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प्रिलिम्स फैक्ट्स: 19 अक्तूबर, 2021

  • 19 Oct 2021
  • 15 min read

अर्थशॉट पुरस्कार 2021

The Earthshot Prize 2021

दिल्ली के उद्यमी ‘विद्युत मोहन’ को हाल ही में ‘अर्थशॉट पुरस्कार’ के लिये चुना गया है। 

  • उन्होंने यह पुरस्कार अपनी नवीन तकनीक के लिये जीता है, जो ईंधन बनाने हेतु कृषि अपशिष्ट का पुनर्चक्रण करती है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • यह प्रिंस विलियम और रॉयल फाउंडेशन द्वारा स्थापित पुरस्कार है। ‘रॉयल फाउंडेशन’ ड्यूक एंड डचेज़ ऑफ कैम्ब्रिज और इतिहासकार डेविड एटनबरो द्वारा स्थापित चैरिटी है। 
    • इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 2020 में की गई थी और वर्ष 2021 में पहली बार फाइनलिस्टस को उनके योगदान के लिये पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है।
    • यह पुरस्कार जलवायु संकट से मुकाबला करने हेतु समाधान विकसित करने के लिये वर्ष 2021 और वर्ष 2030 के बीच पाँच फाइनलिस्टस को दिया जाएगा।
      • विजेता को एक मिलियन यूरो की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी। विजेताओं का चयन अर्थशॉट पुरस्कार परिषद द्वारा किया जाएगा।
    • प्रत्येक वर्ष पाँच संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) में से प्रत्येक के लिये पाँच विजेताओं का चयन किया जाएगा, ये हैं:
      • प्रकृति की बहाली और संरक्षण
      • स्वच्छ वायु
      • महासागर पुनरुद्धार
      • अपशिष्ट-मुक्त जीवन
      • जलवायु कार्यवाही
  • पात्रता:
    • यह पुरस्कार उन व्यक्तियों, टीमों या सहयोगों जैसे- वैज्ञानिक, कार्यकर्त्ता, अर्थशास्त्री, सामुदायिक परियोजनाएँ, नेता, सरकारें, बैंक, व्यवसाय, शहर और देश को प्रदान किये जा सकते हैं, जिनके व्यावहारिक समाधान जलवायु संकट से मुकाबला करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • उद्देश्य
    • पृथ्वी की पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिये प्रोत्साहित करना और उनका समर्थन करना।
    • परिवर्तन हेतु प्रोत्साहित करना और अगले दस वर्षों में पृथ्वी के पुनरुद्धार में मदद करना।
    • परिवर्तन लाने हेतु मानवीय क्षमताओं को उजागर करके और सामूहिक कार्रवाई के लिये प्रेरित कर पर्यावरणीय मुद्दों की वर्तमान निराशावाद की स्थिति को आशावाद में बदलना।
  • अर्थशॉट पुरस्कार 2021 भारतीय विजेता:
    • ‘क्लीन आवर एयर’ (भारत): कृषि अपशिष्ट को उर्वरक में बदलने हेतु बनाई गई एक पोर्टेबल मशीन, ताकि किसान अपने कृषि अपशिष्ट को खेतों में न जलाएँ, इससे वायु प्रदूषण को कम किया जा सकेगा।
      • यह तकनीक फसल अवशेषों को ईंधन और उर्वरक जैसे बिक्री योग्य जैव उत्पादों में बदलने में मदद करेगी।
      • यह तकनीक धुएँ और कार्बन के उत्सर्जन को 98% तक कम करती है।
      • कृषि अपशिष्ट को जलाने से वायु प्रदूषण होता है जिससे कुछ क्षेत्रों में जीवन प्रत्याशा एक दशक तक कम हो गई है।

एलियम नेगियनम: प्याज़ की नई प्रजाति

Allium Negianum: A New Species of Onion 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड में खोजे गए एक नए पौधे- ‘एलियम नेगियनम’ के ऐसे जीनस से संबंधित होने की पुष्टि की गई है, जिसमें ‘प्याज़’ और ‘लहसुन’ जैसे कई प्रमुख खाद्य पदार्थ शामिल हैं।

