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संसद टीवी संवाद


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संसद टीवी विशेष: भारत-वियतनाम संबंध

  • 21 Aug 2024
  • 18 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत और वियतनाम, व्यापक रणनीतिक साझेदारी, आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता, डिजिटल भुगतान, QR कोड, आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र, भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी, महात्मा गांधी, मेकांग-गंगा सहयोग (MGC), यूनेस्को विश्व धरोहर, INS कृपाण, VINBAX-2023 सैन्य अभ्यास, MILAN अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अभ्यास, दक्षिण चीन सागर, आसियान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल अवसंरचना, जलवायु परिवर्तन, सतत् विकास

मेन्स के लिये:

भारत के हितों की सुरक्षा में भारत के पड़ोस और लुक ईस्ट नीति जैसी विदेशी नीतियों का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नई दिल्ली में एक द्विपक्षीय बैठक के दौरान भारत और वियतनाम ने अगले पाँच वर्षों में अपनी द्विपक्षीयव्यापक रणनीतिक साझेदारी’ को मज़बूत करने के लिये एक नई योजना की घोषणा की।

  • यह समझौता दोनों देशों के बीच संबंधों को मज़बूत करने के प्रयासों पर प्रकाश डालता है तथा सीमा शुल्क क्षमता निर्माण, रेडियो और टेलीविजन नेटवर्क, कृषि, कानून और न्याय जैसे क्षेत्रों पर जोर देता है

द्विपक्षीय बैठक की मुख्य बातें क्या हैं?

  • नई कार्य योजना:
    • भारत और वियतनाम ने अगले पाँच वर्षों में अपनी द्विपक्षीय ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ को बढ़ाने के लिये एक नई कार्ययोजना का अनावरण किया।
    • भारत-वियतनाम संबंधों को वर्ष 2016 में 'व्यापक रणनीतिक साझेदारी' के स्तर तक बढ़ा दिया गया था। व्यापक रणनीतिक साझेदारी को लागू करने की कार्ययोजना वर्ष 2024 से 2028 तक लागू की जाएगी।
    • जैसा कि द्विपक्षीय बैठक के बाद घोषणा की गई, इसमें डिजिटल भुगतान कनेक्टिविटी स्थापित करने और आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते की समीक्षा में तेज़ी लाने की पहल शामिल है।
  • समझौते और वित्तीय सहायता:
    • यात्रा के दौरान दोनों देशों ने कृषि अनुसंधान, सीमा शुल्क क्षमता निर्माण, कानून और न्याय, मीडिया और पारंपरिक दवाओं को कवर करने वाले छह समझौता ज्ञापनों (Memorandums of Understanding- MoU) पर हस्ताक्षर किये।
    • भारत ने वियतनाम को कुल 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर की दो ऋण-सीमाएँ भी प्रदान कीं।
  • व्यापार और डिजिटल भुगतान:
    • भारत ने पिछले दशक में विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार और सहयोग में उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डाला, तथा द्विपक्षीय व्यापार में 85% की वृद्धि तथा रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग में तेज़ी का उल्लेख किया।
    • आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते की समीक्षा शीघ्र पूरी होने से इस वृद्धि में सहायता मिलने की उम्मीद है।
    • इसके अतिरिक्त वियतनाम ने 14.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नया द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य प्रस्तावित किया।
    • दोनों राष्ट्र डिजिटल भुगतान कनेक्टिविटी स्थापित करने, QR कोड तथा त्वरित भुगतान के माध्यम से सीमा पार लेनदेन बढ़ाने पर सहमत हुए।
  • रक्षा एवं सुरक्षा पर ध्यान:
    • अभिकर्त्ताओं ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की, जिसमें नयाचांग में भारतीय अनुदान से वित्तपोषित एक नया आर्मी सॉफ्टवेयर पार्क भी शामिल है। 
    • इसके अलावा आतंकवाद से निपटने और साइबर सुरक्षा के लिये भी द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाया जाएगा।
  • मंदिरों का संरक्षण:
    • क्वांग नाम प्रांत के माई सन में स्थित कई प्राचीन शिव मंदिरों के जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिये दोनों सरकारों के बीच एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किये गए।
  • हिंद-प्रशांत विज़न:
    • भारत और वियतनाम दोनों ने एक स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिये  अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिसमें वियतनाम भारत की एक्ट ईस्ट नीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 
    • भारत ने विस्तारवाद की अपेक्षा विकास को प्राथमिकता दी तथा अप्रत्यक्ष रूप से क्षेत्र में चीन की गतिविधियों के विषय में चिंताओं का समाधान किया।

