संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फंड | 10 Sep 2024

प्रिलिम्स के लिये:

प्रजनन दर, ECOSOC, संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फंड, संयुक्त राष्ट्र महासभा, जनसंख्या और विकास के मुद्दे, लैंगिक समता, संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन अवॉर्ड, विश्व जनसंख्या दिवस, सतत् विकास लक्ष्य

मेन्स के लिये:

विश्व जनसंख्या रिपोर्ट का महत्त्व, जनसंख्या और विकास से संबंधित मुद्दे, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे

संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फंड (UNFPA) क्या है?

  • परिचय:
    • UNFPA, संयुक्त राष्ट्र की यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी है।
    • संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन एक्टिविटीज़ फंड की स्थापना वर्ष 1967 में एक ट्रस्ट के रूप में की गई थी।
    • इस एजेंसी ने वर्ष 1969 में कार्य करना शुरू किया, उसी वर्ष संयुक्त राष्ट्र महासभा ने घोषणा की कि "माता-पिता को अपने बच्चों की संख्या और समय को स्वतंत्र रूप से तथा ज़िम्मेदारी से निर्धारित करने का विशेष अधिकार है।"
    • जनसंख्या के संबंध में संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में एजेंसी की अग्रणी भूमिका को परिलक्षित करते हुए वर्ष 1987 में आधिकारिक तौर पर इसका नाम बदलकर संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फंड कर दिया गया।
  • मिशन:
    • इसका मिशन एक ऐसे विश्व का निर्माण करना है, जहाँ सभी गर्भावस्था वांछित हो, हर प्रसव सुरक्षित हो और प्रत्येक युवा का सामर्थ्य पूर्ण हो।
  • मोटो:
    • इसका आदर्श वाक्य “सभी के लिये अधिकार और विकल्प का सुनिश्चय” है।
  • संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में UNFPA:
    • UNFPA संयुक्त राष्ट्र महासभा का एक सहायक अंग है।
    • यह जनसंख्या और विकास के मुद्दों को संबोधित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में एक अद्वितीय भूमिका निभाता है, जिसमें ICPD कार्य कार्यक्रम तथा अंतर्राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों के संदर्भ में प्रजनन स्वास्थ्य और लैंगिक समता पर ज़ोर दिया जाता है।
    • महासभा और आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC), UNFPA का समग्र रूप से नीति के संबंध में मार्गदर्शन करता है।
      • यह प्रशासनिक, वित्तीय और कार्यक्रम मामलों पर 36 संयुक्त राष्ट्र सदस्य राज्यों के UNDP/UNFPA कार्यकारी बोर्ड को रिपोर्ट करता है तथा संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) से सभी नीतियों के संबंध में मार्गदर्शन प्राप्त करता है।
      • कार्यकारी बोर्ड 36 सदस्यों से मिलकर बना है, जिनमें से आठ अफ्रीका से, सात एशिया और प्रशांत से, चार पूर्वी यूरोप से, पाँच लैटिन अमेरिका व कैरिबियन से तथा 12 पश्चिमी यूरोप एवं अन्य विकसित देशों से हैं।
    • यह कोष संबद्ध क्षेत्र में कई अन्य विकास और मानवतावादी एजेंसियों (विशेष रूप से WHO, UNICEF, UNDP और UNAIDS) के साथ मिलकर कार्य करता है।
  • अंतर-सरकारी और अंतर-एजेंसी प्रक्रियाएँ:
    • विकास में प्रभावी भागीदार की भूमिका निभाने के लिये UNFPA को देशों द्वारा अपने नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के सम्मुख आने वाली चुनौतियों और उन चुनौतियों पर संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई के बारे में जानकारी रखने की आवश्यकता होती है।
    • इसे पूरा करने के लिये UNFPA महासभा के लगभग 150 एजेंडा विषयों के वाद-विवाद में सहयोग करता है, ECOSOC के प्रकार्यात्मक तथा क्षेत्रीय अंतर-सरकारी आयोगों में भाग लेता है एवं अन्य संस्थाओं, जैसे देशज मुद्दों पर स्थायी मंच और मानवाधिकार परिषद के साथ मिलकर काम करता है।
    • चूँकि यह UNFPA अधिदेश से संबंधित नीतियाँ तैयार करता है, इसलिये महासभा को तकनीकी सुझाव भी प्रदान करता है।
    • UNFPA संयुक्त राष्ट्र विकास समूह (UNDG) के चार संस्थापक सदस्यों में से एक है, जिसे महासचिव ने 1997 में देश स्तर पर संयुक्त राष्ट्र विकास की सुसंगतता में सुधार करने के लिये बनाया था।