  • एक खाद्य पदार्थ जनसंख्या के आहार का प्रमुख हिस्सा होते हैं। इन्हें नियमित रूप से और दैनिक आधार पर प्रयोग किया जाता है तथा ये व्यक्ति की ऊर्जा एवं पोषण संबंधी आवश्यकताओं के एक बड़े हिस्से की आपूर्ति करते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • एलियम, ‘ऐमेरिलिडैसी’ (Amaryllidaceae) की सबसे बड़ी प्रजातियों में से एक है।
      • ‘ऐमेरिलिडैसी’ जड़ी-बूटियों संबंधी नरम तने वाले पौधों का एक परिवार है, जिसमें मुख्य रूप से बारहमासी और बल्बनुमा फूल वाले पौधे शामिल होते हैं।
    • ‘एलियम’ जीनस की दुनिया भर में लगभग 1,100 प्रजातियाँ शामिल हैं, जिनमें प्याज़, लहसुन, स्कैलियन और शैलट जैसे कई प्रमुख खाद्य पदार्थ शामिल हैं।
    • यह जीनस स्वाभाविक रूप से उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिण अफ्रीका के शुष्क मौसम में पाया जाता है, लेकिन नई पहचान की गई प्रजाति पश्चिमी हिमालय क्षेत्र तक ही सीमित है।
    • ‘एलियम नेगियनम’ का नाम भारत के प्रख्यात खोजकर्त्ता और एलियम संग्रहकर्त्ता स्वर्गीय डॉ. कुलदीप सिंह नेगी के नाम पर रखा गया है।
      • ये प्रजातियाँ विभिन्न औषधीय प्रयोजनों हेतु उपयोगी हैं।
  • भारत में वितरण:
    • ‘भारतीय एलियम’ हिमालय के समशीतोष्ण व अल्पाइन क्षेत्रों के विभिन्न पारिस्थितिक- भौगोलिक क्षेत्रों में पाया जाता है।
    • भारतीय हिमालय क्षेत्र में एलियम विविधता के दो अलग-अलग केंद्र हैं, पश्चिमी हिमालय (कुल विविधता का 85% से अधिक) और अल्पाइन-उप समशीतोष्ण क्षेत्र को कवर करने वाला पूर्वी हिमालय (6%)।
  • विकास संबंधी विशिष्ट परिस्थितियाँ
    • यह समुद्र तल से 3,000 से 4,800 मीटर की ऊँचाई पर खुले घास के मैदानों, नदियों के किनारे रेतीली मिट्टी और अल्पाइन घास के मैदानों के साथ बर्फीले चरागाहों में बहने वाली धाराओं के आसपास पाया जाता है।
  • खतरा
    • खाद्य पदार्थों और औषधि के लिये पत्तियों एवं कंदों की कटाई इसकी आबादी हेतु बड़ा खतरा उत्पन्न कर सकती है।

आधार हैकथॉन 2021

Aadhaar Hackathon 2021

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) "आधार हैकथॉन 2021" का आयोजन करेगा। 

  • आधार टीम द्वारा आयोजित यह पहला कार्यक्रम है।
  • एक हैकथॉन एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसे आमतौर पर एक तकनीकी कंपनी या संगठन द्वारा आयोजित किया जाता है, जहाँ प्रोग्रामर परियोजना में सहयोग करने हेतु अल्पकालिक अवधि के लिये एक साथ मिलकर कार्य करते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • इसका लक्ष्य सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में युवा नवप्रवर्तकों की पहचान करना है।
    • नवीन तकनीकी समाधानों के माध्यम से हैकथॉन चुनौतियों का समाधान करने हेतु UIDAI सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों के युवाओं तक पहुँच स्थापित कर रहा है।
  • थीम: आधार हैकथॉन 2021 दो विषयों पर आधारित है-
    • नामांकन और अद्यतन: यह अनिवार्य रूप से पते को अद्यतन या अपडेट करते समय निवासियों द्वारा सामना की जाने वाली कुछ दैनिक  जीवन की वास्तविक चुनौतियों को शामिल करता है।
    • पहचान और प्रमाणीकरण: UIDAI आधार संख्या या किसी भी जनसांख्यिकीय जानकारी को साझा किये बिना पहचान साबित करने हेतु अभिनव समाधान की मांग करता है। 
      • इसके अलावा यह  UIDAI के नए लॉन्च किये गए प्रमाणीकरण उपकरण फेस ऑथेंटिकेशन एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) के रूप में नवीन अनुप्रयोगों की अन्वेषण कर रहा है।
      • इसका उद्देश्य निवासियों की जरूरतों को पूरा करने हेतु कुछ मौजूदा और नए एपीआई को लोकप्रिय बनाना है।
  • अन्य हैकथॉन:

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI): 

