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कृषि

ओपन-सोर्स सीड्स मूवमेंट

  • 07 Apr 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

IPR, ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर, WTO, TRIPS, हरित क्रांति।

मेन्स के लिये:

ओपन-सोर्स सीड्स मूवमेंट।

चर्चा में क्यों? 

प्रजनन और बीज क्षेत्र में क्रमशः सार्वजनिक क्षेत्र के घटते एवं निजी क्षेत्र के बढ़ते वर्चस्व के साथ, ओपन-सोर्स सीड्स की अवधारणा तेज़ी से प्रासंगिक हो रही है।

  • वर्ष 1999 में पहली बार कनाडाई पौधा-प्रजनक टी.ई. माइकल्स द्वारा ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के सिद्धांतों के आधार पर 'ओपन-सोर्स सीड्स' का सुझाव दिया गया था। 
  • किसान सदियों से बिना किसी विशेष अधिकार या बौद्धिक संपदा अधिकार  का दावा किये, बीजों (Seeds) को साझा करते हुए नवाचार करते रहे हैं, उसी तरह जैसे प्रोग्रामर सॉफ्टवेयर पर साझा एवं नवाचार करते हैं।

ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर (OSS):

  • OSS एक सॉफ्टवेयर है जिसका स्रोत कोड किसी को भी खुले स्रोत लाइसेंस के तहत देखने, संशोधित करने और वितरित करने हेतु सभी के लिये उपलब्ध होता है। यह लाइसेंस आमतौर पर उपयोगकर्त्ताओं को स्रोत कोड तक पहुँचने और संशोधित करने की अनुमति देता है, साथ ही उपयोग या वितरण पर किसी भी प्रतिबंध के बिना सॉफ़्टवेयर को पुनर्वितरित करने की अनुमति होती है।  
    • OSS की अवधारणा वर्ष 1980 के दशक में उत्पन्न हुई, लेकिन फ्री सॉफ्टवेयर फाउंडेशन (FSF) तथा ओपन सोर्स इनिशिएटिव (OSI) के प्रयासों से वर्ष 1990 के दशक में इसे व्यापक मान्यता और लोकप्रियता मिली।
  • OSS के लाभों में विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु सॉफ्टवेयर को अनुकूलित करने की क्षमता, स्वामित्त्व की कम लागत और स्रोत कोड की बढ़ी हुई पारदर्शिता के कारण अधिक सुरक्षा की संभावना शामिल है। इसके अलावा OSS डेवलपर्स को मौजूदा सॉफ्टवेयर पर निर्माण करने एवं इसे बेहतर बनाने की अनुमति देकर नवाचार को बढ़ावा दे सकता है। 

पादप प्रजनकों के अधिकार:

  • वाणिज्यिक बीज उद्योग का विकास, वैज्ञानिक पादप-प्रजनन और संकर बीजों के आगमन से कई देशों में पादप प्रजनकों के अधिकार (PBR) की स्थापना हुई।
  • PBR पद्धति के तहत, पौध प्रजनकों और नई किस्मों के विकासकर्त्ताओं को बीजों पर रॉयल्टी वसूलने तथा कानूनी रूप से PBR लागू करने का विशेष अधिकार है।
  • इसने किसानों द्वारा बीजों के पुन: प्रयोग के अधिकारों को सीमित कर दिया और उनकी नवाचार करने की क्षमता को सीमित कर दिया।
  • वर्ष 1994 में विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना तथा व्यापार संबंधित IPR समझौते (TRIPS) ने पादप किस्मों पर वैश्विक IPR व्यवस्था लागू की।
    • ट्रिप्स के लिये देशों को पौधों की किस्मों हेतु IP संरक्षण का कम-से-कम एक प्रतिरूप प्रदान करने की आवश्यकता थी, जिसने नवाचार करने की स्वतंत्रता के बारे में चिंताओं को उज़ागर किया।
  • हरित क्रांति का नेतृत्त्व सार्वजनिक क्षेत्र के प्रजनन संगठनों ने किया था और बीजों को 'ओपन पोलीनेटेड किस्मों' या उचित मूल्य वाले संकरों के रूप में उपलब्ध कराया गया था, जिसमें किसानों की उत्पादन, पुन: उपयोग एवं साझा करने की क्षमता पर कोई सीमा नहीं थी।
  • लेकिन कृषि में आनुवंशिक क्रांति का नेतृत्त्व निजी क्षेत्र ने किया, जिसमें बीजों को ज़्यादातर संकर के रूप में उपलब्ध कराया गया और IPR द्वारा संरक्षित किया गया। 

कृषि में IP संरक्षण

  • कृषि में IPR संरक्षण के दो रूप हैं: पादप-प्रजनकों के अधिकार और पेटेंट।
  • साथ में वे IP-संरक्षित किस्मों से जर्मप्लाज़्म (Germplasm) का उपयोग करके किसानों के अधिकारों और नई किस्मों को विकसित करने की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करते हैं।
  • इस प्रकार उन्होंने बीज क्षेत्र को और समेकित किया है और IPR द्वारा कवर की गई पौधों की किस्मों की संख्या में वृद्धि की है। 