    • UNFPA अंतर-एजेंसी सहयोग और प्रक्रियाओं में भी भाग लेता है। उदाहरण हेतु यह समन्वय के लिये संयुक्त राष्ट्र मुख्य कार्यकारी बोर्ड (CEB) का सदस्य है, जो संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के कार्यकारी प्रमुखों के लिये उनके कार्यों और नीतियों के समन्वय के लिये मुख्य साधन है।
      • संयुक्त राष्ट्र का महासचिव CEB का अध्यक्ष होता है और इसकी बैठक वर्ष में दो बार होती है। वर्ष 2007 में UNDG को CEB के अधीन किया गया था।
  • निकाय:
    • लेखापरीक्षा और जाँच:
      • लेखापरीक्षा और जाँच सेवा कार्यालय (OAIS) आंतरिक लेखापरीक्षा और जाँच जैसे कार्य करता है।
      • OAIS का निदेशक प्रत्यक्ष रूप से UNFPA के कार्यकारी निदेशक को रिपोर्ट करता है और स्वतंत्र एवं वस्तुनिष्ठ आश्वासन के साथ-साथ UNFPA के संचालन को उन्नत बनाने और इसमें सुधार करने के लिये सलाहकार सेवाएँ प्रदान करता है।
    • निरीक्षण सलाहकार समिति:
      • वित्तीय प्रबंधन और रिपोर्टिंग, बाहरी लेखा परीक्षा मामलों, जोखिम प्रबंधन, आंतरिक नियंत्रण एवं जवाबदेही की प्रणालियों व निरीक्षण प्रक्रिया (आंतरिक लेखा परीक्षा, मूल्यांकन, जाँच और नैतिकता कार्य) के संबंध में अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में UNFPA के कार्यकारी निदेशक की सहायता हेतु एक पाँच सदस्यीय निरीक्षण सलाहकार समिति (OAC) की स्थापना की जाती है।
    • स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय:
      • UNFPA में मूल्यांकन तीन मुख्य उद्देश्यों को पूरा करता है। यह जवाबदेही साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने और सीखने को प्रभावी करता है।
      • स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय (IEO) मूल्यांकन पर वार्षिक रिपोर्ट सहित कार्यकारी बोर्ड को सीधे रिपोर्ट करता है।
    • कार्यकारी बोर्ड:
      • कार्यकारी बोर्ड महासभा, आर्थिक और सामाजिक परिषद एवं संयुक्त राष्ट्र चार्टर के नीति मार्गदर्शन के अनुसार UNDP, UNFPA व UNOPS की गतिविधियों को अंतर-सरकारी सहायता प्रदान करता है तथा उनकी निगरानी करता है।
  • अधिदेश:
    • संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) द्वारा वर्ष 1973 में स्थापित तथा वर्ष 1993 में पुनः पुष्टि किये गए UNFPA का अधिदेश है:
      • जनसंख्या एवं परिवार नियोजन में आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु ज्ञान एवं क्षमता का निर्माण करना।
      • विकसित एवं विकासशील दोनों देशों में जनसंख्या समस्याओं तथा इन समस्याओं को हल करने की संभावित रणनीतियों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना।
      • व्यक्तिगत देशों की आवश्यकताओं के लिये सबसे उपयुक्त रूपों एवं साधनों में उनकी जनसंख्या समस्याओं में सहायता करना।
      • जनसंख्या कार्यक्रमों को बढ़ावा देने तथा कोष द्वारा समर्थित परियोजनाओं के समन्वय में संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में अग्रणी भूमिका निभाना।
  • लक्ष्य:
    • UNFPA का लक्ष्य सभी के लिये विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं के लिये यौन एवं प्रजनन अधिकार तथा विकल्प सुनिश्चित करना है, ताकि वे स्वैच्छिक परिवार नियोजन, मातृ स्वास्थ्य देखभाल, व्यापक लैंगिक शिक्षा सहित उच्च गुणवत्ता वाली यौन व प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सकें।
      • यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है और महिलाओं, लड़कियों व युवाओं को अपने शरीर तथा अपने भविष्य पर नियंत्रण रखने के लिये सशक्त बनाता है। 
      • यह यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं की एक विस्तृत शृंखला तक पहुँच प्रदान करने के लिये 150 से अधिक देशों में भागीदारों के साथ कार्य करता है। 
      • इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक परिवार नियोजन, रोकी जा सकने वाली मातृ मृत्यु और लिंग आधारित हिंसा तथा बाल विवाह व महिला जननांग विकृति सहित हानिकारक प्रथाओं को समाप्त करना है।

