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भारतीय अर्थव्यवस्था

इंटरनेट तक पहुँच

  • 21 Sep 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केरल उच्च न्यायालय ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार के साथ-साथ शिक्षा के मौलिक अधिकार के एक हिस्से के रूप में इंटरनेट तक पहुँच के अधिकार को बरकरार रखा।

न्यायालय द्वारा अवलोकन

  • न्यायालय ने कहा कि इंटरनेट एक शिक्षा के उपकरण के रूप में कार्य करता है और कोई भी अनुशासन का हवाला देते हुए इस पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता है।
  • यह निर्णय एक याचिका की सुनवाई एक दौरान दिया गया। न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्त्ता ने तर्क दिया कि इंटरनेट के उपयोग पर प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (a) के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
  • इसके उत्तर में केरल उच्च न्यायालय ने एस. रंगराजन और अन्य बनाम पी. जगजीवन राम मामले (1989) में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अनुच्छेद 19 (1) (a) के तहत मौलिक अधिकारों के अंतर्गत दी गई स्वतंत्रता केवल अनुच्छेद 19 (2) में उल्लेखित उद्देश्यों के लिये ही प्रतिबंधित की जा सकती है।
  • इसके तहत प्रतिबंध को आवश्यकता के आधार पर उचित ठहराया जाना चाहिये, न कि सुविधा या शीघ्रता के आधार पर।

उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार परिषद भी इंटरनेट के अधिकार को मौलिक स्वतंत्रता और शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने के उपकरण के रूप में मानता है।

अनुच्छेद 19 (1) (a): बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रत्येक नागरिक को भाषण द्वारा लेखन, मुद्रण, चित्र या किसी अन्य तरीके से स्वतंत्र रूप से किसी के विचारों और विश्वासों को व्यक्त करने का अधिकार प्रदान करती है।

अनुच्छेद 19 (2): इसके आधार पर राज्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंध लगाने का अधिकार रखता है। युक्तियुक्त निर्बंधनों की घोषणा निम्न है-

  • भारत की सुरक्षा व संप्रभुता 
  • मानहानि
  • विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध,
  • सार्वजनिक व्यवस्था, 
  • शिष्टाचार या सदाचार 
  • न्यायालय की अवमानना

अनुच्छेद 21 यह घोषणा करता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं होगा। यह अधिकार नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों के लिये उपलब्ध है।

अनुच्छेद 21 (a) कहता है कि राज्य छह से चौदह वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा तथा इसे कानून द्वारा राज्य निर्धारित कर सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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