नए आपराधिक कानून लागू | 02 Jul 2024

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure- CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर अधिनियमित किये गए तीन नवीन आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 1 जुलाई 2024 से प्रभावी हुए।

नए आपराधिक कानून से संबंधित प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • उद्देश्य: इन नए कानूनों का उद्देश्य औपनिवेशिक युग के दंडों को न्याय-केंद्रित दृष्टिकोण से बदलना है, जिसमें पुलिस जाँच और अदालती प्रक्रियाओं में तकनीकी प्रगति को एकीकृत किया जाएगा।
  • नए अपराध: इसके नए अपराधों में आतंकवाद, मॉब लिंचिंग (असंयत भीड़ द्वारा हत्या), संगठित अपराध और महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध होने वाले अपराधों के लिये वर्द्धित दंड शामिल हैं।
  • कानूनों के सहज क्रियान्वन के लिये उठाए गए कदम:
    • राज्यों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के कुछ प्रावधानों में स्वयं के संशोधन करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
    • भारतीय न्याय संहिता (BNS) में भी जल्द ही संशोधन किया जाएगा जिसका उद्देश्य पुरुषों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के विरुद्ध होने वाले लैंगिक अपराधों को संबोधित करने के लिये एक धारा शामिल करना है।
      • जब तक इस विसंगति का समाधान करने के लिये संशोधन प्रस्तावित नहीं किया जाता, तब तक पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि यदि उन्हें ऐसी ही शिकायतें प्राप्त होती हैं जैसे शारीरिक क्षति और गलत तरीके से बंधक बनाना तो वे BNS के अंतर्गत अन्य संबद्ध धाराओं का उपयोग कर सकते हैं।
    • IPC और CrPC नए कानूनों के साथ ही क्रियान्वित रहेंगे क्योंकि कई मामले अभी भी न्यायालयों में लंबित हैं तथा 1 जुलाई 2024 से पहले हुए कुछ अपराध जिनकी रिपोर्ट बाद में की गई है, उन्हें IPC के तहत दर्ज करना होगा।
    • अब अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (CCTNS) के माध्यम से ऑनलाइन प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की जा सकती है, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की आवश्यकता के बिना कई भाषाओं में ई-FIR और ज़ीरो FIR दर्ज की जा सकती है।
    • सभी राज्यों को नई प्रणाली के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिये प्रशिक्षण और सहायता का प्रबंधन किया गया है।
    • गृह मंत्रालय पुलिस द्वारा अपराध स्थल के साक्ष्य रिकॉर्ड करने और उन्हें अपलोड करने के लिये मोबाइल एप ई-साक्ष्य का परीक्षण कर रहा है, वहीं विभिन्न राज्यों ने अपनी क्षमताओं के आधार पर अपनी स्वयं की प्रणालियाँ विकसित की हैं। 
      • उदाहरण के लिये, दिल्ली पुलिस ने ई-प्रमाण एप्लिकेशन विकसित की है।
  • नए कानूनों से संबंधित प्रमुख बिंदु:
    • इन नए कानूनों में छोटे अपराधों के दंड के रूप में सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है।
    • नवीन कानूनों में आतंकवादी कृत्य को भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालने के आशय से या संभावित रूप से किया जाने वाला कृत्य या लोगों को आतंकित करने के आशय से किया जाने वाले कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया है।
    • नवीन कानूनों में नस्ल, जाति, समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, वैयक्तिक मान्यता पर आधारित पाँच अथवा उससे अधिक लोगों द्वारा की गई मॉब लिंचिंग के लिये मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान किया गया है।
    • भगोड़े/प्रपलायी अपराधियों की अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जा सकेगा।
    • 3 वर्ष तक की सज़ा संबंधी मामलों में संक्षिप्त सुनवाई की जाएगी, जिसका लक्ष्य सत्र न्यायालयों में 40% से अधिक मामलों का समाधान करना है।
    • इन कानूनों में तलाशी और ज़ब्ती के दौरान वीडियोग्राफी करना अनिवार्य किया गया है। ऐसी रिकॉर्डिंग के बिना कोई आरोप-पत्र मान्य नहीं होगा।
    • पहली बार अपराध करने वाला व्यक्ति, जिसने कारावास की सज़ा का एक तिहाई हिस्सा पूरा कर लिया है, उसे न्यायालय द्वारा ज़मानत पर रिहा कर दिया जाएगा।
    • सात या उससे अधिक अवधि के कारावास वाले प्रत्येक मामले में फोरेंसिक विशेषज्ञों की सहायता लेना अनिवार्य किया गया है।

भारतीय न्याय संहिता, 2023:

BNS

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023:

BSA

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023:

BNSS

  UPSC सिविल सेवा परिक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. भारत में भीड़ हिंसा एक गंभीर कानून और व्यवस्था समस्या के रूप में उभर रही है। उपयुक्त उदाहरण देते हुए, इस प्रकार की हिंसा के कारणों एवं परिणामों का विश्लेषण कीजिये। (2017)

प्रश्न. हम देश में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के मामलों में वृद्धि देख रहे हैं। इसके खिलाफ मौजूदा कानूनी प्रावधानों के बावजूद ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। इस खतरे से निपटने के लिये कुछ अभिनव उपाय सुझाइये। (2014)