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जैव विविधता और पर्यावरण

पर्यावरण संरक्षण हेतु बायोडायवर्सिटी क्रेडिट

  • 27 Dec 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बायोडायवर्सिटी क्रेडिट, विश्व आर्थिक मंच, ‘बायोडायवर्सिटी क्रेडिट’ पहल, कार्बन क्रेडिट, कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (KMGBF) 2022, ग्रीन बॉण्ड, बायोडायवर्सिटी क्रेडिट एलायंस, जैविक विविधता पर अभिसमय, UNDP, UNEP, सतत् विकास के लिये विश्व व्यापार परिषद, चक्रीय अर्थव्यवस्था। 

मेन्स के लिये:

पर्यावरण संरक्षण में बायोडायवर्सिटी क्रेडिट की भूमिका, संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में, जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी में प्रकाशित एक नए अध्ययन ने बायोडायवर्सिटी क्रेडिट बाज़ार की प्रभावशीलता पर संदेह जताया है, जिसे जैवविविधता संरक्षण के लिये एक संभावित गेम-चेंजर के रूप में बताया जा रहा है।

  • अध्ययन में बाज़ार की महत्त्वपूर्ण अनिश्चितताओं पर भी ज़ोर दिया गया है साथ ही यह प्रश्न उठाया गया है कि क्या इस रणनीति के लाभ, जिसका उद्देश्य जैव विविधता की हानि का प्रतिकार करना है, वास्तव में संभावित नुकसान से अधिक हैं।

बायोडायवर्सिटी क्रेडिट क्या हैं?

  • परिचय: बायोडायवर्सिटी क्रेडिट एक सत्यापन योग्य, मात्रात्मक और  विपणन योग्य वित्तीय साधन है जो एक निश्चित अवधि में भूमि या महासागर आधारित जैवविविधता इकाइयों के निर्माण और बिक्री के माध्यम से सकारात्मक प्रकृति और जैवविविधता परिणामों (जैसे प्रजातियाँ, पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक आवास) को पुरस्कृत करता है।
    • ‘बायोडायवर्सिटी क्रेडिट’ पहल की शुरुआत विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा पर्यावरण के लिये मात्रात्मक लाभ हेतु नए वित्तपोषण उपलब्ध कराने के लिये गई थी।
  • क्रियाविधि: बायोडायवर्सिटी क्रेडिट कार्बन क्रेडिट के समान कार्य करते हैं। 
    • जब कोई कंपनी या सरकार जैवविविधता को हानि पहुँचाती है, तो वे अन्यत्र संरक्षण प्रयासों के लिये भुगतान करके क्षतिपूर्ति कर सकते हैं। 
    • विचार यह है कि संरक्षण के लिये निजी वित्तपोषण को आकर्षित करते हुए  प्रतिपूरक कार्यों के माध्यम से जैवविविधता को होने वाली समग्र क्षति को संतुलित किया जाए।
  • भविष्य की संभावना: WEF का अनुमान है कि बायोडायवर्सिटी क्रेडिट बाज़ार का मूल्य 8 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो वर्ष 2030 तक 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2050 तक 69 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। 

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बायोडायवर्सिटी क्रेडिट अलायंस (BCA)

  • परिचय: BCA एक स्वैच्छिक अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन है जो कुनमिंग -मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन में सहायता के लिये विविध हितधारकों को एक साथ लाता है।
    • यह लक्ष्य 19(c) और (d) पर ध्यान केंद्रित करता है, जो "निजी क्षेत्र को जैवविविधता में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करता है", अन्य बातों के अलावा "सामाजिक सुरक्षा उपायों के साथ बायोडायवर्सिटी क्रेडिट" का उपयोग करता है।
  • पृष्ठभूमि: BCA को दिसंबर 2022 में मॉन्ट्रियल, कनाडा में जैवविविधता पर कन्वेंशन (CBD COP 15) की 15 वीं बैठक के दौरान लॉन्च किया गया था।
    • BCA सचिवालय को UNDP, UNEP-वित्त पहल (UNEP FI) और स्वीडिश अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी (SIDA) द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
  • उद्देश्य: BCA उच्च स्तरीय, विज्ञान आधारित सिद्धांतों की रूपरेखा का निर्माण करके एक विश्वसनीय और मापनीय बायोडायवर्सिटी क्रेडिट बाज़ार के निर्माण के लिये मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • प्रमुख हितधारक: इसमें स्वदेशी लोगों, स्थानीय समुदायों और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल हैं, तथा सतत् विकास के लिये विश्व व्यापार परिषद (WBCSD) प्रमुख भागीदार है।

जैवविविधता संरक्षण से संबंधित पहल क्या हैं?

बायोडायवर्सिटी क्रेडिट बाज़ार से संबंधित चिंताएँ क्या हैं?