जनसंख्या एवं विकास पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICPD) क्या है?

  • परिचय:
    • वर्ष 1994 में काहिरा में आयोजित जनसंख्या और विकास पर ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICPD) ने जनसंख्या एवं विकास के मुद्दों पर वैश्विक सोच को बदल दिया तथा  एक साहसिक एजेंडा परिभाषित किया, जिसमें लोगों की गरिमा व अधिकारों को सतत् विकास के केंद्र में रखा गया।
    • सम्मलेन में 179 सरकारों ने ICPD कार्य योजना को अपनाया। इसने पुष्टि की कि प्रजनन अधिकारों सहित मानव अधिकारों को प्राथमिकता दिये बिना समावेशी सतत् विकास संभव नहीं है। इसमें महिलाओं एवं लड़कियों को सशक्त बनाना व असमानताओं के साथ-साथ व्यक्तिगत महिलाओं और पुरुषों की जरूरतों, आकांक्षाओं तथा अधिकारों को संबोधित करना, शामिल है।
    • ICPD ने जन-केंद्रित विकास के लिये मानक निर्धारित किये, संसदों और नागरिक समाज के सहयोग से सरकारों द्वारा कार्य योजना के कार्यान्वयन हेतु राष्ट्रीय नीतियों व कार्यक्रमों का मार्गदर्शन किया, जिसमें महिलाओं तथा युवाओं के नेतृत्व वाले संगठन, निजी क्षेत्र, सामुदायिक समूह एवं जमीनी स्तर पर व्यक्ति शामिल हैं। 
    • ICPD कार्यक्रम और वर्ष 2019 नैरोबी वक्तव्य, जो सतत् विकास के लिये वर्ष 2030 एजेंडा के संदर्भ में उस कार्यक्रम के प्रति पुनः प्रतिबद्धता है, ने तब से UNFPA के कार्य का मार्गदर्शन किया है।
  • वर्तमान ICPD एजेंडा :
    • जन-केंद्रित विकास ने कई प्रगतियों को संभव बनाया है, लेकिन काहिरा में ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के तीस वर्ष बाद, वर्तमान में इनके परिवर्तित हो जाने का खतरा है।
    • आज प्रगति को कई तरह के संकटों से चुनौती मिल रही है, जिसमें महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों तथा विकल्पों में कमी, कोविड-19 महामारी का प्रभाव एवं यौन व प्रजनन स्वास्थ्य तथा अधिकार एजेंडे का ध्रुवीकरण शामिल है।
    • जबकि सामाजिक न्याय, जलवायु कार्रवाई और समानता के लिये प्रगतिशील सक्रियता है, विश्व कठिन परिश्रम से प्राप्त लाभों को संरक्षित करने तथा ICPD एजेंडा एवं सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के विज़न को पूरा करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर है।

UNFPA का वित्तपोषण तंत्र क्या है?