  • सांविधिक प्रा‍धिकरण: UIDAI 12 जुलाई, 2016 को भारत सरकार द्वारा आधार अधिनियम 2016 के प्रावधानों के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में स्थापित एक वैधानिक/सांविधिक प्राधिकरण है।
    • UIDAI की स्थापना भारत सरकार द्वारा जनवरी 2009 में योजना आयोग के तत्त्वावधान में एक संलग्न कार्यालय के रूप में की गई थी।
  • अधिदेश: UIDAI की स्‍थापना भारत के सभी निवा‍सियों को “आधार” नाम से  12-अंकों की एक विशिष्‍ट पहचान संख्‍या (Unique Identification numbers - UID) प्रदान करने हेतु की गई थी।

भारत का भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र

Geospatial Energy Map of India

हाल ही में नीति आयोग ने भारत का एक व्यापक भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) आधारित भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र लॉन्च किया।

Geospatial-Energy

प्रमुख बिंदु  

  • ऊर्जा मानचित्र के बारे में:
    • इसे नीति आयोग द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और ऊर्जा मंत्रालय के सहयोग से विकसित किया गया है।
    • यह देश के सभी ऊर्जा संसाधनों का समग्र मानचित्र प्रस्तुत करता है।
    • यह 27 विषयगत परतों (Thematic layers) के माध्यम से पारंपरिक बिजली संयंत्रों, तेल और गैस के कुओं, पेट्रोलियम रिफाइनरियों, कोयला क्षेत्रों तथा कोयला ब्लॉकों, अक्षय ऊर्जा बिजली संयंत्रों एवं अक्षय ऊर्जा संसाधन क्षमता पर ज़िले-वार डेटा जैसे ऊर्जा प्रतिष्ठानों के दृश्य को सक्षम बनाता है।
  • भौगोलिक सूचना प्रणाली:
    • GIS पृथ्वी की सतह की स्थिति से संबंधित डेटा को कैप्चर करने, स्टोर करने, जाँचने और प्रदर्शित करने के लिये एक कंप्यूटर सिस्टम है।
    • यह एक ही मानचित्र पर कई अलग-अलग प्रकार के डेटा जैसे- सड़कें, भवन और वनस्पति को प्रदर्शित कर सकता है।
      • यह लोगों को विभिन्न डेटा पैटर्न और इनके संबंधों को अधिक आसानी से देखने, विश्लेषण करने और समझने में सक्षम बनाता है।
  • महत्त्व:
    • ऊर्जा स्रोतों की पहचान करने का लक्ष्य:
      • यह किसी देश में ऊर्जा उत्पादन और वितरण का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करने के लिये ऊर्जा के सभी प्राथमिक व माध्यमिक स्रोतों एवं उनके परिवहन / संचरण नेटवर्क की पहचान करने तथा उनका पता लगाने का प्रयास करता है।
    • डेटा का एकीकरण:
      • इसका उद्देश्य कई संगठनों के ऊर्जा डेटा को एकीकृत कर उनके डेटा को  समेकित दृष्टिकोण और आकर्षक चित्रमय तरीके से प्रस्तुत करना है।
    • वेब-GIS प्रौद्योगिकी में प्रगति:
      • यह वेब-GIS प्रौद्योगिकी और ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर में नवीनतम प्रगति का लाभ उठाता है ताकि इसे इंटरैक्टिव और उपयोगकर्त्ता के अनुकूल बनाया जा सके।
    • निवेश हेतु फैसले लेने में मददगार:
      • यह योजना बनाने और निवेश संबंधी निर्णय लेने में उपयोगी होगा।
      • यह उपलब्ध ऊर्जा परिसंपत्तियों का उपयोग करके आपदा प्रबंधन में भी सहायता करेगा।

भू-स्थानिक मानचित्रण

  • यह एक प्रकार की स्थानिक विश्लेषण तकनीक है जो आमतौर पर भौगोलिक सूचना प्रणालियों के उपयोग सहित मानचित्रों को प्रस्तुत करने, स्थानिक डेटा को संसाधित करने और स्थलीय या भौगोलिक डेटासेट के लिये विश्लेषणात्मक तरीकों को लागू करने में सक्षम सॉफ्टवेयर को नियोजित करती है।
  • यह पारंपरिक मानचित्रण से भिन्न है, क्योंकि भू-स्थानिक मानचित्रण हमें कंप्यूटरीकृत डेटा प्रदान करता है जिसका उपयोग आवश्यकताओं के अनुसार डिज़ाइन किये गए एक सुलभ मानचित्र बनाने हेतु किया जा सकता है।
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