ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिये जियोइंजीनियरिंग | 06 Nov 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

एक हालिया अध्ययन में प्रस्तावित किया गया है कि पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में प्रतिवर्ष लाखों टन हीरे के चूर्ण का छिड़काव करने से ग्रह का तापमान 1.6°C कम हो सकता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद मिलेगी। 

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का वर्तमान परिदृश्य

  • वैश्विक तापमान अब पूर्व-औद्योगिक स्तरों (1850-1900) से लगभग 1.2°C अधिक है और अनुमान है कि वर्ष 2023 में यह 1.45°C तक पहुँच जाएगा, जिससे नवीन समाधानों की तत्काल आवश्यकता उजागर होती है।
  • वर्तमान रुझान बताते हैं कि 2015 के पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित 1.5°C तापमान वृद्धि की सीमा प्राप्त करना संभव नहीं है।
  • जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये वर्ष 2030 तक 2019 के स्तर से उत्सर्जन में 43% की पर्याप्त कमी लाने की आवश्यकता है, हालाँकि वर्तमान प्रयासों से केवल 2% की कमी ही हो सकती है।

जियो-इंजीनियरिंग क्या है?

  • परिचय: 
    • यह वैश्विक तापमान वृद्धि के प्रभावों का मुकाबला करने के लिये पृथ्वी की जलवायु प्रणाली (विशेष रूप से सौर विकिरण प्रबंधन) में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर किये जाने वाले हस्तक्षेपों को संदर्भित करता है।
  • वर्गीकरण: इसमें मुख्य रूप से दो दृष्टिकोण शामिल हैं, अर्थात् SRM और कार्बन डाइऑक्साइड निष्कासन (CDR)।
    • SRM: SRM में सौर किरणों को पृथ्वी से दूर परावर्तित करने के लिये अंतरिक्ष में सामग्री तैनात करना शामिल है। यह विधि हालाँकि अभी भी वैचारिक है, ज्वालामुखी विस्फोट जैसी प्राकृतिक घटनाओं से प्रेरणा लेती है।
      • उदाहरण के लिये वर्ष 1991 में फिलीपींस में माउंट पिनातुबो के विस्फोट से उस वर्ष पृथ्वी का तापमान 0.5°C कम हो गया था।
    • CDR: तकनीकों में कार्बन कैप्चर और सीक्वेस्ट्रेशन (Carbon Capture and Sequestration- CCS), डायरेक्ट एयर कैप्चर (Direct Air Capture- DAC) तथा कार्बन कैप्चर, उपयोग एवं भंडारण (Carbon Capture, Utilisation and Storage- CCUS) शामिल हैं, जिसमें वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के स्तर में दीर्घकालिक कमी पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • CCS: यह व्यवहार में मुख्य CDR विधि है। इसमें उद्योगों से निकलने वाले CO₂ उत्सर्जन को पकड़कर उसे उपयुक्त भूगर्भीय संरचनाओं में भूमिगत रूप से संग्रहीत किया जाता है, जिससे उत्सर्जन में प्रभावी रूप से कमी आती है। 
  • DAC: इसमें भंडारण या उपयोग के लिये बड़े उपकरणों (जिन्हें अक्सर "कृत्रिम वृक्ष" कहा जाता है) का उपयोग करके परिवेशी वायु से सीधे CO₂ को निकालना शामिल है।
    • DAC के संभावित लाभ अधिक हैं क्योंकि यह ऐतिहासिक CO₂ उत्सर्जन को संबोधित कर सकता है, हालाँकि इसे अधिक महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है।
  • CCUS: कुछ संग्रहित CO₂ को औद्योगिक प्रक्रियाओं में पुनः उपयोग में लाया जाता है, जबकि शेष को संग्रहीत कर लिया जाता है।
  • संबंधित चुनौतियाँ: 
    • कार्यान्वयन बाधाएँ: SRM प्रौद्योगिकियों को व्यापक तकनीकी, वित्तीय और नैतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 
      • संभावित अनपेक्षित प्रभावों में बाधित मौसम पैटर्न, कृषि पर नकारात्मक प्रभाव और जैव विविधता के लिये खतरे शामिल हैं।
    • CCS की व्यवहार्यता: हालाँकि CCS वर्तमान में सबसे व्यापक रूप से कार्यान्वित भू-अभियांत्रिकी पद्धति है, लेकिन केवल इस पर निर्भर रहना, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर जाने की तुलना में आर्थिक रूप से अव्यावहारिक साबित हो सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न 1. 'मीथेन हाइड्रेट' के निक्षेपों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं? (2019)

भूमंडलीय तापन के कारण इन निक्षेपों से मीथेन गैस का निर्मुक्त होना प्रेरित हो सकता है।

 'मीथेन हाइड्रेट' के विशाल निक्षेप उत्तरध्रुवीय टुंड्रा में तथा समुद्र अधस्तल के नीचे पाए जाते हैं।

वायुमंडल के अंदर मीथेन एक या दो दशक बाद कार्बन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न: निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समतापमंडल में सल्फेट वायुविलय अंतःक्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019)

(a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये
(b) उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बारंबारता और तीव्रता को कम करने के लिये
(c) पृथ्वी पर सौर पवनों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिये
(d) भूमंडलीय तापन को कम करने के लिये

उत्तर: (d)