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शासन के लिये AI का उपयोग

  • 11 Feb 2025
  • 36 min read

यह एडिटोरियल 11/02/2025 को द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित “Paris AI Action Summit: India should take the lead for the Global South” पर आधारित है। इस लेख में पेरिस AI एक्शन समिट 2025 की तस्वीर पेश की गई है, जहाँ भारत और फ्राँस AI गवर्नेंस पर वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व करते हैं। भारत अपने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और STEM विशेषज्ञता के साथ AI डिवाइड को समाप्त करने तथा संतुलित, समावेशी विनियमन का नेतृत्व करने के लिये तैयार है।

प्रिलिम्स के लिये:

वैश्विक AI शासन, लोकेशन ऑफ AI एक्शन समिट, 2025, भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, भाषिनी, इंडिया अर्बन डेटा एक्सचेंज (IUDX), स्मार्ट सिटीज़ मिशन, राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली, SUPACE (सुप्रीम कोर्ट पोर्टल फॉर असिस्टेंस इन कोर्ट्स एफिशिएंसी), DIKSHA, MuleHunter.AI, यूरोपीय संघ का AI अधिनियम, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP अधिनियम, 2023) 

मेन्स के लिये:

शासन में AI के प्रमुख अनुप्रयोग, भारत के शासन परिदृश्य में AI द्वारा उत्पन्न प्रमुख मुद्दे। 

भारत और फ्राँस की सह-अध्यक्षता में आयोजित पेरिस AI एक्शन समिट, 2025 वैश्विक AI शासन में एक महत्त्वपूर्ण क्षण है, जिसने डिजिटल डिवाइड से लेकर AI सुरक्षा तक की महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने के लिये 90 से अधिक देशों को एकजुट किया है। भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और STEM विशेषज्ञता इसे पाश्चात्य तकनीकी महत्त्वाकांक्षाओं और ग्लोबल साउथ की जरूरतों को पाटने की स्थिति में रखती है। जैसे-जैसे AI विनियमन को गति मिली है, भारत एक संतुलित दृष्टिकोण को आगे बढ़ा सकता है, जिसमें नवाचार को व्यावहारिक निगरानी के साथ मिश्रित किया जा सकता है, साथ ही विकासशील देशों के लिये AI सुरक्षा का नेतृत्व किया जा सकता है।

शासन में AI के प्रमुख अनुप्रयोग क्या हैं? 