भारत-वियतनाम संबंधों की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • ऐतिहासिक और राजनयिक संबंध:
    • महात्मा गांधी और राष्ट्रपति हो ची मिन्ह (क्रमशः भारत और वियतनाम के राष्ट्रपिता) दोनों ही स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान अपने विचारों में समानता रखते थे।  
    • भारत-वियतनाम के बीच राजनयिक संबंध वर्ष 1972 में स्थापित हुए थे और द्विपक्षीय संबंधों को वर्ष 2007 में सामरिक साझेदारी तक बढ़ाया गया था जिसे वर्ष 2016 में व्यापक सामरिक साझेदारी में बदल दिया गया। 
    • वर्ष 2020 में अपनाया गया "शांति, समृद्धि और लोगों के लिये संयुक्त दृष्टिकोण" अब हमारे संबंधों का मार्गदर्शन करता है। 
    • वर्ष 2022 में दोनों राष्ट्रों ने अपने राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ मनाई और अपने बहुमुखी सहयोग को मज़बूत करने के लिये कार्य करना जारी रखा है।
  • आर्थिक सहयोग:
    • ONGC विदेश लिमिटेड भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान कम्प्यूटर्स लिमिटेड, बैंक ऑफ इंडिया आदि जैसी भारतीय कंपनियों की वियतनाम में उपस्थिति है।
    • भारत और वियतनाम के बीच अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक व्यापार आँकड़े 14.82 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गए।
      • भारत का वियतनाम को निर्यात 5.47 बिलियन अमेरिकी डॉलर था जबकि आयात कुल 9.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। 
      • वर्ष 2009 में हस्ताक्षरित आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता एक तरजीही व्यापार व्यवस्था प्रदान करता है और वर्तमान में समीक्षाधीन है।
    • भारत वियतनाम को इंजीनियरिंग सामान, कृषि उत्पाद, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, खनिज, वस्त्र और प्लास्टिक का निर्यात करता है।
      • वियतनाम से आयात में कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक सामान, मोबाइल फोन, मशीनरी, इस्पात, रसायन, जूते, वस्त्र तथा लकड़ी के उत्पाद शामिल हैं।
    • वियतनाम में भारतीय निवेश कुल मिलाकर लगभग 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें ऊर्जा, खनिज प्रसंस्करण, कृषि प्रसंस्करण, आईटी, ऑटो घटक, फार्मास्यूटिकल्स, और बुनियादी अवसरंचना जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
      • वियतनाम की विदेशी निवेश एजेंसी के अनुसार जनवरी-दिसंबर 2023 की अवधि के दौरान भारत में 53 नई परियोजनाएँ थीं, जिनका कुल मूल्य 131.90 मिलियन अमरीकी डॉलर था।
      • इसके विपरीत भारत में वियतनाम का निवेश लगभग 28.55 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो मुख्य रूप से उपभोक्ता वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स, निर्माण, आईटी  और फार्मास्यूटिकल्स में है।
  • विकास साझेदारी:
    • मेकांग-गंगा सहयोग (MGC) फ्रेमवर्क के तहत विकास साझेदारी के तहत भारत ने 35 से अधिक वियतनामी प्रांतों में लगभग 45 त्वरित प्रभाव परियोजनाएँ पूरी की हैं और अन्य 10 परियोजनाएँ चल रही हैं।
      • वर्ष 2000 में स्थापित MGC में कंबोडिया, लाओस, म्याँमार, थाईलैंड, वियतनाम और भारत शामिल हैं, जो पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा, आईटी, दूरसंचार तथा परिवहन पर केंद्रित हैं।
    • भारत ने क्वांग-नाम प्रांत में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल 'माय सन' के संरक्षण का भी समर्थन किया है, जिसमें भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण- 2022 में इन स्थलों पर कई मंदिरों का जीर्णोद्धार पूरा करना शामिल है।
  • रक्षा और सुरक्षा संबंध:
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान:
    • भारतीय और वियतनामी संस्थानों के बीच समझौता ज्ञापन शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं।
    • हो ची मिन्ह सिटी में पूर्वोत्तर भारत महोत्सव जैसे कार्यक्रम सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाते हैं। प्राचीन बौद्ध संबंध वियतनामी बौद्ध विद्वानों और तीर्थयात्रियों की भारत यात्रा में परिलक्षित होते हैं।
    • वियतनाम में योग का व्यापक रूप से अभ्यास किया जाता है, और कई भारतीय योग शिक्षक इसकी लोकप्रियता में योगदान देते हैं।
    • हनोई में स्वामी विवेकानंद भारतीय सांस्कृतिक केंद्र विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने तथा द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारत-वियतनाम संबंधों में चुनौतियाँ क्या हैं?

