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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पर्सपेक्टिव: भारत-कतर साझेदारी

  • 03 Mar 2025
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

खाड़ी सहयोग परिषद (GCC), प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ग्लोबल साउथ, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), द्रवित प्राकृतिक गैस (LNG), द्रवित पेट्रोलियम गैस (LPG)

मेन्स के लिये:

भारत-कतर संबंधों का सामरिक और आर्थिक महत्त्व, संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह

चर्चा में क्यों?

कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने दोनों देशों (भारत- कतर) के सुदृढ़ होते संबंधों को प्रदर्शित करने के लिये 17 और 18 फरवरी 2025 की दो दिवसीय राजकीय यात्रा की।

इस राजकीय यात्रा से संबंधित मुख्या तथ्य क्या हैं? 

  • रणनीतिक साझेदारी: 
    • भारत और कतर ने दोनों देशों के संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी " के स्तर तक विस्तारित करने पर सहमति व्यक्त की है तथा आगामी पाँच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर 28 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
    • कतर पाँचवाँ खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देश है जिसके साथ भारत ने संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, ओमान और कुवैत के बाद रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • भारत में कतर का निवेश:
    • कतर के सॉवरेन वेल्थ फंड ने भारत में 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है और बुनियादी ढाँचे, नवीकरणीय ऊर्जा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त निवेश करने की वचनबद्धता व्यक्त की है।
  • UPI एकीकरण: 
    • भारत और कतर ने कतर में कतर नेशनल बैंक (QNB) के बिक्री केंद्रों पर भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के संचालन को स्वीकृति प्रदान की तथा देश में UPI स्वीकृति के राष्ट्रव्यापी क्रियान्वयन की आशा व्यक्त की।
  • दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन:
    • दोनों देशों ने दो समझौतों और पाँच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये, जिनमें आर्थिक सहयोग, युवा कार्य और दोहरा कराधान परिवर्जन समझौते जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

भारत-कतर संबंधों का सामरिक और आर्थिक महत्त्व क्या है? 

  • ऊर्जा सहयोग: 
    • कतर भारत का सबसे बड़ा द्रवित प्राकृतिक गैस (LNG), द्रवित पेट्रोलियम गैस (LPG) आपूर्तिकर्त्ता है, जिससे ऊर्जा क्षेत्र उनके आर्थिक संबंधों का एक प्रमुख स्तंभ बन गया है। 
      • फरवरी 2024 में, कतर एनर्जी और पेट्रोनेट LNG लिमिटेड ने वर्ष 2028 से वार्षिक रूप से 7.5 मिलियन मीट्रिक टन LNG की आपूर्ति के लिये 20 वर्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये।
  • कार्यबल और धनप्रेषण संबंध: 
    • कतर की कुल जनसंख्या में लगभग 25% लोग भारतीय मूल के हैं, जो भारत और कतर के बीच एक महत्त्वपूर्ण सेतु की भूमिका निभाते हैं।
    • भारत कतर में भारतीय श्रमिकों के लिये UPI-आधारित धनप्रेषण समाधान शुरू करने पर काम कर रहा है, जिससे वित्तीय लेनदेन आसान और लागत प्रभावी हो जाएगा।
    • भारत ने श्रम स्थितियों को विनियमित करने, श्रमिकों के लिये बेहतर व्यवहार और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये कतर के साथ समझौते किये हैं।       
  • खाद्य सुरक्षा सहयोग:
    • भारत और कतर लंबे समय से खाद्य सुरक्षा सहयोग की संभावनाएँ तलाश रहे हैं। खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) द्वारा घेराबंदी के दौरान भारत ने ओमान के माध्यम से कतर को आवश्यक खाद्य पदार्थ (सब्जियाँ, फल, खाद्य तेल आदि) की आपूर्ति की थी।
      • घेराबंदी ने कतर की स्थिर और भरोसेमंद खाद्य आपूर्ति की आवश्यकता को उजागर किया, जिसमें भारत एक प्रमुख साझेदार है।
    • भौगोलिक निकटता, कम माल ढुलाई लागत और उच्च गुणवत्ता वाले कृषि उत्पाद भारत को एक आदर्श खाद्य आपूर्तिकर्त्ता बनाते हैं।
    • कतर ने स्थिर खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये भारतीय कृषि सहकारी समितियों में निवेश करने का प्रस्ताव दिया है। यह सुनिश्चित करना कि खाद्यान्न, तेल और चीनी उपलब्ध हों, विशेषकर तब जब व्यापार प्रतिबंध या घेराबंदी लागू हो।

भारत-कतर द्विपक्षीय संबंधों में चुनौतियाँ क्या हैं?

  • ऊर्जा सुरक्षा जोखिम:
    • कतर भारत का सबसे बड़ा LNG आपूर्तिकर्त्ता होने के बावजूद, वैश्विक ऊर्जा मूल्य में उतार-चढ़ाव और खाड़ी में भू-राजनीतिक तनाव दीर्घकालिक आपूर्ति स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं।
    • नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण की आवश्यकता, पारंपरिक LNG आयात और स्वच्छ ऊर्जा निवेश के बीच संतुलन बनाने में चुनौती उत्पन्न करती है।
  • श्रम एवं भारतीय प्रवासी चिंताएँ:
    • कतर में भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है, जिसमें श्रम अधिकार, पारिश्रमिक और कार्य स्थितियों को लेकर चिंताएँ हैं।
    • श्रम विनियमन पर समझौतों की प्रभावशीलता कार्यान्वयन और निगरानी के लिये दृढ़ इच्छाशक्ति पर निर्भर करती है।
  • खाद्य सुरक्षा जोखिम:
    • आपूर्ति शृंखला में व्यवधान, व्यापार प्रतिबंध, या वर्ष 2017 GCC संकट जैसी अन्य क्षेत्रीय घेराबंदी कतर को भारत के खाद्य निर्यात को प्रभावित कर सकती है।

आगे की राह

  • ऊर्जा सहयोग बढ़ाना:
    • हाइड्रोजन, सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग को धीरे-धीरे बढ़ाते हुए दीर्घकालिक LNG समझौतों का विस्तार करना।
    • ऊर्जा परिवर्तन को सुगम बनाने के लिये भारत की स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में कतर के निवेश को प्रोत्साहित करना।
  • श्रम कल्याण और गतिशीलता सुनिश्चित करना:
    • भारतीय श्रमिकों के लिये श्रम अधिकार, उचित मज़दूरी और सामाजिक सुरक्षा लाभ सुनिश्चित करने के लिये भारत-कतर प्रवासन और गतिशीलता समझौते को मज़बूत करना।
    • भारतीय प्रवासियों के लिये वित्तीय पहुँच में सुधार के लिये UPI-आधारित धनप्रेषण समाधान को लागू करना।
  • एक सुदृढ़ खाद्य सुरक्षा साझेदारी का निर्माण:
    • स्थिर खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये भारतीय कृषि सहकारी समितियों में कतरी निवेश को सुविधाजनक बनाना।
    • खाद्य निर्यात की दक्षता में सुधार के लिये लॉजिस्टिक्स और कोल्ड स्टोरेज बुनियादी ढाँचे को बढ़ाना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन 'खाड़ी सहयोग परिषद' का सदस्य नहीं है? (2016)

(a) ईरान
(b) ओमान
(c) सऊदी अरब
(d) कुवैत

उत्तर: (a)


मेन्स

प्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (2017)

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