  • नीति निर्माण में सुधार और निर्णय लेने में सहायता: AI आर्थिक रुझानों का पूर्वानुमान करने, सामाजिक चुनौतियों का आकलन करने और संसाधन आवंटन को अनुकूलित करने के लिये विशाल डेटासेट का विश्लेषण करके डेटा-संचालित नीति निर्माण को सक्षम बनाता है।
    • भारत सरकार की भाषिनी परियोजना बहुभाषी संचार को बढ़ाती है जिससे विविध भाषाई समूहों तक नीतिगत अभिगम में सहायता मिलती है। 
    • सरकारें कार्यान्वयन से पहले नीति प्रभावों का अनुकरण करने के लिये AI का उपयोग कर सकती हैं, जिससे सूचित निर्णय लेना सुनिश्चित होता है।
    • उदाहरण के लिये, अप्रैल 2018 में NITI आयोग ने IIT दिल्ली से एक AI उपकरण का चयन किया जो उपग्रह चित्रों का प्रयोग करके क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों का पता लगाता है और पूर्वानुमान करता है।
    • सार्वजनिक सेवा वितरण और दक्षता को सुदृढ़ करना: AI-संचालित स्वचालन प्रशासनिक विलंब को कम करता है, मानवीय त्रुटियों को न्यूनतम करता है तथा शासन में तीव्रता से सेवा वितरण सुनिश्चित करता है। 
    • स्मार्ट सिटीज़ मिशन के तहत विकसित और IISc बंगलुरु द्वारा कार्यान्वित यह परियोजना शहरी हितधारकों के बीच निर्बाध डेटा साझाकरण, शासन और सेवा वितरण को बढ़ाने में सक्षम बनाती है।
    • चैटबॉट और वर्चुअल असिस्टेंट शिकायत निवारण को सुव्यवस्थित करते हैं, जबकि AI-आधारित प्रणालियाँ कल्याणकारी योजना के वितरण को अनुकूलित करती हैं। 
    • उदाहरण के लिये, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की पहल इंडिया अर्बन डेटा एक्सचेंज (IUDX) भारतीय शहरों के लिये डेटा एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करती है।
  • कानून प्रवर्तन और आंतरिक सुरक्षा में सुधार: AI पूर्वानुमानित पुलिसिंग, रियल टाइम क्राइम मैपिंग और फेशियल रिकग्निशन-आधारित निगरानी को सक्षम करके कानून प्रवर्तन को सुदृढ़ करता है।
    • AI-आधारित एनालिसिस सुरक्षा एजेंसियों को साइबर खतरों का पता लगाने, आतंकवादी गतिविधियों पर नज़र रखने और वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने में मदद करता है। 
    • उदाहरण के लिये, दिल्ली पुलिस की AI-संचालित फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (FRS) न केवल अपराधों को सुलझाने में पुलिस की सहायता कर रही है, बल्कि लापता बच्चों का पता लगाने और शवों की पहचान करने में भी मदद कर रही है।
  • स्वास्थ्य सेवा और महामारी प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव: AI-संचालित निदान, रोबोट सर्जरी और पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण स्वास्थ्य सेवा सुलभता और परिणामों में सुधार करते हैं। 
    • AI-सक्षम रोग निगरानी से रोग की गंभीरता का शीघ्र पता लगाने में मदद मिलती है, जिससे सरकार त्वरित कार्रवाई कर पाती है। 
    • उदाहरण के लिये, बंगलुरु स्थित एक स्टार्ट-अप Niramai द्वारा स्तन कैंसर के शुरुआती चरण में पता लगाने के लिये मशीन लर्निंग का उपयोग किया जा रहा है। एक अन्य स्टार्ट-अप ChironX, रेटिना असामान्यता का पता लगाने के लिये डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करता है।
  • कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा का अनुकूलन: AI-संचालित परिशुद्ध कृषि फसल उपज पूर्वानुमान को बढ़ाती है, सिंचाई को अनुकूलित करती है तथा इनपुट अपव्यय को कम करती है।
    • AI के साथ रिमोट सेंसिंग के द्वारा कीटों के संक्रमण, मृदा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और जलवायु संबंधी जोखिमों का पता लगाने में मदद मिलती है। 
    • उदाहरण के लिये, एक AI-संचालित चैटबॉट 'किसान ई-मित्र' को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के बारे में प्रश्नों के उत्तर देने में किसानों की सहायता के लिये विकसित किया गया है। 
      • जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले उपज के नुकसान से निपटने के लिये राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली, फसलों में कीटों के संक्रमण का पता लगाने के लिये AI और मशीन लर्निंग का उपयोग करती है, जिससे स्वस्थ फसलों के लिये समय पर हस्तक्षेप संभव हो पाता है।