  • UNFPA को संयुक्त राष्ट्र के नियमित बजट से सहायता नहीं मिलती है, बल्कि यह पूरी तरह से दानकर्ता सरकारों, अंतर-सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्र और फाउंडेशनों तथा व्यक्तियों के स्वैच्छिक योगदान से समर्थित है।
  • यह सरकारों और अन्य साझेदारों से वित्तीय संसाधन जुटाता है, ताकि ऐसे कार्यक्रमों का समर्थन किया जा सके, जिनका उद्देश्य "तीन शून्य" अर्थात परिवार नियोजन की शून्य अपूर्ण आवश्यकता, शून्य रोकथाम योग्य मातृ मृत्यु, शून्य हानिकारक प्रथाएँ एवं लिंग आधारित हिंसा को प्राप्त करना तथा वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति को गति देना है।
  • मुख्य संसाधन:
    • मुख्य संसाधन बिना किसी प्रतिबंध के योगदान स्वरुप हैं।
    • UNFPA मुख्य फंडिंग का उपयोग सबसे अधिक ज़रूरतमंद लोगों को आवश्यक यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिये करता है।
    • प्रत्येक वर्ष UNFPA विविध दानदाताओं के समूह से मुख्य संसाधन जुटाने के लिये अभियान चलाता है।
  • गैर-प्रमुख संसाधन:
    • गैर-प्रमुख संसाधनों में निम्नलिखित वित्तपोषण और वित्तीय साधन शामिल हैं:
      • विषयगत निधियाँ जैसे कि UNFPA आपूर्तियाँ, मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य विषयगत निधि, मानवीय कार्रवाई विषयगत निधि और जनसंख्या डेटा विषयगत निधि।
      • संयुक्त राष्ट्र द्वारा संयुक्त और अंतर-एजेंसी तंत्र जैसे बाल विवाह को समाप्त करने के लिये कार्रवाई में तेजी लाने हेतु UNFPA-UNICEF वैश्विक कार्यक्रम; महिला जननांग विकृति के उन्मूलन पर UNFPA-UNICEF संयुक्त कार्यक्रम और महिलाओं एवं लड़कियों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिये स्पॉटलाइट पहल।
  • अन्य संसाधन:
    • अन्य संसाधनों में समेकित वैश्विक वित्तपोषण तंत्र और नवीन वित्तपोषण मॉडल तथा उपकरण जैसे मिश्रित वित्त, प्रभाव निवेश बॉण्ड, वित्तीय एवं बीमा उत्पाद, सामाजिक उद्यमिता, ऋण स्वैप और गारंटी शामिल हैं।

UNFPA द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण क्या हैं?

