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डिजिटल पब्लिक गुड्स: सार्वजनिक सेवा वितरण में अंतराल को कम करना

  • 19 Sep 2023
  • 22 min read

यह एडिटोरियल 14/09/2023 को ‘हिंदू बिज़नेसलाइन’ में प्रकाशित ‘‘Era of digital public goods’’ लेख पर आधारित है। इसमें सार्वजनिक सेवा वितरण के समक्ष विद्यमान चुनौतियों और सार्वजनिक सेवा वितरण के रूपांतरण में ‘डिजिटल पब्लिक गुड्स’ की क्षमता के बारे में चर्चा की गई है।

प्रिलिम्स के लिये:

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI), डिजिटल पब्लिक गुड्स (DPG), G20 फ्रेमवर्क, आधार, UPI, नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन, ONDC, इंडिया स्टैक, ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म

मेन्स के लिये:

सार्वजनिक सेवा वितरण में चुनौतियाँ, डिजिटल पब्लिक गुड्स: लाभ, चुनौतियाँ और आगे की राह। 

देश के समावेशी आर्थिक विकास में तेज़ी लाने के लिये डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (Digital Public Infrastructures- DPIs)और डिजिटल पब्लिक गुड्स (Digital Public Goods (DPGs) का विचार गति पकड़ रहा है, जिसकी पुष्टि G20 ढाँचे के भीतर DPIs पर भारत के ज़ोर से भी प्रकट हुआ। DPIs मोटे तौर पर दो तरीकों से सक्षम किया जा सकता है — या तो DPGs के माध्यम से या प्रोपराइटरी समाधानों (proprietary solutions) के माध्यम से। 

सरकारों द्वारा नियोजित डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ बड़े पैमाने पर निजी क्षेत्र द्वारा प्रदान की गई हैं जो कई लाभ प्रदान करती हैं। इनमें विश्वसनीय ब्रांडों द्वारा पेश किये गए समाधान, अल्पकालिक बचत और आउटसोर्स किये गए विकास एवं रखरखाव शामिल हैं – जो त्वरित सुधार और रिटर्न को सक्षम करते हैं। 

डिजिटल पब्लिक गुड्स:

  • डिजिटल पब्लिक गुड्स (DPGs) उन डिजिटल संसाधनों एवं सॉफ्टवेयर को संदर्भित करते हैं जो सार्वजनिक उपयोग के लिये उपलब्ध कराये जाते हैं और जो आमतौर पर उपयोगकर्ताओं की एक विस्तृत शृंखला को लाभ पहुँचाने और सार्वजनिक भलाई/हित (public good) को बढ़ावा देने पर लक्षित होते हैं।
  • ये संसाधन प्रायः ‘ओपन-सोर्स’ (open-source) होते हैं और इनमें सॉफ्टवेयर, डेटा, कंटेंट और मानक जैसी विभिन्न प्रकार की डिजिटल आस्तियाँ शामिल हो सकती हैं। 

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सार्वजनिक सेवा वितरण के समक्ष विद्यमान प्रमुख चुनौतियाँ:  