  • दोषपूर्ण अवधारणा: जब कोई कंपनी या सरकार जैवविविधता को नुकसान पहुँचाती है, तो वे अन्यत्र संरक्षण भुगतान के माध्यम से नुकसान की भरपाई कर सकते हैं, लेकिन इसकी आलोचना इस आधार पर की जाती है कि इससे नुकसान को रोकने एवं मूल कारणों का समाधान करने के बजाय उसे अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया जाता है। 
  • विस्थापन और भूमि अधिग्रहण: धनी निगम एवं राष्ट्र ग्लोबल साउथ के गरीब देशों से क्रेडिट खरीद सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भूमि अधिग्रहण के साथ स्थानीय समुदायों के विस्थापन की संभावना बढ़ जाती है। 
    • विस्थापन एवं भूमि तथा संसाधनों तक पहुँच सीमित होने से महिलाएँ एवं हाशिये के समूह असमान रूप से प्रभावित होते हैं।
  • सटीक मापन का अभाव: कार्बन क्रेडिट के विपरीत (जो एक टन CO₂ या CO₂ समतुल्य के रूप में मानकीकृत होते हैं) बायोडायवर्सिटी क्रेडिट को हेक्टेयर में मापा जाता है जिससे विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों, महाद्वीपों और बायोम में जैवविविधता को समान करना जटिल हो जाता है।
    • इसके अतिरिक्त वनों की कटाई जैसी नकारात्मक गतिविधियाँ जब अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित हो जाती हैं तब वहाँ उत्सर्जन होता है जैसे कि किसानों द्वारा बायोडायवर्सिटी क्रेडिट अपनाने के बाद नई भूमि को कृषि हेतु परिवर्तित करना।
  • प्रणालीगत परिवर्तनों में विलंब: बायोडायवर्सिटी क्रेडिट से एक अस्थायी समाधान मिल सकता है, जिससे जैवविविधता हानि से निपटने के लिये आवश्यक प्रणालीगत परिवर्तनों में विलंब हो सकता है।
    • बायोडायवर्सिटी क्रेडिट (जो अक्सर अल्प अवधि के लिये जारी किये जाते हैं) दीर्घकालिक प्रभावों का आकलन करना कठिन बना देते हैं, क्योंकि तितली जैसे समूहों के सटीक मूल्यांकन हेतु दीर्घकालिक डेटा की आवश्यकता होती है।

आगे की राह

  • मूल कारण को हल करना: सर्वप्रथम जैवविविधता की हानि को रोकने की दिशा में प्रयास (जैसे वनों की कटाई, अधारणीय कृषि या जीवाश्म ईंधन से होने वाले उत्सर्जन को सीमित करना) किये जाने चाहिये। 
  • संदर्भ-विशिष्ट मेट्रिक्स: केवल भूमि क्षेत्र से परे प्रजातियों की अंतःक्रिया, पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य एवं सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए संदर्भ-विशिष्ट मेट्रिक्स विकसित करना चाहिये।
  • समग्र दृष्टिकोण की ओर बदलाव: जैवविविधता विनाश को बढ़ावा देने वाले उद्योगों (जैसे, कृषि, वानिकी एवं खनन ) को बदलने के साथ चक्रीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने एवं जैवविविधता संरक्षण को प्राथमिकता देने के लिये सभी क्षेत्रों में नीतिगत रूपरेखाओं को संरेखित करने पर बल देना चाहिये।
  • निगरानी और रिपोर्टिंग: नागरिक समाज एवं स्थानीय समुदायों को परियोजनाओं की जाँच करने, निगमों को जवाबदेह बनाने तथा यह सुनिश्चित करने के लिये सशक्त बनाया जाना चाहिये कि बायोडायवर्सिटी क्रेडिट से वास्तविक संरक्षण परिणाम प्राप्त हों।
  • गैर-बाज़ार आधारित दृष्टिकोण: बायोडायवर्सिटी क्रेडिट जैसे बाज़ार आधारित समाधानों से प्रत्यक्ष, प्रकृति आधारित समाधानों की ओर बदलाव की आवश्यकता है, जिससे संरक्षित क्षेत्रों के विस्तार, पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने एवं समुदाय आधारित संरक्षण का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित किये जाने के साथ प्रकृति के आंतरिक मूल्य को महत्व मिलता हो।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: जैवविविधता में गिरावट के कारणों को दूर करने में बायोडायवर्सिटी क्रेडिट की प्रभावशीलता का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारतीय कृषि परिस्थितियों के संदर्भ में, “संरक्षण कृषि” की संकल्पना का महत्त्व बढ़ जाता है। निम्नलिखित में से कौन-कौन से संरक्षण कृषि के अंतर्गत आते हैं? (2018)

  1. एकधान्य कृषि पद्धतियों का परिहार
  2.  न्यूनतम जोत को अपनाना
  3.  बागानी फसलों की खेती का परिहार
  4.  मृदा धरातल को ढकने के लिये फसल अवशिष्ट का उपयोग
  5.  स्थानिक एवं कालिक फसल अनुक्रमण/फसल आवर्तनों को अपनाना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) 1, 3 और 4
(b) 2, 3, 4 और 5
(c) 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3 और 5

उत्तर: (c)


मेन्स

Q. भारत में जैवविविधता किस प्रकार अलग-अलग पाई जाती है? वनस्पतिजात और प्राणिजात के संरक्षण में जैवविविधता अधिनियम, 2002 किस प्रकार सहायक है? (2018)

Q. भूमि और जल संसाधन का प्रभावी प्रबंधन मानव विपत्तियों को कम कर देगा। स्पष्ट कीजिये। (2016)

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