  • UNFPA का कार्य इस धारणा पर आधारित है कि सभी मनुष्यों को समान अधिकार और सुरक्षा प्राप्त है।
  • यह महिलाओं और युवा लोगों पर ध्यान केंद्रित करता है क्योंकि ये ऐसे समूह हैं जिनकी यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य के अधिकार का प्रयोग करने की क्षमता अक्सर प्रभावित होती है।
  • यह उनकी ओर से काम करता है और जनसंख्या गतिशीलता, मानवाधिकारों तथा सांस्कृतिक संवेदनशीलता की समझ से प्रेरित होता है।
    • मानवाधिकार-आधारित दृष्टिकोण:
      • UNFPA अपने पूरे काम में मानवाधिकार आधारित दृष्टिकोण अपनाता है। इसमें व्यक्तियों और समुदायों को उनके मानवाधिकारों के बारे में शिक्षित करना शामिल है ताकि वे सम्मान तथा बुनियादी सेवाओं की मांग कर सकें जिसके वे हकदार हैं। इस दृष्टिकोण में सरकारों को इन अधिकारों को पूरा करने के लिये सशक्त बनाना भी शामिल है।
      • UNFPA उन एजेंसियों में से एक थी, जिसने वर्ष 2003 में विकास सहयोग के लिये मानव अधिकार आधारित दृष्टिकोण (Human-Rights-Based Approach- HRBA) पर संयुक्त राष्ट्र आम समझ को अपनाया था, जो स्पष्ट करता है कि कार्यक्रमों में मानव अधिकार मानकों और सिद्धांतों को किस प्रकार व्यवहार में लाया जाना चाहिये।
    • अधिकार बनाम आवश्यकता दृष्टिकोण:
      • वर्ष 1997 से पहले अधिकांश संयुक्त राष्ट्र विकास एजेंसियाँ ​​'बुनियादी आवश्यकताओं' के दृष्टिकोण का पालन करती थीं अर्थात् वे लाभार्थियों की बुनियादी आवश्यकताओं की पहचान करती थीं और या तो सेवा वितरण में सुधार के लिये पहल का समर्थन करती थीं या उनकी पूर्ति का समर्थन करती थीं।
      • UNFPA और उसके साझेदार अब लाभार्थियों की आवश्यकताओं के बजाय लोगों के अधिकारों को पूरा करने के लिये काम करते हैं।
      • अधिकार-आधारित दृष्टिकोण कर्तव्य-धारकों में अपने दायित्वों को पूरा करने की क्षमता विकसित करता है और अधिकार धारकों को अपने अधिकारों का दावा करने के लिये प्रोत्साहित करता है। सरकारों के पास तीन स्तर के दायित्व हैं, प्रत्येक अधिकार का सम्मान करना, उसकी रक्षा करना तथा उसे पूरा करना।
    • सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील दृष्टिकोण:
      • वर्ष 2002 में UNFPA ने अधिक सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील तरीके से काम करना शुरू किया ताकि अपने कार्यक्रमों के माध्यम से बेहतर और अधिक टिकाऊ परिणाम प्राप्त किये जा सकें।
      • आस्था-आधारित क्षेत्र के साथ UNFPA के दशकों के अनुभव ने परिवर्तन के सांस्कृतिक एजेंट के रूप में आस्था-आधारित संगठनों को शामिल करने के लिये दिशा-निर्देश तैयार किये हैं।
      • वे राष्ट्रीय क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सिद्धांतों, रणनीतियों तथा परिचालन सहित साझेदारी की रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं।
      • ऐसे संबंधों को आगे बढ़ाने के लिये UNFPA ने विकास साझेदारों हेतु एक मूल्यवान संसाधन, जनसंख्या और विकास के लिये वैश्विक अंतरधार्मिक नेटवर्क, बनाया है।
    • UNFPA में परिणाम-आधारित प्रबंधन:
      • UNFPA 2030 तक तीन महत्त्वाकांक्षी, जन-केंद्रित परिवर्तनकारी परिणाम प्राप्त करने के लिये प्रतिबद्ध है। ये परिवर्तनकारी परिणाम हैं: 
        • रोकथाम योग्य मातृ मृत्यु दर को समाप्त करना;
        • परिवार नियोजन की अपूर्ण आवश्यकता को समाप्त करना और
        • लिंग आधारित हिंसा और महिला जननांग विकृति तथा बाल विवाह, कम उम्र में विवाह एवं जबरन विवाह सहित सभी हानिकारक प्रथाओं को समाप्त करना।

UNFPA की प्रमुख पहल क्या हैं?