  • ‘वेंडर लॉक-इन’: वेंडर लॉक-इन (Vendor lock-in) तब घटित होता है जब कोई संगठन किसी विशेष प्रौद्योगिकी प्रदाता के उत्पादों या सेवाओं पर अत्यधिक निर्भर हो जाता है। इससे लचीले हो सकने की क्षमता सीमित हो जाति है और वैकल्पिक समाधानों को अपनाना कठिन हो जाता है। 
    • PwC के एक अध्ययन में पाया गया कि वेंडर लॉक-इन विभिन्न सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणालियों के बीच अंतरसंचालनीयता (interoperability) प्राप्त करने की राह की मुख्य बाधाओं में से एक था। 
    • उदाहरण के लिये, अपनी सेवा के शुरुआती चरणों के दौरान Apple ने उपभोक्ताओं को iTunes का उपयोग करने तक सीमित कर दिया था। iTunes के माध्यम से क्रय किया गया संगीत केवल iTunes एप्लीकेशन या iPod पर ही चलाया जा सकता था। 
  • बाह्य निर्भरता: बाह्य निकायों पर निर्भरता (चाहे वे विदेशी प्रौद्योगिकी कंपनियाँ हों या अंतर्राष्ट्रीय संगठन) भेद्यताएँ पैदा कर सकती हैं। 
  • लचीलेपन का अभाव: डिजिटलीकरण के प्रयास बदलती आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुकूल होने चाहिये। 
    • उदाहरण के लिये, कोविड-19 महामारी के दौरान कई सार्वजनिक संस्थानों को त्वरित रूप से ऑनलाइन सेवा वितरण की ओर स्थानांतरित होना पड़ा, लेकिन उनके मौजूदा प्रणाली में लचीलेपन की कमी के कारण उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 
  • सेवाएँ बंद करने या एकतरफ़ा परिवर्तनीयता से संबद्ध जोखिम: जब बाहरी निकाय डिजिटल प्रणालियों को नियंत्रित करते हैं तो इन संस्थाओं द्वारा सेवाएं बंद करने या एकतरफ़ा परिवर्तन करने के जोखिम भी शामिल होते हैं, जो स्थानीय सरकार या संगठन के हितों के साथ संरेखित नहीं भी हो सकते हैं। 
    • सरकार द्वारा वर्ष 2014 में PPP मॉडल के माध्यम से देश को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने के लिये राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन (National Digital Literacy Mission- NDLM) लॉन्च किया गया था। वर्ष 2017 में NDLM के लिये निजी क्षेत्र के भागीदार टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने परियोजना से बाहर निकलने का फैसला किया। इस निर्णय ने NDLM के कार्यान्वयन में एक बड़ा अंतराल उत्पन्न किया और इसकी स्थिरता को प्रभावित किया। 
  • अंतरसंचालनीयता (Interoperability): विभिन्न प्रणालियों के बीच निर्बाध डेटा विनिमय और सहयोग के लिये इंटरऑपरेबिलिटी महत्त्वपूर्ण है। साइलो प्रणालियाँ (Siloed systems)—जिनमें अंतरसंचालनीयता की कमी होती है, प्रयासों के दोहराव और डेटा के विखंडन का खतरा उत्पन्न कर सकती हैं।
    • उदाहरण के लिये, सरकार का ‘आधार’ बायोमीट्रिक पहचान कार्यक्रम सरकार की कराधान प्रणाली के साथ एकीकृत नहीं है। 
  • दोहराव और विखंडन (Duplication and Fragmentation): प्रयासों के दोहराव और प्रणालियों के विखंडन से अक्षमताओं तथा लागत में वृद्धि की स्थिति बन सकती है। इन समस्याओं से बच सकने के लिये डिजिटलीकरण प्रयासों में शामिल विभिन्न संगठनों के बीच समन्वय और सहयोग आवश्यक है। 
    • उदाहरण के लिये, सरकार के पास गरीबों को स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा प्रदान करने के लिये कई कार्यक्रम हैं। 
  • सार्वजनिक सेवा वितरण लागत (Public Service Delivery Costs): सार्वजनिक सेवा वितरण में डिजिटलीकरण प्रयासों का लक्ष्य अंततः दक्षता में सुधार करना और लागत कम करना है। हालाँकि, यदि ऊपर उल्लिखित चुनौतियों का पर्याप्त रूप से समाधान नहीं किया जाए तो डिजिटलीकरण प्रयासों से लागत में वृद्धि हो सकती है। 
    • उदाहरण के लिये, सरकार सब्सिडी पर बड़ी मात्रा में धन खर्च करती है, लेकिन इनमें से कई सब्सिडी लाभ इच्छित लाभार्थियों तक नहीं पहुँच पाते हैं। 

डिजिटल पब्लिक गुड्स सार्वजनिक सेवा वितरण का बेहतर वैकल्पिक उपाय कैसे सिद्ध हो सकते हैं? 