  • न्याय वितरण और कानूनी प्रणालियों को बढ़ाना: AI मामले के प्रसंस्करण में तेज़ी लाता है, कानूनी तौर पर लंबित मामलों को कम करता है और न्यायिक दक्षता में सुधार करता है। 
    • AI-संचालित कानूनी अनुसंधान उपकरण न्यायाधीशों और वकीलों को उदाहरणों का विश्लेषण करने तथा निर्णयों का प्रारूप तैयार करने में सहायता करते हैं। 
      • स्वचालित अनुवाद उपकरण बहुभाषी समाजों में न्याय तक पहुँच को बेहतर बनाते हैं।
    • उदाहरण के लिये, SUPACE (सुप्रीम कोर्ट पोर्टल फॉर असिस्टेंस इन कोर्ट्स एफिशिएंसी) एक AI-संचालित उपकरण है जो न्यायाधीशों को मामलों पर शोध करने में मदद करता है। 
      • इसे भारत के मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने अप्रैल 2021 में पेश किया था।
  • जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रबंधन से निपटना: AI अति-स्थानीय मौसम पूर्वानुमान, जलवायु मॉडलिंग, आपदा पूर्वानुमान और पर्यावरण की रियल टाइम मॉनिटरिंग में सहायता करता है। 
    • AI-संचालित सेंसर प्रदूषण के स्तर पर नज़र रखते हैं, जिससे शहरी क्षेत्रों में समय पर हस्तक्षेप संभव हो पाता है। स्मार्ट ग्रिड और AI-संचालित ऊर्जा प्रबंधन अक्षय ऊर्जा खपत को अनुकूलित करते हैं। 
    • गूगल का डीपमाइंड मौसम पूर्वानुमान को बेहतर बनाने के लिये AI का उपयोग करता है। NASA के उपग्रह डेटा पर निर्मित IBM Watsonx.ai का भू-स्थानिक आधार मॉडल वैश्विक मौसम पैटर्न का विश्लेषण करता है, भूमि उपयोग परिवर्तनों को ट्रैक करता है तथा फसल की उपज का पूर्वानुमान करता है, जो वैश्विक एवं स्थानीय दोनों स्तरों पर काम करता है।
    • इसके अलावा, बाढ़ का पूर्वानुमान करने के लिये AI मॉडल का लाभ उठाते हुए, पेरियार और चालाकुडी नदी घाटियों में CoS-it-FloWS की शुरुआत की गई। यह जलवायु डेटा रुझानों का विश्लेषण करने तथा पूर्वानुमान सटीकता को बढ़ाने के लिये गतिशील विज़ुअलाइज़ेशन और इंटरैक्टिव मानचित्रों का उपयोग करता है।
  • शिक्षा और व्यक्तिगत शिक्षा को बढ़ावा देना: AI-संचालित एडटेक प्लेटफॉर्म अनुकूली शिक्षा प्रदान करते हैं, जो छात्रों के अधिगम की गति के आधार पर उनके लिये अनुकूलित शिक्षा सुनिश्चित करते हैं। 
    • AI-संचालित भाषा अनुवाद उपकरण कई क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट की सुलभता को सक्षम बनाते हैं। 
    • शिक्षा बाज़ार में वैश्विक कृत्रिम बुद्धिमत्ता का मूल्य वर्ष 2022 में 2.5 बिलियन डॉलर था और वर्ष 2032 तक इसके 88.2 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। 
    • भारत का शिक्षा मंत्रालय भी सरकार के ऑनलाइन शिक्षा मंच DIKSHA पर AI को एकीकृत करने के तरीकों की खोज़ कर रहा है। 
  • शहरी शासन और स्मार्ट शहरों को मज़बूत करना: AI-संचालित यातायात प्रबंधन भीड़भाड़ को कम करता है और शहरी गतिशीलता को बढ़ाता है।
    • AI-संचालित अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियाँ अपशिष्ट संग्रहण और पुनर्चक्रण को अनुकूलित करती हैं। 
    • उदाहरण के लिये, बेंगलुरु ने 41 जंक्शनों पर AI-संचालित अनुकूली यातायात नियंत्रण प्रणाली (ATCS) लागू की है, जिससे मैनुअल यातायात प्रबंधन की आवश्यकता कम हो गई है।
  • वित्तीय प्रशासन और कराधान में सुधार: AI स्वचालित धोखाधड़ी का पता लगाना, वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाना और कर चोरी को कम करना। 
    • AI-संचालित चैटबॉट नागरिकों के लिये कर दाखिल करने की प्रक्रिया और शिकायत निवारण को सरल बनाते हैं। AI-आधारित पूर्वानुमान विश्लेषण सब्सिडी आवंटन को अनुकूलित करने और लीकेज को रोकने में मदद करते हैं। 
      • स्वचालित लेखापरीक्षा प्रणालियाँ वित्तीय लेनदेन में अनुपालन निगरानी में सुधार करती हैं।
    • उदाहरण के लिये, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्तीय धोखाधड़ी के लिये उपयोग किये जाने वाले म्यूल एकाउंट्स की समस्या से निपटने के लिये MuleHunter.ai नामक एक AI/ML-आधारित मॉडल विकसित किया है।

