थर्टी मीटर टेलीस्कोप (TMT) | 19 Jul 2024
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में बंगलुरु स्थित भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics- IIA) के भारतीय शोधकर्ताओं ने आगामी थर्टी मीटर टेलीस्कोप (Thirty Meter Telescope- TMT) के अनुकूली प्रकाशिकी प्रणाली (Adaptive Optics System- AOS) के लिये एक व्यापक तारा सूची तैयार करने हेतु एक नया ऑनलाइन टूल विकसित किया है।
थर्टी मीटर टेलीस्कोप (TMT) की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- परिचय:
- यह हवाई के मौना कीआ में शुरू होने वाली एक महत्त्वाकांक्षी अंतर्राष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें भारत, अमेरिका, कनाडा, चीन और जापान शामिल हैं, जिसका उद्देश्य ब्रह्मांड की समझ को महत्त्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाना है।
- भारत TMT परियोजना में एक प्रमुख साझेदार है तथा IIA स्थित भारत TMT केंद्र राष्ट्रीय सहयोग का नेतृत्व कर रहा है।
- TMT एक अगली पीढ़ी की खगोलीय वेधशाला है जिसे इसके विशाल 30-मीटर प्राथमिक दर्पण, उन्नत अनुकूली प्रकाशिकी प्रणाली और अत्याधुनिक उपकरणों के साथ अभूतपूर्व रिज़ॉल्यूशन तथा संवेदनशीलता प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- TMT, विशाल मैगलन टेलीस्कोप और यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला का अत्यंत विशाल टेलीस्कोप, भू-आधारित खगोल विज्ञान के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- यह हवाई के मौना कीआ में शुरू होने वाली एक महत्त्वाकांक्षी अंतर्राष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें भारत, अमेरिका, कनाडा, चीन और जापान शामिल हैं, जिसका उद्देश्य ब्रह्मांड की समझ को महत्त्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाना है।
- प्राथमिक लक्ष्य:
- प्रारंभिक ब्रह्मांड और बिग बैंग के बाद पहली आकाशगंगाओं तथा तारों के निर्माण एवं विकास का अध्ययन करना।
- ब्रह्मांडीय समय में आकाशगंगाओं के निर्माण, संरचना और विकास की जाँच करना।
- अतिविशाल ब्लैक होल और उनकी मेज़बान आकाशगंगाओं के बीच संबंध का अध्ययन करना।
- तारों और ग्रह प्रणालियों के निर्माण की जाँच करना।
- एक्सोप्लैनेट की विशेषता बताना और उनके वायुमंडल का अध्ययन करना।
- अनुकूली प्रकाशिकी प्रणाली (AOS) और नया ऑनलाइन टूल:
- TMT का AOS, जिसे नैरो फील्ड इंफ्रारेड एडेप्टिव ऑप्टिक्स सिस्टम (Narrow Field Infrared Adaptive Optics System- NFIRAOS) के रूप में जाना जाता है, वायुमंडलीय अशांति को ठीक करने और छवि रिज़ॉल्यूशन को बढ़ाने के लिये विकृत दर्पण तथा लेज़र गाइड स्टार (Laser Guide Stars- LGS) का उपयोग करता है।
- यह सुविधा कृत्रिम मार्गदर्शक तारे बनाने के लिये आकाश में नौ लेज़र तक प्रक्षेपित करेगी। हालाँकि वायुमंडलीय अशांति इन लेज़र किरणों को प्रभावित करती है, इसलिये वायुमंडलीय टिप-टिल्ट (Tip-Tilt) को मापना अनिश्चित है।
- इन प्रभावों को ठीक करने के लिये AO प्रणाली को तीन वास्तविक तारों, जिन्हें प्राकृतिक मार्गदर्शक तारे (Natural Guide Stars- NGS) के रूप में जाना जाता है, से फीडबैक की आवश्यकता होती है।
- शोधकर्त्ताओं ने एक स्वचालित कोड विकसित किया है जिसका उपयोग निकट अवरक्त (NIR) तारों की सूची बनाने के लिये एक ऑनलाइन उपकरण के रूप में किया जा सकता है।
- स्वचालित कोड, विभिन्न प्रकाशीय आकाश सर्वेक्षणों में पहचाने गए तारकीय स्रोतों के अपेक्षित निकट-अवरक्त परिमाणों की गणना उनके प्रकाशीय परिमाणों का उपयोग करके कर सकता है।
अन्य प्रमुख टेलीस्कोप
- PRATUSH टेलीस्कोप
- जेम्स वेब टेलीस्कोप
- स्क्वायर किलोमीटर ऐरे ऑब्ज़र्वेटरी (SKAO)
- कोडाइकनाल सोलर ऑब्ज़र्वेटरी
- यूक्लिड मिशन फॉर डार्क मैटर एंड डार्क एनर्जी
- टोक्यो अटाकामा ऑब्ज़र्वेटरी
- ब्रह्मांड का 3-D मानचित्र
इसी प्रकार की अन्य परियोजनाएँ जिनका भारत हिस्सा है:
- यूरोपियन काउंसिल फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN): "गॉड पार्टिकल" संबंधी परियोजना
- CMS: CMS उन प्रयोगों में से एक है, जिसमें हिग्स बोसॉन या 'गॉड पार्टिकल' की खोज की गई।
- ALICE: ALICE में बिग बैंग के दौरान मौजूद स्थितियों का पता लगाया गया।
- इंटरनेशनल फैसिलिटी फॉर एंटीप्रोटॉन एंड आयन रिसर्च (FAIR): यह द्रव्य के संरचनात्मक भागों और ब्रह्मांड के विकास के अध्ययन से संबंधित है।
- NUSTAR (परमाणु संरचना, खगोल भौतिकी और अभिक्रियाएँ)
- CBM (संपीड़ित बैरियोनिक पदार्थ)
- PANDA (डार्मस्टाट में एंटीप्रोटॉन विलोपन)
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के संदर्भ में, हाल ही में समाचारों में रहे दक्षिण ध्रुव पर स्थित एक कण डिटेक्टर 'आइसक्यूब' के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हाल ही में खबरों में रहा "भुवन" क्या है? (2010) (a) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इसरो द्वारा लॉन्च किया गया एक छोटा उपग्रह उत्तर: (c) |