  • लागत-प्रभावी: DPGs आम तौर पर ‘ओपन-सोर्स’ और मुक्त रूप से उपलब्ध होते हैं, जो सॉफ्टवेयर लाइसेंसिंग, विकास और रखरखाव से संबद्ध लागत को पर्याप्त रूप से कम कर सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि सरकारें और संगठन अपने बजट को अन्य आवश्यक सेवाओं के लिये अधिक कुशलता से आवंटित कर सकते हैं। 
    • एलायंस फॉर अफोर्डेबल इंटरनेट (A4AI) इसका एक उदाहरण है। इसका उद्देश्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इंटरनेट पहुँच की लागत को कम करना है। 
  • समावेशिता: DPGs को गैर-अपवर्जी और गैर-प्रतिद्वंद्वी (non-excludable and non-rivalrous) के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी नागरिकों को सार्वजनिक सेवाओं तक समान पहुँच प्राप्त हो। यह समावेशिता सामाजिक समानता को बढ़ावा देती है और यह सुनिश्चित करती है कि हाशिये पर रहने वाली आबादी पीछे न छूट जाए। 
  • अनुकूलनशीलता (Customizability): DPGs को विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अनुकूलित और अनुरूपित किया जा सकता है। सरकारें स्थानीय चुनौतियों और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये इन डिजिटल समाधानों को विशिष्ट रूप प्रदान कर सकती हैं, जिससे अधिक प्रभावी सेवा वितरण हो सकेगा। 
  • त्वरित परिनियोजन (Rapid Deployment): चूँकि DPGs ओपन-सोर्स हैं और आसानी से उपलब्ध हैं, इन्हें शीघ्रता से कार्यान्वित किया जा सकता है। यह आपातकालीन स्थितियों में या जब त्वरित प्रतिक्रिया की आवश्यकता हो (जैसे स्वास्थ्य देखभाल आपात स्थिति या आपदा प्रबंधन)—विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण हैं। 
  • पारदर्शिता: ओपन-सोर्स DPGs में प्रायः पारदर्शी विकास प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं, जो सार्वजनिक भरोसे को बढ़ा सकती हैं। नागरिक संहिता (code) की संवीक्षा कर सकते हैं और सेवाओं को कार्य करने के तरीके को समझ सकते हैं, जिससे सार्वजनिक सेवा वितरण में अधिक पारदर्शिता आएगी। 
  • नवाचार: DPGs नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं क्योंकि वे सहयोगात्मक विकास की अनुमति देते हैं। इसका अर्थ यह है कि डेवलपर्स का एक वैश्विक समुदाय इन डिजिटल संसाधनों की कार्यक्षमता में सुधार और विस्तार करने में योगदान दे सकता है, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर सेवाओं और निरंतर नवाचार का परिदृश्य बनेगा।  
  • ‘इंटरऑपरेबिलिटी’: DPGs को अंतरसंचालनीयता/इंटरऑपरेबिलिटी को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया जा सकता है, जिससे विभिन्न सरकारी एजेंसियों और प्रणालियों के लिये संचार तथा डेटा की साझेदारी आसान हो जाएगी। यह अतिरेकता (redundancy) को कम करेगी और सेवा वितरण को सुव्यवस्थित करेगी। 
  • वेंडर लॉक-इन में कमी: DPGs विदेशी प्लेटफार्मों और प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता को कम कर तथा स्थानीय नवाचार एवं स्वामित्व को बढ़ावा देकर डिजिटल संप्रभुता का समर्थन कर सकते हैं। 
  • वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास: DPGs प्रायः विभिन्न क्षेत्रों और देशों से सीखे गए सर्वोत्तम अभ्यासों और सबक को शामिल करते हैं। इससे सरकारों को सिद्ध समाधान अपनाने और सार्वजनिक सेवा वितरण में सामान्य दोषों से बचने में मदद मिल सकती है। 