भारत के शासन परिदृश्य के लिये AI द्वारा उत्पन्न प्रमुख मुद्दे क्या हैं? 

  • नौकरी विस्थापन और श्रम बाज़ार पर प्रभाव: AI-संचालित स्वचालन लाखों कम-कुशल और नियमित नौकरियों को खतरे में डालता है, विशेष रूप से विनिर्माण, BPO और गिग इकॉनमी में।
    • भारत के श्रम-प्रधान उद्योग (जो बड़े कार्यबल पर बहुत अधिक निर्भर हैं) में यदि पुनः कौशल विकास के प्रयासों में तेज़ी नहीं लाई गई तो बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी का खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
      • यदि AI अंगीकरण को मानव-केंद्रित नीतियों के साथ संतुलित नहीं किया जाता है, तो बढ़ती असमानता और नौकरी की हानि सामाजिक अशांति को जन्म दे सकती है।
    • उदाहरण के लिये, विश्व आर्थिक मंच के एक अध्ययन से पता चलता है कि AI वर्ष 2025 तक भारत में 75 मिलियन नौकरियों को खत्म कर सकता है। 
  • एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह और भेदभावपूर्ण परिणाम: डेटासेट पर प्रशिक्षित AI मॉडल संभावित रूप से जाति, लिंग और क्षेत्रीय भेदभाव को मज़बूत कर सकते हैं, जिससे अनुचित शासन निर्णय लिये जा सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिये वर्ष 2018 में अमेज़न ने अपने गुप्त AI रिक्रुटिंग टूल को बंद कर दिया था, क्योंकि यह महिलाओं के प्रति पक्षपाती पाया गया था।
    • इसके अलावा, भारत में विविध और प्रतिनिधि डेटासेट की कमी विशेष रूप से सीमांत समुदायों के लिये अपवर्जन संबंधी परिणामों को और बढ़ा देती है। 
      • सुदृढ़ पूर्वाग्रह-शमन कार्यढाँचे के बिना, AI प्रणालीगत पूर्वाग्रहों को हल करने के बजाय उन्हें बढ़ा सकता है।
  • गोपनीयता का उल्लंघन और बड़े पैमाने पर निगरानी का जोखिम: चेहरे की पहचान और प्रेडिक्टिंग पुलिसिंग सहित AI-संचालित निगरानी, ​​पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना विसंगतियों तथा बड़े पैमाने पर डेटा संग्रह के बारे में चिंताएँ बढ़ाती है। 
    • उदाहरण के लिये, दिल्ली पुलिस 80% से अधिक समानता वाले फेशियल रेकग्निशन तकनीक (FRT) को सकारात्मक परिणाम मानती है, जिससे चिंता उत्पन्न हो सकती है।
    • इसके अलावा, वर्ष 2024 में UPSC ने परीक्षा में धोखाधड़ी तथा प्रतिरूपण को रोकने के लिये फेशियल रेकग्निशन और AI-संचालित CCTV मॉनिटरिंग के अंगीकरण की योजना की घोषणा की। परीक्षा की अखंडता के लिये एक सकारात्मक कदम होने के बावजूद, यह गोपनीयता और डेटा सुरक्षा पर चिंता उत्पन्न कर सकता है।
  • डीपफेक और गलत सूचना: AI-जनित डीपफेक और गलत सूचना अभियान चुनावों को कमज़ोर कर सकते हैं, शासन को बाधित कर सकते हैं तथा संस्थानों में जनता का विश्वास समाप्त कर सकते हैं। 
    • AI-जनित विषय-वस्तु की बढ़ती परिष्कृतता के कारण वास्तविक और नकली समाचार में अंतर करना कठिन हो जाता है, जिससे सामाजिक ध्रुवीकरण बढ़ जाता है। 
    • भारत में डीपफेक मामलों में वर्ष 2019 के बाद से 550% की वृद्धि हुई है और अकेले वर्ष 2024 में नुकसान 70,000 करोड़ रुपए तक पहुँचने का अनुमान था।
      • वर्ष 2024 के भारत के आम चुनावों से पहले प्रधानमंत्री मोदी और विपक्षी नेताओं के डीप फेक वीडियो वायरल हो गए, जिससे चुनावी शुचिता पर चिंता बढ़ गई।
  • साइबर सुरक्षा कमज़ोरियाँ और AI-संचालित हमले: फिशिंग और स्वचालित हैकिंग सहित AI-संचालित साइबर हमले भारत के डिजिटल बुनियादी अवसंरचना के लिये गंभीर जोखिम उत्पन्न करते हैं। 
    • बैंकिंग, रक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को AI-संवर्द्धित सुरक्षा खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिनका सामना मौजूदा साइबर सुरक्षा उपाय नहीं कर सकते। 
