भारत के आगामी अंतरिक्ष स्टेशन हेतु जैव प्रौद्योगिकी प्रयोग | 01 Nov 2024
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology- DBT) ने प्रयोगों को डिज़ाइन करने और संचालित करने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, जिन्हें बाद में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station- BAS) के साथ एकीकृत किया जाएगा, जिसका विकास वर्ष 2028 और 2035 के बीच किया जाना है।
नोट: इसरो-DBT सहयोग इस वर्ष जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा BIOE3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोज़गार हेतु जैव प्रौद्योगिकी) नीति नामक एक अन्य पहल से उपजा है जिसका उद्देश्य भारत में 'जैव-विनिर्माण' को प्रोत्साहित करना है। DBT के अधिकारियों ने कहा कि जैव-अर्थव्यवस्था 2030 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर की होगी।
इसरो और DBT ने अंतरिक्ष प्रयोगों के लिये सहयोग क्यों किया है?
अंतरिक्ष मिशनों में मुख्य चुनौतियाँ पोषक तत्त्वों की निरंतर उपलब्धता, खाद्य संरक्षण, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण और विकिरण, कैंसर, मोतियाबिंद, हड्डियों तथा मांसपेशियों की क्षति जैसे स्वास्थ्य संबंधी खतरे आदि हैं। समझौता ज्ञापन जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग करके इन मुद्दों को हल करने में मदद करेगा।
संभावित प्रयोग:
- अंतरिक्ष यात्रियों में मांसपेशियों की हानि पर भारहीनता के प्रभावों की जाँच करना।
- उन शैवाल प्रजातियों की पहचान करना जो पोषक तत्त्वों के रूप में काम कर सकती हैं या खाद्य संरक्षण को बढ़ा सकती हैं।
- जेट ईंधन उत्पादन के लिये विशिष्ट शैवाल के प्रसंस्करण की खोज करना।
- अंतरिक्ष स्टेशनों पर व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर विकिरण के प्रभाव का आकलन करना।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) क्या है?
- BAS भारत का प्रस्तावित स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन है, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये बनाया जाएगा। इसे तीन चरणों में बनाया जाएगा और इसमें पाँच मॉड्यूल होंगे।
- पहला मॉड्यूल, जिसे BAS-1 के नाम से जाना जाता है, भारत वर्ष 2028 तक अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन प्रक्षेपित करेगा, भारत वर्ष 2035 तक इसे क्रियाशील करने की योजना बना रहा है तथा वर्ष 2040 तक मानवयुक्त चंद्र मिशन को पूरा करने की योजना बना रहा है।
- BAS के संबंध में मुख्य विवरण:
- कक्षा: BAS पृथ्वी की परिक्रमा लगभग 400-450 किलोमीटर की ऊँचाई पर करेगा।
- वजन: स्टेशन का वजन लगभग 52 टन होगा।
- चालक दल: अंतरिक्ष यात्री 15-20 दिनों तक कक्षा में रह सकेंगे ।
- मॉड्यूल: BAS में क्रू कमांड मॉड्यूल, हैबिटेट मॉड्यूल, प्रोपल्शन मॉड्यूल और डॉकिंग पोर्ट होंगे।
- उद्देश्य: BAS का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये किया जाएगा, जिसमें सूक्ष्मगुरुत्व प्रयोग, पृथ्वी अवलोकन और नवाचार को बढ़ावा देना शामिल है।
- सहयोग: BAS अन्य देशों और अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देगा।
- कार्यक्रम: इसरो इस कार्यक्रम का नेतृत्व करेगा, जिसमें उद्योग, शिक्षा और अन्य राष्ट्रीय एजेंसियाँ भी शामिल होंगी।
अन्य अंतरिक्ष स्टेशन
- अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) संदर्भ:
- ISS वर्ष 1998 से अमेरिका, कनाडा, रूस और जापान सहित कई देशों के सहयोग से कार्यरत है।
- भू-राजनीतिक गतिशीलता और लागत कारकों में बदलाव के कारण, अनुमान है कि वर्ष 2030 तक ISS को बंद कर दिया जाएगा, जिससे देश अपने स्वयं के अंतरिक्ष स्टेशनों पर विचार करने के लिये प्रेरित होंगे।
- तियानगोंग:
- चीन ने सफलतापूर्वक अपना तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित कर लिया है, जो नवंबर 2022 से पूरी तरह से चालू हो जाएगा।
भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में हाल की प्रमुख उपलब्धियाँ
- हाल के प्रमुख सफल मिशन:
- प्रक्षेपण वाहनों में प्रगति:
- अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों के लिये मिशन:
- अन्य प्रमुख घटनाक्रम:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. "यह प्रयोग तीन ऐसे अंतरिक्षयानों को काम में लाएगा जो एक समबाहु त्रिभुज की आकृति में उड़ान भरेंगे जिसमें प्रत्येक भुजा एक मिलियन किलोमीटर लंबी है और यानों के बीच लेज़र चमक रही होंगी।" कथित प्रयोग किसे संदर्भित करता है? (2020) (a) वॉयेजर-2 उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? केवल 1 उत्तर: (c) |