डिजिटल पब्लिक गुड्स से संबद्ध प्रमुख चुनौतियाँ: 

  • वित्तपोषण और संवहनीयता: DPGs को प्रायः अपने विकास, रखरखाव और स्केलिंग (scaling) के लिये पर्याप्त एवं नियमित वित्तपोषण प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्हें व्यवहार्य व्यवसाय मॉडल स्थापित करने की भी आवश्यकता है जो उनकी दीर्घकालिक व्यवहार्यता और प्रभाव को सुनिश्चित कर सके। 
  • तकनीकी क्षमता और अंतरसंचालनीयता: DPGs को डिज़ाइन, कार्यान्वयन और प्रबंधन के लिये उच्च स्तर की तकनीकी विशेषज्ञता और क्षमता की आवश्यकता है। उन्हें मुक्त मानकों और प्रोटोकॉल का पालन करने की भी आवश्यकता है जो उन्हें अन्य प्रणालियों और प्लेटफार्मों के साथ अंतरसंचालन में सक्षम बनाते हैं। 
  • ‘डिजिटल डिवाइड’ और समावेशन: DPGs को देशों, क्षेत्रों और समुदायों के बीच और उनके भीतर मौजूद डिजिटल डिवाइड को भी संबोधित करने की आवश्यकता है। उन्हें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनके समाधान सभी संभावित लाभार्थियों, विशेष रूप से सबसे कमज़ोर और हाशिये पर स्थित समूहों के लिये सुलभ, वहनीय , प्रासंगिक और उपयोगकर्ता-अनुकूल हों। 
  • डेटा और डिजिटल अधिकार: DPGs को अपने उपयोगकर्ताओं के डेटा और डिजिटल अधिकारों (जैसे निजता, सुरक्षा, सहमति, स्वामित्व और शासन के अधिकार) का सम्मान करने और उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। उन्हें प्रवर्तनीय कानूनों और विनियमों के साथ-साथ नैतिक सिद्धांतों और सर्वोत्तम अभ्यासों का अनुपालन करने की आवश्यकता है। 

डिजिटल पब्लिक गुड्स के बेहतर कार्यान्वयन के लिये क्या किया जा सकता है? 