  • UNFPA 150 से अधिक देशों और क्षेत्रों में काम करता है, जहाँ विश्व की अधिकांश जनता रहती है।
  • जनसंख्या एवं विकास पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference on Population and Development- ICPD) की वर्ष 1994 की कार्ययोजना के मार्गदर्शन में UNFPA अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिये सरकारों, नागरिक समाज और अन्य एजेंसियों के साथ साझेदारी करता है।
  • फरवरी 2014 में जारी ICPD बियॉन्ड 2014 ग्लोबल रिपोर्ट से पता चला कि कितनी प्रगति हुई है और कितना महत्त्वपूर्ण कार्य अभी किया जाना बाकी है।
  • रिपोर्ट में पहचानी गई कार्रवाइयाँ और सिफारिशें ICPD कार्य कार्यक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा वर्ष 2015 के बाद के विकास एजेंडे के साथ इसके संबंध स्थापित करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • 2030 तक तीन शून्य: वर्ष 2018 में UNFPA ने 2030 तक तीन परिवर्तनकारी परिणाम प्राप्त करने के प्रयास शुरू किये, जिन्हें तीन शून्य के रूप में भी जाना जाता है:
    • परिवार नियोजन की अपूर्ण आवश्यकता को समाप्त करना: परिवार नियोजन की अपूर्ण आवश्यकता को समाप्त करना। यह विकासशील देशों को दान की गई गर्भनिरोधक दवाओं  का विश्व का सबसे बड़ा प्रदाता है और इसके कार्यक्रम गर्भनिरोधक दवाओं की उपलब्धता बढ़ाते हैं तथा सेवाओं में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं।
    • मातृ मृत्यु (निवार्य) को समाप्त करना: रोके जा सकने वाली (निवार्य) मातृ मृत्यु को शून्य करना। इसने स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ करने, स्वास्थ्य कर्मियों व दाइयों (प्रसाविका) को प्रशिक्षित और शिक्षित करने तथा प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी शृंखला तक पहुँच में सुधार करने में मदद की है। महिलाओं के मातृ स्वास्थ्य के लिये इसका समर्थन 32 देशों में विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है, जहाँ मातृ मृत्यु दर तथा रुग्णता की दर सबसे अधिक है।
    • लिंग आधारित हिंसा और हानिकारक प्रथाओं को समाप्त करना: लिंग आधारित हिंसा और हानिकारक प्रथाओं को शून्य करना। यह नीति निर्माताओं, न्याय प्रणालियों तथा स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ काम करता है एवं लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने के लिये पुरुषों व लड़कों को शामिल करता है। यह मानवीय संकटों सहित आवश्यक सेवाओं का संयोजन प्रदान करके लिंग आधारित हिंसा के बचे लोगों की रक्षा करता है।
  • राष्ट्र स्तर पर कार्य करना: वर्ष 2014-2017 रणनीतिक योजना के अनुरूप, UNFPA सरकारों के साथ मिलकर और हमेशा उनके अनुरोध पर कार्य करता है।
    • UNFPA ICPD कार्य कार्यक्रम में उल्लिखित लक्ष्यों की प्राप्ति में उनका समर्थन करता है, जिसमें परिवार नियोजन सहित यौन व प्रजनन स्वास्थ्य एवं अधिकारों तक सार्वभौमिक पहुँच, मातृ मृत्यु तथा विकलांगता में कमी शामिल है।
    • जनसंख्या और प्रजनन स्वास्थ्य पर अग्रणी बहुपक्षीय एजेंसी के रूप में UNFPA यह सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि जनसंख्या-गरीबी संबंध एवं ICPD अधिकार-आधारित एजेंडा को अन्य एजेंसियों के समन्वय में देश स्तर पर नियोजन में एकीकृत किया जाए।
  • डेटा को परिप्रेक्ष्य में रखना: किसी देश की जनसंख्या, वृद्धि, विशेषताओं, जीवन स्तर, भौगोलिक वितरण और भौतिक संसाधनों के बारे में जानकारी या डेटा नीति निर्माण, नियोजन तथा कार्यान्वयन के लिये आवश्यक है।
    • जनसंख्या स्थिति विश्लेषण UNFPA द्वारा बनाए गए टूल्स में से एक है, जो देशों को जनसंख्या गतिकी, प्रजनन स्वास्थ्य और लैंगिक मुद्दों को राष्ट्रीय विकास रणनीतियों में एकीकृत करने में मदद करता है।
  • क्षेत्रीय और वैश्विक समर्थन:
    • UNFPA अपने मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भी कार्य करता है।
    • यह वार्षिक रूप से अपनी प्रमुख विश्व जनसंख्या रिपोर्ट प्रकाशित करता है, टू यंग टू वेड जैसी प्रदर्शनियों का समर्थन करता है और ग्लोबल एजुकेशन फर्स्ट इनिशिएटिव में भाग लेता है, जो उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के लिये वैश्विक आंदोलन को सुदृढ़ करने के लिये वैश्विक अभिकर्त्ताओं एवं अधिवक्ताओं को एक साथ लाता है।