    • AI-संचालित प्रत्युपायों के बिना, भारत का डिजिटल इको-सिस्टम परिष्कृत खतरों के प्रति अत्यधिक सुभेद्य बना रहेगा।
    • वर्ष 2024 में भारतीयों को साइबर घोटालों में लगभग 12,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण घोटाले 300% तक बढ़े।
  • डिजिटल डिवाइड और असमान AI अभिगम: AI का अंगीकरण अत्यधिक असमान बना हुआ है, शहरी क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है जबकि ग्रामीण भारत पीछे छूट रहा है, जिससे डिजिटल डिवाइड और बढ़ता जा रहा है। 
    • सीमित इंटरनेट अभिगम, AI लिटरेसी की कमी और बुनियादी अवसंरचना की कमी, विशेष रूप से सीमांत समुदायों के लिये समान AI लाभ को रोकती है। 
    • NSSO के आँकड़ों के अनुसार, केवल 24% ग्रामीण भारतीय परिवारों के पास इंटरनेट एक्सेस है, जबकि शहरों में यह एक्सेस 66% है, जिससे ग्रामीण सेवा वितरण में AI-संचालित शासन लाभ सीमित हो जाता है। 
      • NITI आयोग की रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत में केवल 22% कंपनियाँ किसी भी व्यावसायिक प्रक्रिया में AI का उपयोग करती हैं। 
  • AI-प्रेरित पर्यावरणीय चिंताएँ: AI प्रणालियों को विशाल कंप्यूटिंग शक्ति की आवश्यकता होती है, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा की खपत और कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होती है। 
    • भारत में AI डेटा सेंटरों की वृद्धि से बिजली की मांग और कूलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिये जल के उपयोग पर चिंताएँ बढ़ गई हैं। 
    • हरित AI नीतियों के बिना, AI का तीव्र विस्तार भारत के स्थिरता लक्ष्यों के साथ टकराव उत्पन्न कर सकता है। 
    • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, एक एकल ChatGPT सर्च में 2.9 वाट-घंटे की खपत होती है, जबकि गूगल सर्च में केवल 0.3 वाट-घंटे की खपत होती है। 
      • गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट का अनुमान है कि AI की मांग के कारण वर्ष 2023 से वर्ष 2030 तक डेटा केंद्रों में वार्षिक बिजली खपत में 200 टेरावाट-घंटे की वृद्धि होगी।
  • कमज़ोर AI विनियमन और नीतिगत खामियाँ: भारत में एक व्यापक AI विनियामक कार्यढाँचे का अभाव है, जिसके कारण अनियंत्रित AI विकास और तैनाती हो रही है। यूरोपीय संघ के AI अधिनियम के विपरीत, भारत ने अभी तक सख्त AI-विशिष्ट नीति पेश नहीं किया है, जिससे कानूनी खामियाँ बनी हुई हैं। 
    • इसके अलावा, शासन में AI द्वारा निर्णय लेने से जवाबदेही और पारदर्शिता के बारे में मौलिक नैतिक प्रश्न उठते हैं। 
      • स्पष्ट कानूनी कार्यढाँचे के अभाव के कारण यह स्पष्ट नहीं हो पाता कि शासन में जब AI-संचालित त्रुटियाँ होती हैं तो इसके लिये कौन जिम्मेदार है। 
  • विदेशी AI प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता: भारत क्लाउड सेवाओं और उन्नत AI चिप्स सहित विदेशी AI अवसंरचना पर बहुत अधिक निर्भर करता है, जिससे रणनीतिक कमज़ोरियाँ उत्पन्न होती हैं। 
    • घरेलू AI नवाचार के बिना, भारत को अमेरिकी और चीनी AI फर्मों पर आर्थिक निर्भरता का खतरा होगा, जिससे डिजिटल संप्रभुता प्रभावित होगी। 
    • स्वदेशी AI अनुसंधान एवं विकास की कमी से आत्मनिर्भरता में बाधा आती है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आर्थिक हित कमज़ोर हो जाते हैं। 
    • हाल ही में, अमेरिकी प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के कारण कृत्रिम बुद्धिमत्ता चिप्स के आयात को प्रतिबंधित करने वाले एक नए कार्यढाँचे का प्रस्ताव भारत की AI हार्डवेयर योजनाओं के लिये खतरा बन गया है।