  • DPGs और DIPs का प्रवेश: डिजिटल परिवर्तन रणनीति के एक भाग के रूप में, सरकारें विभिन्न हितधारकों के दृष्टिकोण और लक्ष्यों को संरेखित करने के लिये DPGs और DIPs पेश कर सकती हैं। 
    • इसमें ओपन-सोर्स समाधानों का विकास और तैनाती शामिल हो सकती है जो विभिन्न सरकारी एजेंसियों और विभागों के बीच सहयोग, दक्षता एवं समन्वय को बढ़ावा देंगे। 
  • ओपन-सोर्स नीतियाँ विकसित करना: प्रोपराइटरी समाधानों पर निर्भरता कम करने और नवाचार एवं पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिये, सरकारें ओपन-सोर्स नीतियों को संस्थागत बना सकती हैं। ये नीतियाँ सरकारी परियोजनाओं में ओपन-सोर्स प्रौद्योगिकियों की खरीद और उपयोग को प्रोत्साहित कर सकती हैं। 
    • ओपन-सोर्स को अपनाने से, सरकारें डेवलपर्स के एक व्यापक समुदाय, लागत प्रभावी समाधान और विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिये डिजिटल उपकरणों को अनुकूलित करने एवं अपनाने में अधिक लचीलेपन से लाभ उठा सकती हैं। 
  • निविदा प्रणाली में सुधार लाना: निविदा प्रणाली (Tendering System) डिजिटल परियोजनाओं के चयन और कार्यान्वयन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भागीदार के रूप में सिस्टम इंटीग्रेटर्स (systems integrators) की आवश्यकताओं और क्षमता को बेहतर ढंग से स्वीकार करने के लिये इस प्रणाली में सुधार करना आवश्यक है। 
    • यह सुधार मौजूदा प्रणालियों के साथ डिजिटल पब्लिक गुड्स के अनुकूलन एवं एकीकरण की सुविधा प्रदान कर सकता है, जिससे उनकी संवहनीयता और ‘स्केलेबिलिटी’ सुनिश्चित हो सकेगी। 
    • यह सरकारों और प्रौद्योगिकी प्रदाताओं के बीच सहयोग को भी प्रोत्साहित करता है। 
  • मौजूदा डिजिटल अवसंरचना का लाभ उठाना: सरकारों को नई परियोजनाएँ शुरू करते समय मौजूदा सफल डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का लाभ उठाने पर ध्यान देना चाहिये। 
    • उदाहरण के लिये, भारत का CoWIN प्लेटफॉर्म, जिसने इसके कोविड-19 टीकाकरण अभियान में सहयोग किया, eVin और India Stack जैसी पूर्व की डिजिटल पहलों पर विकसित किया गया था। 
    • सरकारें सफल सिद्ध हुई प्रणालियों पर आगे बढ़ते हुए बड़े पैमाने की चुनौतियों का कुशलतापूर्वक समाधान करते हुए समय, संसाधन और प्रयास की बचत कर सकती हैं।  
  • एक अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व गठबंधन का निर्माण करना: डिजिटल पब्लिक गुड्स को आगे बढ़ाने के लिये वैश्विक स्तर पर सहयोग महत्त्वपूर्ण है। सरकारें एक अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व गठबंधन (International Leadership Coalition) का निर्माण करने की पहल कर सकती हैं जिसमें राज्यों के प्रमुख, निजी क्षेत्र के उच्च-स्तरीय कार्यकारी और अन्य हितधारक शामिल होंगे। 
    • यह गठबंधन सर्वोत्तम अभ्यासों को साझा करने, संसाधन जुटाने और विकासशील देशों में उच्च प्रभाव वाले डिजिटल समाधानों के विकास एवं अंगीकरण में तेज़ी लाने के लिये तालमेल बनाने की सुविधा प्रदान कर सकता है। 

निष्कर्ष:  

  • जबकि सार्वजनिक सेवाओं के वितरण का उत्तरदायित्व सरकार पर है, सतत विकास सुनिश्चित करने के लिये एक सहयोगी प्रयास की आवश्यकता है जिसमें निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों को साथ लाया जाना महत्त्वपूर्ण है। यह सहयोग बड़े पैमाने पर DPGs के सफल कार्यान्वयन और लाखों व्यक्तियों तक इसकी पहुँच के लिये आवश्यक है। यही वह विषय है जहाँ निजी क्षेत्र उपयोगकर्ता-केंद्रित नवाचार का समर्थन करने और उसे आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जिससे डिजिटल समाधानों को व्यापक रूप से अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकता है। 

अभ्यास प्रश्न: समकालीन समय में सार्वजनिक सेवा वितरण के समक्ष विद्यमान प्रमुख चुनौतियों की चर्चा कीजिये और विस्तार से बताइये कि डिजिटल पब्लिक गुड्स सार्वजनिक सेवा वितरण की संवृद्धि के लिये किस प्रकार अधिक प्रभावी एवं कुशल वैकल्पिक उपाय प्रदान कर सकता है। 

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ)   

प्रिलिम्स

प्र. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (वर्ष 2022)

  1. आरोग्य सेतु
  2.  कोविन
  3.  डिजिटल लॉकर
  4.  दीक्षा

उपर्युक्त में से कौन सा ओपन-सोर्स डिजिटल प्लेटफॉर्म के शीर्ष पर बनाया गया है?

 (A) केवल 1 और 2
(B) केवल 2, 3 और 4
(C) केवल 1, 3 और 4
(D) 1, 2, 3 और 4

 उत्तर: (D)

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