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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

गगनयान मिशन के लिये HS200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर

  • 16 May 2022
  • 12 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गगनयान कार्यक्रम के लिये ह्यूमन-रेटेड सॉलिड  रॉकेट बूस्टर (HS200) का स्थैतिक परीक्षण पूरा किया है।

HS200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर:

  • बूस्टर इंजन जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल Mk-III (GSLV Mk-III) रॉकेट का हिस्सा है जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाएगा।
    • गगनयान मिशन के लिये उपयोग किये जाने वाले GSLV Mk-III रॉकेट में दो HS200 बूस्टर होंगे जो लिफ्ट-ऑफ के लिये इसे थ्रस्ट प्रदान करेंगे। 
    • HS200 3.2 मीटर के व्यास के साथ एक 20 मीटर लंबा सॉलिड बूस्टर है और ठोस प्रणोदक का उपयोग करने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा परचालित बूस्टर है।
  • HS200 उपग्रह प्रक्षेपण यान GSLV Mk-III के S200 रॉकेट बूस्टर का ह्यूमन-रेटेड संस्करण है, जिसे LVM3 के नाम से जाना जाता है।
    • चूँकि गगनयान एक चालित (Crewed) मिशन है, इसलिये GSLV Mk-III में 'ह्यूमन रेटिंग' की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये इसकी विश्वसनीयता और सुरक्षा बढ़ाई जाएगी। 
  • S200 मोटर- LVM3 लॉन्च व्हीकल का पहला चरण जिसे 4,000 किलोग्राम उपग्रहों को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट(GEO) में पहुँचाने के लिये डिज़ाइन किया गया था और इसे स्ट्रैप-ऑन रॉकेट बूस्टर का आकार दिया गया था।
  • प्रक्षेपण यान के पहले चरण का यह पूर्ण-अवधि परीक्षण गगनयान कार्यक्रम उद्देश्य की प्राप्ति के क्रम में एक मील का पत्थर है।
  • HS200 बूस्टर का डिज़ाइन और विकास केरल के तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में पूरा किया गया था तथा प्रणोदक का निर्माण श्रीहरिकोटा में हुआ था।
  • LVM-3 के तीन प्रणोदन चरणों में से ह्यूमन-रेटेड संस्करण दूसरे चरण के हैं  जिन्हें तरल प्रणोदक के साथ L110-G के रूप में जाना जाता है और क्रायोजेनिक प्रणोदक के साथ तीसरा चरण C25-G योग्यता के अंतिम चरण में है, जिसमें स्थैतिक फायरिंग के साथ परीक्षण शामिल है।

भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV):

  • GSLV एक अधिक शक्तिशाली रॉकेट है, जो भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में अधिक ऊँचाई तक ले जाने में सक्षम है। जीएसएलवी रॉकेटों ने अब तक 18 मिशनों को अंजाम दिया है, जिनमें से चार विफल रहे हैं।
  • यह 10,000 किलोग्राम के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा तक ले जा सकता है।
  • स्वदेश में विकसित क्रायोजेनिक अपर स्टेज (CUS)- ‘GSLV Mk-II’ के तीसरे चरण का निर्माण करता है।
  • Mk-III संस्करणों ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को अपने उपग्रहों को लॉन्च करने हेतु पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना दिया है।
    • इससे पहले भारत अपने भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिये ‘यूरोपीय एरियन प्रक्षेपण यान’ पर निर्भर था।
    • GSLV Mk-III चौथी पीढ़ी तथा तीन चरण का प्रक्षेपण यान है जिसमें चार तरल स्ट्रैप-ऑन हैं। स्वदेशी रूप से विकसित सीयूएस जो कि उड़ने में सक्षम है, GSLV Mk-III के तीसरे चरण का निर्माण करता है।
    • रॉकेट में दो ठोस मोटर स्ट्रैप-ऑन (S200) के साथ एक तरल प्रणोदक कोर चरण (L110) और एक क्रायोजेनिक चरण (C-25) के साथ तीन चरण शामिल हैं।

गगनयान मिशन:

  • परिचय: 
    • गगनयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एक मिशन है।
    • गगनयान, शेड्यूल के तहत (वर्ष 2023 में लॉन्च किया जाएगा):
      • तीन अंतरिक्ष अभियानों को कक्षा में भेजा जाएगा।
      • इन तीन अभियानों में से 2 मानवरहित होंगे, जबकि एक मानव युक्त मिशन होगा।
    • मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, जिसे ऑर्बिटल मॉड्यूल कहा जाता है, में एक महिला सहित तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे।
    • यह मिशन 5-7 दिनों की अवधि में पृथ्वी से 300-400 किमी. की ऊँचाई पर लो अर्थ ऑर्बिट में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा।
  • पेलोड:
    • पेलोड में शामिल होंगे:
      • क्रू मॉड्यूल- मानव को ले जाने वाला अंतरिक्षयान।
      • सर्विस मॉड्यूल- दो तरल प्रणोदक इंजनों द्वारा संचालित।
    • यह आपातकालीन निकास और आपातकालीन मिशन अबोर्ट व्यवस्था से लैस होगा।
  • प्रमोचन:
    • गगनयान के प्रमोचन हेतु तीन चरणों वाले GSLV Mk-III का उपयोग किया जाएगा जो भारी उपग्रहों के प्रमोचन में सक्षम है। उल्लेखनीय है कि GSLV Mk-III को प्रमोचन वाहन मार्क-3 (Launch Vehicle Mark-3 or LVM-3) भी कहा जाता है।
  • रूस में प्रशिक्षण:
    • जून 2019 में इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र तथा रूस सरकार के स्वामित्व वाली Glavkosmos ने भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण हेतु एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये, जिसमें उम्मीदवारों के चयन में रूस का समर्थन, चयनित यात्रियों का चिकित्सीय परीक्षण तथा अंतरिक्ष प्रशिक्षण शामिल हैं।
    • अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयनित उम्मीदवार सोयुज़ (Soyuz) मानव युक्त अंतरिक्षयान की प्रणालियों का विस्तार से अध्ययन करेंगे, साथ ही Il-76MDK विमान में अल्पकालिक भारहीनता मोड में प्रशिक्षित होंगे।
      • सोयुज़ एक रूसी अंतरिक्षयान है जो लोगों को अंतरिक्ष स्टेशन पर ले जाने तथा वापस लाने और अन्य सामग्रियों की आपूर्ति का कार्य करता है।
      • Il-76MDK एक सैन्य परिवहन विमान है जिसे विशेष रूप से प्रशिक्षु अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष पर्यटकों की परवलयिक उड़ानों के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • महत्त्व:
    • यह देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के स्तर को बढ़ाने तथा युवाओं को प्रेरित करने में मदद करेगा।
      • गगनयान मिशन में विभिन्न एजेंसियों, प्रयोगशालाओं, उद्योगों और विभागों को शामिल किया जाएगा।
    • यह औद्योगिक विकास में सुधार करने में मदद करेगा।
      • सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ाने हेतु किये जा रहे सुधारों के क्रम में हाल ही में एक नए संगठन IN-SPACe के गठन की घोषणा की है।
    • यह सामाजिक लाभों के लिये प्रौद्योगिकी के विकास में मदद करेगा।
    • यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
      • कई देशों के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station-ISS) पर्याप्त नहीं हो सकता है क्योंकि क्षेत्रीय पारिस्थितिक तंत्र को भी ध्यान में रखना आवश्यक होता है, अतः गगनयान मिशन क्षेत्रीय ज़रूरतों- खाद्य, जल एवं ऊर्जा सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • भारत की अन्य आगामी परियोजनाएंँ:
    • चंद्रयान-3 मिशन: भारत ने चंद्रयान-3 नामक नए चंद्रमा मिशन की योजना बनाई है। जिसके प्रक्षेपण (Launch ) की संभावना अगस्त 2022 तक है।
    • शुक्रयान मिशन: इसरो भी शुक्र के लिये एक मिशन की योजना बना रहा है, जिसे अस्थायी रूप से शुक्रयान कहा जाता है।

विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान के संदर्भ में,निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. PSLVs पृथ्वी संसाधनों की निगरानी के लिये उपयोगी उपग्रहों को लॉन्च करते हैं, जबकि GSLVs को मुख्य रूप से संचार उपग्रहों को लॉन्च करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  2. PSLVs द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह पृथ्वी पर किसी विशेष स्थान से देखने पर आकाश में उसी स्थिति में स्थायी रूप से स्थिर प्रतीत होते हैं।
  3. GSLV Mk-III एक चार चरणों वाला प्रक्षेपण यान है जिसमें पहले और तीसरे चरण में ठोस रॉकेट मोटर्स का उपयोग किया गया है; दूसरे व चौथे चरण में तरल रॉकेट इंजन का उपयोग किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(A) केवल 1 
(B) 2 और 3
(C) 1 और 2 
(D) केवल 3

उत्तर: (A)

  • पीएसएलवी भारत की तीसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है। पीएसएलवी पहला लॉन्च वाहन है जो तरल चरण (Liquid Stages) से सुसज्जित है। इसका उपयोग मुख्य रूप से निम्न पृथ्वी की कक्षाओं में विभिन्न उपग्रहों विशेष रूप से भारतीय उपग्रहों की रिमोट सेंसिंग शृंखला को स्थापित करने के लिये किया जाता है। यह 600 किमी. की ऊचाई के सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षाओं में 1,750 किलोग्राम तक का पेलोड ले सकता है।
  • जीएसएलवी को मुख्य रूप से भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (इनसैट) को स्थापित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, यह दूरसंचार, प्रसारण, मौसम विज्ञान और खोज एवं बचाव कार्यों जैसी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये इसरो द्वारा प्रक्षेपित बहुउद्देशीय भू-स्थिर उपग्रहों की एक शृंखला है। यह उपग्रहों को अत्यधिक दीर्घवृत्तीय जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में स्थापित करता है। अत: कथन 1 सही है।
  • भू-तुल्यकालिक कक्षाओं में उपग्रह आकाश में एक ही स्थिति में स्थायी रूप से स्थिर प्रतीत होते हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है।

प्रश्न. हाल ही में खबरों में रही 'ग्रीस्ड लाइटनिंग-10 (GL-10)' क्या है? (2016)

(A) नासा द्वारा परीक्षण किया गया विद्दुत विमान।
(B) जापान द्वारा डिज़ाइन किया गया सौर ऊर्जा से चलने वाला दो सीटों वाला विमान।
(C) चीन द्वारा शुरू की गई अंतरिक्ष वेधशाला।
(D) इसरो द्वारा डिज़ाइन किये गए पुन: प्रयोज्य रॉकेट।

उत्तर: (A)

स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स

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