वैश्विक शासन के लिये AI द्वारा उत्पन्न प्रमुख मुद्दे क्या हैं? 

  • विनियामक विखंडन और वैश्विक AI मानकों का अभाव: देशों की AI नीतियाँ अलग-अलग हैं, यूरोपीय संघ सख्त विनियमन (AI अधिनियम) लागू कर रहा है, जबकि अमेरिका और चीन अधिक खुले बाज़ार के दृष्टिकोण अपना रहे हैं, जिसके कारण AI शासन में सामंजस्य की कमी हो रही है।
  • AI-संचालित गलत सूचना और लोकतंत्र के लिये खतरा: डीपफेक और AI-जनित गलत सूचना का उपयोग चुनावों में हेरफेर करने तथा राष्ट्रों को अस्थिर करने के लिये किया जा रहा है, जैसा कि वर्ष 2024 के अमेरिकी चुनावों के दौरान AI-संचालित गलत सूचना में देखा गया है।
  • AI शस्त्रीकरण और स्वायत्त युद्ध जोखिम: स्वायत्त घातक हथियारों (किलर ड्रोन) और AI-संचालित साइबर युद्ध के बढ़ने से सुरक्षा खतरे बढ़ रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र सैन्य उपयोग में AI को विनियमित करने के लिये संघर्ष कर रहा है।
  • निर्णय लेने में AI पूर्वाग्रह और नैतिक चिंताएँ - पक्षपातपूर्ण डेटा पर प्रशिक्षित AI सिस्टम कानून प्रवर्तन, बैंकिंग और स्वास्थ्य सेवा में भेदभाव को जन्म देते हैं, जैसा कि अमेरिका में AI पुलिसिंग टूल्स में नस्लीय पूर्वाग्रह में देखा गया है।
  • निगरानी और गोपनीयता का उल्लंघन - सरकारें और निगम बड़े पैमाने पर निगरानी के लिये AI का दुरुपयोग करते हैं, गोपनीयता को नष्ट करते हैं, जैसा कि चीन की AI-संचालित सामाजिक क्रेडिट प्रणाली में देखा गया है।
  • ग्लोबल साउथ का AI नुकसान और डिजिटल उपनिवेशवाद: AI विकास पर अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ के तकनीकी दिग्गजों का वर्चस्व है, जिससे विकासशील देश विदेशी AI बुनियादी अवसंरचना पर निर्भर हो रहे हैं तथा डिजिटल डिवाइड बढ़ रहा है।

AI विनियामक कार्यढाँचे को बढ़ाने और वैश्विक AI व्यवस्था को आकार देने के लिये भारत क्या उपाय अपना सकता है? 