  • व्यापार असंतुलन और बाज़ार अभिगम: उल्लेखनीय व्यापार वृद्धि के बावज़ूद वियतनाम से भारत का आयात उसके निर्यात से अधिक है, जिससे भारत के लिये व्यापार संतुलन प्रतिकूल बना हुआ है।
    • इन व्यापार असंतुलनों को दूर करना और दोनों देशों के उत्पादों के लिये बाज़ार अभिगम में सुधार करना एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता से संबंधित रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता, भारत-वियतनाम संबंधों के लिये एक चुनौती है।
    • क्षेत्रीय सुरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता के संदर्भ में दोनों देशों की साझा चिंताएँ हैं, लेकिन इन भू-राजनीतिक तनावों को दूर करने के लिये सावधानीपूर्वक कूटनीति की आवश्यकता होती है।
  • अवसंरचनात्मक और रसद बाधाएँ: द्विपक्षीय व्यापार और निवेश का विकास कभी-कभी अवसंरचनात्मक और रसद चुनौतियों के कारण बाधित होता है।
    • सीमित संपर्क, अपर्याप्त बंदरगाह सुविधाएँ तथा अकुशल रसद दोनों देशों के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं के सुचारू प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं।
  • सुरक्षा और रक्षा सहयोग जटिलताएँ: यद्यपि भारत और वियतनाम ने रक्षा सहयोग को सुदृढ़ किया है, फिर भी रक्षा-उपकरण खरीद, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं रणनीतिक संरेखण से संबंधित जटिलताएँ हैं।
    • रक्षा और सुरक्षा में प्रभावी सहयोग सुनिश्चित करने के लिये क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता को नेविगेट करते हुए इन जटिलताओं को सुलझाना आवश्यक है। 

आगे की राह 

  • व्यापक रणनीतिक साझेदारी: दोनों देशों को रक्षा, सुरक्षा एवं क्षेत्रीय स्थिरता सहित प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करके मौजूदा व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करना चाहिये। 
  • रक्षा और सुरक्षा: संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान को बढ़ाकर रक्षा संबंधों को मज़बूत करें। 
    • समुद्री सुरक्षा, साइबर रक्षा और आतंकवाद-रोधी जैसे क्षेत्रों में आगे सहयोग की संभावना तलाशें। 
  • व्यापार वृद्धि: व्यापार बाधाओं को दूर करके, निर्यात-आयात उत्पादों में विविधता लाकर और प्रौद्योगिकी, ऊर्जा एवं फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाकर 20 बिलियन डॉलर के प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य को प्राप्त करने का लक्ष्य रखें। 
    • व्यापार संचालन को सुगम बनाने के लिये आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते की समीक्षा में तेज़ी लाएँ।
  • निवेश के अवसर: बुनियादी ढाँचे, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी में उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं की पहचान करके एवं उनका समर्थन करके द्विपक्षीय निवेश को बढ़ावा देना।
  • मेकांग-गंगा सहयोग: क्षेत्रीय विकास चुनौतियों का समाधान करने वाली प्रभावशाली परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करके मेकांग-गंगा सहयोग ढाँचे का विस्तार करना ज़ारी रखना।
  • इंडो-पैसिफिक विज़न: एक स्वतंत्र, खुला और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र बनाए रखने पर सहयोग करना। क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करने और क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक एकीकरण में आसियान की केंद्रीय भूमिका का समर्थन करने के लिये मिलकर कार्य करना।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, नवीकरणीय ऊर्जा और डिजिटल बुनियादी ढाँचे जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं संयुक्त उद्यमों को बढ़ावा देना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्न:  

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये:(2018)

  1. ऑस्ट्रेलिया
  2.  कनाडा
  3.  चीन
  4.  भारत
  5.  जापान
  6.  यूएसए

उपर्युक्त में से कौन आसियान (ASEAN) के 'मुक्त-व्यापार भागीदारों' में शामिल हैं?

(A) 1, 2, 4 और 5
(B) 3, 4, 5 और 6
(C) 1, 3, 4 और 5
(D) 2, 3, 4 और 6

उत्तर: C


Q. क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership) पद किन देशों के समूहों के संदर्भ में अक्सर सुर्ख़ियों में रहता है? (2016)

(A) जी20
(B) आसियान
(C) एससीओ
(D) सार्क

उत्तर: (B)


मेन्स

प्रश्न. शीतयुद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में भारत की पूर्वोन्मुखी नीति के आर्थिक और सामरिक आयामों का मूल्याकंन कीजिये। (2016)

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