दृष्टिकोण से किस प्रकार भिन्न था?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. औपनिवेशिक भारत के संदर्भ में शाह नवाज खान, प्रेम कुमार सहगल और गुरबख्श सिंह ढिल्लों किस रूप में याद किये जाते हैं? (2021) 

(a) स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन के नेता के रूप में
(b) 1946 में अंतरिम सरकार के सदस्यों के रूप में
(c) संविधान सभा में प्रारूप समिति के सदस्यों के रूप में
(d) आज़ाद हिंद फौज (इंडियन नेशनल आर्मी) के अधिकारियों के रूप में

उत्तर: (d)


प्रश्न . भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान निम्नलिखित में से किसने 'फ्री इंडियन लीजन' नामक सेना स्थापित की थी? (2008)

(a) लाला हरदयाल
(b) रासबिहारी बोस
(c) सुभाष चंद्र बोस
(d) वी.डी. सावरकर

उत्तर: c