  • संतुलित विनियामक दृष्टिकोण के साथ व्यापक AI कानून: भारत को एक समर्पित AI कानून का मसौदा तैयार करना चाहिये जो नवाचार और विनियमन को संतुलित करता हो तथा यूरोपीय संघ के अति-विनियमन एवं अमेरिका के अहस्तक्षेप दृष्टिकोण की चरम सीमाओं से बचाव कर सके। 
    • एक लचीला, जोखिम-आधारित AI गवर्नेंस मॉडल AI प्रणालियों को निम्न, मध्यम और उच्च जोखिम श्रेणियों में वर्गीकृत कर सकता है, जिससे आनुपातिक विनियमन सुनिश्चित हो सके।
    • AI-विशिष्ट कानूनों में एल्गोरिदम जवाबदेही, पूर्वाग्रह शमन और नैतिक AI विकास के प्रावधान शामिल होने चाहिये। 
  • राष्ट्रीय AI नियामक प्राधिकरण की स्थापना: भारत AI नैतिकता, अनुपालन, जोखिम मूल्यांकन और सार्वजनिक-निजी सहयोग की देखरेख के लिये एक AI शासन प्राधिकरण (AIGA) की स्थापना कर सकता है। 
    • प्राधिकरण को पक्षपातपूर्ण या हानिकारक परिणामों को रोकने के लिये AI ऑडिट, प्रभाव आकलन और एल्गोरिदम पारदर्शिता मानकों को अनिवार्य बनाना चाहिये।
      • AIGA नैतिक अनुपालन के आधार पर AI उत्पादों को भी प्रमाणित कर सकता है, ठीक उसी तरह जैसे BIS इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को प्रमाणित करता है।
    • इसके अलावा, AI की नैतिकता पर यूनेस्को की सिफारिश AI के नैतिक शासन को सुनिश्चित करने के लिये एक व्यापक कार्यढाँचे के रूप में कार्य करती है।
  • ग्लोबल साउथ के लिये AI सुरक्षा में अग्रणी भूमिका: भारत समावेशी और न्यायसंगत AI शासन को आकार देकर विकासशील देशों के लिये AI सुरक्षा में अग्रणी के रूप में अपनी स्थिति बना सकता है। 
    • अपने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) मॉडल का लाभ उठाकर, भारत ग्लोबल साउथ देशों को AI नियामक क्षमता के निर्माण में सहायता कर सकता है, साथ ही पश्चिमी-प्रभुत्व वाले AI कार्यढाँचे द्वारा वैश्विक स्तर पर AI नैतिकता को निर्धारित करने से रोक सकता है। 
    • BRICS या G20 के भीतर AI नैतिकता संघ की स्थापना से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये उपयुक्त वैकल्पिक शासन मॉडल विकसित करने में मदद मिल सकती है।
  • व्याख्या योग्य और विश्वसनीय AI को बढ़ावा देना: भारत को व्याख्या योग्य AI (XAI) नीतियों को अनिवार्य बनाना चाहिये, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सरकारी और निजी AI मॉडल पारदर्शी एवं व्याख्या योग्य बने रहें। 
    • विनियामक कार्यढाँचे में एल्गोरिदम उत्तरदायित्व नियम शामिल होने चाहिये, जहाँ बैंकिंग, भर्ती और शासन में AI-संचालित निर्णय प्रभावित व्यक्तियों के लिये समझाने योग्य होने चाहिये। 
  • कानून प्रवर्तन और राष्ट्रीय सुरक्षा में AI को विनियमित करना: पुलिसिंग, निगरानी और साइबर सुरक्षा में AI को बड़े पैमाने पर निगरानी, ​​गलत प्रोफाइलिंग और मानवाधिकार उल्लंघन को रोकने के लिये स्पष्ट कानूनी सुरक्षा उपायों का पालन करना चाहिये। 
    • सरकार को कानून प्रवर्तन के लिये AI जवाबदेही संहिता पेश करनी चाहिये, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि AI-संचालित फेशियल रिकग्निशन, अपराध का पूर्वानुमान और बायोमेट्रिक सत्यापन का उपयोग पारदर्शी तरीके से तथा न्यायिक निगरानी के साथ किया जाए।
    • भारत को AI-संचालित साइबर खतरों और मिसइनफार्मेशन वारफेयर का मुकाबला करने के लिये AI-सक्षम साइबर सुरक्षा रणनीति भी विकसित करनी चाहिये।
  • नवाचार-अनुकूल विनियमन के लिये AI सैंडबॉक्स बनाना: भारत को AI विनियामक सैंडबॉक्स स्थापित करना चाहिये, जहाँ स्टार्टअप, व्यवसाय और नीति निर्माता कुछ नियमों पर अस्थायी छूट के साथ वास्तविक दुनिया की स्थितियों में AI अनुप्रयोगों का परीक्षण कर सकते हैं। 
    • ये सैंडबॉक्स क्षेत्र-विशिष्ट AI दिशानिर्देशों के तहत काम कर सकते हैं, जिससे वित्तीय, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा AI मॉडल को नियंत्रित कानूनी परिवेश में परीक्षण किया जा सकता है। 
    • RBI के फिनटेक विनियामक सैंडबॉक्स मॉडल को AI-संचालित वित्तीय सेवाओं, जैसे AI-संचालित क्रेडिट स्कोरिंग और धोखाधड़ी का पता लगाने वाली प्रणालियों तक विस्तारित किया जा सकता है। 
  • डिजिटल संप्रभुता के लिये स्वदेशी AI विकास को बढ़ावा देना: भारत को घरेलू AI चिप विनिर्माण, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और संप्रभु AI मॉडल में निवेश करके विदेशी AI मॉडल, कंप्यूटिंग शक्ति एवं अर्द्धचालक आपूर्ति शृंखलाओं पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिये। 
  • AI-संचालित गलत सूचना और डीपफेक खतरों से निपटना: भारत को AI-जनित डीपफेक, गलत सूचना और चुनावी हेरफेर जोखिम को सक्रिय रूप से नियंत्रित करना चाहिये। 
    • सरकार को AI-सत्यापित कंटेंट लेबलिंग प्रणाली शुरू करनी चाहिये, जिसमें प्लेटफॉर्म को राजनीतिक अभियानों में AI-जनित मीडिया और गलत सूचनाओं को चिह्नित करने की आवश्यकता होगी। 
    • AI-संचालित तथ्य-जाँच उपकरणों को सरकारी सूचना पोर्टलों में एकीकृत किया जाना चाहिये, जिससे सोशल मीडिया पर फर्ज़ी खबरों को फैलने से रोका जा सके। 
    • डिजिटल इंडिया अधिनियम (अभी पारित होना शेष है) के तहत डीप फेक विनियमन नियम पेश किये जा सकते हैं, ताकि AI- जनित राजनीतिक गलत सूचनाओं को अपराधी बनाया जा सके, जिससे चुनावी अखंडता और शासन में जनता का विश्वास सुनिश्चित हो सके।