ओपन सोर्स सीड्स

  • आवश्यकता: 
    • आनुवंशिक रूप से संशोधित बीजों की उच्च कीमतों और IP दावों ने भारत में बीटी कपास के बीजों पर राज्य के हस्तक्षेप सहित कई समस्याओं को जन्म दिया। जैसे-जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के प्रजनन में गिरावट आई और बीज क्षेत्र में निजी क्षेत्र का वर्चस्व बढ़ने लगा, विकल्पों की आवश्यकता महसूस की जाने लगी।
    • यह तब है जब ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर की सफलता ने एक समाधान को प्रेरित किया।
  • ओपन-सोर्स मॉडल: 
    • वर्ष 2002 में वैज्ञानिकों द्वारा बीजों और पौधों की किस्मों के लिये एक ओपन-सोर्स मॉडल प्रस्तावित किया गया था, जिसे "बायोलाइनक्स मॉडल" का नाम दिया गया था, और यह विद्वानों और नागरिक-समाज के सदस्यों के लिये इस दिशा में कार्य करने का आधार बना।
    • जैक क्लोपेनबर्ग ने वर्ष 2012 में विस्कॉन्सिन में ओपन सोर्स सीड्स इनिशिएटिव (OSSI) लॉन्च किया।
    • इसका उपयोग किसान आधारित बीज संरक्षण और वितरण प्रणाली में किया जा सकता है। भारत में पारंपरिक किस्मों को संरक्षण और साझा करने के लिये कई पहलें हैं।
    • इसका उपयोग किसानो के नेतृत्त्व वाली प्लांट ब्रीडिंग अभ्यासों को बढ़ावा देने के लिये भी किया जा सकता है।
    • पारंपरिक किस्मों में अक्सर एकरूपता और गुणवत्ता की कमी होती है। ओपन सोर्स सिद्धांत परीक्षण, सुधार और अपनाए जाने की सुविधा के साथ इन दोनो चुनौतियों को दूर करने में मदद कर सकते हैं - ये सभी अंततः भारत की खाद्य सुरक्षा और जलवायु सुनम्यता के लिये फायदेमंद होंगे।

भारत की पहलें: 

  • हैदराबाद स्थित सतत् कृषि केंद्र (CSA) जो अपना बीज नेटवर्क का एक हिस्सा है, ने एक मॉडल का निर्माण किया जिसे CSA और बीज सामग्री प्राप्त करने वाले व्यक्ति के बीच एक अनुबंध में शामिल किया गया था। थ्री फार्मर प्रोडूसर आर्गेनाईजेशन (FPO) के माध्यम से इस रणनीति का उपयोग करने की कोशिश की जा रही है।
  • विश्व भर में ओपन-सोर्स मॉडल का उपयोग करने वाली बीज फर्मों की संख्या और इसके तहत उपलब्ध कराई गई फसल किस्मों और बीजों की संख्या कम है, लेकिन इसमें वृद्धि होने की पूरी संभावना है। भारत द्वारा अभी इसका परीक्षण करना और इसे व्यापक रूप से अपनाया जाना शेष है।
  • पौधा किस्म एवं किसान अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत यदि किसान कुछ शर्तों को पूरा करते हैं तो यह कुछ किस्मों को 'किसान किस्मों (Farmer Varieties)' के रूप में पंजीकृत कर सकते हैं।
  • हालाँकि यह अधिनियम के तहत व्यावसायिक उद्देश्यों हेतु संरक्षित किस्मों के प्रजनन और व्यापार के पात्र नहीं होते हैं।  

आगे की राह: 

  • ओपन-सोर्स दृष्टिकोण का उपयोग करने से किसानों को जर्मप्लाज़्म और बीजों पर अधिक अधिकार प्राप्त होने के साथ नवाचार को सुगम बनाने में मदद मिलेगी।
  • इसलिये इस दृष्टिकोण का परीक्षण करने की आवश्यकता है और तीनों FPO इसका नेतृत्व कर सकते हैं। 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019) 

  1. भारतीय पेटेंट अधिनियम के अनुसार, किसी बीज को बनाने की जैव प्रक्रिया का भारत में पेटेंट कराया जा सकता है। 
  2. भारत में कोई बौद्धिक संपदा अपील बोर्ड नहीं है। 
  3. पादप किस्में भारत में पेटेंट कराए जाने की पात्र नहीं हैं। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (c) 

  • भारतीय पेटेंट अधिनियम की धारा 3 (J), "पौधों और पशुओं के पूर्ण या विभाजित हिस्से में सूक्ष्मजीवों के अलावा बीज, किस्मों और प्रजातियों तथा अनिवार्य रूप से पौधों और पशुओं के उत्पादन या प्रजनन हेतु जैविक प्रक्रियाओं" को पेटेंट से बाहर करती है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • भारतीय व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 और माल के भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण एवं संरक्षण) अधिनियम, 1999 के तहत रजिस्ट्रार के निर्णय के खिलाफ अपील सुनने और हल करने के लिये भारत सरकार द्वारा 2003 में बौद्धिक संपदा अपील बोर्ड (IPAB) का गठन किया गया था। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • पादप विविधता संरक्षण, पादप प्रजनक अधिकारों (PBR) के रूप में एक प्रजनक को पादप विविधता का कानूनी संरक्षण प्रदान करता है। भारत में पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकारों का संरक्षण अधिनियम, 2001 (PPVFR) एक विशिष्ट प्रणाली है जिसका उद्देश्य पौधों की किस्मों की सुरक्षा तथा पौधों के प्रजनकों एवं किसानों के अधिकारों के लिये एक प्रभावी प्रणाली की स्थापना करना है। सुई जेनरिस प्रणाली पेटेंट प्रणाली का एक विकल्प है। अतः कथन 3 सही है।

अतः विकल्प (C) सही उत्तर है। 

स्रोत: द हिंदू

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