ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के साथ एग्रीकल्चर स्टार्टअप
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के एग्रीकल्चर कमोडिटी स्टार्टअप्स को केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) और राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM) से जोड़ने की योजना बना रही है।
मुख्य बिंदु:
- राज्य सरकार ने कृषि विभाग को निर्देश दिया है कि वह विशेष किसान उत्पादक सेल का उपयोग करके किसान उत्पादक संगठनों (FPO) को ONDC और ई-नाम से जोड़े, जिसका गठन शीघ्र ही किया जाएगा।
- राज्य उर्वरकों, बीजों और कीटनाशकों जैसे इनपुट के लिये लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके, साथ ही साथ बाज़ार यार्ड, वस्तु एवं सेवा कर (GST), भारतीय खाद्य सुरक्षा तथा मानक प्राधिकरण (FSSAI) के लिये लाइसेंस एवं बाज़ार तक पहुँच के लिये ONDC व e-NAM प्लेटफार्मों के साथ जुड़कर एक खुले कृषि बाज़ार का समर्थन करने की योजना बना रहा है।
- आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के तहत उत्तर प्रदेश में वर्तमान में लगभग 3,240 FPO सक्रिय हैं।
- आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के तहत 2,725 FPO का गठन किया जाएगा, जिससे 27.25 लाख शेयरधारक किसानों को सीधे लाभ मिलेगा।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने और कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को लागू करने हेतु उद्योग भागीदारों के साथ सहयोग किया है।
- उनका लक्ष्य भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry- CII) के साथ साझेदारी में नवंबर 2024 में कृषि भारत वैश्विक किसान सम्मेलन आयोजित करना भी है।
- लखनऊ में आयोजित चार दिवसीय कार्यक्रम में अमेरिका, जर्मनी, ब्राज़ील, इटली, पोलैंड, फ्राँस, स्पेन, इंडोनेशिया और केन्या सहित कई देशों के किसानों के शामिल होने की उम्मीद है।
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC)
- ONDC का उद्देश्य किसी विशिष्ट प्लेटफॉर्म पर स्वतंत्र, खुले विनिर्देशों और ओपन नेटवर्क प्रोटोकॉल का उपयोग करते हुए ओपन-सोर्स पद्धति पर विकसित ओपन नेटवर्क को बढ़ावा देना है।
- ओपन-सोर्स तकनीक पर आधारित नेटवर्क के माध्यम से ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को एकीकृत करने की परियोजना को भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India) को सौंपा गया है।
- ONDC जिसका कार्यान्वयन एकीकृत भुगतान प्रणाली (UPI) की तर्ज पर होने की उम्मीद है, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा किये गए विभिन्न परिचालन पहलुओं को समान स्तर पर ला सकता है।
- विभिन्न परिचालन पहलुओं में विक्रेताओं की ऑनबोर्डिंग, विक्रेता की खोज, मूल्य की खोज और उत्पाद सूचीकरण आदि शामिल हैं।
- ONDC पर खरीदार और विक्रेता इस तथ्य के बावजूद लेन-देन कर सकते हैं कि वे एक विशिष्ट ई-कॉमर्स पोर्टल से जुड़े हुए हैं।
राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM )
- यह एग्रीकल्चर कमोडिटी के लिये अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है।
- यह किसानों को अपनी उपज सीधे खरीदारों को बेचने में सक्षम बनाता है, बिचौलियों को कम करता है, उचित मूल्य सुनिश्चित करता है और स्थिरता को बढ़ाता है।
भारत में कृषि-निर्यात को बढ़ावा देने हेतु अन्य सरकारी योजनाएँ
- ऑपरेशन ग्रीन: ऑपरेशन ग्रीन फलों और सब्जियों सहित आवश्यक कृषि वस्तुओं की आपूर्ति तथा कीमतों को स्थिर करने की एक पहल है।
- इसका उद्देश्य मूल्य अस्थिरता को कम करना, किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना तथा सतत् कृषि निर्यात को बढ़ावा देना है।
- बाज़ार पहुँच पहल (MAI): MAI एक ऐसा कार्यक्रम है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में भागीदारी, क्षमता निर्माण और बाज़ार अनुसंधान सहित निर्यात संवर्द्धन गतिविधियों का समर्थन करता है। यह भारतीय कृषि निर्यातकों को नए बाज़ार तलाशने तथा बाज़ार तक पहुँच हासिल करने में सहायता करता है।
- कृषि-समुद्री प्रसंस्करण और कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टरों के विकास के लिये योजना (SAMPADA): SAMPADA का उद्देश्य कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टरों के लिये बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण करना है, जिससे फसल-उपरांत होने वाले नुकसान को कम करने, कृषि उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने और भारतीय कृषि-उत्पादों की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
- राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM): NHM जैविक खेती, परिशुद्ध खेती और जल-उपयोग दक्षता सहित सतत् बागवानी प्रथाओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है। यह निर्यात के लिये उच्च मूल्य वाले बागवानी उत्पादों के उत्पादन का समर्थन करता है।
- APEDA (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण): APEDA अनुसूचित उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये ज़िम्मेदार है तथा निर्यातकों के लिये स्थिरता, गुणवत्ता एवं प्रमाणन आवश्यकताओं के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
- कृषि निर्यात क्षेत्रों Agri Export Zones- AEZ) की स्थापना: विशिष्ट कृषि वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये देश के विभिन्न भागों में AEZ स्थापित किये गए हैं।
- ये क्षेत्र बुनियादी ढाँचे के विकास और प्रौद्योगिकी अपनाने के माध्यम से सतत् कृषि निर्यात के लिये अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं।
- जैविक खेती को बढ़ावा: सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये कार्यक्रम शुरू किये हैं, जो पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देता है और जैविक उत्पादों की निर्यात क्षमता को बढ़ाता है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry- CII)
- CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योग-नेतृत्व वाला और उद्योग-प्रबंधित संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 1895 में हुई थी।
- यह सलाहकारी और परामर्श प्रक्रियाओं के माध्यम से उद्योग, सरकार तथा नागरिक समाज के साथ साझेदारी करके भारत के विकास के लिये अनुकूल वातावरण बनाने एवं बनाए रखने के लिये कार्य करता है।