निष्कर्ष: 

पेरिस AI एक्शन समिट वैश्विक विनियामक ढाँचों के लिये एक निर्णायक क्षण है, जिसके परिणामों पर सभी की नज़र है। एक उभरते डिजिटल पावरहाउस के रूप में, भारत को संतुलित, भविष्य के लिये तैयार नियमों को आयाम देने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिये जो नैतिक शासन सुनिश्चित करते हुए नवाचार को बढ़ावा देते हैं। समावेशी और अनुकूलनीय नीतियों का समर्थन करके, भारत एक वैश्विक मिसाल कायम कर सकता है, जिससे डिजिटल अर्थव्यवस्था के प्रमुख वास्तुकार के रूप में अपनी स्थिति मज़बूत हो सकती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. शासन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका पर चर्चा कीजिये और भारत में इसके विनियमन से जुड़ी चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। साथ ही, नवाचार और नैतिक चिंताओं को संतुलित करते हुए एक सुदृढ़ AI शासन कार्यढाँचा स्थापित करने के उपाय सुझाइये।

प्रश्न 1. भारत में कार्य कर रही विदेशी-स्वामित्व की e-वाणिज्य फर्मों के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. अपने प्लेटफॉर्मों को बाज़ार-स्थान के रूप में प्रस्तुत करने के अतिरिक्त वे स्वयं अपने माल का विक्रय भी कर सकते हैं। 
  2. वे अपने प्लेटफॉर्मों पर किस अंश तक बड़े विक्रेताओं को स्वीकार कर सकते हैं, यह सीमित है।

नीचे दिये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (b)

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