प्रारंभिक परीक्षा
आयुर्वेद दिवस 2024
- 04 Nov 2024
- 6 min read
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
आयुष मंत्रालय ने 29 अक्तूबर, 2024 को 9वाँ आयुर्वेद दिवस मनाया, जिसकी थीम थी "वैश्विक स्वास्थ्य के लिये आयुर्वेद नवाचार।"
- प्रधानमंत्री ने कई स्वास्थ्य परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिसमें सुलभ आयुर्वेद के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया।
आयुर्वेद क्या है?
- परिचय: आयुर्वेद समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिये शरीर, मन और आत्मा में संतुलन प्राप्त करने पर केंद्रित है।
- आयुर्वेद शब्द दो संस्कृत शब्दों से लिया गया है: “आयु”, जिसका अर्थ है जीवन और “वेद”, जिसका अर्थ है ज्ञान।
- ऐतिहासिक संदर्भ: आयुर्वेद की उत्पत्ति वेदों (5000-1000 ईसा पूर्व) से हुई है और यह सबसे पुरानी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में से एक है।
- रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में पौधों पर आधारित उपचार तथा शल्य चिकित्सा का उल्लेख मिलता है।
- 1000 ईसा पूर्व के आस-पास चरक और सुश्रुत संहिता ने आयुर्वेद के सिद्धांतों की स्थापना की, बाद में वाग्भट्ट के अष्टांग संग्रह तथा अष्टांग हृदय (आयुर्वेदिक ग्रंथ) द्वारा इसका विस्तार किया गया।
- 19वीं-20वीं शताब्दी तक भारत ने आयुर्वेद शिक्षा को औपचारिक रूप दे दिया था, जिससे संरचित कार्यक्रम और एक समृद्ध उद्योग का निर्माण हुआ जो सार्वजनिक तथा निजी स्वास्थ्य सेवा को समर्थन देता था।
- रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में पौधों पर आधारित उपचार तथा शल्य चिकित्सा का उल्लेख मिलता है।
- आयुर्वेद दिवस: भारत सरकार वर्ष 2016 से आयुर्वेदिक सिद्धांतों, औषधीय जड़ी-बूटियों और जीवनशैली प्रथाओं के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रत्येक वर्ष धन्वंतरि जयंती (धनतेरस) को आयुर्वेद दिवस मनाती आ रही है।
- आयुर्वेद का प्रवर्तन माहानतम चिकित्सक धन्वंतरि ने किया, जिन्हें यह ज्ञान भगवान ब्रह्मा से प्राप्त हुआ था।
- अंतर्राष्ट्रीय पहुँच: व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से आयुर्वेद विश्व स्तर पर फैल गया, जिससे तिब्बत, चीन तथा अन्य स्थानों पर पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ प्रभावित हुईं।
- आयुर्वेद को अब 24 देशों में पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त है तथा 100 से अधिक देश आयुर्वेदिक उत्पादों का आयात करते हैं।
- इस अंतर्राष्ट्रीय मान्यता को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) विशेषज्ञ कार्य समूह, बिम्सटेक टास्कफोर्स और पारंपरिक चिकित्सा पर ब्रिक्स उच्च स्तरीय फोरम जैसे सहयोगी प्लेटफार्मों द्वारा आगे बढ़ाया गया है, जो नीति संरेखण तथा वैश्विक स्वास्थ्य सेवा एकीकरण को बढ़ावा देते हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आयुर्वेद को ICD-11 TM मॉड्यूल 2 में शामिल किया, जिससे आयुर्वेदिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों का सटीक दस्तावेज़ीकरण संभव हो सका।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आयुर्वेद अभ्यास और प्रशिक्षण के लिये भी मानक निर्धारित किये, जिससे वैश्विक गुणवत्ता मानकों में वृद्धि हुई।
थीम का महत्त्व क्या है?
इस थीम का उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के लिये आयुर्वेदिक नवाचार को बढ़ावा देना है।
- प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:
- गैर-संक्रामक रोगों (NCD) और रोगाणुरोधी प्रतिरोध का मुकाबला करना।
- जलवायु परिवर्तन, वृद्धावस्था एवं मानसिक स्वास्थ्य तथा पोषण संबंधी विकारों से संबंधित चुनौतियों का समाधान करना।
- निवारक स्वास्थ्य और समग्र कल्याण पर ज़ोर देना।
- संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) दृष्टिकोण का समर्थन करना।
- प्रमुख फोकस क्षेत्र:
- महिला स्वास्थ्य: महिलाओं से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के लिये आयुर्वेद की समग्र पद्धतियों का उपयोग करना।
- कार्यस्थल कल्याण: कार्यस्थल पर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिये आयुर्वेदिक सिद्धांतों को लागू करना।
- स्कूल कल्याण कार्यक्रम: बच्चों में आयुर्वेदिक कल्याण को प्रोत्साहित करना, जिसमें प्रतिरक्षा-बढ़ाने और व्यक्तिगत पोषण संबंधी मार्गदर्शन शामिल है।
- खाद्य नवप्रवर्तन: आयुर्वेदिक आहार सिद्धांतों और खाद्य नवप्रवर्तनों की खोज, पारंपरिक एवं आधुनिक पाक तकनीकों का सम्मिश्रण।
- निवारक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देकर आयुर्वेद सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) 3 तथा सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) का समर्थन करता है।
आयुर्वेद के विकास के लिये उठाए गए कदम