एंबिपोलर विद्युत क्षेत्र | 03 Sep 2024

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स 

चर्चा में क्यों

हाल ही में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने पहली बार पृथ्वी के छिपे हुए उभयध्रुवीय/एंबिपोलर विद्युत क्षेत्र का पता लगाया है, जो आवेशित कणों को सुपरसोनिक गति से अंतरिक्ष में भेजने वाले ‘धुवीय पवनों’ के संचालन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है

  • जर्नल नेचर में प्रकाशित यह खोज पृथ्वी के आयनमंडल और अंतरिक्ष के साथ इसकी परस्पर-क्रियाओं की हमारी समझ में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति को चिह्नित करती है।

एंबिपोलर विद्युत क्षेत्र क्या है?

  • परिभाषा: एंबिपोलर विद्युत क्षेत्र पृथ्वी पर व्याप्त एक दुर्बल विद्युत क्षेत्र है, जो पृथ्वी के वायुमंडल में आवेशित कणों की गति को प्रभावित करता है। इसे गुरुत्वाकर्षण और चुंबकत्व के समान ही मौलिक माना गया था। एंबिपोलर क्षेत्र की परिकल्पना सबसे पहले 1960 के दशक में की गई थी।
  • गतिकी: लगभग 150 मील की ऊँचाई पर उत्पन्न विद्युत क्षेत्र, आवेशित कणों (आयन तथा इलेक्ट्रॉन) के साथ परस्पर क्रिया करता है। यह आवेशों के पृथक्करण को रोकता है और कुछ आयनों को अंतरिक्ष में पलायन के लिये पर्याप्त ऊँचाई तक उन्नयन में सहायता करता है।
    • एंबिपोलर क्षेत्र ‘द्विदिशात्मक’ है, जिसका अर्थ है कि यह दोनों दिशाओं में कार्य करता है। जब आयन गुरुत्वाकर्षण के कारण तेज़ी से गिरते हैं तो इलेक्ट्रॉन उन्हें नीचे की ओर खींचते हैं, जबकि मुक्त आकाश में पलायन के दौरान इलेक्ट्रॉन आयनों को अधिक ऊँचाई तक उठाते/उन्नत करते हैं। एंबीपोलर क्षेत्र का शुद्ध प्रभाव वायुमंडल की ऊँचाई को बढ़ाना है, जिससे कुछ आयन इतने ऊपर उठ जाते हैं कि ध्रुवीय पवन के साथ उनका पलायन हो जाता है।
  • खोज़: यह खोज़ एंड्योरेंस मिशन के हिस्से के रूप में लॉन्च किये गए NASA सबऑर्बिटल रॉकेट के प्रयोग द्वारा की गई थी जिसने एंबिपोलर क्षेत्र की पुष्टि की और इसकी शक्ति का आकलन किया।

एंबिपोलर क्षेत्र पृथ्वी के वायुमंडल को किस प्रकार प्रभावित करता है?

  • बढ़ी हुई स्केल ऊँचाई: एंबिपोलर फील्ड आयनमंडल की ‘स्केल ऊँचाई’ को 271% तक बढ़ा देता है। इसका मतलब है कि उच्च अक्षांश पर बिना एंबिपोलर क्षेत्र के आयनमंडल की सघनता अधिक होती है। बढ़ा हुआ घनत्व ध्रुवीय पवन में योगदान देता है, जो आवेशित कणों को मुक्त आकाश में स्थानांतरित करता है।
  • आयनमंडल ऊपरी वायुमंडल की एक परत है, जहाँ आवेशित कण प्रचुर मात्रा में होते हैं।
  • ध्रुवीय पवन उच्च-अक्षांश आयनमंडल से मैग्नेटोस्फीयर (चुंबकीय क्षेत्र द्वारा प्रभावित पृथ्वी के आसपास का क्षेत्र) में थर्मल प्लाज़्मा का एक एंबिपोलर (द्विदिशात्मक) बहिर्वाह है, जिसमें मुख्य रूप से हाइड्रोजन, हीलियम और ऑक्सीजन के आयन व इलेक्ट्रॉन होते हैं।
  • हाइड्रोजन आयनों पर प्रभाव: यह क्षेत्र हाइड्रोजन आयनों पर गुरुत्वाकर्षण से 10.6 गुना अधिक बल लगाता है। यह महत्त्वपूर्ण बल उन्हें सुपरसोनिक गति से अंतरिक्ष में स्थानांतरित करता है, जिससे वायुमंडलीय पलायन बढ़ जाता है।
  • व्यापक निहितार्थ: इस क्षेत्र को समझने से पृथ्वी के वायुमंडलीय विकास के संदर्भ में जानकारी मिलती है और इसे शुक्र एवं मंगल जैसे वायुमंडल वाले अन्य ग्रहों पर लागू किया जा सकता है। इससे यह समझने में भी मदद मिल सकती है कि कौन-से ग्रह जीवन के लिये अनुकूल हो सकते हैं।

एंड्योरेंस मिशन

  • यह NASA द्वारा वित्तपोषित मिशन था, जिसे वर्जीनिया में NASA के वॉलॉप्स फ्लाइट सुविधा में साउंडिंग रॉकेट प्रोग्राम के माध्यम से संचालित किया गया था।
  • इसका प्राथमिक लक्ष्य पृथ्वी की वैश्विक विद्युत शक्ति का आकलन करना है, जिसे बहुत क्षीण/दुर्बल माना जाता है। यह विद्युत क्षमता यह समझने के लिये महत्त्वपूर्ण है कि शुक्र जैसे अन्य ग्रहों के विपरीत पृथ्वी जीवन का समर्थन क्यों कर सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न.'ग्रीज्ड लाइट्निंग-10 (GL-10)', जिसका हाल ही में समाचारों में उल्लेख हुआ, क्या है?

(a) NASA द्वारा परीक्षित विद्युत् विमान
(b) जापान द्वारा डिज़ाइन किया गया सौर शक्ति से चलने वाला दो सीटों वाला
(c) चीन द्वारा लांच की गई अंतरिक्ष वेधशाला
(d) ISRO द्वारा डिजाइन किया गया पुनरोपयोगी रॉकेट

उत्तर: (a)