    • UNFPA नागरिक समाज और सांसदों के साथ भी मिलकर कार्य करता है।
    • यह जनसंख्या के महत्त्व और ICPD कार्य योजना को सभी अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंडों में शामिल करने की आवश्यकता के लिये कई क्षेत्रीय, विषयगत तथा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एक प्रबल, तथ्य-आधारित तर्क प्रस्तुत करता है।
  • नागरिक पंजीकरण और महत्त्वपूर्ण सांख्यिकी प्रणालियों के लिये उत्कृष्टता केंद्र:
    • द सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सिविल रजिस्ट्रेशन एंड वाइटल स्टेटिस्टिक्स (CoE-CRVS) एक वैश्विक संसाधन केंद्र है, जो सभी नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के लिये कार्यरत सतत् नागरिक पंजीकरण एवं महत्त्वपूर्ण सांख्यिकी (CRVS) प्रणालियों को विकसित, सुदृढ़ तथा प्रोत्साहित करने के लिये राष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक प्रयासों का सक्रिय रूप से समर्थन करता है।
    • CoE-CRVS की स्थापना वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय विकास अनुसंधान केंद्र (IDRC, कनाडा) में की गई थी। अगस्त 2021 में CoE-CRVS ने 150 से अधिक देशों में गतिविधियों के साथ UNFPA के वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से केंद्र की पहुँच का विस्तार करने के लिये UNFPA में संक्रमण किया। CoE-CRVS को ग्लोबल अफेयर्स कनाडा, IDRC और UNFPA द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है।
  • रणनीतिक योजना (वर्ष 2022-2025):
    • यह विश्व भर के हितधारकों को सभी के लिये यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य तक पहुँच प्राप्त करने, जनन अधिकारों को साकार करने, जनसंख्या और विकास पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICPD) के कार्य कार्यक्रम के कार्यान्वयन में तेज़ी लाने के उद्देश्य से UNFPA में शामिल होने के लिये आमंत्रित करती है।
    • वर्ष 2030 तीन क्रांतिकारी लक्ष्यों– परिवार नियोजन की आवश्यकताओं (जिनकी पूर्ति नहीं हुई है) का उन्मूलन, मातृ मृत्यु दर पर नियंत्रण और लिंग आधारित हिंसा एवं हानिकारक प्रथाओं का उन्मूलन, को प्राप्त करने की आसन्न समय-सीमा को चिह्नित करता है।
    • नई रणनीतिक योजना महिलाओं, किशोरों और युवाओं जो बदलाव के प्रमुख अभिकर्त्ता हैं, के अधिकारों एवं समावेशी भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करके सबसे कमज़ोर समूहों को प्राथमिकता देती है, जिसमें गरीबी में रहने वाले, दिव्यांगजन या वंचित समुदायों से आने वाले लोग शामिल हैं।
  • यौन व प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों के लिये आपूर्ति शृंखला भागीदार:
    • UNFPA यौन व प्रजनन स्वास्थ्य (SRH) आपूर्ति की खरीद के लिये संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की एक अग्रणी एजेंसी है, जो गर्भनिरोधकों दवाओं की सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की खरीदकर्त्ता है।
  • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पुरस्कार:
    • प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पुरस्कार समिति जनसंख्या एवं प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी प्रश्नों तथा उनके समाधान में उत्कृष्ट योगदान के लिये किसी व्यक्ति और/या संस्था को सम्मानित करती है।
  • विश्व जनसंख्या दिवस:
    • विश्व जनसंख्या दिवस जो जनसंख्या संबंधी मुद्दों की तात्कालिकता और महत्त्व पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करता है, की शुरुआत वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की तत्कालीन शासी परिषद द्वारा की गई थी, जो 11 जुलाई 1987 की तारीख जिस पर विश्व की अनुमानित जनसंख्या पाँच अरब हो गई थी, के सार्वजनिक हित से प्रेरित थी। 
    • इसका उद्देश्य पर्यावरण और विकास के साथ उनके संबंधों सहित जनसंख्या संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स 

प्रश्न. समालोचनापूर्वक परीक्षण कीजिये कि क्या बढ़ती हुई जनसंख्या निर्धनता का मुख्य कारण है या कि निर्धनता जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है। (2015)

प्रश्न. क्या कारण है कि भारत के कुछ अत्यधिक समृद्ध प्रदेशों में महिलाओं के लिये प्रतिकूल स्त्री-पुरुष अनुपात है? अपने तर्क पेश कीजिये। ( 2014)